गर्भपात

और निर्धनता के भय से अपनी सन्तान की हत्या न करो, हम उन्हें भी रोज़ी देंगे और तुम्हें भी। वास्तव में उनकी हत्या बहुत ही बड़ा अपराध है (17:31)

हज, बकरईद और इस्लामी कुरीतिया

हज़रत मुहम्मद ने भी अपनी पूरी ज़िन्दगी में एक ही हज अदा किया । उनकी ज़िन्दगी में बकरईद करके कोई त्यौहार को मनाया गया इसकी कोई सनद नहीं मिलती और आपको यकीन न आये तो आप इतिहासकारों या उन मुल्लाओ से भी पुछ सकते है जिन्होंने किसी मदरसे में नहीं बल्कि यूनिवर्सिटी से तालीम याफ्ता…

इस्लाम और मुसलमान

इस्लाम के मानने वाले सिर्फ वो ही न थे जिनहोने हज़रत मुहम्मद को अपना रसूल माना बल्कि वो सभी इंसान है जो एक खुदा के मानने वाले हो और आखिरत पर यकीन करने वाले हो और नेक अमल पैरा हो