कौन है आपका ख़ुदा ?

कौन है आपका ख़ुदा?

4.16 मिनट

ये सवाल सुनकर ज्यादातर लोग नाराज़ हो जाते है । ‘आपका क्या मतलब है, कि “तुम्हारा ख़ुदा कौन है?” वो पूछते हैं, ‘मेरा ख़ुदा आसमान और ज़मीन का पैदा करने वाला है ‘ “और उन मे से ज़्यादातर लोग ये जानकार हैरान रह जाएंगे कि उनका ये ऐलान कि उनका ख़ुदा आसमानों और ज़मीन का ख़ालिक़ है और ये एक Lip Service ( दिखावटी बात) के सिवा कुछ भी नहीं है और आप पाएंगे की वो लोग हक़ीक़त मे जहन्नुम का मुकद्दर बन चुके है । क़ुरान (12:106)

जो कुछ भी या जो कोई भी ज्यादा वक़्त आपके ज़ेहन(mind) मे रहता है वो ही आपका खुदा होता हैं ।

तुम्हारा खुदा तुम्हारे बच्चे भी हो सकते है (7:190), तुम्हारी बीवी (9:24), तुम्हारा बिज़नेस (18:35) तुम्हारा EGO (25:43) भी हो सकता है । इसी लिए कुरान मे ये सबसे ज्यादा तवज्जोह दिया जाने वाला और दोहराए जाने वाल हुक्म है ।

ऐ ईमानवालो! तुम अल्लाह का कसरत से ज़िक्र किया करो। दिन व रात उसका गुणगान करो । 33:41

इन हुक्मो को हमे अपनी Practice मे बदलने की ज़रूरत है । हमे ऐसी कुछ ख़ास आदतों को क़ायम करना चाहिए । इसके ज़रिये से हम इस बात की ज़मानत देते है कि खुदा हमारे ज़हनों (Minds) पर किसी भी चीज़ से ज़्यादा क़ाबिज़ है । और कुरान हमे ऐसी ही आदते जो हमारी रूहों को बचाने का काम करती है उन्हे क़ायम करता है ।

  1. नमाज़ या सलात :– जो लोग रोजाना 5 वक़्त की नमाज़ को क़ायम करते है और अपने जागने के वक्तों के अनुपात का एक अहम हिस्सा खुदा की याद के लिए रखते है । नमाज़ न सिर्फ हमे खुदा को कुछ मिनट के लिए याद करने मे मददगार है बल्कि दिन के दीगर वक्तों मे भी । जैसे सुबह के 11 बजे कोई भी अपनी घड़ी देखकर जान सकता है की दोपहर की सलात का वक़्त अभी होने वाला है और इस काम की वजहों से एक शख़्स खुदा के बारे मे सोचता है और वो फायदे हासिल करता है ।

2.खाना खाने से पहले खुदा को याद करना :- कुरान की आयत 6:121 हमे बताती है कि खाना खाने से पहले खुदा का नाम लिया जाए । “ तुम उस खाने मे से न खाओ जिस पर खुदा का नाम न लिया गया हो “।

3 खुदा की मर्ज़ी (IN SHAA ALLAH ) :- और किसी भी चीज़ की निस्बत यह हरगिज़ न कहा करें कि मैं इस काम को कल करनेवाला हूं, बल्कि साथ में यह कहे कि अगर अल्लाह चाहे । यदि आप ऐसा करना भूल जाए तो खुदा से माफी मांगे और कहे, “ उम्मीद है मेरा रब मुझे इससे (भी) क़रीब सही बात की ओर हिदायत की राह दिखा देगा “। [18:24] यह एक सीधा हुक्म है, जिसे हमे लाज़मी तौर पर अमल करना चाहिए ,और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम किन के साथ बात कर रहे है ।

  1. खुदा का तोहफ़ा ( MAA SHAA ALLAH ) :- जिन चीज़ों या लोगो को को जो हमारे अज़ीज़ है चाहे वो हमारे बच्चे हो , हमारी कारे हो या हमारे घर हो जिसे हम खुदा की हिफाज़त मे चाहते है जैसा की कुरान मे 18:39 मे आया है हमे MAA SHAA ALLAH कहना चाहिए । ये बात खुदा के तरफ से तोहफा है हमारे लिए ।
  1. दिन रात खुदा की तसबीह करना :- जब हम कुछ खाते है तो हमे जानवरो की तरह नहीं हो जाना चाहिए बल्कि हमे सोचना चाहिए, रब की तख्लीक के बारे मे कि उसने हमारे खाने की क्या खूब चीज़े बनाई जिनका हम स्वाद ले पाते है और मज़े लेते है उस समझ कि वजह से जो उसने हमे अता किया । कितनी ही खूबसूरती के साथ उसने केले और संतरो और कितने ही sea foods की Packaging की जिन्हे खुदा ने बनाया और ऐसी ही बहुत कुछ और उसे हमेशा याद करे जब आप उस रोज़ी का मज़ा ले।

जब हम कोई खूबसूरत फूल या जानवर-परिंदा या सूरज का डुबना ऐसी ही कुछ चीज़े देखते है तो हमे ज़रूर खुदा को याद करना चाहिए। हमे ऐसे ही बहुत से मौको को ज़ब्त कर लेना चाहिए जो हमे खुदा को याद करने का मौका फराहम करे ताकि तब जाकर हो सकता है कि खुदा ही हमारा खुदा हो।

  1. सबसे पहले कहना :- जब आप सुबह उठे उस लम्हे मे सबसे पहले ये कहने कि आदत बनाए “ शुरू अल्लाह के नाम से, जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम करने वाला है और सिवाय अल्लाह के कोई खुदा नहीं है “ अगर आप इस अच्छी आदत को क़ायम करते है तो जब आप दोबारा ज़िंदा होंगे (क़यामत) तो आप यही कहेंगे ।

नोट :- यह आर्टिकल इस्लामिक विख्यात प्रोफ़ेसर डॉ रशाद खलीफा के Appendix 27  ( Who Is your God?) का हिंदी अनुवाद है ।

https://www.masjidtucson.org/quran/appendices/appendix27.html

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