9. अल-अनाम

ये सुरह की शुरआत बिस्मिल्लाह से नहीं है*

بَراءَةٌ مِنَ اللَّهِ وَرَسولِهِ إِلَى الَّذينَ عٰهَدتُم مِنَ المُشرِكينَ

(9:1) अल्लाह और उसके रसूल की तरफ से उन काफिरों के लिए जिन से तुमने सुलह का समझौता कर रखा था आज उस समझौते से मुक्त होने की घोषणा कर दो।

FootNote: 

فَسيحوا فِى الأَرضِ أَربَعَةَ أَشهُرٍ وَاعلَموا أَنَّكُم غَيرُ مُعجِزِى اللَّهِ وَأَنَّ اللَّهَ مُخزِى الكٰفِرينَ

(9:2) इस लिए ज़मीन मे चार महीने तक आज़ाद घूमो-फिरो। और जान लो तुम अल्लाह से भाग नहीं सकते हो। और यह भी याद रखो कि अल्लाह काफिरों को ज़लील करता है।

وَأَذٰنٌ مِنَ اللَّهِ وَرَسولِهِ إِلَى النّاسِ يَومَ الحَجِّ الأَكبَرِ أَنَّ اللَّهَ بَرىءٌ مِنَ المُشرِكينَ وَرَسولُهُ فَإِن تُبتُم فَهُوَ خَيرٌ لَكُم وَإِن تَوَلَّيتُم فَاعلَموا أَنَّكُم غَيرُ مُعجِزِى اللَّهِ وَبَشِّرِ الَّذينَ كَفَروا بِعَذابٍ أَليمٍ

(9:3) हज के बड़े (अज़ीम) दिन अल्लाह और उसके रसूल की तरफ से सभी लोगों के लिए एक एलान जारी किया गया है। कि अल्लाह ने बुत परस्ती से इन्कार किया है। इस लिए उसके रसूल ने भी। इस लिए तुम अगर तौबा करलो तो तुम्हारे हक में बेहतर है। लेकिन अगर तुम मुंह फेरते हो तो जान लो अल्लाह से तुम कभी नहीं बच सकते। काफिरों को दर्दनाक अज़ाब का वादा कह दो।

إِلَّا الَّذينَ عٰهَدتُم مِنَ المُشرِكينَ ثُمَّ لَم يَنقُصوكُم شَيـًٔا وَلَم يُظٰهِروا عَلَيكُم أَحَدًا فَأَتِمّوا إِلَيهِم عَهدَهُم إِلىٰ مُدَّتِهِم إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ المُتَّقينَ

(9:4) जिन मुशरिकों ने तुम्हारे साथ सुलाह का अहद यानि समझौता किया है और वो उसके खिलाफ कुछ नहीं करते और ना हि तुम्हारे खिलाफ दूसरो से मिल कर पाबन्दी लगाते हैं तो उनके साथ अपना अहद उसकी मुद्दत खत्म होने तक पूरा करो। अल्लाह सच्चे परहेज़गार लोगों को पसन्द करता है।

فَإِذَا انسَلَخَ الأَشهُرُ الحُرُمُ فَاقتُلُوا المُشرِكينَ حَيثُ وَجَدتُموهُم وَخُذوهُم وَاحصُروهُم وَاقعُدوا لَهُم كُلَّ مَرصَدٍ فَإِن تابوا وَأَقامُوا الصَّلوٰةَ وَءاتَوُا الزَّكوٰةَ فَخَلّوا سَبيلَهُم إِنَّ اللَّهَ غَفورٌ رَحيمٌ

(9:5) फिर जब पाक महीने गुज़र जायें। (और वह अमन और शांति क़ायम करने से इन्कार करें) तो तुम मुशरिकों को जहां पाओ क़त्ल कर सकते हो। उनको गिरिफतार करो और उनके लिए घात लगा कर बैठो और उनकी हर हरकत पर नज़र रखों। फिर अगर वह तौबा कर लें, नमाज़ की पाबन्दी करें, वाजिब सदक़ा अदा करें तो उनको छोड़ दो। बेशक अल्लाह माफ करने वाला मेहेरबान है।

وَإِن أَحَدٌ مِنَ المُشرِكينَ استَجارَكَ فَأَجِرهُ حَتّىٰ يَسمَعَ كَلٰمَ اللَّهِ ثُمَّ أَبلِغهُ مَأمَنَهُ ذٰلِكَ بِأَنَّهُم قَومٌ لا يَعلَمونَ

(9:6) अगर कोई मुशरिक तुमसे पनाह मांगे तो तुम उसको पनाह दो। ताकि वह अल्लाह की बात को सुन सके। फिर उसको उसकी महफूज़ जगह वापस भेज दो। यह इस लिए है कि यह लोग कुछ नहीं जानते हैं।

كَيفَ يَكونُ لِلمُشرِكينَ عَهدٌ عِندَ اللَّهِ وَعِندَ رَسولِهِ إِلَّا الَّذينَ عٰهَدتُم عِندَ المَسجِدِ الحَرامِ فَمَا استَقٰموا لَكُم فَاستَقيموا لَهُم إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ المُتَّقينَ

(9:7) मुशरिक लोग अल्लाह और उसके रसूल से कैसे कोई अहद मांग सकते हैं? सिवा उन लोगों के जिन्हों ने तुमसे सुलह का अहद मसजिदे हराम (यानि पाक मस्जिद) में किया है। अगर वह इस अहद का एहतिराम करते हैं और इसे बरकरार रखते हैं तो तुम भी इसे बरकरार रखो। बेशक अल्लाह परहेज़ करने वालों को पसन्द करता है।

كَيفَ وَإِن يَظهَروا عَلَيكُم لا يَرقُبوا فيكُم إِلًّا وَلا ذِمَّةً يُرضونَكُم بِأَفوٰهِهِم وَتَأبىٰ قُلوبُهُم وَأَكثَرُهُم فٰسِقونَ

(9:8) वह लोग किस तरह अहद मांग सकते हैं? जबकि उन्होंने अपने और तुम्हारे बीच किसी रिश्ते और हक की पाबन्दी नहीं की और ना ही किसी अहद का ख्याल रखते अगर उनको कभी गालिब आने का मौका मिलता। उन्होंने तुमको सिर्फ अपने मुंह से राज़ी किया है जबकि उनके दिल मुखालिफत में हैं। और उन में से अकसर लोग बदकार हैं।

اشتَرَوا بِـٔايٰتِ اللَّهِ ثَمَنًا قَليلًا فَصَدّوا عَن سَبيلِهِ إِنَّهُم ساءَ ما كانوا يَعمَلونَ

(9:9) उन्होंने अल्लाह की आयतों को थोड़े मूल्य पर बेच दिया और लोगों को उसकी राह से रोकते थे ये लोग जो कुछ करते हैं वह बहुत बुरा है

لا يَرقُبونَ فى مُؤمِنٍ إِلًّا وَلا ذِمَّةً وَأُولٰئِكَ هُمُ المُعتَدونَ

(9:10) वह कभी किसी मोमिन के साथ कोई रिश्तेदारी का हक नहीं मानते हैं और ना ही वह अपने अहद को बरकरार रखते हैं। यह लोग सच में ज़ियादती करने वाले हैं।

पश्चाताप (तौबा): हर गुनाह को साफ़ कर देता है

فَإِن تابوا وَأَقامُوا الصَّلوٰةَ وَءاتَوُا الزَّكوٰةَ فَإِخوٰنُكُم فِى الدّينِ وَنُفَصِّلُ الـٔايٰتِ لِقَومٍ يَعلَمونَ

(9:11) अगर वह तौबा करते हैं और नमाज़ की पाबन्दी करते हैं और ज़कात अदा करते हैं तो वह तुम्हारे मज़हबी भाई हैं। इस तरह से हम उनके लिए निशानियों को खोल कर बयान करते हैं जो लोग इल्म रखते हैं।

وَإِن نَكَثوا أَيمٰنَهُم مِن بَعدِ عَهدِهِم وَطَعَنوا فى دينِكُم فَقٰتِلوا أَئِمَّةَ الكُفرِ إِنَّهُم لا أَيمٰنَ لَهُم لَعَلَّهُم يَنتَهونَ

(9:12) अगर वह अहद करने के बाद अपनी कसमो को तोड़ देते हैं और तुम्हारे मज़हब पर हमला करते हैं तो तुम काफिरों के लीडरों से लड़ सकते हो। अब तुम उनके साथ अपने अहद के पाबन्द नहीं हो। ताकि वह (अत्याचार से) रुक जाये ।

أَلا تُقٰتِلونَ قَومًا نَكَثوا أَيمٰنَهُم وَهَمّوا بِإِخراجِ الرَّسولِ وَهُم بَدَءوكُم أَوَّلَ مَرَّةٍ أَتَخشَونَهُم فَاللَّهُ أَحَقُّ أَن تَخشَوهُ إِن كُنتُم مُؤمِنينَ

(9:13) क्या तुम उन लोगों से नहीं लड़ोगे जिन्हों ने अपने अहद को तोड़ दिया और रसूल को देश से निकालने की कोशिश की और यह वही लोग हैं जिन्हों ने जंग की शुरूआत की थी। क्या तुम इन लोगों से डरते हो? जबकि अल्लाह जियादा हकदार है कि तुम उससे डरो अगर तुम ईमान रखते हो।

قٰتِلوهُم يُعَذِّبهُمُ اللَّهُ بِأَيديكُم وَيُخزِهِم وَيَنصُركُم عَلَيهِم وَيَشفِ صُدورَ قَومٍ مُؤمِنينَ

(9:14) तुम्हें उनसे लड़ना चाहिऐ इसलिए कि अल्लाह उनको तुम्हारे हाथों से सज़ा देगा, उन्हें ज़लील करेगा, तुम्हें उनपर फतेह अता करेगा। और मोमिनों के सीनों को शिफ़ा अता करेगा।

وَيُذهِب غَيظَ قُلوبِهِم وَيَتوبُ اللَّهُ عَلىٰ مَن يَشاءُ وَاللَّهُ عَليمٌ حَكيمٌ

(9:15) वह मोमिनों के दिलों से गुस्सा भी दूर करदेगा। और अल्लाह जिसको चाहता है माफ करता है। अल्लाह सब कुछ जानने वाला और हिकमत वाला है।

जिस से बचा न जा सके ऐसा इम्तिहान  

أَم حَسِبتُم أَن تُترَكوا وَلَمّا يَعلَمِ اللَّهُ الَّذينَ جٰهَدوا مِنكُم وَلَم يَتَّخِذوا مِن دونِ اللَّهِ وَلا رَسولِهِ وَلَا المُؤمِنينَ وَليجَةً وَاللَّهُ خَبيرٌ بِما تَعمَلونَ

(9:16) क्या तुमने ये समझ लिया है कि तुम (यूं ही) छोड़ दिए जाओगे और अभी तक तो अल्लाह ने उन लोगों को पेहचाना ही नहीं जो तुम में से (राहे ख़ुदा में) जिहाद करते हैं और दोस्ती नहीं रखते अल्लाह और उसके रसूल और मोमेनीन के दुश्मनो से। सो जो कुछ भी तुम करते हो अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है।

ما كانَ لِلمُشرِكينَ أَن يَعمُروا مَسٰجِدَ اللَّهِ شٰهِدينَ عَلىٰ أَنفُسِهِم بِالكُفرِ أُولٰئِكَ حَبِطَت أَعمٰلُهُم وَفِى النّارِ هُم خٰلِدونَ

(9:17) मुशरिक लोग अपने कुफ्र का इकरार करते हुए बहुत ज़्यादा अल्लाह की मस्जिद को आबाद नहीं करते। इन लोगों ने अपने कर्म को बरबाद कर दिया और वह लोग हमेशा दोज़ख में रहेंगे।

