इस्लाम व्यापार और सूदी निज़ाम

आज के युग मे भी बैंक के जरिये कर्ज़ लेन देन को मुस्लिम समाज के कुछ वर्गो मे अब भी गलत समझा जाता है , यह एक भ्रांति है । यह सोच मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन का कारक है ।

इस्लाम और मुसलमान

इस्लाम के मानने वाले सिर्फ वो ही न थे जिनहोने हज़रत मुहम्मद को अपना रसूल माना बल्कि वो सभी इंसान है जो एक खुदा के मानने वाले हो और आखिरत पर यकीन करने वाले हो और नेक अमल पैरा हो

इस्लाम में ज़कात

ज़कात कब अदा किए जाए ?  कुरान कहता है , जब फसल कट जाए और जों मुआवज़ा हासिल हो उसका एक हिस्सा खुदा की रह मे खर्च किया जाए