إِنَّما يَعمُرُ مَسٰجِدَ اللَّهِ مَن ءامَنَ بِاللَّهِ وَاليَومِ الـٔاخِرِ وَأَقامَ الصَّلوٰةَ وَءاتَى الزَّكوٰةَ وَلَم يَخشَ إِلَّا اللَّهَ فَعَسىٰ أُولٰئِكَ أَن يَكونوا مِنَ المُهتَدينَ

(9:18) सिर्फ वही लोग अल्लाह की मस्जिद में दाखिल हो सकते हैं जो अल्लाह पर और आखिरत पर ईमान रखते हैं और नमाज़ की पाबन्दी करते हैं। और ज़कात अदा करते हैं और अल्लाह के सिवा किसी से नहीं डरते हैं। हकीकत में यही लोग हिदायत पाने वाले होंगे।

अरबों से सवाल

أَجَعَلتُم سِقايَةَ الحاجِّ وَعِمارَةَ المَسجِدِ الحَرامِ كَمَن ءامَنَ بِاللَّهِ وَاليَومِ الـٔاخِرِ وَجٰهَدَ فى سَبيلِ اللَّهِ لا يَستَوۥنَ عِندَ اللَّهِ وَاللَّهُ لا يَهدِى القَومَ الظّٰلِمينَ

(9:19) क्या तुम लोगों ने हाजियों को पानी पिलाने और मस्जिदे काबा की देख-रेख करने को उस शख्स के (आ’माल) के बराबर करार दे रखा है जो अल्लाह और आखिरत पर ईमान ले आया और उसने अल्लाह की राह में जिहाद किया? यह आमाल अल्लाह की नज़र में बराबर नहीं हैं। अल्लाह ज़ालिम लोगों की हिदायत नहीं करता।

अच्छी खबर

الَّذينَ ءامَنوا وَهاجَروا وَجٰهَدوا فى سَبيلِ اللَّهِ بِأَموٰلِهِم وَأَنفُسِهِم أَعظَمُ دَرَجَةً عِندَ اللَّهِ وَأُولٰئِكَ هُمُ الفائِزونَ

(9:20) जो लोग ईमान लाए और हिजरत की और अल्लाह के रास्ते में अपने जान व माल से जिहाद किया वह लोग अल्लाह के नज़दीक बड़े दर्जे वाले हैं।

يُبَشِّرُهُم رَبُّهُم بِرَحمَةٍ مِنهُ وَرِضوٰنٍ وَجَنّٰتٍ لَهُم فيها نَعيمٌ مُقيمٌ

(9:21) उनका रब उन्हें अपनी तरफ से रहमत और रज़ामन्दी और ऐसे बागात की खुशखबरी देता है जहां वह हमेशा की नेमतों से खुश होंगे।

خٰلِدينَ فيها أَبَدًا إِنَّ اللَّهَ عِندَهُ أَجرٌ عَظيمٌ

(9:22) वह हमेशा वहां रहेंगे। अल्लाह के पास उनके लिए बड़ा अजर है।

जब तुमको कोई विकल्प चुनना पड़े

يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا لا تَتَّخِذوا ءاباءَكُم وَإِخوٰنَكُم أَولِياءَ إِنِ استَحَبُّوا الكُفرَ عَلَى الإيمٰنِ وَمَن يَتَوَلَّهُم مِنكُم فَأُولٰئِكَ هُمُ الظّٰلِمونَ

(9:23) ऐ ईमान लानेवालो! अपने माँ-बाप और अपने भाइयों को अपना दोस्त न बनाओ, यदि वे ईमान पर कुफ्र को पसंद करें। और तुममें से जो कोई उनसे दोस्ती करे तो ऐसे ही लोग ज़ालिम हैं।

महत्वपूर्ण कसौटी         

قُل إِن كانَ ءاباؤُكُم وَأَبناؤُكُم وَإِخوٰنُكُم وَأَزوٰجُكُم وَعَشيرَتُكُم وَأَموٰلٌ اقتَرَفتُموها وَتِجٰرَةٌ تَخشَونَ كَسادَها وَمَسٰكِنُ تَرضَونَها أَحَبَّ إِلَيكُم مِنَ اللَّهِ وَرَسولِهِ وَجِهادٍ فى سَبيلِهِ فَتَرَبَّصوا حَتّىٰ يَأتِىَ اللَّهُ بِأَمرِهِ وَاللَّهُ لا يَهدِى القَومَ الفٰسِقينَ

(9:24) ऐलान करो कि क्या तुम्हारे मां-बाप, तुम्हारे बच्चे, तुम्हारे भाई-बहन, तुम्हारी बीवी, तुम्हारा खानदान, तुम्हारी कमायी हुवी दौलत, तुम्हारा कारोबार और तुम्हारा पसन्दीदा घर तुमको अल्लाह और रसूल और उसके रास्ते में जिहाद करने से ज़्यादा महबूब है? फिर तुम इन्तिज़ार करो जब तक अल्लाह अपना फैसला न लेआये। अल्लाह बदकार लोगों की रहनुमाई नहीं करता।

FootNote: 

لَقَد نَصَرَكُمُ اللَّهُ فى مَواطِنَ كَثيرَةٍ وَيَومَ حُنَينٍ إِذ أَعجَبَتكُم كَثرَتُكُم فَلَم تُغنِ عَنكُم شَيـًٔا وَضاقَت عَلَيكُمُ الأَرضُ بِما رَحُبَت ثُمَّ وَلَّيتُم مُدبِرينَ

(9:25) अल्लाह ने तुमको बहुत से मौको पर जीत नसीब फरमाई। लेकिन हुनैन के दिन तुम्हें अपनी बहुत ज़्यादा तादाद पर फखर हो गया था इसका नतीजा यह हुआ कि इतनी बड़ी तादाद ने भी तुम्हारी कोई मदद नहीं की। और धरती अपनी विशालता के बावजूद तुम पर तंग हो गई। फिर तुम पीठ फेरकर भाग खड़े हुए ।

ثُمَّ أَنزَلَ اللَّهُ سَكينَتَهُ عَلىٰ رَسولِهِ وَعَلَى المُؤمِنينَ وَأَنزَلَ جُنودًا لَم تَرَوها وَعَذَّبَ الَّذينَ كَفَروا وَذٰلِكَ جَزاءُ الكٰفِرينَ

(9:26) फिर अल्लाह ने अपने रसूल और मोमिनों पर सुकून नाज़िल किया और एक छिपी हुई फौज उतारी। इस तरह खुदा ने काफिरों को सज़ा दी। और यही इनकार करनेवालों का बदला है ।

ثُمَّ يَتوبُ اللَّهُ مِن بَعدِ ذٰلِكَ عَلىٰ مَن يَشاءُ وَاللَّهُ غَفورٌ رَحيمٌ

(9:27) फिर इसके बाद अल्लाह जिसको चाहता है माफ करता है। बेशक अल्लाह माफ करने वाला मेहेरबान है।

يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا إِنَّمَا المُشرِكونَ نَجَسٌ فَلا يَقرَبُوا المَسجِدَ الحَرامَ بَعدَ عامِهِم هٰذا وَإِن خِفتُم عَيلَةً فَسَوفَ يُغنيكُمُ اللَّهُ مِن فَضلِهِ إِن شاءَ إِنَّ اللَّهَ عَليمٌ حَكيمٌ

(9:28) ऐ ईमान वालो! मुशरिक लोग नापाक हैं। तो इस साल के बाद उन लोगो को मस्जिदे हराम (पाक-मस्जिद) में दाखिल होने की इजाज़त नहीं होगी। अगर तुम्हे आमदनी के नुकसान का खौफ है तो अल्लाह अगर चाहेगा तो तुम्हें अपने फज्लसे मालदार कर देगा। अल्लाह सबसे ज़्याद हिकमत वाला और अकलमन्द है।

قٰتِلُوا الَّذينَ لا يُؤمِنونَ بِاللَّهِ وَلا بِاليَومِ الـٔاخِرِ وَلا يُحَرِّمونَ ما حَرَّمَ اللَّهُ وَرَسولُهُ وَلا يَدينونَ دينَ الحَقِّ مِنَ الَّذينَ أوتُوا الكِتٰبَ حَتّىٰ يُعطُوا الجِزيَةَ عَن يَدٍ وَهُم صٰغِرونَ

(9:29) तुम उन लोगों से जंग करो जो अल्लाह और आखिरत पर ईमान नहीं रखते और ना ही उन चीज़ों को हराम कहते हैं जिनको अल्लाह और उसके रसूल ने हराम किया है। और ना ही अहले किताब में से वह दीने हक की पाबन्दी करते हैं। जब तक वह अपनी मर्ज़ी या नाखुशी से वाजिबुल टैक्स अदा ना कर दें (उस वक्त तक उनसे जंग करो)। 

बेअदबियाँ

وَقالَتِ اليَهودُ عُزَيرٌ ابنُ اللَّهِ وَقالَتِ النَّصٰرَى المَسيحُ ابنُ اللَّهِ ذٰلِكَ قَولُهُم بِأَفوٰهِهِم يُضٰهِـٔونَ قَولَ الَّذينَ كَفَروا مِن قَبلُ قٰتَلَهُمُ اللَّهُ أَنّىٰ يُؤفَكونَ

(9:30) यहूदी कहते हैं कि उज़ैर अल्लाह के बेटे हैं और जबकि इसाई कहते हैं कि ईसा मसीह अल्लाह के बेटे हैं। यह उनके मुंह से कही गयी गुसताखियां हैं। इस तरह यह उन लोगों की गुसताखियों से मेल खाता है जो अतीत में इनकार करते रहे हैं। अल्लाह उनकी निंदा करता है। ये लोग यक़ीनन गुमराह हो गए हैं।

खुदा की तालीम की बजाय धार्मिक नेताओं की तालीम को बरकरार रखना।

اتَّخَذوا أَحبارَهُم وَرُهبٰنَهُم أَربابًا مِن دونِ اللَّهِ وَالمَسيحَ ابنَ مَريَمَ وَما أُمِروا إِلّا لِيَعبُدوا إِلٰهًا وٰحِدًا لا إِلٰهَ إِلّا هُوَ سُبحٰنَهُ عَمّا يُشرِكونَ

(9:31) उन लोगों ने अल्लाह के बजाए अपने धार्मिक नेताओं को खुदा बना रखा है। दूसरे ने मरयम के बेटे ईसा मसीह को (खुदा) बना रखा है। उन सबको एक ही खुदा की इबादत करने का हुक्म दिया गया है। उस (खुदा) के सिवा कोई इबादत के लायत नहीं है। वह उन लोगों से पाक व पाकीज़ा है जो उसका शरीक बनाते हैं ।

FootNote: 

يُريدونَ أَن يُطفِـٔوا نورَ اللَّهِ بِأَفوٰهِهِم وَيَأبَى اللَّهُ إِلّا أَن يُتِمَّ نورَهُ وَلَو كَرِهَ الكٰفِرونَ

(9:32) वह लोग अल्लाह के नूर को अपने मुंह से बुझा देना चाहते हैं लेकिन अल्लाह काफिरों के नाचाहने के बावजूद अपने नूर को मुकम्मल करके हीं रहेगा।

“इस्लाम“ गालिब होना तय है

هُوَ الَّذى أَرسَلَ رَسولَهُ بِالهُدىٰ وَدينِ الحَقِّ لِيُظهِرَهُ عَلَى الدّينِ كُلِّهِ وَلَو كَرِهَ المُشرِكونَ

(9:33) (खुदा) वही है जिसने अपने रसूल को हिदायत और दीने हक के साथ भेजा। और इस दीन को मुशरिकों के (नापसन्द होने के) बावजूद सभी मज़हबों पर गालिब करेगा।

FootNote: 

पेशेवर धार्मिक नेताओं से सावधान रहें

يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا إِنَّ كَثيرًا مِنَ الأَحبارِ وَالرُّهبانِ لَيَأكُلونَ أَموٰلَ النّاسِ بِالبٰطِلِ وَيَصُدّونَ عَن سَبيلِ اللَّهِ وَالَّذينَ يَكنِزونَ الذَّهَبَ وَالفِضَّةَ وَلا يُنفِقونَها فى سَبيلِ اللَّهِ فَبَشِّرهُم بِعَذابٍ أَليمٍ

(9:34) ऐ ईमान वालो! बहुत से धार्मिक नेता और संसार-त्यागी संत लोगों का माल नाजायज़ तरीके से खाते हैं और उन्हें अल्लाह के रास्ते से हटा देते हैं। और जो लोग सोना और चाँदी को जमा करते हैं और अल्लाह के रास्तें में खर्च नहीं करते हैं। उनसे दर्दनाक अज़ाब का वादा किया है।

يَومَ يُحمىٰ عَلَيها فى نارِ جَهَنَّمَ فَتُكوىٰ بِها جِباهُهُم وَجُنوبُهُم وَظُهورُهُم هٰذا ما كَنَزتُم لِأَنفُسِكُم فَذوقوا ما كُنتُم تَكنِزونَ

(9:35) फिर वह दिन आयेगा जब उनका सोना और चाँदी दोज़ख की आग में गरम किया जायेगा और फिर उनके माथे को उनके बाजुओं और उनकी पीठ को उस (जलते हुए सोने, चाँदी) से जलाया जायेगा। कि येह वोही (माल) है जो तुमने तुमने अपने लिए जमा किया था सो तुम (उस मालका) मजा चखो जिसे तुम जमा’ करते रहे थे। 

खुदा का निज़ाम : एक साल में बारह महीने

إِنَّ عِدَّةَ الشُّهورِ عِندَ اللَّهِ اثنا عَشَرَ شَهرًا فى كِتٰبِ اللَّهِ يَومَ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالأَرضَ مِنها أَربَعَةٌ حُرُمٌ ذٰلِكَ الدّينُ القَيِّمُ فَلا تَظلِموا فيهِنَّ أَنفُسَكُم وَقٰتِلُوا المُشرِكينَ كافَّةً كَما يُقٰتِلونَكُم كافَّةً وَاعلَموا أَنَّ اللَّهَ مَعَ المُتَّقينَ

(9:36) अल्लाह के नज़दीक महीनों की तदाद बारह (12) है। जिस दिन से अल्लाह ने ज़मीन और आसमान को पैदा किया है, यह उसका कानून है। उनमें से चार (महीनें) मुकद्दस हैं। यह एक मुकम्मल मज़हब है। तुम लोग पाक हुरमत वाले महीने में (लड़ाई करके) अपने ऊपर जुल्म मत करो। जब कि तुम सब मिलकर मुशरिकों से (उस पाक महीने में भी) खुल कर जंग कर सकते हो जब उन्हों ने मिलकर तुम्हारे खिलाफ जंग का एलान किया हो। और जान लो अल्लाह नेक लोगों के साथ है।

FootNote: 

मुकद्दस महीने में तबदीली

إِنَّمَا النَّسىءُ زِيادَةٌ فِى الكُفرِ يُضَلُّ بِهِ الَّذينَ كَفَروا يُحِلّونَهُ عامًا وَيُحَرِّمونَهُ عامًا لِيُواطِـٔوا عِدَّةَ ما حَرَّمَ اللَّهُ فَيُحِلّوا ما حَرَّمَ اللَّهُ زُيِّنَ لَهُم سوءُ أَعمٰلِهِم وَاللَّهُ لا يَهدِى القَومَ الكٰفِرينَ

(9:37) हुर्मत वाले पाक महीने को बदल देना कुफ़्र की सरकशी है और (यही वजह) काफ़िरों की गुमराही को और बढ़ा देती है और वह मुकद्दस पाक महीने और आम महीने में तबदीली करते हैं , जबकि अल्लाह ने जो गिनती निर्धारित की है, उसे वे नहीं मानते। इस प्रकार वे अल्लाह ने जो पाक जाहिर किया उसका उल्लंघन करते है। उनके बुरे कामों को उनकी निगाहों में अच्छा कर दिया गया है और अल्लाह काफ़िरों की रहनुमाई नहीं करता ।

FootNote: 

يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا ما لَكُم إِذا قيلَ لَكُمُ انفِروا فى سَبيلِ اللَّهِ اثّاقَلتُم إِلَى الأَرضِ أَرَضيتُم بِالحَيوٰةِ الدُّنيا مِنَ الـٔاخِرَةِ فَما مَتٰعُ الحَيوٰةِ الدُّنيا فِى الـٔاخِرَةِ إِلّا قَليلٌ

(9:38) ऐ ईमान वालो! जब तुमसे अल्लाह की राह में इकट्ठा होने को कहा जाता है तो तुम ज़मीन से क्यों जुड़ जाते हो? क्या तुमने आखिरत की जगह दुनियावी ज़िन्दगी को पसन्द किया है? दुनियावी ज़िन्दगी आखिरत के मुकाबले मे बहुत थोड़ी है।

إِلّا تَنفِروا يُعَذِّبكُم عَذابًا أَليمًا وَيَستَبدِل قَومًا غَيرَكُم وَلا تَضُرّوهُ شَيـًٔا وَاللَّهُ عَلىٰ كُلِّ شَىءٍ قَديرٌ

(9:39) अगर तुम (जिहाद के लिए) न निकलोगे तो वोह तुम्हें दर्दनाक अजाब में मुब्तिला फरमाएगा और तुम्हारी जगह (किसी) और कौमको ले आएगा और तुम उसे कुछ भी नुक्सान नहीं पहुंचा सकोगे, और अल्लाह हर चीज पर बड़ी कुदरत रखता है।

खुदा के न दिखने वाले सैनिक

إِلّا تَنصُروهُ فَقَد نَصَرَهُ اللَّهُ إِذ أَخرَجَهُ الَّذينَ كَفَروا ثانِىَ اثنَينِ إِذ هُما فِى الغارِ إِذ يَقولُ لِصٰحِبِهِ لا تَحزَن إِنَّ اللَّهَ مَعَنا فَأَنزَلَ اللَّهُ سَكينَتَهُ عَلَيهِ وَأَيَّدَهُ بِجُنودٍ لَم تَرَوها وَجَعَلَ كَلِمَةَ الَّذينَ كَفَرُوا السُّفلىٰ وَكَلِمَةُ اللَّهِ هِىَ العُليا وَاللَّهُ عَزيزٌ حَكيمٌ

(9:40) अगर तुम रसूल की मदद करने मे नाकाम रहो तो अल्लाह पहले ही उसकी मदद कर चूका है। इस तरह जब काफिरों ने उसका पीछा किया और वह ग़ारे गुफा में दो में से एक था। उसने अपने साथी से कहा: फिक्र मत करो अल्लाह हमारे साथ है। तब अल्लाह ने उस पर सुकून और सलामती उतारी और उन्हें (फ़रिश्तो के) ऐसे लश्करों के ज्‌रीए ताक़त बख़्शी जिन्हें तुम न देख सके और उसने काफिरों की बात को नाकाम कर दी। और अल्लाह का ही बोलबाला रहा। अल्लाह जबरदस्त प्रभुत्वशाली और हिकमत वाला है।

अच्छे मोमिन खुदा की राह में संघर्ष करते हैं।

انفِروا خِفافًا وَثِقالًا وَجٰهِدوا بِأَموٰلِكُم وَأَنفُسِكُم فى سَبيلِ اللَّهِ ذٰلِكُم خَيرٌ لَكُم إِن كُنتُم تَعلَمونَ

(9:41) तुम अल्लाह की राह में निकल पड़ो हल्के या भारी (थोड़े या ज़्यादा सामान के साथ) और अपनी जान और अपने माल से जिहाद (संघर्ष) करो। यह तुम्हारे लिए बेहतर है अगर तुम जानते हो।

बैठने वाला

لَو كانَ عَرَضًا قَريبًا وَسَفَرًا قاصِدًا لَاتَّبَعوكَ وَلٰكِن بَعُدَت عَلَيهِمُ الشُّقَّةُ وَسَيَحلِفونَ بِاللَّهِ لَوِ استَطَعنا لَخَرَجنا مَعَكُم يُهلِكونَ أَنفُسَهُم وَاللَّهُ يَعلَمُ إِنَّهُم لَكٰذِبونَ

(9:42) अगर कुछ माल जल्द ही हाथ लगने वाला और सफर भी मुखतसर होता तो वह तुम्हारे साथ होते। लेकिन जिहाद उनके लिए बहुत ज़्यादा है। वह अल्लाह की कसम खायेंगे कि अगर हमारे बस की बात होती तो हम तुम्हारे साथ जरूर चलते। इस तरह वह अपने आप को ही तकलीफ पहुंचाते हैं। और अल्लाह जानता है कि वह लोग झूठे हैं।

عَفَا اللَّهُ عَنكَ لِمَ أَذِنتَ لَهُم حَتّىٰ يَتَبَيَّنَ لَكَ الَّذينَ صَدَقوا وَتَعلَمَ الكٰذِبينَ

(9:43) अल्लाह ने तुम्हें बख्श दियाः तुमने उन्हें (पीछे रहने की) इजाज़त क्यों दी, इससे पहले कि तुम सच्चे और झूठों में फर्क कर पाते?

لا يَستَـٔذِنُكَ الَّذينَ يُؤمِنونَ بِاللَّهِ وَاليَومِ الـٔاخِرِ أَن يُجٰهِدوا بِأَموٰلِهِم وَأَنفُسِهِم وَاللَّهُ عَليمٌ بِالمُتَّقينَ

(9:44) जो लोग अल्लाह और आखिरत पर सच्चा ईमान लाये हैं वह अपनी जान और माल को जिहाद करने में तुम से इजाज़त नहीं मांगते हैं। अल्लाह नेक लोगों से पूरी तरह बाखबर है।

إِنَّما يَستَـٔذِنُكَ الَّذينَ لا يُؤمِنونَ بِاللَّهِ وَاليَومِ الـٔاخِرِ وَارتابَت قُلوبُهُم فَهُم فى رَيبِهِم يَتَرَدَّدونَ

(9:45) सिर्फ वही लोग माफी चाहते हैं जो अल्लाह और आखिरत पर यकीन नहीं रखते हैं। उनके दिलो में संदेह की उलझन है और यही संदेह उनको डगमगाता हैं।

وَلَو أَرادُوا الخُروجَ لَأَعَدّوا لَهُ عُدَّةً وَلٰكِن كَرِهَ اللَّهُ انبِعاثَهُم فَثَبَّطَهُم وَقيلَ اقعُدوا مَعَ القٰعِدينَ

(9:46) अगर वह लोग यकीनी तौर पर (जंग मे) शामिल होना चाहते तो वह इसके लिए सही तौर पर तैयारी कर लेते लेकिन अल्लाह ने उनके (जंग मे) शरीक होने को पसन्द नहीं किया, इस लिए खुदा ने उनकी हिम्मत को पस्त कर दिया। उनसे कहा गया: पीछे (बैठे) रहने वालों के साथ पीछे (बैठे) रहो।

لَو خَرَجوا فيكُم ما زادوكُم إِلّا خَبالًا وَلَأَوضَعوا خِلٰلَكُم يَبغونَكُمُ الفِتنَةَ وَفيكُم سَمّٰعونَ لَهُم وَاللَّهُ عَليمٌ بِالظّٰلِمينَ

(9:47) अगर वह तुम्हारे साथ जंग में शामिल होजाते तो वह सिर्फ उलझन या संदेह ही पैदा करते, और तुम्हारी आपसी लड़ाई-झगड़े का सबब बनते। तुम में से कुछ लोग उनको सुनने के लिए तैयार थे। अल्लाह जालिमों से पूरी तरह बाखबर है।

لَقَدِ ابتَغَوُا الفِتنَةَ مِن قَبلُ وَقَلَّبوا لَكَ الأُمورَ حَتّىٰ جاءَ الحَقُّ وَظَهَرَ أَمرُ اللَّهِ وَهُم كٰرِهونَ

(9:48) उन लोगों ने पहले भी तुम्हारे दरमियान उलझन फैलान की कोशिश की है और तुम्हारे मामलात को उलझा दिया था। आखिर में सच ही गालिब आता है और उनके नापसन्द करने के बावजूद अल्लाह का मनसूबा पूरा होता है।

وَمِنهُم مَن يَقولُ ائذَن لى وَلا تَفتِنّى أَلا فِى الفِتنَةِ سَقَطوا وَإِنَّ جَهَنَّمَ لَمُحيطَةٌ بِالكٰفِرينَ

(9:49) और उन में से कुछ लोग कहेंगे कि “हमको पीछे ठहरने की इजाज़त दे दीजिए, और हम पर ऐसी सख्ती ना कीजिए। हकीकत में वो खौफनाक सख्ती मे पड़ ही चुकें हैं। दोज़ख काफिरों को घेरे हुए है।

إِن تُصِبكَ حَسَنَةٌ تَسُؤهُم وَإِن تُصِبكَ مُصيبَةٌ يَقولوا قَد أَخَذنا أَمرَنا مِن قَبلُ وَيَتَوَلَّوا وَهُم فَرِحونَ

(9:50) अगर तुम्हारे साथ कुछ अच्छा होता है तो उनको तकलीफ होती है। और अगत तुम पर कोई मुसीबत आती है तो वह कहते हैं कि हमने तो तुमसे पहले ही कहा था और तब वह खुश होकर मुंह मोड़ लेते हैं।

قُل لَن يُصيبَنا إِلّا ما كَتَبَ اللَّهُ لَنا هُوَ مَولىٰنا وَعَلَى اللَّهِ فَليَتَوَكَّلِ المُؤمِنونَ

(9:51) उनसे कहो हमें कुछ नहीं होता सिवा इसके कि जो अल्लाह ने हमारे लिए लिख दिया हो। वह हमारा रब और मालिक है। ईमान वालो को अल्लाह पर भरोसा करना चाहिए।

قُل هَل تَرَبَّصونَ بِنا إِلّا إِحدَى الحُسنَيَينِ وَنَحنُ نَتَرَبَّصُ بِكُم أَن يُصيبَكُمُ اللَّهُ بِعَذابٍ مِن عِندِهِ أَو بِأَيدينا فَتَرَبَّصوا إِنّا مَعَكُم مُتَرَبِّصونَ

(9:52) इनसे कहदो कि तुम दो अच्छी चीज़ों में से एक की उम्मीद कर सकते हो, (फतेह या शहादत)। जबकि हम तुम्हारे लिए अल्लाह से निंदा और उसके अज़ाब की उम्मीद करते हैं, या हमारे हाथों से। इस लिए इन्तिज़ार करो हम भी तुम्हारे साथ इन्तिज़ार करेंगे।

قُل أَنفِقوا طَوعًا أَو كَرهًا لَن يُتَقَبَّلَ مِنكُم إِنَّكُم كُنتُم قَومًا فٰسِقينَ

(9:53) इनसे कहदो कि तुम अपनी मर्ज़ी से या नाखुशी से खर्च करों, तुम से कुछ भी कुबूल नहीं किया जायेगा। क्योंकि तुम बुरे लोग हो।

नमाज़ मुहम्मद से पहले से मौजूद थी

وَما مَنَعَهُم أَن تُقبَلَ مِنهُم نَفَقٰتُهُم إِلّا أَنَّهُم كَفَروا بِاللَّهِ وَبِرَسولِهِ وَلا يَأتونَ الصَّلوٰةَ إِلّا وَهُم كُسالىٰ وَلا يُنفِقونَ إِلّا وَهُم كٰرِهونَ

(9:54) और उनके खर्च के स्वीकार न किये जाने का कारण, इसके सिवाय कुछ नहीं है कि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया है। और जब नमाज़ को पढ़ते है तो सुस्त हो कर पढ़ते हैं। और जब वह खैरात देते हैं तो नापसन्दगी के साथ देते हैं।

FootNote: 

ज़ाहिरी दुनयावी कामयाबी

فَلا تُعجِبكَ أَموٰلُهُم وَلا أَولٰدُهُم إِنَّما يُريدُ اللَّهُ لِيُعَذِّبَهُم بِها فِى الحَيوٰةِ الدُّنيا وَتَزهَقَ أَنفُسُهُم وَهُم كٰفِرونَ

(9:55) उनके माल और औलाद से मुतअस्सिर मत हो। अल्लाह ने यह सब चीज़ें उनके लिए इस ज़िन्दगी में अज़ाब का जरिआ बनाया है। और (जब वह मरते हैं तो) उनकी रूहें कुफ्र की हालत में रूखसत होती हैं।

وَيَحلِفونَ بِاللَّهِ إِنَّهُم لَمِنكُم وَما هُم مِنكُم وَلٰكِنَّهُم قَومٌ يَفرَقونَ

(9:56) वह लोग अल्लाह की क़सम खाते हैं कि वह भी तुम्हारे साथ हैं। जबकि वह तुम्हारे साथ नहीं हैं। वह तो लोगों मैं बटवारा करनेवाले डरपोक लोग हैं।

لَو يَجِدونَ مَلجَـًٔا أَو مَغٰرٰتٍ أَو مُدَّخَلًا لَوَلَّوا إِلَيهِ وَهُم يَجمَحونَ

(9:57) जब उन्हें कोई पनाह गाह, कोई गुफा या कोई छिपने की जगह मिलेगी तो वह दौड़ते हुए उस की तरफ चले जायेंगे।

وَمِنهُم مَن يَلمِزُكَ فِى الصَّدَقٰتِ فَإِن أُعطوا مِنها رَضوا وَإِن لَم يُعطَوا مِنها إِذا هُم يَسخَطونَ

(9:58) और उनमें से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ख़ैरात के बांटने में तुम्हारी मलामत करते हैं तो अगर उनमें से कुछ दिया जाए तो राज़ी हो जाते हैं और अगर उनमें से कुछ न दिया जाए तो फौरन नफ़रत करने लगते हैं।

وَلَو أَنَّهُم رَضوا ما ءاتىٰهُمُ اللَّهُ وَرَسولُهُ وَقالوا حَسبُنَا اللَّهُ سَيُؤتينَا اللَّهُ مِن فَضلِهِ وَرَسولُهُ إِنّا إِلَى اللَّهِ رٰغِبونَ

(9:59) उन्हें अल्लाह और उसके रसूल ने जो कुछ दिया है उस पर राज़ी होना चाहिए था। और उनको कहना चाहिए था कि अल्लाह हमारे लिए काफी है। अल्लाह हमें अपने फज़ल से रिज़क देगा और इस लिए उसका रसूल भी। हम तो सिर्फ अपने अल्लाह को चाहते हैं।

ज़कात तकसीम करने का निज़ाम

إِنَّمَا الصَّدَقٰتُ لِلفُقَراءِ وَالمَسٰكينِ وَالعٰمِلينَ عَلَيها وَالمُؤَلَّفَةِ قُلوبُهُم وَفِى الرِّقابِ وَالغٰرِمينَ وَفى سَبيلِ اللَّهِ وَابنِ السَّبيلِ فَريضَةً مِنَ اللَّهِ وَاللَّهُ عَليمٌ حَكيمٌ

(9:60) ख़ैरात तो ख़ास ग़रीबों और मुहताजों और उन लोगों के लिए है जो ख़ैरात का काम करते हैं और उन लोगों के लिए जो अभी अभी मज़हब मे दाखिल हुवे हैं और ग़ुलामों की आज़ादी के लिए और उन लोगों के लिए जो बोझ से दबे हुए हैं और अल्लाह की राह में और मुसाफ़िरों के लिए हैं। यह अल्लाह का आदेश है। अल्लाह जानने वाला और हिकमत वाला है।

وَمِنهُمُ الَّذينَ يُؤذونَ النَّبِىَّ وَيَقولونَ هُوَ أُذُنٌ قُل أُذُنُ خَيرٍ لَكُم يُؤمِنُ بِاللَّهِ وَيُؤمِنُ لِلمُؤمِنينَ وَرَحمَةٌ لِلَّذينَ ءامَنوا مِنكُم وَالَّذينَ يُؤذونَ رَسولَ اللَّهِ لَهُم عَذابٌ أَليمٌ

(9:61) उनमें से कुछ लोग पैगम्बर को यह कह कर तकलीफ पहुंचाते हैं कि “वह सब कुछ सुनने में सक्षम है।” कहो यह तुम्हारे लिए बेहतर है कि वह तुम्हारी बात सुनें। वह अल्लाह पर यक़ीन रखता है और मोमिनों पर भरोसा रखता है। वह तुम में से ईमान लाने वालों के लिए रहमत है। जिन लोगों ने अल्लाह के रसूल को तकलीफ पहुंचाई उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है।

يَحلِفونَ بِاللَّهِ لَكُم لِيُرضوكُم وَاللَّهُ وَرَسولُهُ أَحَقُّ أَن يُرضوهُ إِن كانوا مُؤمِنينَ

(9:62) वह तुमको खुश करने के लिए अल्लाह की क़सम खाते हैं। जबकि अल्लाह और उसके रसूल इसके अधिक योग्य हैं कि उन्हें खुश करें अगर वह सच्चे मोमिन हैं।

खुदा और उसके पैगम्बर का विरोध करने की सज़ा

أَلَم يَعلَموا أَنَّهُ مَن يُحادِدِ اللَّهَ وَرَسولَهُ فَأَنَّ لَهُ نارَ جَهَنَّمَ خٰلِدًا فيها ذٰلِكَ الخِزىُ العَظيمُ

(9:63) क्या वह नहीं जानते हैं कि जो अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करता है उसे हमेशा के लिए दोज़ख की आग में रहना होगा। यह बहुत बुरी ज़िल्लत है। 

मुनाफिक (पाखण्डी)

يَحذَرُ المُنٰفِقونَ أَن تُنَزَّلَ عَلَيهِم سورَةٌ تُنَبِّئُهُم بِما فى قُلوبِهِم قُلِ استَهزِءوا إِنَّ اللَّهَ مُخرِجٌ ما تَحذَرونَ

(9:64) मुनाफिकों कों यह खतरा और डर था कि कहीं ऐसी (क़ुरान की) सूरत ना नाज़िल हो जाय जो उनके दिलों की बातों को ज़ाहिर कर देती हो। उनसे कहदो। जाओ तुम मजाक करते रहो। अल्लाह वही करेगा जिस से तुम डरते हो।

وَلَئِن سَأَلتَهُم لَيَقولُنَّ إِنَّما كُنّا نَخوضُ وَنَلعَبُ قُل أَبِاللَّهِ وَءايٰتِهِ وَرَسولِهِ كُنتُم تَستَهزِءونَ

(9:65) अगर तुम उनसे पूछोगे तो वह कहेंगे। हम तो सिर्फ हंसी उड़ा रहे थे और मज़ाक कर रहे थे। उनसे पूछो क्या तुम एहसास करते हो कि तुम अल्लाह और उसकी आयतों और उसके पैगम्बर का मज़ाक उड़ा रहे थे।

لا تَعتَذِروا قَد كَفَرتُم بَعدَ إيمٰنِكُم إِن نَعفُ عَن طائِفَةٍ مِنكُم نُعَذِّب طائِفَةً بِأَنَّهُم كانوا مُجرِمينَ

(9:66) माफी मत मांगो। तुम ईमान लाने के बाद काफ़िर हो गए और यदि हम तुममें से कुछ लोगों को क्षमा भी कर दें, तो उनकी बुराइयों के कारण हम तुम्हारे बीच दूसरों को अवश्य यातना देंगे ।

المُنٰفِقونَ وَالمُنٰفِقٰتُ بَعضُهُم مِن بَعضٍ يَأمُرونَ بِالمُنكَرِ وَيَنهَونَ عَنِ المَعروفِ وَيَقبِضونَ أَيدِيَهُم نَسُوا اللَّهَ فَنَسِيَهُم إِنَّ المُنٰفِقينَ هُمُ الفٰسِقونَ

(9:67) मुनाफिक़ मर्द और मुनाफिक़ औरतें एक दूसरे के साथी हैं । वह बुरे काम का तो हुक्म करते हैं और नेक कामों से रोकते हैं , और अपने हाथो को (राहे ख़ुदा में) ख़र्च नहीं करते। उन लोगों ने अल्लाह को भुला दिया तो उसने भी उन्हें भुला दिया। मुनाफिक हकीकत में बदकार हैं।

وَعَدَ اللَّهُ المُنٰفِقينَ وَالمُنٰفِقٰتِ وَالكُفّارَ نارَ جَهَنَّمَ خٰلِدينَ فيها هِىَ حَسبُهُم وَلَعَنَهُمُ اللَّهُ وَلَهُم عَذابٌ مُقيمٌ

(9:68) अल्लाह मुनाफिक मर्द और मुनाफिक औरतों के साथ-साथ काफिरों से दोज़ख की आग का वादा करता है, जहां वह हमेशा रहेंगे। वही (जहन्नम की आग) उनके लिए काफी है। अल्लाह ने उन पर लानत की है। और उनके लिए हमेशा बरकरार रेहनेवाला अज़ाब है।

खुदा का निज़ाम नहीं बदलता

كَالَّذينَ مِن قَبلِكُم كانوا أَشَدَّ مِنكُم قُوَّةً وَأَكثَرَ أَموٰلًا وَأَولٰدًا فَاستَمتَعوا بِخَلٰقِهِم فَاستَمتَعتُم بِخَلٰقِكُم كَمَا استَمتَعَ الَّذينَ مِن قَبلِكُم بِخَلٰقِهِم وَخُضتُم كَالَّذى خاضوا أُولٰئِكَ حَبِطَت أَعمٰلُهُم فِى الدُّنيا وَالـٔاخِرَةِ وَأُولٰئِكَ هُمُ الخٰسِرونَ

(9:69) तुम से पहले के कुछ लोग तुमसे ज़्यादा ताकतवर थे, और उनके पास तुमसे ज़्यादा दौलत और औलाद थी। वह अपने दुनयावी माल में मसरूफ हो गये। इसी तरह तुम भी अपने दुनयावी माल में मशगूल हो गये हो। जिस तरह तुमसे पहले के लोग मशगूल हो गये थे। तुम भी उन्हीं की तरह बिलकुल बेपरवाह हो गये हो, जैसे वो बेपरवाह हो गए थे। इस तरह के लोग अपने कामों को दुनिया और आखिरत दोनों में बर्बाद कर देते हैं। यही लोग घाटे में हैं। 

हारने वाले

أَلَم يَأتِهِم نَبَأُ الَّذينَ مِن قَبلِهِم قَومِ نوحٍ وَعادٍ وَثَمودَ وَقَومِ إِبرٰهيمَ وَأَصحٰبِ مَديَنَ وَالمُؤتَفِكٰتِ أَتَتهُم رُسُلُهُم بِالبَيِّنٰتِ فَما كانَ اللَّهُ لِيَظلِمَهُم وَلٰكِن كانوا أَنفُسَهُم يَظلِمونَ

(9:70) क्या इन लोगों ने पिछली नसलों मैं से कुछ नहीं सीखा जैसे क़ौमे नूह, क़ौमे आद, क़ौमे इब्राहीम, मदयन के रहने वाले और और उन बस्तियों को जिन्हें उलटा दि गयी (लुट की क़ौम)? उनके रसूल उनके पास साफ निशानियां लाये थे। अल्लाह ने कभी उन पर जुल्म नहीं किया। यह वही लोग हैं जिन्होंने अपने ऊपर खुद ही जुल्म किया है।

विजेता होने वाले

وَالمُؤمِنونَ وَالمُؤمِنٰتُ بَعضُهُم أَولِياءُ بَعضٍ يَأمُرونَ بِالمَعروفِ وَيَنهَونَ عَنِ المُنكَرِ وَيُقيمونَ الصَّلوٰةَ وَيُؤتونَ الزَّكوٰةَ وَيُطيعونَ اللَّهَ وَرَسولَهُ أُولٰئِكَ سَيَرحَمُهُمُ اللَّهُ إِنَّ اللَّهَ عَزيزٌ حَكيمٌ

(9:71) ईमान वाले मर्द और ईमान वाली औरतें एक दूसरे के साथी हैं। वोह अच्छी बातों का हुक्म देते हैं और बुरी बातों से रोकते हैं और नमाज काइम रखते हैं और जकात अदा करते हैं और अल्लाह और उसके रसूल की इताअत करते हैं। इन पर अल्लाह की रहमत बरसेगी। बेशक अल्लाह ताकतवर और हिकमत वाला है।

وَعَدَ اللَّهُ المُؤمِنينَ وَالمُؤمِنٰتِ جَنّٰتٍ تَجرى مِن تَحتِهَا الأَنهٰرُ خٰلِدينَ فيها وَمَسٰكِنَ طَيِّبَةً فى جَنّٰتِ عَدنٍ وَرِضوٰنٌ مِنَ اللَّهِ أَكبَرُ ذٰلِكَ هُوَ الفَوزُ العَظيمُ

(9:72) अल्लाह ने ईमान वाले मर्द और ईमान वाली औरतों से ऐसे जन्नत का वादा किया है जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। जहां वह हमेशा रहेंगे। और जन्नते ईडन के बागानों में शानदार मकान होंगे और अल्लाह की रज़ा उन सब से बड़ी है। यही सबसे बड़ी कामयाबी है।

तुम्हे सख्त होना चाहिए काफिरों के साथ

يٰأَيُّهَا النَّبِىُّ جٰهِدِ الكُفّارَ وَالمُنٰفِقينَ وَاغلُظ عَلَيهِم وَمَأوىٰهُم جَهَنَّمُ وَبِئسَ المَصيرُ

(9:73) ऐ पैगम्बर! काफिरों और मुनाफिकों के साथ जिहाद करो और उनके साथ सख्ती से पेश आओ। और उनका ठिकाना दोज़ख है। और दोज़ख कितना ही बुरा ठिकाना है।

يَحلِفونَ بِاللَّهِ ما قالوا وَلَقَد قالوا كَلِمَةَ الكُفرِ وَكَفَروا بَعدَ إِسلٰمِهِم وَهَمّوا بِما لَم يَنالوا وَما نَقَموا إِلّا أَن أَغنىٰهُمُ اللَّهُ وَرَسولُهُ مِن فَضلِهِ فَإِن يَتوبوا يَكُ خَيرًا لَهُم وَإِن يَتَوَلَّوا يُعَذِّبهُمُ اللَّهُ عَذابًا أَليمًا فِى الدُّنيا وَالـٔاخِرَةِ وَما لَهُم فِى الأَرضِ مِن وَلِىٍّ وَلا نَصيرٍ

(9:74) वह अल्लाह की क़सम खाते हैं कि उन्हों ने कभी नहीं कहा, जबकि उन लोगों ने कुफ्र की बात कही, और वह इस्लाम मे आने के बाद काफिर हो गये। हकीकत में उन लोगें ने वह चीज़ का इरादा किया जिसे वो कभी हासिल नहीं कर सके। उन लोगों ने बगावत की जबकि अल्लाह और उसके रसूल ने उन पर अपने फज़ल और रिज़्क़ की बारिश की। अगर वह लोग तौबा करते तो उनके लिए बेहतर होता। अगर वह मुंह फेर लेते हैं तो अल्लाह उनको इस दुनिया में दर्दनाक सज़ा देगा और आखिरत में भी। और उनके लिए दुनिया में कोई भी दोस्त और मददगार नहीं होगा।

وَمِنهُم مَن عٰهَدَ اللَّهَ لَئِن ءاتىٰنا مِن فَضلِهِ لَنَصَّدَّقَنَّ وَلَنَكونَنَّ مِنَ الصّٰلِحينَ

(9:75) उनमें से कुछ लोगें ने यह भी वादा किया कि अगर अल्लाह हम पर अपने फज़ल की बारिश करता है तो हम ज़रूर खैरात करेंगे और नेक लोगों की तरह जिन्दगी बसर करेंगे।

فَلَمّا ءاتىٰهُم مِن فَضلِهِ بَخِلوا بِهِ وَتَوَلَّوا وَهُم مُعرِضونَ

(9:76) लेकिन जब (खुदा ने) उन पर अपने फज़ल व रिज़क की बारिश की तो वह कनजूसी करने लगे और नफरत से मुंह फेरने लगे।

فَأَعقَبَهُم نِفاقًا فى قُلوبِهِم إِلىٰ يَومِ يَلقَونَهُ بِما أَخلَفُوا اللَّهَ ما وَعَدوهُ وَبِما كانوا يَكذِبونَ

(9:77) तो उसने उनके दिलों में निफाक॒ डाल दिया उस दिन तक कि जब वोह उससे मिलेंगे और ये इस वजह से कि उन्होंने अल्लाह से अपने किए हुए वादे को तोड़ दिया। और इस वजह से भी कि वोह झूठ बोला करते थे।

أَلَم يَعلَموا أَنَّ اللَّهَ يَعلَمُ سِرَّهُم وَنَجوىٰهُم وَأَنَّ اللَّهَ عَلّٰمُ الغُيوبِ

(9:78) क्या उन्हें मा’लूम नहीं कि अल्लाह उनके राज़ और उनकी साज़िशों को जानता है, और येह कि अल्लाह सब गैब की बातों को बहुत खूब जाननेवाला है।

الَّذينَ يَلمِزونَ المُطَّوِّعينَ مِنَ المُؤمِنينَ فِى الصَّدَقٰتِ وَالَّذينَ لا يَجِدونَ إِلّا جُهدَهُم فَيَسخَرونَ مِنهُم سَخِرَ اللَّهُ مِنهُم وَلَهُم عَذابٌ أَليمٌ

(9:79) जो लोग अधिक देने के लिए उदार ईमानवालों की आलोचना करते हैं, और बहुत कम देने के लिए गरीब ईमानवालों का मज़ाक उड़ाते हैं, अल्लाह उनसे घृणा करता है। और उन पर दर्दनाक अज़ाब होगा। 

शैतान की सबसे असरदार तरकीब : सिफ़ारिश के जरिये बचने का वहेम डालना

استَغفِر لَهُم أَو لا تَستَغفِر لَهُم إِن تَستَغفِر لَهُم سَبعينَ مَرَّةً فَلَن يَغفِرَ اللَّهُ لَهُم ذٰلِكَ بِأَنَّهُم كَفَروا بِاللَّهِ وَرَسولِهِ وَاللَّهُ لا يَهدِى القَومَ الفٰسِقينَ

(9:80) चाहे तुम उनकी मगफिरत तलब करो या ना करो। यहां तक कि अगर तुम उनके लिए सत्तर बार मगफिरत तलब करो लेकिन अल्लाह उन्हें माफ नहीं करेगा। यह इस लिए है कि उन लोगों ने अल्लाह और उसके रसूल का इनकार किया। और अल्लाह दुराचारी लोगो को सीधी राह की हिदायत नहीं दिखलाता।

FootNote: 

فَرِحَ المُخَلَّفونَ بِمَقعَدِهِم خِلٰفَ رَسولِ اللَّهِ وَكَرِهوا أَن يُجٰهِدوا بِأَموٰلِهِم وَأَنفُسِهِم فى سَبيلِ اللَّهِ وَقالوا لا تَنفِروا فِى الحَرِّ قُل نارُ جَهَنَّمَ أَشَدُّ حَرًّا لَو كانوا يَفقَهونَ

(9:81) पीछे बैठे रहने वाले अल्लाह के रसूल के पीछे रह कर खुश हुए और उन्हों ने अल्लाह के रास्ते में अपने जान और माल से जिहाद करने को ना पसन्द किया। उन्हों ने कहाः हमें इस गर्मी में नहीं पड़ना चाहिए। कहो दोज़ख की आग इस से भी ज़्यादा गरम है। अगर वह समझ रखते हैं।

فَليَضحَكوا قَليلًا وَليَبكوا كَثيرًا جَزاءً بِما كانوا يَكسِبونَ

(9:82) पस उन्हें चाहिए कि थोड़ा हंसें और जियादा रोएं क्योंकि यह उन गुनाहों की सज़ा है जो उन्हों ने कमाये हैं।

فَإِن رَجَعَكَ اللَّهُ إِلىٰ طائِفَةٍ مِنهُم فَاستَـٔذَنوكَ لِلخُروجِ فَقُل لَن تَخرُجوا مَعِىَ أَبَدًا وَلَن تُقٰتِلوا مَعِىَ عَدُوًّا إِنَّكُم رَضيتُم بِالقُعودِ أَوَّلَ مَرَّةٍ فَاقعُدوا مَعَ الخٰلِفينَ

(9:83) अगर अल्लाह तुमको उनके किसी गिरोह की ओर ऐसी हालत में लौटा देता है जहां वह तुमसे जंग में शामिल होने की इजाज़त मांगते हैं तो तुम कहोगेः तुम कभी हमारे साथ जंग में शामिल नहीं हो सकते हो और ना ही तुम हमारे साथ दुशमन से लड़ोगे। इस लिए कि तुम पहली बार पीछे बैठे रहने पर राज़ी थे। तो पीछे रहने वालों के साथ बैठे रहो।

وَلا تُصَلِّ عَلىٰ أَحَدٍ مِنهُم ماتَ أَبَدًا وَلا تَقُم عَلىٰ قَبرِهِ إِنَّهُم كَفَروا بِاللَّهِ وَرَسولِهِ وَماتوا وَهُم فٰسِقونَ

(9:84) जब उनमें से कोई मर जाए तो उसकी नमाज़े जनाज़ह मत पढ़ो और ना ही उसकी कबर के पास खड़े हो। उन लोगों ने अल्लाह और उसके रसूल का इनकार किया है और वह नाफ़रमानी की हालत में मर गए।

दुनिया की चीज़े बेकार हैं

وَلا تُعجِبكَ أَموٰلُهُم وَأَولٰدُهُم إِنَّما يُريدُ اللَّهُ أَن يُعَذِّبَهُم بِها فِى الدُّنيا وَتَزهَقَ أَنفُسُهُم وَهُم كٰفِرونَ

(9:85) उनके माल और औलाद से मुताअस्सिर मत हो, अल्लाह इन चीज़ों को इस दुनिया में उनके लिए अज़ाब का ज़रिया बनाता है, और उनकी रूहें काफिर बन कर यहां से जाती हैं।

وَإِذا أُنزِلَت سورَةٌ أَن ءامِنوا بِاللَّهِ وَجٰهِدوا مَعَ رَسولِهِ استَـٔذَنَكَ أُولُوا الطَّولِ مِنهُم وَقالوا ذَرنا نَكُن مَعَ القٰعِدينَ

(9:86) और जब कोई सूरा इस बारे में नाज़िल होती है कि “अल्लाह पर ईमान लाओ और उसके रसूल के साथ जिहाद करो तो जो उनमें से ताकतवर हैं वह तुमसे इजाज़त मांगते हैं और कहते हैं कि हमें पीछे रहने दो।

رَضوا بِأَن يَكونوا مَعَ الخَوالِفِ وَطُبِعَ عَلىٰ قُلوبِهِم فَهُم لا يَفقَهونَ

(9:87) उन लोगों ने पीछे रहने वालों के साथ रहना चुना। नतीजतन उनके दिलों पर मोहर लगा दी गई और वह समझ नहीं सकते।

सच्चे मोमिन जिहाद को पसंद करते हैं

لٰكِنِ الرَّسولُ وَالَّذينَ ءامَنوا مَعَهُ جٰهَدوا بِأَموٰلِهِم وَأَنفُسِهِم وَأُولٰئِكَ لَهُمُ الخَيرٰتُ وَأُولٰئِكَ هُمُ المُفلِحونَ

(9:88) जैसा कि रसूल और उनके साथ ईमान लाने वाले ख़ुशी से अपने माल और औलाद के साथ जिहाद करते हैं। यही लोग तमाम अच्छी चीज़ों के लायक हैं, और यही लोग कामयाब हैं।

أَعَدَّ اللَّهُ لَهُم جَنّٰتٍ تَجرى مِن تَحتِهَا الأَنهٰرُ خٰلِدينَ فيها ذٰلِكَ الفَوزُ العَظيمُ

(9:89) अल्लाह ने उनके लिए ऐसी जन्नतें तैयार कि हैं की जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी यह लोग उसमें हमेशा रहेंगे। यह बहुत बड़ी कामयाबी है।

وَجاءَ المُعَذِّرونَ مِنَ الأَعرابِ لِيُؤذَنَ لَهُم وَقَعَدَ الَّذينَ كَذَبُوا اللَّهَ وَرَسولَهُ سَيُصيبُ الَّذينَ كَفَروا مِنهُم عَذابٌ أَليمٌ

(9:90) और अरब लोग बहाने बनाकर तुम्हारे पास पीछे रहने की इजाज़त लेने आये। यह अल्लाह और उसके रसूल के इनकार की तरफ इशारा है कि वह पीछे बैठे रहे। हकीकत में उनमें से जो लोग काफिर हैं उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है।

لَيسَ عَلَى الضُّعَفاءِ وَلا عَلَى المَرضىٰ وَلا عَلَى الَّذينَ لا يَجِدونَ ما يُنفِقونَ حَرَجٌ إِذا نَصَحوا لِلَّهِ وَرَسولِهِ ما عَلَى المُحسِنينَ مِن سَبيلٍ وَاللَّهُ غَفورٌ رَحيمٌ

(9:91) जो लोग बीमार या कमज़ोर या जिनके पास (जंग में शामिल होने के लिए) कोई सामान पेश करने के लिए नहीं है उन पर कोई इल्ज़ाम नहीं है। जब तक वह अल्लाह और उसके रसूल के लिए अर्पित रहें। और सच्चे मोमिनों पर भी कोई इल्ज़ाम नहीं है। और अल्लाह माफ करने वाला मेहेरबान है।

وَلا عَلَى الَّذينَ إِذا ما أَتَوكَ لِتَحمِلَهُم قُلتَ لا أَجِدُ ما أَحمِلُكُم عَلَيهِ تَوَلَّوا وَأَعيُنُهُم تَفيضُ مِنَ الدَّمعِ حَزَنًا أَلّا يَجِدوا ما يُنفِقونَ

(9:92) उनके लिए भी माफी है जो तुम्हारे साथ (जंग में) शामिल होने की ख्वाहिश रखते हैं लेकिन तुम उनसे कहते हो कि मेरे पास तुम्हें लेजाने के लिए कुछ नहीं है। तब वह अपनी आँखों में आंसू लिए वापस लौट जाते हैं। उनको सच में अफसोस हुआ कि वह मदद के लिए कुछ पेश नहीं कर सके।

إِنَّمَا السَّبيلُ عَلَى الَّذينَ يَستَـٔذِنونَكَ وَهُم أَغنِياءُ رَضوا بِأَن يَكونوا مَعَ الخَوالِفِ وَطَبَعَ اللَّهُ عَلىٰ قُلوبِهِم فَهُم لا يَعلَمونَ

(9:93) इल्ज़ाम उन पर है जिन्हों ने तुम से पीछे ठहरे रहने की इजाज़त मांगी जबकि उनके पास कोई भी बहाना नहीं था। और उन लागों ने पीछे बैठे रहने वालों का साथ चुना। जिसके नतीजे में अल्लाह ने उनके दिलों पर मोहर लगा दी। और इस तरह वह कोई इल्म हासिल नहीं करते।

कठिन समय मुनाफिकों को बेनक़ाब करती है

يَعتَذِرونَ إِلَيكُم إِذا رَجَعتُم إِلَيهِم قُل لا تَعتَذِروا لَن نُؤمِنَ لَكُم قَد نَبَّأَنَا اللَّهُ مِن أَخبارِكُم وَسَيَرَى اللَّهُ عَمَلَكُم وَرَسولُهُ ثُمَّ تُرَدّونَ إِلىٰ عٰلِمِ الغَيبِ وَالشَّهٰدَةِ فَيُنَبِّئُكُم بِما كُنتُم تَعمَلونَ

(9:94) जब तुम जंग से वापस लौटे तो वह तुम से माफी मांगते हैं। उनसे कहदो माफी मत मांगो, हमें अब तुम पर भरोसा नहीं है। अल्लाह ने हमको तुम्हारे बारे में बता दिया है। अल्लाह तुम्हारे कामों को देखेगा और इस लिए रसूल भी, फिर तुम्हें तमाम पोशीदह और जाहिर को जाननेवाले की तरफ लौटाया जायेगा। फिर वह तुम्हें बतायेगा जो कुछ तुम किया करते थे।

سَيَحلِفونَ بِاللَّهِ لَكُم إِذَا انقَلَبتُم إِلَيهِم لِتُعرِضوا عَنهُم فَأَعرِضوا عَنهُم إِنَّهُم رِجسٌ وَمَأوىٰهُم جَهَنَّمُ جَزاءً بِما كانوا يَكسِبونَ

(9:95) जब तुम उनकी तरफ वापस जाओगे तो वह लोग तुमसे अल्लाह की क़सम खायेंगे कि कहीं तुम उनको नज़र अन्दाज़ न करो। उनको नज़र अन्दाज़ करो की वह लोग नापाक हैं, और जो कुछ उन्हों ने किया है उसके बदले उनका ठिकाना दोज़ख है।

يَحلِفونَ لَكُم لِتَرضَوا عَنهُم فَإِن تَرضَوا عَنهُم فَإِنَّ اللَّهَ لا يَرضىٰ عَنِ القَومِ الفٰسِقينَ

(9:96) वह कसम खाते हैं ताकि तुम उन्हें माफ करदो। अगर तुमने उन्हें माफ कर भी दिया तो अल्लाह फासिक लोगों को माफ नहीं करेगा।

अरब

الأَعرابُ أَشَدُّ كُفرًا وَنِفاقًا وَأَجدَرُ أَلّا يَعلَموا حُدودَ ما أَنزَلَ اللَّهُ عَلىٰ رَسولِهِ وَاللَّهُ عَليمٌ حَكيمٌ

(9:97) अरब लोग कुफ्र और निफाक में बदतरीन लोग हैं। और उनसे उन कानून को भी नज़र अन्दाज़ करने की सबसे अधिक संभावना है जो अल्लाह ने अपने रसूल पर उतारे हैं। अल्लाह हिकमत वाला और सब जानने वाला है।

وَمِنَ الأَعرابِ مَن يَتَّخِذُ ما يُنفِقُ مَغرَمًا وَيَتَرَبَّصُ بِكُمُ الدَّوائِرَ عَلَيهِم دائِرَةُ السَّوءِ وَاللَّهُ سَميعٌ عَليمٌ

(9:98) कुछ अरब खुदा की राह में अपने खर्च को बेकार समझते हैं। और यहां तक इन्तिज़ार करते हैं कि कोई आफत तुमको मार डालें । यही वह लोग हैं जो बदतरीन आफत का शिकार होंगे। अल्लाह सुनने वाला और सब जानने वाला है।

وَمِنَ الأَعرابِ مَن يُؤمِنُ بِاللَّهِ وَاليَومِ الـٔاخِرِ وَيَتَّخِذُ ما يُنفِقُ قُرُبٰتٍ عِندَ اللَّهِ وَصَلَوٰتِ الرَّسولِ أَلا إِنَّها قُربَةٌ لَهُم سَيُدخِلُهُمُ اللَّهُ فى رَحمَتِهِ إِنَّ اللَّهَ غَفورٌ رَحيمٌ

(9:99) और अरब में कुछ ऐसे भी हैं, जो अल्लाह और आखिरत पर ईमान रखते हैं। और अपने खर्च को अल्लाह को पाने का ज़रिआ और रसूल की मदद का ज़रिआ समझते हैं। बेशक यह उनको ज़्याद करीब लायेगा। अल्लाह उनको अपनी रहमत में दाखिल करेगा। बेशक अल्लाह माफ करने वाला मेहेरबान है।

وَالسّٰبِقونَ الأَوَّلونَ مِنَ المُهٰجِرينَ وَالأَنصارِ وَالَّذينَ اتَّبَعوهُم بِإِحسٰنٍ رَضِىَ اللَّهُ عَنهُم وَرَضوا عَنهُ وَأَعَدَّ لَهُم جَنّٰتٍ تَجرى تَحتَهَا الأَنهٰرُ خٰلِدينَ فيها أَبَدًا ذٰلِكَ الفَوزُ العَظيمُ

(9:100) और जो लोग पहले हिजरत करने वाले (पुराने मुहाजिर) और मदद करने वाले (अन्सार) और वह जिन्हों ने नेकी के साथ उनकी पैरवी की, अल्लाह उनसे राज़ी है और वोह (सब) उससे राजी हो गए और उसने उनके लिए ऐसी जन्नतें तैयार फरमा रखी हैं जिन के नीचे नेहरें बेह रही हैं, वोह उन में हमेशा रेहनेवाले हैं, येही जबरदस्त कामयाबी है।

मुनाफिको के लिए सज़ा दोगुनी होगई

وَمِمَّن حَولَكُم مِنَ الأَعرابِ مُنٰفِقونَ وَمِن أَهلِ المَدينَةِ مَرَدوا عَلَى النِّفاقِ لا تَعلَمُهُم نَحنُ نَعلَمُهُم سَنُعَذِّبُهُم مَرَّتَينِ ثُمَّ يُرَدّونَ إِلىٰ عَذابٍ عَظيمٍ

(9:101) अरबों में तुम्हारे चारो तरफ मुनाफिक(ढोंगी) लोग हैं। शहर के लोगें में भी ऐसे लोग हैं जो मुनाफिकत के आदी हो चुके हैं। तुम उन्हें नहीं जानते हो लेकिन हम जानते हैं। हम उनको दोहरी सज़ा देंगे फिर वह आखिरत के होलनाक अज़ाब की तरफ पलटाए जाएंगे।

FootNote: 

وَءاخَرونَ اعتَرَفوا بِذُنوبِهِم خَلَطوا عَمَلًا صٰلِحًا وَءاخَرَ سَيِّئًا عَسَى اللَّهُ أَن يَتوبَ عَلَيهِم إِنَّ اللَّهَ غَفورٌ رَحيمٌ

(9:102) कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हों ने अपने गुनाह से तौबा करली है, उन लोगों ने अच्छे कामों को बुरे कामों से मिला लिया हैं। हो सकता है कि अल्लाह उन्हें बख्श दे। बेशक अल्लाह बख्शने वाला मेहेरबान है।

خُذ مِن أَموٰلِهِم صَدَقَةً تُطَهِّرُهُم وَتُزَكّيهِم بِها وَصَلِّ عَلَيهِم إِنَّ صَلوٰتَكَ سَكَنٌ لَهُم وَاللَّهُ سَميعٌ عَليمٌ

(9:103) उनके माल में से उनको पाक और मुक़द्दस करने के लिए सदका खैरात करो। और उनकी हैसला अफज़ाइ करो इस लिए कि तुम्हारी हैसला अफज़ाई उन्हें यकीन दिलाती है। और अल्लाह सब कुछ सुनता और जानता है।

أَلَم يَعلَموا أَنَّ اللَّهَ هُوَ يَقبَلُ التَّوبَةَ عَن عِبادِهِ وَيَأخُذُ الصَّدَقٰتِ وَأَنَّ اللَّهَ هُوَ التَّوّابُ الرَّحيمُ

(9:104) क्या उन्हें यकीन नहीं है कि अल्लाह अपने बन्दों की तौबा कुबूल करता है? और उनके सदके खैरात को कुबूल करता है। अल्लाह माफ करने वाला और मेहेरबान है।

وَقُلِ اعمَلوا فَسَيَرَى اللَّهُ عَمَلَكُم وَرَسولُهُ وَالمُؤمِنونَ وَسَتُرَدّونَ إِلىٰ عٰلِمِ الغَيبِ وَالشَّهٰدَةِ فَيُنَبِّئُكُم بِما كُنتُم تَعمَلونَ

(9:105) कहो, भले काम करो। अल्लाह तुम्हारे काम को देखेगा, और इस लिए उसके रसूल और मोमिन भी देखेंगे। आखिर में तुमको तमाम पोशीदह और जाहिर को जाननेवाले की तरफ लौटाया जायेगा। फिर वह तुम्हें बतायेगा जो कुछ तुम किया करते थे।

وَءاخَرونَ مُرجَونَ لِأَمرِ اللَّهِ إِمّا يُعَذِّبُهُم وَإِمّا يَتوبُ عَلَيهِم وَاللَّهُ عَليمٌ حَكيمٌ

(9:106) दूसरे लोग अल्लाह के फैसले का इन्तिज़ार कर रहे हैं। चाहे वह उन्हें सज़ा दे या माफ कर दे। अल्लाह सब कुछ जानने वाला और हिकमत वाला है। 

वह मस्जिदें जो खुदा और उसके रसूल का विरोध करती हैं

وَالَّذينَ اتَّخَذوا مَسجِدًا ضِرارًا وَكُفرًا وَتَفريقًا بَينَ المُؤمِنينَ وَإِرصادًا لِمَن حارَبَ اللَّهَ وَرَسولَهُ مِن قَبلُ وَلَيَحلِفُنَّ إِن أَرَدنا إِلَّا الحُسنىٰ وَاللَّهُ يَشهَدُ إِنَّهُم لَكٰذِبونَ

(9:107) जो लोग मस्जिदों को बिगाड़ते है और बुतों की इबादत करते है और ईमानवालों में फूट डालते है और जो लोग अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करते हैं उनको सांत्वना देते हैं और वे गंभीरता से शपथ लेते हैं की “हमारे इरादे सम्मानजनक हैं!” और अल्लाह गवाह है कि ये लोग यक़ीनन झूठे हैं।    

FootNote: 

उन मस्जिदों में नमाज़ न पढ़ो

لا تَقُم فيهِ أَبَدًا لَمَسجِدٌ أُسِّسَ عَلَى التَّقوىٰ مِن أَوَّلِ يَومٍ أَحَقُّ أَن تَقومَ فيهِ فيهِ رِجالٌ يُحِبّونَ أَن يَتَطَهَّروا وَاللَّهُ يُحِبُّ المُطَّهِّرينَ

(9:108) कभी ऐसी मस्जिद में नमाज़ मत पढ़ो। बेशक जिस मस्जिद की बुनियाद पहले ही दिन से परहेज़गारी पर रखी गई है, उसका ज़्यादा हक है कि उसमें नमाज़ पढ़ी जाए। इस में ऐसे लोग हैं जो पवित्र रेहना पसन्द करते हैं। बेशक अल्लाह पवित्र लोगों को पसन्द करता है।

أَفَمَن أَسَّسَ بُنيٰنَهُ عَلىٰ تَقوىٰ مِنَ اللَّهِ وَرِضوٰنٍ خَيرٌ أَم مَن أَسَّسَ بُنيٰنَهُ عَلىٰ شَفا جُرُفٍ هارٍ فَانهارَ بِهِ فى نارِ جَهَنَّمَ وَاللَّهُ لا يَهدِى القَومَ الظّٰلِمينَ

(9:109) क्या वह बेहतर है? जिसने अपनी इमारत की बुनियाद अल्लाह के दर और उसकी प्रसन्नता हासिल करने के लिए कायम की या वह बेहतर है जिसने अपनी इमारत की बुनियाद गिरती हुई चट्ठान के किनारे पर कायम कि जो उसके साथ दोज़ख की आग में गिरती है। और अल्लाह जालिम लोगों को हिदायत नहीं फरमाता।

لا يَزالُ بُنيٰنُهُمُ الَّذى بَنَوا ريبَةً فى قُلوبِهِم إِلّا أَن تَقَطَّعَ قُلوبُهُم وَاللَّهُ عَليمٌ حَكيمٌ

(9:110) इस तरह की इमारत जो उन्हों ने कायम की है उनके दिल में हमेशा शक का ज़रिया बनी रहती है। यहां तक कि उनके दिल शांत नहीं हो जाते। बेशक अल्लाह खूब जाननेवाला बड़ी हिक्मतवाला है।

सबसे फायदेमन्द सौदा

إِنَّ اللَّهَ اشتَرىٰ مِنَ المُؤمِنينَ أَنفُسَهُم وَأَموٰلَهُم بِأَنَّ لَهُمُ الجَنَّةَ يُقٰتِلونَ فى سَبيلِ اللَّهِ فَيَقتُلونَ وَيُقتَلونَ وَعدًا عَلَيهِ حَقًّا فِى التَّورىٰةِ وَالإِنجيلِ وَالقُرءانِ وَمَن أَوفىٰ بِعَهدِهِ مِنَ اللَّهِ فَاستَبشِروا بِبَيعِكُمُ الَّذى بايَعتُم بِهِ وَذٰلِكَ هُوَ الفَوزُ العَظيمُ

(9:111 अल्लाह ने मोमिनों से उनकी ज़िन्दगी और उनका माल जन्नत के बदले में खरीद लिया है। इस तरह वह अल्लाह की राह में मारने और मर जाने की ख्वाहिश रखते हुए लड़ते हैं। तौरात, इन्जील और कुरान में उसका सच्चा वादा यही है। अल्लाह से बेहतर कौन अपना वादा पूरा करता है। तुम्हें इस तरह का सौदा करने में खुश होना चाहिए। और यही सबसे बड़ी कामयाबी है।

मोमिन

لتّٰئِبونَ العٰبِدونَ الحٰمِدونَ السّٰئِحونَ الرّٰكِعونَ السّٰجِدونَ الـٔامِرونَ بِالمَعروفِ وَالنّاهونَ عَنِ المُنكَرِ وَالحٰفِظونَ لِحُدودِ اللَّهِ وَبَشِّرِ المُؤمِنينَ

(9:112) वह लोग तौबा करने वाले, इबादत करने वाले, (खुदा की) प्रशंसा करनेवाले, ध्यान करनेवाले (खुदा की राह मे निकलने वाले), रूकू करने वाले, सजदा करने वाले, अच्छाई का हुकम और बुराई से रोकने वाले और अल्लाह के हदों की हिफाज़त करने वाले हैं। ऐसे मोमिनों को खुशखबरी सुना दो।

तुम खुदा के दुशमनों से इनकार करो, इब्राहीम ने अपने पिता को छोड़ दिया था

ما كانَ لِلنَّبِىِّ وَالَّذينَ ءامَنوا أَن يَستَغفِروا لِلمُشرِكينَ وَلَو كانوا أُولى قُربىٰ مِن بَعدِ ما تَبَيَّنَ لَهُم أَنَّهُم أَصحٰبُ الجَحيمِ

(9:113) ना तो पैगम्बर और ना ही मोमिनीन बुत परस्त (मुशरिक़) के लिए माफी तलब करेंगे। चाहे वह उनके क़रीबी रिश्तेदार ही क्यों न हों। जब उन्हें मालूम हो जाये कि वह लोग दोज़खी हैं।

وَما كانَ استِغفارُ إِبرٰهيمَ لِأَبيهِ إِلّا عَن مَوعِدَةٍ وَعَدَها إِيّاهُ فَلَمّا تَبَيَّنَ لَهُ أَنَّهُ عَدُوٌّ لِلَّهِ تَبَرَّأَ مِنهُ إِنَّ إِبرٰهيمَ لَأَوّٰهٌ حَليمٌ

(9:114) इब्राहीम की अपने पिता के लिए माफी मांगने की वाहिद वजह यह थी कि उसने उनसे ऐसा करने का वादा किया था। लेकिन जब इब्राहीम को यह एहसास हुआ कि उनके पिता अल्लाह के दुशमन हैं तो उन्हों ने उनसे इनकार कर दिया। इब्राहीम बहुत ही दयालु और सहनशील थे।

وَما كانَ اللَّهُ لِيُضِلَّ قَومًا بَعدَ إِذ هَدىٰهُم حَتّىٰ يُبَيِّنَ لَهُم ما يَتَّقونَ إِنَّ اللَّهَ بِكُلِّ شَىءٍ عَليمٌ

(9:115) अल्लाह किसी को हिदायत देने के बाद उसे गुमराह नहीं करता है। यहाँ तक कि वह उन्हें स्पष्ट कर देता है कि उन्हें किस चीज़ से बचना चाहिए। बेशक अल्लाह हर चीज़ से बाखबर है।

إِنَّ اللَّهَ لَهُ مُلكُ السَّمٰوٰتِ وَالأَرضِ يُحى ۦ وَيُميتُ وَما لَكُم مِن دونِ اللَّهِ مِن وَلِىٍّ وَلا نَصيرٍ

(9:116) आसमान और ज़मीन की बादशाहत अल्लाह की है। उसको मौत और ज़िन्दगी पर क़ाबू है। अल्लाह के सिवा न कोई दोस्त है और न कोई मददगार है।

لَقَد تابَ اللَّهُ عَلَى النَّبِىِّ وَالمُهٰجِرينَ وَالأَنصارِ الَّذينَ اتَّبَعوهُ فى ساعَةِ العُسرَةِ مِن بَعدِ ما كادَ يَزيغُ قُلوبُ فَريقٍ مِنهُم ثُمَّ تابَ عَلَيهِم إِنَّهُ بِهِم رَءوفٌ رَحيمٌ

(9:117) अल्लाह ने पैगम्बर, हिजरत करने वाले(मुहाजिरिन), और मदद करने वाले (अन्सार) को माफ कर दिया। जिन्होंने मुसीबत के वक्त आपका साथ दिया और पनाह दी, इसके पश्चात् कि उनमें से कुछ लोगों के दिल डगमगाने वाले थे। फिर उसने उन्हें माफ कर दिया। निस्संदेह वह उनपर अत्यन्त करुणामय, दयावान है। 

रसूल को मत छोड़ो

وَعَلَى الثَّلٰثَةِ الَّذينَ خُلِّفوا حَتّىٰ إِذا ضاقَت عَلَيهِمُ الأَرضُ بِما رَحُبَت وَضاقَت عَلَيهِم أَنفُسُهُم وَظَنّوا أَن لا مَلجَأَ مِنَ اللَّهِ إِلّا إِلَيهِ ثُمَّ تابَ عَلَيهِم لِيَتوبوا إِنَّ اللَّهَ هُوَ التَّوّابُ الرَّحيمُ

(9:118) वह तीन भी माफ कर दिये गए जो पीछे रह गये थे। उनके लिए धरती अपने विस्तार होने के बाद भी इतनी तंग हो गई थी कि उन्हों ने अपने लिए उम्मीदें छोड़ दी थीं। आखिरकार उनको यह ऐहसास हो गया कि अल्लाह के सिवा कोई ठिकाना नहीं है। तब उसने उन्हें माफ कर दिया ताकि वह तौबा करें। बेशक अल्लाह माफ करने वाला मेहेरबान है।

يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ وَكونوا مَعَ الصّٰدِقينَ

(9:119) ऐ मोमिनो! अल्लाह से डरो। और सच्चो लोगों में से हो जाओ।

ما كانَ لِأَهلِ المَدينَةِ وَمَن حَولَهُم مِنَ الأَعرابِ أَن يَتَخَلَّفوا عَن رَسولِ اللَّهِ وَلا يَرغَبوا بِأَنفُسِهِم عَن نَفسِهِ ذٰلِكَ بِأَنَّهُم لا يُصيبُهُم ظَمَأٌ وَلا نَصَبٌ وَلا مَخمَصَةٌ فى سَبيلِ اللَّهِ وَلا يَطَـٔونَ مَوطِئًا يَغيظُ الكُفّارَ وَلا يَنالونَ مِن عَدُوٍّ نَيلًا إِلّا كُتِبَ لَهُم بِهِ عَمَلٌ صٰلِحٌ إِنَّ اللَّهَ لا يُضيعُ أَجرَ المُحسِنينَ

(9:120) और न मदीने(के शहर) वालों को और न उनके आस पास के अऱब लोगो को चाहिए कि अल्लाह के रसूल के पीछे रह जाएँ (जब वह युद्ध की तैयारी करता है) न ही वे अपने कामों को उसकी मदद करने से पहले रखेंगे। यह इसलिए कि अल्लाह के मार्ग में उन्हें न तो प्यास मिलेगी और न कोई कष्ट और न भूख, और न वे कोई ऐसा कदम उठाएँगे जो इनकार करनेवालों को क्रोध में डाल दे और न किसी दुशमन को कोई तकलीफ पहुँचाएँगे, मगर इसके बदले उनके नेक आमाल लिखे जाते हैं। बेशक अल्लाह नेकी करने वालों के हक़ को जाए! नहीं करता।

وَلا يُنفِقونَ نَفَقَةً صَغيرَةً وَلا كَبيرَةً وَلا يَقطَعونَ وادِيًا إِلّا كُتِبَ لَهُم لِيَجزِيَهُمُ اللَّهُ أَحسَنَ ما كانوا يَعمَلونَ

(9:121) और न कोई छोटा न बड़ा ख़र्च करते है और न कोई घाटी पार करते है, मगर उनके लिए उनका अजर लिख दिया जाता है ताकि अल्लाह उन्हें उनके कर्मों का पूरा पूरा बदला दे।

धार्मिक शिक्षा का महत्व

وَما كانَ المُؤمِنونَ لِيَنفِروا كافَّةً فَلَولا نَفَرَ مِن كُلِّ فِرقَةٍ مِنهُم طائِفَةٌ لِيَتَفَقَّهوا فِى الدّينِ وَلِيُنذِروا قَومَهُم إِذا رَجَعوا إِلَيهِم لَعَلَّهُم يَحذَرونَ

(9:122) ईमान वालों के लिए उचित नहीं कि सब एक साथ निकल पड़ें; तो क्यों नहीं प्रत्येक समुदाय से एक गिरोह निकलता, ताकि अपना समय धर्म (और दीन) के अध्ययन में लगाए। इस तरह जब वह लौटेंगे तो अपने लोगों को ज्ञान पहुंचा सकते हैं। ताकि वह मज़हबी तौर पर बाखबर रह सकें।

काफिर

يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا قٰتِلُوا الَّذينَ يَلونَكُم مِنَ الكُفّارِ وَليَجِدوا فيكُم غِلظَةً وَاعلَموا أَنَّ اللَّهَ مَعَ المُتَّقينَ

(9:123) ऐ ईमान वालो! जो काफिर तुम पर हमला करें उनसे लड़ो। ताकि वह तुम्हें सख्त पायें और जान लें कि अल्लाह सच्चे लोगो के साथ है।

मुनाफिक़

وَإِذا ما أُنزِلَت سورَةٌ فَمِنهُم مَن يَقولُ أَيُّكُم زادَتهُ هٰذِهِ إيمٰنًا فَأَمَّا الَّذينَ ءامَنوا فَزادَتهُم إيمٰنًا وَهُم يَستَبشِرونَ

(9:124) जब कोई सूरत नाज़िल होती है तो उनमें से कुछ लोग कहेंगे। “क्या इस सूरत ने तुम में से किसी के ईमान को मज़बूत किया?“ हकीकत में जब कोई सुरत नाज़िल होती है तो मोमिनों का ईमान मज़बूत होजाता है और वह इसपर खुश होते हैं।

وَأَمَّا الَّذينَ فى قُلوبِهِم مَرَضٌ فَزادَتهُم رِجسًا إِلىٰ رِجسِهِم وَماتوا وَهُم كٰفِرونَ

(9:125) जिनके दिलों में शक था तो इस (सूरत के नाज़िल) ने उनकी नापाकी में और नापाकी का इज़ाफा कर दिया। और वोह इस हालत में मरे कि काफिर ही थे।

أَوَلا يَرَونَ أَنَّهُم يُفتَنونَ فى كُلِّ عامٍ مَرَّةً أَو مَرَّتَينِ ثُمَّ لا يَتوبونَ وَلا هُم يَذَّكَّرونَ

(9:126) कया वोह नहीं देखते कि वोह हर साल में एक या दो बार आज़माइश में मुब्तिला किए जाते हैं फिर भी, वे लगातार पश्‍चाताप नहीं करते, और न ही वोह नसीहत पकड़ ते हैं।

एक ऐतिहासिक अपराध का खुलासाः

खुदा के कलाम के साथ छेड़छाड़, लेकिन खुदा झुटलाये ना जाने वाले सुबूत पेश करता है

وَإِذا ما أُنزِلَت سورَةٌ نَظَرَ بَعضُهُم إِلىٰ بَعضٍ هَل يَرىٰكُم مِن أَحَدٍ ثُمَّ انصَرَفوا صَرَفَ اللَّهُ قُلوبَهُم بِأَنَّهُم قَومٌ لا يَفقَهونَ

(9:127) और जब भी कोई सूरत नाजिल की जाती है तो वोह एक दूसरे की तरफ देखते हैं, (और इशारों से पूछते हैं) कि क्या तुम्हें कोई देख तो नहीं रहा फिर वोह पलट जाते हैं। अल्लाहने उनके दिलों को पलट दिया है क्‍यों कि येह वोह लोग हैं जो समझ नहीं रखते।

FootNote: