8. अल-माइदा8.

بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ

(8:0) शुरु उस अल्लाह के नाम से जो बेहद मेहरबान और रहमदिल है।

يَسـَٔلونَكَ عَنِ الأَنفالِ قُلِ الأَنفالُ لِلَّهِ وَالرَّسولِ فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَصلِحوا ذاتَ بَينِكُم وَأَطيعُوا اللَّهَ وَرَسولَهُ إِن كُنتُم مُؤمِنينَ

(8:1) वह तुमसे (जंग में हासिल होने वाले) माले गनीमत के बारे में पूछते हैं। उनसे कहदो माले गनीमत अल्लाह और उसके रसूल का है। तुम्हें अल्लाह से डरना चाहिए और एक दूसरे को नेक बनने की नसीहत करनी चाहिए। और अगर तुम ईमान रखते हो तो अल्लाह और उसके रसूल की इताअत करो।

सच्चे मोमिन

إِنَّمَا المُؤمِنونَ الَّذينَ إِذا ذُكِرَ اللَّهُ وَجِلَت قُلوبُهُم وَإِذا تُلِيَت عَلَيهِم ءايٰتُهُ زادَتهُم إيمٰنًا وَعَلىٰ رَبِّهِم يَتَوَكَّلونَ

(8:2) सच्चे मोमिन वह हैं जिनके दिल डर जाते हैं जब अल्लाह का ज़िक्र होता है। और जब उनके सामने उसकी आयतें पढ़ी जाती हैं तो उनका ईमान ज़्यादा हो जाता है। और वह अपने रब पर भरोसा करते हैं।

الَّذينَ يُقيمونَ الصَّلوٰةَ وَمِمّا رَزَقنٰهُم يُنفِقونَ

(8:3) वह नमाज़ कायम करते हैं। और जो रिज़क हमने उनको दिया है उस में से सदक़ा करते हैं।

أُولٰئِكَ هُمُ المُؤمِنونَ حَقًّا لَهُم دَرَجٰتٌ عِندَ رَبِّهِم وَمَغفِرَةٌ وَرِزقٌ كَريمٌ

(8:4) ऐसे ही लोग सच्चे मोमिन हैं। उनके लिए उनके रब के पास बुलन्द दर्जे और मगफिरत और सम्मानित रिज़क है।

कमज़ोर मोमिन

كَما أَخرَجَكَ رَبُّكَ مِن بَيتِكَ بِالحَقِّ وَإِنَّ فَريقًا مِنَ المُؤمِنينَ لَكٰرِهونَ

(8:5) जब तुम्हारे रब ने (जंग के मौके पर) चाहा कि तुम अपना घर एक सच्चे काम के लिए छोड़ दो तो मोमिनों का एक गिरोह ना पसन्द करने वालें की तरह सामने आया।

يُجٰدِلونَكَ فِى الحَقِّ بَعدَما تَبَيَّنَ كَأَنَّما يُساقونَ إِلَى المَوتِ وَهُم يَنظُرونَ

(8:6) और वे सत्य के विषय में तुमसे झगड़ रहे थे, जबकि हर चीज़ उनके सामने खुल चुकी थी, वे ऐसा कर रहे थे मानो उन्हें किसी मौत की ओर ले जाया जा रहा हो।

وَإِذ يَعِدُكُمُ اللَّهُ إِحدَى الطّائِفَتَينِ أَنَّها لَكُم وَتَوَدّونَ أَنَّ غَيرَ ذاتِ الشَّوكَةِ تَكونُ لَكُم وَيُريدُ اللَّهُ أَن يُحِقَّ الحَقَّ بِكَلِمٰتِهِ وَيَقطَعَ دابِرَ الكٰفِرينَ

(8:7) याद करो जब अल्लाह ने तुमसे एक खास गिरोह पर फतेह का वादा किया था। लेकिन इसके बावजूद तुम एक कमज़ोर गिरोह का सामना करना चाहते थे। यह अल्लाह की मर्ज़ी थी कि अपने अल्फाज़ से सच्चाई को कायम करे और काफिरों को शिकस्त दे।

لِيُحِقَّ الحَقَّ وَيُبطِلَ البٰطِلَ وَلَو كَرِهَ المُجرِمونَ

(8:8) इस लिए कि उसने फैसला किया है कि ज़ालिमों के नापसन्द करने के बावजूद सच गालिब आयेगा और झूठ मिट जायेगा।

खुदा की न दिखनेवाली फौज

إِذ تَستَغيثونَ رَبَّكُم فَاستَجابَ لَكُم أَنّى مُمِدُّكُم بِأَلفٍ مِنَ المَلٰئِكَةِ مُردِفينَ

(8:9) इसतरह, जब तुमने अपने रब से मदद की गुज़ारिश की तो उसने तुमको जवाब दिया। मैं लगातार एक हज़ार फरिश्तों से तुम्हारी मदद करूंगा। 

ईमानवालों की जीत पक्की है

وَما جَعَلَهُ اللَّهُ إِلّا بُشرىٰ وَلِتَطمَئِنَّ بِهِ قُلوبُكُم وَمَا النَّصرُ إِلّا مِن عِندِ اللَّهِ إِنَّ اللَّهَ عَزيزٌ حَكيمٌ

(8:10) अल्लाह ने यह अच्छी खबर तुम्हारे दिलों को मज़बूत करने के लिए दी है। जीत तो सिर्फ अल्लाह की तरफ से मिलती है। बेशक अल्लाह ज़बरदस्त ताकतवर और हिक्मत वाला है।

إِذ يُغَشّيكُمُ النُّعاسَ أَمَنَةً مِنهُ وَيُنَزِّلُ عَلَيكُم مِنَ السَّماءِ ماءً لِيُطَهِّرَكُم بِهِ وَيُذهِبَ عَنكُم رِجزَ الشَّيطٰنِ وَلِيَربِطَ عَلىٰ قُلوبِكُم وَيُثَبِّتَ بِهِ الأَقدامَ

(8:11) और उसने तुम्हें आराम की नींद देकर सुकून अता किया और फिर तुम्हें पाक-साफ करने के लिए आसमान से पानी बरसाया। उसने तुमको शैतान के बुरे ख़यालों से बचाया। और तुम्हारे दिलों को तसल्ली दी और तुम्हारे पांव को मज़बूत किया।

इतिहास से सबक *

إِذ يوحى رَبُّكَ إِلَى المَلٰئِكَةِ أَنّى مَعَكُم فَثَبِّتُوا الَّذينَ ءامَنوا سَأُلقى فى قُلوبِ الَّذينَ كَفَرُوا الرُّعبَ فَاضرِبوا فَوقَ الأَعناقِ وَاضرِبوا مِنهُم كُلَّ بَنانٍ

(8:12) याद करो जब तुम्हारे परवरदिगार ने फरिश्तों को पैगाम भेजा कि। “मैं तुम्हारे साथ हूँ इस लिए तुम ईमानवालों की मदद करो। मैं जल्दी ही काफिरों के दिलों में दहशत डाल दूंगा। तुम उनकी गर्दन के ऊपर से उन्हें मार सकते हो, और तुम उनकी हर उंगली तक को (यानि एक एक जोड्‌ को) मार सकते हो।” 

*8:12 सभी जंग बुनयादी उसूल 60:8-9 के तहत होती हैं,

ذٰلِكَ بِأَنَّهُم شاقُّوا اللَّهَ وَرَسولَهُ وَمَن يُشاقِقِ اللَّهَ وَرَسولَهُ فَإِنَّ اللَّهَ شَديدُ العِقابِ

(8:13) यह उनके अल्लाह और उसके रसूल से लड़ने की सज़ा है। जो लोग अल्लाह और उसके रसूल से लड़ते हैं तो बेशक अल्लाह उसे सख्त अजाब देनेवाला है।

ذٰلِكُم فَذوقوهُ وَأَنَّ لِلكٰفِرينَ عَذابَ النّارِ

(8:14) येह (अजाबे दुनिया) है सो तुम उसे (तो) चख लो और बेशक काफिरों के लिए (आखिरत में) दोजख का अजाब (भी) है।

يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا إِذا لَقيتُمُ الَّذينَ كَفَروا زَحفًا فَلا تُوَلّوهُمُ الأَدبارَ

(8:15) ऐ ईमान वालो! अगर तुम्हारा सामना काफिरों से हो जो तुम्हारे खिलाफ इकट्ठा हो गऐ हों तो तुम (उनसे) पीछे ना हटना और ना भागना।

وَمَن يُوَلِّهِم يَومَئِذٍ دُبُرَهُ إِلّا مُتَحَرِّفًا لِقِتالٍ أَو مُتَحَيِّزًا إِلىٰ فِئَةٍ فَقَد باءَ بِغَضَبٍ مِنَ اللَّهِ وَمَأوىٰهُ جَهَنَّمُ وَبِئسَ المَصيرُ

(8:16) जिस किसी ने भी उस दिन उनसे अपनी पीठ फेरी – यह और बात है कि जंग ही के लिए कोई दाव चल रहा हो या अपने ही किसी लश्कर से मिलना चाहता हो, – तो वह अल्लाह के ग़ज़ब को अपने सर ले लिया और उसका ठिकाना जहन्नम है, और क्या ही बुरी जगह है वह पहुँचने की।

खुदा सब कुछ कर रहा है *

فَلَم تَقتُلوهُم وَلٰكِنَّ اللَّهَ قَتَلَهُم وَما رَمَيتَ إِذ رَمَيتَ وَلٰكِنَّ اللَّهَ رَمىٰ وَلِيُبلِىَ المُؤمِنينَ مِنهُ بَلاءً حَسَنًا إِنَّ اللَّهَ سَميعٌ عَليمٌ

(8:17) यह तुम नहीं थे जिसने उन्हें क़त्ल किया लेकिन अल्लाह ने उन्हें मारा है। जब तुम उन्हें मार रहे थे यह तुम नहीं थे वह अल्लाह ही था जो उन्हें मार रहा था लेकिन इसतरह उसने ईमानवालो को एक मौका दिया बहुत सारी नेकी हासिल करने का। बेशक अल्लाह सुनने वाला और जानने वाला है।

**8:17 खुदा पर यकीन करना है तो उसकी विशेषताओं में यकीन करना ज़रूरी है। उन में से एक विशेषता यह है की “हर चीज़ खुदा ही करता है“। खुदा को उसकी विशेषताओं के साथ जाने बगैर कोई यकीन नहीं कर सकता है (23:84-90) खुदा के कानून के मुताबिक हर बुरे काम हमारे द्वारा किए जाते हैं और शैतान के ज़रिए पूरे होते हैं(4:78-79, 42:30)

ذٰلِكُم وَأَنَّ اللَّهَ موهِنُ كَيدِ الكٰفِرينَ

(8:18) इसके आलावह अल्लाह काफिरों की तदबीर को कमज़ोर कर देता है।

إِن تَستَفتِحوا فَقَد جاءَكُمُ الفَتحُ وَإِن تَنتَهوا فَهُوَ خَيرٌ لَكُم وَإِن تَعودوا نَعُد وَلَن تُغنِىَ عَنكُم فِئَتُكُم شَيـًٔا وَلَو كَثُرَت وَأَنَّ اللَّهَ مَعَ المُؤمِنينَ

(8:19) (ऐ काफिरों) तुमने फतेह चाही। और फतेह (ईमानवालों की) हुई। अगर तुम हमला करने से रूके रहे तो यह तुम्हारे लिए बेहतर होगा और अगर तुम फिर वापस लड़ने के लिए आये तो हम भी लड़ेंगे। तुम्हारी फौजें तुम्हारी कभी मदद नहीं करेंगी, चाहे वह तादाद में कितनी बड़ी ही क्यों न हों। और अल्लाह ईमानवालों के साथ है।

يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا أَطيعُوا اللَّهَ وَرَسولَهُ وَلا تَوَلَّوا عَنهُ وَأَنتُم تَسمَعونَ

(8:20) ऐ ईमान वालो! अल्लाह और उसके रसूल की इताअत करो। और जब तुम सुनते हो तो उनको नज़र अन्दाज मत करो।

ईमान नहीं लाने वालो को सच्चाई से दूर कर दिया गया

وَلا تَكونوا كَالَّذينَ قالوا سَمِعنا وَهُم لا يَسمَعونَ

(8:21) और उन लोगों की तरह मत हो जाना जिन्होंने कहा : हमने सुन लिया, जबकि वह नहीं सुनते।

إِنَّ شَرَّ الدَّوابِّ عِندَ اللَّهِ الصُّمُّ البُكمُ الَّذينَ لا يَعقِلونَ

(8:22) अल्लाह के नज़दीक सबसे बुरी मखलूक वह गूंगे बहरे हैं जो नहीं समझते हैं।

وَلَو عَلِمَ اللَّهُ فيهِم خَيرًا لَأَسمَعَهُم وَلَو أَسمَعَهُم لَتَوَلَّوا وَهُم مُعرِضونَ

(8:23) अगर अल्लाह उन में कोई भलाई देखता तो उनको सुनने वाला बनाता। अगर वह उन्हें सुनने वाला बना भी देता तब भी वह नफरत से मुंह फेर कर उल्टा भाग जाते।

सच्चे लोग हकीकत में नहीं मरते *

يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنُوا استَجيبوا لِلَّهِ وَلِلرَّسولِ إِذا دَعاكُم لِما يُحييكُم وَاعلَموا أَنَّ اللَّهَ يَحولُ بَينَ المَرءِ وَقَلبِهِ وَأَنَّهُ إِلَيهِ تُحشَرونَ

(8:24) ऐ ईमान लानेवालो! जब अल्लाह और रसूल तुम्हें उस चीज़ की ओर बुलाते है, जो तुम्हें जीवन प्रदान करती है* तो उसकी बात मानो और यह कि अल्लाह तुम्हारे दिल से भी ज्यादा तुम्हारे करीब है, और यह कि तुम सबको उसके सामने हाज़िर किया जाएगा।

*8:24 अपेन्डिक्स 17 देखिये। नेक लोग जब अपने जिस्म से निकलते हैं सीधे जन्नत में जाते हैं।,

وَاتَّقوا فِتنَةً لا تُصيبَنَّ الَّذينَ ظَلَموا مِنكُم خاصَّةً وَاعلَموا أَنَّ اللَّهَ شَديدُ العِقابِ

(8:25) और उस फितने से डरो जो खास तौर पर सिर्फ उन लोगों ही को नहीं पहुंचेगा जो तुम में से जालिम हैं *(बल्कि इस जुल्म का साथ देनेवाले और उस पर खामोश रेहनेवाले भी उन्ही में शरीक कर लिए जाएंगे) और जान लो कि अल्लाह अजाब में सख्ती फरमानेवाला है।

*8:25 उदाहरण के लिए, एक समुदाय जो समलैंगिकता को सहन करता है, भूकंप से प्रभावित हो सकता है।

खुदा मोमिनों की मदद करता है

وَاذكُروا إِذ أَنتُم قَليلٌ مُستَضعَفونَ فِى الأَرضِ تَخافونَ أَن يَتَخَطَّفَكُمُ النّاسُ فَـٔاوىٰكُم وَأَيَّدَكُم بِنَصرِهِ وَرَزَقَكُم مِنَ الطَّيِّبٰتِ لَعَلَّكُم تَشكُرونَ

(8:26) और याद करो जब तुम धरती में थोड़े ही थे और कमज़ोर थे, और तुम इस बात से डरते थे कि लोग तुमको उठा न लेजायें। और उसने तुमको महफूज़ पनाहगाह अता की और अपनी हिमायत से तुम्हारी मदद की। और तुमको पाक-साफ रोज़ी दी शायद की तुम शक्र अदा करो।

يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا لا تَخونُوا اللَّهَ وَالرَّسولَ وَتَخونوا أَمٰنٰتِكُم وَأَنتُم تَعلَمونَ

(8:27) ऐ ईमान वालो! अल्लाह और रसूल को धोखा ना दो। और ना ही उन लोगों को धोखा दो जो तुम पर यकीन करते हैं और अब तुम (सब हकीकत) जानते हो।

माल और औलाद इम्तिहान हैं

وَاعلَموا أَنَّما أَموٰلُكُم وَأَولٰدُكُم فِتنَةٌ وَأَنَّ اللَّهَ عِندَهُ أَجرٌ عَظيمٌ

(8:28) और तुमको मालूम होना चाहिए कि तुम्हारा माल और तुम्हारी औलाद तुम्हारे लिए इम्तिहान हैं। और अल्लाह के पास इसके बदले में बड़ा अजर (सवाब) है।

يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا إِن تَتَّقُوا اللَّهَ يَجعَل لَكُم فُرقانًا وَيُكَفِّر عَنكُم سَيِّـٔاتِكُم وَيَغفِر لَكُم وَاللَّهُ ذُو الفَضلِ العَظيمِ

(8:29) ऐ ईमान वालो! अगर तुम अल्लाह से डरते रहोगे तो वह तुम्हारे लिए (हिदायत की) रौशनी देगा (सच और झूठ को परखने की), तुम्हारे गुनाहों को तुमसे दूर करदेगा और तुमको माफ करेगा। अल्लाह बडे़ फज़ल वाला है।

खुदा अपने रसूल की हिफाज़त करता है *

وَإِذ يَمكُرُ بِكَ الَّذينَ كَفَروا لِيُثبِتوكَ أَو يَقتُلوكَ أَو يُخرِجوكَ وَيَمكُرونَ وَيَمكُرُ اللَّهُ وَاللَّهُ خَيرُ المٰكِرينَ

(8:30) और जब काफिर लोग आपके खिलाफ खुफ्या साजिशें कर रहे थे और मनसूबा बनाते थे कि तुमको कैद कर रखे या तुम्हें कत्ल कर डालें या फिर तुमको देश से बाहर करदें। और इस तरह वोह साजिशी मन्सूबे बना रहे थे तो अल्लाह भी तदबीर फरमा रहा था, और अल्लाह सबसे बेहतर तदबीर फरमानेवाला है ।

*8:30 ख़ुदा ने अपने अंतिम पैगंबर मुहम्मद को अरब की सबसे मजबूत जनजाति से चुना। यह कबीलाई कानून और परंपराएँ थीं जिन्होंने खुदा की अनुमति से काफिरों को पैगंबर मुहम्मद को मारने से रोका। इसी प्रकार, यह खुदा की इच्छा थी कि वह अपने दूत को मध्य पूर्व से, जहां उसे मार दिया गया होता, संयुक्त राज्य अमेरिका में ले जाए, जहां खुदा का संदेश फल-फूल सके और दुनिया के हर कोने तक पहुंच सके। यह गणितीय रूप से पुष्टि की गई है: सूरा और आयत संख्या= 8+30=19×2.

وَإِذا تُتلىٰ عَلَيهِم ءايٰتُنا قالوا قَد سَمِعنا لَو نَشاءُ لَقُلنا مِثلَ هٰذا إِن هٰذا إِلّا أَسٰطيرُ الأَوَّلينَ

(8:31) और जब हमारी आयतें इन (काफिरों) को पढ़कर सुनाई जाती हैं तो यह कहते हैं: “हमने सुन लिया और अगर हम चाहते तो हम भी ऐसा ही कहते, यह तो कुछ नहीं है, सिर्फ गुज़रे हुए लोगों की कहानियां हैं“

وَإِذ قالُوا اللَّهُمَّ إِن كانَ هٰذا هُوَ الحَقَّ مِن عِندِكَ فَأَمطِر عَلَينا حِجارَةً مِنَ السَّماءِ أَوِ ائتِنا بِعَذابٍ أَليمٍ

(8:32) और वह यह भी कहते थे। “ऐ खुदा! अगर यह दीन हकीकत में सच्चा और तेरी तरफ से है, तो हम पर आसमान से पत्थर बरसा, या फिर हम पर कोई दर्दनाक अज़ाब लेआ।“

وَما كانَ اللَّهُ لِيُعَذِّبَهُم وَأَنتَ فيهِم وَما كانَ اللَّهُ مُعَذِّبَهُم وَهُم يَستَغفِرونَ

(8:33) हालॉकि जब तक तुम उनके दरमियान मौजूद हो अल्लाह उन पर अज़ाब नहीं करेगा और ऐसा भी नही कि लोग तो उससे अपने गुनाहो की माफी माँग रहे हैं और अल्लाह उन पर अज़ाब नाज़िल फरमाए। 

وَما لَهُم أَلّا يُعَذِّبَهُمُ اللَّهُ وَهُم يَصُدّونَ عَنِ المَسجِدِ الحَرامِ وَما كانوا أَولِياءَهُ إِن أَولِياؤُهُ إِلَّا المُتَّقونَ وَلٰكِنَّ أَكثَرَهُم لا يَعلَمونَ

(8:34) और क्या यह लोग अल्लाह के अज़ाब के लायक नहीं हैं? जबकि यह दूसरों को पाक मस्जिद (ख़ान ए काबा) जाने से रोकते हैं ? यहां तक के वह उसके निगेहबान भी नहीं हैं। बेशक मस्जिदे हराम के सच्चे निगेहबान तो परहेज़गार नेक लोग हैं। लेकिन उनमें से अक्सर लोग नहीं जानते हैं।

नमाज़ कुरान से पहले मौजूद थी

وَما كانَ صَلاتُهُم عِندَ البَيتِ إِلّا مُكاءً وَتَصدِيَةً فَذوقُوا العَذابَ بِما كُنتُم تَكفُرونَ

(8:35) इबादतगाह (काबा) के पास उन (काफिरों) की संपर्क प्रार्थनाएं (नमाज़) केवल एक मजाक (ताली और सीटी बजाने और लोगों को उन्हें भीड़ द्वारा भगाने का साधन) थीं। इसलिए अपने कुफ्र के बदले में अज़ाब चखो।

*8:35 इस्लाम की तामाम रस्में हमारे पास इब्राहीम के ज़रिए ही आयी हैं। जब कुरआन नाज़िल हुआ तो इस्लाम की सभी रस्में पहले से मौजूद थीं। (21:73, 22:78)

अपनी दौलत खुदा से लड़ने के लिए खर्च करते हैं

إِنَّ الَّذينَ كَفَروا يُنفِقونَ أَموٰلَهُم لِيَصُدّوا عَن سَبيلِ اللَّهِ فَسَيُنفِقونَها ثُمَّ تَكونُ عَلَيهِم حَسرَةً ثُمَّ يُغلَبونَ وَالَّذينَ كَفَروا إِلىٰ جَهَنَّمَ يُحشَرونَ

(8:36) जो लोग काफ़िर हैं वह अपने माल इस ग़रज़ से ख़र्च करते हैं कि लोगों को अल्लाह की राह से रोकें। (और) वे उसे ख़र्च करेंगे, फिर वह उनके लिए खेद और पछतावा बन जाएगा और आखिर में वो पराजित होंगे और इनकार करनेवाले दोज़ख में इकट्ठा किये जायेंगे।

*8:36 सऊदी अरब के भ्रष्ट इस्लाम के मुशरिक नेताओं ने हर साल ख़ुदा और उसके चमत्कार से लड़ने के लिए भारी मात्रा में धन आवंटित किया है। उदाहरण के लिए, प्रसिद्ध लेबनानी प्रकाशक “दार अल-इल्म लिल-मलईन” जो लाखों के लिए ज्ञान का जरिया है, जिसने ने मार्च, 1983 में “कुरान का चमत्कार” का अरबी संस्करण प्रकाशित किया। सऊदी ने सभी किताबें खरीदीं और उन्हें नष्ट कर दिया।

لِيَميزَ اللَّهُ الخَبيثَ مِنَ الطَّيِّبِ وَيَجعَلَ الخَبيثَ بَعضَهُ عَلىٰ بَعضٍ فَيَركُمَهُ جَميعًا فَيَجعَلَهُ فى جَهَنَّمَ أُولٰئِكَ هُمُ الخٰسِرونَ

(8:37) अल्लाह बुराई को अच्छाई से(यानि नापाकी को पाकी से) अलग कर देगा। फिर नापाकी को एक दूसरे पर रख कर ढेर कर देगा। जब सब एक ढेर हो जायेंगे तो उनको दोज़ख में डाल देगा। यही लोग नुकसान उठाने वाले होंगे।

قُل لِلَّذينَ كَفَروا إِن يَنتَهوا يُغفَر لَهُم ما قَد سَلَفَ وَإِن يَعودوا فَقَد مَضَت سُنَّتُ الأَوَّلينَ

(8:38) काफिरों से कहदोः अगर वह कुफ्र से बाज़ आजायें तो उनके पिछले गुनाह माफ कर दिये जायेंगे। लेकिन अगर वह फिर (कुफ्र पर) लौटेंगे तो उनका हशर भी वही होगा जो उनसे पहलों का हुआ है।

وَقٰتِلوهُم حَتّىٰ لا تَكونَ فِتنَةٌ وَيَكونَ الدّينُ كُلُّهُ لِلَّهِ فَإِنِ انتَهَوا فَإِنَّ اللَّهَ بِما يَعمَلونَ بَصيرٌ

(8:39) तुम अत्याचार व् जुल्म से बचने के लिए और केवल अल्लाह के प्रति समर्पित अपने धर्म का पालन करने के लिए उनसे लड़ोगे। यदि वे अत्याचार व् जुल्म करने से बाज़ आजये तो अल्लाह उनके सभी कामों से बाखबर है।

وَإِن تَوَلَّوا فَاعلَموا أَنَّ اللَّهَ مَولىٰكُم نِعمَ المَولىٰ وَنِعمَ النَّصيرُ

(8:40) अगर वह न मानें (और मुँह फेर ले) तो जान लों कि अल्लाह तुम्हारा रब और मालिक है। और वह कितना ही अच्छा मालिक और मददगार है।

وَاعلَموا أَنَّما غَنِمتُم مِن شَىءٍ فَأَنَّ لِلَّهِ خُمُسَهُ وَلِلرَّسولِ وَلِذِى القُربىٰ وَاليَتٰمىٰ وَالمَسٰكينِ وَابنِ السَّبيلِ إِن كُنتُم ءامَنتُم بِاللَّهِ وَما أَنزَلنا عَلىٰ عَبدِنا يَومَ الفُرقانِ يَومَ التَقَى الجَمعانِ وَاللَّهُ عَلىٰ كُلِّ شَىءٍ قَديرٌ

(8:41) और जान लो अगर तुमको जंग में जीता हुआ माल हासिल हो तो उसमें से पाँचवां हिस्सा अल्लाह और उसके रसूल का है, जो (उनके) रिशतेदारों, यतीमों, गरीबों, और मुसाफिरों को दिया जायेगा अगर तुम अल्लाह पर ईमान रखते हो। और उस (मदद) पर यकीन रखते हो जो हमने फैसले के दिन अपने बन्दे पर उतारी थी जब दो फौजें (मुसलमान और काफिर) आपस में टकराई थीं। और अल्लाह हर चीज़ पर कुदरत रखता है।

खुदा हर चीज़ पर क़ाबू रखता है और ईमानवालों के लिए तरक़ीब बनाता है

إِذ أَنتُم بِالعُدوَةِ الدُّنيا وَهُم بِالعُدوَةِ القُصوىٰ وَالرَّكبُ أَسفَلَ مِنكُم وَلَو تَواعَدتُم لَاختَلَفتُم فِى الميعٰدِ وَلٰكِن لِيَقضِىَ اللَّهُ أَمرًا كانَ مَفعولًا لِيَهلِكَ مَن هَلَكَ عَن بَيِّنَةٍ وَيَحيىٰ مَن حَىَّ عَن بَيِّنَةٍ وَإِنَّ اللَّهَ لَسَميعٌ عَليمٌ

(8:42) याद करो वह दिन जब तुम घाटी के इस किनारे पर थे और वह लोग दूसरे किनारे पर थे। फिर उनके काफिले को नीचे की तरफ जाना पड़ा। अगर तुमने इस तरह का तरक़ीब किया होता तो तुम इस तरह नहीं कर सकते थे लेकिन अल्लाह को पहले ही से तयशुदा मामले को अन्जाम देना था ताकि जिसे तबाह करे साफ वजह से तबाह करे और जिसे बचाये रखे साफ वजह से बचाये रखे। और बेशक अल्लाह सुनने वाला और देखने वाला है।

إِذ يُريكَهُمُ اللَّهُ فى مَنامِكَ قَليلًا وَلَو أَرىٰكَهُم كَثيرًا لَفَشِلتُم وَلَتَنٰزَعتُم فِى الأَمرِ وَلٰكِنَّ اللَّهَ سَلَّمَ إِنَّهُ عَليمٌ بِذاتِ الصُّدورِ

(8:43) (ऐ मुहम्मद) अल्लाह ने तुमको काफिरों की तादाद कम करके ख्वाब में दिखाया अगर वह तुमको उनकी ज़्यादा तादाद दिखातो तो तुम डर जाते और तुम आपस में झगड़ने लगते। लेकिन अल्लाह ने इस हालत से बचा लिया। बेशक वोह दिल के (गहरे) ख्यालों से वाकिफ है।

وَإِذ يُريكُموهُم إِذِ التَقَيتُم فى أَعيُنِكُم قَليلًا وَيُقَلِّلُكُم فى أَعيُنِهِم لِيَقضِىَ اللَّهُ أَمرًا كانَ مَفعولًا وَإِلَى اللَّهِ تُرجَعُ الأُمورُ

(8:44) और जब समय आया और तुम उनसे मुक़ाबले के लिए खड़े हुए तो जब उसने तुम्हारी आँखों में उन्हें कम दिखाया और तुम्हें उनकी आँखों में कम दिखाया। क्योंकि अल्लाह एक निश्चित योजना को पूरा करना चाहता है। और सभी फैसले अल्लाह ही की तरफ से होते हैं।

يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا إِذا لَقيتُم فِئَةً فَاثبُتوا وَاذكُرُوا اللَّهَ كَثيرًا لَعَلَّكُم تُفلِحونَ

(8:45) ऐ ईमानवालो! जब (दुश्मन की) किसी फौज से तुम्हारा मुकाबला हो तो साबित कदम रहा करो और अल्लाह को कसरत से याद किया करो, शायद की तुम कामयाब हो जाओ।

وَأَطيعُوا اللَّهَ وَرَسولَهُ وَلا تَنٰزَعوا فَتَفشَلوا وَتَذهَبَ ريحُكُم وَاصبِروا إِنَّ اللَّهَ مَعَ الصّٰبِرينَ

(8:46) अल्लाह और उसके रसूल की इताअत करो और आपस में झगड़ा मत करो। ऐसा न हो कि तुम नाकाम हो जाओ और तुम्हारी ताकत बिखर जाये। और तुमको सब्र करना चाहिए। अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है।

وَلا تَكونوا كَالَّذينَ خَرَجوا مِن دِيٰرِهِم بَطَرًا وَرِئاءَ النّاسِ وَيَصُدّونَ عَن سَبيلِ اللَّهِ وَاللَّهُ بِما يَعمَلونَ مُحيطٌ

(8:47) उन लोगों की तरह मत बनो जो घमण्ड करते हुए सिर्फ दिखाने के मतलब से अपने घरों से निकले। और वह हकीकत में दूसरों को अल्लाह के रास्ते पर चलने की हिम्मत कम कर रहे थे। अल्लाह उनके सभी कामों से वाकिफ व बाखबर है।

शैतान ख़ुदा के अदृश्य सैनिकों को देखता है

وَإِذ زَيَّنَ لَهُمُ الشَّيطٰنُ أَعمٰلَهُم وَقالَ لا غالِبَ لَكُمُ اليَومَ مِنَ النّاسِ وَإِنّى جارٌ لَكُم فَلَمّا تَراءَتِ الفِئَتانِ نَكَصَ عَلىٰ عَقِبَيهِ وَقالَ إِنّى بَرىءٌ مِنكُم إِنّى أَرىٰ ما لا تَرَونَ إِنّى أَخافُ اللَّهَ وَاللَّهُ شَديدُ العِقابِ

(8:48) शैतान लोगों की नज़र में उनके आमाल को अच्छा बना देता है। और कहता है आज कोई भी इन्सान तुमको नहीं हरा सकता है। और मैं भी तुम्हारे साथ लडूंगा। लेकिन जैसे हि दो फौजें (जंग में) एक-दूसरे का सामना करती हैं वह वापस मुडता और यह कहते हुए भाग जाता है। मैं तुम्हारा इन्कार करता हूं। मैं वह देखता हूं जो तुम नहीं देखते। मैं अल्लाह से डरता हूं। अल्लाह का अज़ाब दर्दनाक है।

إِذ يَقولُ المُنٰفِقونَ وَالَّذينَ فى قُلوبِهِم مَرَضٌ غَرَّ هٰؤُلاءِ دينُهُم وَمَن يَتَوَكَّل عَلَى اللَّهِ فَإِنَّ اللَّهَ عَزيزٌ حَكيمٌ

(8:49 जब मुनाफिक़ीन और जिन लोगों ने अपने दिल में (कुफ्र की) बीमारी है कह रहे थे कि: “इन लोगों को उनके धर्म ने धोखे में डाल रखा है।” और यदि कोई अल्लाह पर भरोसा करता है तो अल्लाह बहुत जबरदस्त प्रभुत्वशाली और हिकमत वाला है।

وَلَو تَرىٰ إِذ يَتَوَفَّى الَّذينَ كَفَرُوا المَلٰئِكَةُ يَضرِبونَ وُجوهَهُم وَأَدبٰرَهُم وَذوقوا عَذابَ الحَريقِ

(8:50) अगर तुम देखते जब फरिश्ते काफिरों की जान निकालते हैं तो वह उन (काफिरों) के चेहरों और पीठों पर मारते होंगे और कहेंगे, “चखो, भड़कती आग की यातना!।

ذٰلِكَ بِما قَدَّمَت أَيديكُم وَأَنَّ اللَّهَ لَيسَ بِظَلّٰمٍ لِلعَبيدِ

(8:51) यह उसका नतीजा है जो तुम्हारे हाथों ने आगे भेजा है। और बेशक अल्लाह मखलूक पर कभी जुल्म नहीं करता।

كَدَأبِ ءالِ فِرعَونَ وَالَّذينَ مِن قَبلِهِم كَفَروا بِـٔايٰتِ اللَّهِ فَأَخَذَهُمُ اللَّهُ بِذُنوبِهِم إِنَّ اللَّهَ قَوِىٌّ شَديدُ العِقابِ

(8:52) यह वही अन्जाम है जो फिरऔन के लोगों और उनसे पहले के काफिरों का हुआ था। उन लोगों ने अल्लाह की आयतों का इन्कार किया और अल्लाह ने उनको उनके गुनाहों की सज़ा दी। अल्लाह ताकतवर है और उसका अज़ाब सख्त है।

अज़ाबः गुनाह का नतीजा है

ذٰلِكَ بِأَنَّ اللَّهَ لَم يَكُ مُغَيِّرًا نِعمَةً أَنعَمَها عَلىٰ قَومٍ حَتّىٰ يُغَيِّروا ما بِأَنفُسِهِم وَأَنَّ اللَّهَ سَميعٌ عَليمٌ

(8:53) अल्लाह किसी नेमत (जो किसी को अता की हो) उस वक्त तक नहीं बदलता जब तक वह खुद फैसला न करें उसको बदलने का। और बेशक अल्लाह सब कुछ सुनने वाला और जानने वाला है।

كَدَأبِ ءالِ فِرعَونَ وَالَّذينَ مِن قَبلِهِم كَذَّبوا بِـٔايٰتِ رَبِّهِم فَأَهلَكنٰهُم بِذُنوبِهِم وَأَغرَقنا ءالَ فِرعَونَ وَكُلٌّ كانوا ظٰلِمينَ

(8:54) ऐसा ही मामला फिरऔन और उस से पहले के लोगों का था। पहले उन लोगों ने ख़ुदा की आयतों को झुठलाया जिसके नतीजे में हमने उनके गुनाहों की वजह से उन्हें खत्म कर दिया। हमने फिरऔन के लोगों को डुबो दिया। और वह सब ज़ालिम थे (और दुष्टों को ऐसे ही लगातार सज़ा दी जाती थी)।

إِنَّ شَرَّ الدَّوابِّ عِندَ اللَّهِ الَّذينَ كَفَروا فَهُم لا يُؤمِنونَ

(8:55) अल्लाह की नज़र में सबसे बुरी मखलूक वह काफिर लोग हैं जो ईमान नहीं लाते।

الَّذينَ عٰهَدتَ مِنهُم ثُمَّ يَنقُضونَ عَهدَهُم فى كُلِّ مَرَّةٍ وَهُم لا يَتَّقونَ

(8:56) तुम उनसे अहद करते हो लेकिन वह हर बार अपना अहद तोड डालते हैं। वह नेक लोग नहीं हैं।

فَإِمّا تَثقَفَنَّهُم فِى الحَربِ فَشَرِّد بِهِم مَن خَلفَهُم لَعَلَّهُم يَذَّكَّرونَ

(8:57) इसलिए अगर तुम्हारा सामना उनसे जंग में होता है। तो उनके साथ इस तरह पेश आओ कि उनके बाद में आने वालों के लिए एक अलग मिसाल बन जाये। तकि वह नसीहत हासिल करें।

وَإِمّا تَخافَنَّ مِن قَومٍ خِيانَةً فَانبِذ إِلَيهِم عَلىٰ سَواءٍ إِنَّ اللَّهَ لا يُحِبُّ الخائِنينَ

(8:58) और अगर तुमको किसी गिरोह से धोके का खतरा हो तो तुम भी उनके साथ उसी तरह पेश आओ। अल्लाह धोका देने वालों को पसन्द नही करता है।

وَلا يَحسَبَنَّ الَّذينَ كَفَروا سَبَقوا إِنَّهُم لا يُعجِزونَ

(8:59) और काफिर लोग इस गुमान में हरगिज न रहें कि वह इस से बच सकते हैं। वह कभी बच नहीं सकते हैं।

तुम्हें तैयार रहना चाइए : एक दिव्य आदेश

وَأَعِدّوا لَهُم مَا استَطَعتُم مِن قُوَّةٍ وَمِن رِباطِ الخَيلِ تُرهِبونَ بِهِ عَدُوَّ اللَّهِ وَعَدُوَّكُم وَءاخَرينَ مِن دونِهِم لا تَعلَمونَهُمُ اللَّهُ يَعلَمُهُم وَما تُنفِقوا مِن شَىءٍ فى سَبيلِ اللَّهِ يُوَفَّ إِلَيكُم وَأَنتُم لا تُظلَمونَ

(8:60) तुम उनके लिए अपनी पूरी ताकत इकट्ठा करो जो तुम जमा कर सकते हो और वह सभी सामान जो तुम तैयार कर सकते हो ताकि तुम अल्लाह और अपने दुश्मनों से लड़ सको। और उनसे भी जिनको तुम नहीं जानते हो। अल्लाह उनको जानता है। जो कुछ तुम अल्लाह के लिए खर्च करते हो वह तुम्हें उदारतापूर्वक लौटा दिया जायेगा। तुम्हारे साथ जर्रा बराबर भी नाइन्साफी नहीं होगी।

وَإِن جَنَحوا لِلسَّلمِ فَاجنَح لَها وَتَوَكَّل عَلَى اللَّهِ إِنَّهُ هُوَ السَّميعُ العَليمُ

(8:61) अगर वह अमन चाहते हैं तो तुम भी उनसे सुलाह करो और अल्लाह पर भरोसा रखो। बेशक वह सुनने वाला और जानने वाला है।

ख़ुदा मोमिनों के लिए काफी है

وَإِن يُريدوا أَن يَخدَعوكَ فَإِنَّ حَسبَكَ اللَّهُ هُوَ الَّذى أَيَّدَكَ بِنَصرِهِ وَبِالمُؤمِنينَ

(8:62) अगर वह तुम्हें धोका देना चाहते हैं तो अल्लाह तुम्हारे लिए काफी होगा। और वह अपनी सहायता से और मोमिनों की सहायता से तुम्हारी मदद करेगा। 

وَأَلَّفَ بَينَ قُلوبِهِم لَو أَنفَقتَ ما فِى الأَرضِ جَميعًا ما أَلَّفتَ بَينَ قُلوبِهِم وَلٰكِنَّ اللَّهَ أَلَّفَ بَينَهُم إِنَّهُ عَزيزٌ حَكيمٌ

(8:63) उसने (ईमानवालों के) दिलों में मेल-मिलाप आपसी मुहब्बत पैदा करदी। अगर तुम ज़मीन की सारी दौलत भी खर्च कर डालते तब भी उनके दिलो में मुहब्बत न पैदा कर पाते। लेकिन अल्लाह ने उनके दिलों में मुहब्बत पैदा करदी। बेशक वह बड़ी हिकमत वाला है।

يٰأَيُّهَا النَّبِىُّ حَسبُكَ اللَّهُ وَمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ المُؤمِنينَ

(8:64) ऐ पैगम्बर! अल्लाह तुम्हारे और उन मोमिनों के लिए काफी है जो तुम्हारी पैरवी करते हैं।

يٰأَيُّهَا النَّبِىُّ حَرِّضِ المُؤمِنينَ عَلَى القِتالِ إِن يَكُن مِنكُم عِشرونَ صٰبِرونَ يَغلِبوا مِا۟ئَتَينِ وَإِن يَكُن مِنكُم مِا۟ئَةٌ يَغلِبوا أَلفًا مِنَ الَّذينَ كَفَروا بِأَنَّهُم قَومٌ لا يَفقَهونَ

(8:65) ऐ पैगमबर! ईमान वालों को युध्द की प्रेरणा दो। अगर तुम में से बीस साबित क़दम होंगे तो वह दो सौ को हरा देंगे। और तुम में से एक सौ लोग होंगे तो उन काफिरों के एक हज़ार लोगों को हरा सकते हैं। यह इस लिए है क्यों कि ये लोग समझ-बूझ नहीं रखते।

الـٰٔنَ خَفَّفَ اللَّهُ عَنكُم وَعَلِمَ أَنَّ فيكُم ضَعفًا فَإِن يَكُن مِنكُم مِا۟ئَةٌ صابِرَةٌ يَغلِبوا مِا۟ئَتَينِ وَإِن يَكُن مِنكُم أَلفٌ يَغلِبوا أَلفَينِ بِإِذنِ اللَّهِ وَاللَّهُ مَعَ الصّٰبِرينَ

(8:66) अब अल्लाह ने यह तुम्हारे लिए (जो लोग नए मुसलमान हुए) आसान कर दिया है। इस लिए कि वह जानता है कि तुम इतने मज़बूत नहीं हो जितने पहले थे। इसके बाद एक सौ साबित क़दम (ईमान वाले) अल्लाह के हुक्म से दो सौ को हरा सकते हैं और एक हज़ार दो हज़ार को। अल्लाह साबित क़दम रहने वालों के साथ है।

ما كانَ لِنَبِىٍّ أَن يَكونَ لَهُ أَسرىٰ حَتّىٰ يُثخِنَ فِى الأَرضِ تُريدونَ عَرَضَ الدُّنيا وَاللَّهُ يُريدُ الـٔاخِرَةَ وَاللَّهُ عَزيزٌ حَكيمٌ

(8:67) बगैर जंग में शामिल हुए किसी भी पैगम्बर को कोई कैदी नहीं लेना चाहिए। तुम लोग तो इस दुनिया का माल व असबाब चाहते हो जब कि अल्लाह तम्हारे लिए आखिरत चाहता है। अल्लाह बड़ा जबरदस्त और हिकमत वाला है।

لَولا كِتٰبٌ مِنَ اللَّهِ سَبَقَ لَمَسَّكُم فيما أَخَذتُم عَذابٌ عَظيمٌ

(8:68) अगर यह अल्लाह की तरफ से पहले से तयशुदा हुक्म न होता तो जो कुछ तुमने लिया है उसके बदलें में तुमको सख्त अज़ाब मिलता।

فَكُلوا مِمّا غَنِمتُم حَلٰلًا طَيِّبًا وَاتَّقُوا اللَّهَ إِنَّ اللَّهَ غَفورٌ رَحيمٌ

(8:69) इस लिए जो तुमने माले गनीमत (जंग में जीता हुआ) कमाया है उसमें से खाओ जो हलाल और पाक-साफ है। और अल्लाह से डरते रहो। बेशक अल्लाह माफ करने वाला और मेहेरबान है।

يٰأَيُّهَا النَّبِىُّ قُل لِمَن فى أَيديكُم مِنَ الأَسرىٰ إِن يَعلَمِ اللَّهُ فى قُلوبِكُم خَيرًا يُؤتِكُم خَيرًا مِمّا أُخِذَ مِنكُم وَيَغفِر لَكُم وَاللَّهُ غَفورٌ رَحيمٌ

(8:70) ऐ पैगम्बर! अपने जंग से हासिल होने वाले कैदियों से कहदो। अगर अल्लाह को तुम्हारे दिल में कुछ अच्छा मालूम होता है तो वह तुमको उससे भी बेहतर चीज़ देगा जो तुम खो चुके हो और तुम्हें माफ कर देगा। और अल्लाह माफ करने वाला और मेहेरबान है।

وَإِن يُريدوا خِيانَتَكَ فَقَد خانُوا اللَّهَ مِن قَبلُ فَأَمكَنَ مِنهُم وَاللَّهُ عَليمٌ حَكيمٌ

(8:71) और अगर यह लोग तुम्हारे साथ धोका करना चाहते हैं तो वह पहले ही अल्लाह को धोका दे चुके हैं। इसी लिए तो उसने इनको हारने वाला बना दिया है। अल्लाह सब कुछ जानने वाला और हिक्मत वाला है।

إِنَّ الَّذينَ ءامَنوا وَهاجَروا وَجٰهَدوا بِأَموٰلِهِم وَأَنفُسِهِم فى سَبيلِ اللَّهِ وَالَّذينَ ءاوَوا وَنَصَروا أُولٰئِكَ بَعضُهُم أَولِياءُ بَعضٍ وَالَّذينَ ءامَنوا وَلَم يُهاجِروا ما لَكُم مِن وَلٰيَتِهِم مِن شَىءٍ حَتّىٰ يُهاجِروا وَإِنِ استَنصَروكُم فِى الدّينِ فَعَلَيكُمُ النَّصرُ إِلّا عَلىٰ قَومٍ بَينَكُم وَبَينَهُم ميثٰقٌ وَاللَّهُ بِما تَعمَلونَ بَصيرٌ

(8:72) बेशक जो लोग ईमान लाये और हिजरती की और अल्लाह के रास्ते में अपनी जान और माल से जिहाद किया, और जिन्हों ने उनकी मेज़बानी की, उन्हें पनाह दी और उनकी मदद की, यह लोग एक दूसरे के वारिस हैं। जब कि वह लोग जो ईमान लाये लेकिन तुम्हारे साथ हिजरत नहीं की, तुम उनकी मदद करने के लिए ज़िम्मेदार नहीं हो जब तक वह हिजरत नहीं करते। फिर भी अगर ईमानी भाई के एतिबार से उनको तुम्हारी मदद की ज़रूरत हो तो तुम उनकी मदद करोगे सिवाय उन लोगों के जिनके साथ तुम ने सुलह का अहद किया है। और जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसे देख रहा है।

وَالَّذينَ كَفَروا بَعضُهُم أَولِياءُ بَعضٍ إِلّا تَفعَلوهُ تَكُن فِتنَةٌ فِى الأَرضِ وَفَسادٌ كَبيرٌ

(8:73) और जो लोग काफिर हैं वह एक-दूसरे के मददगार हैं। अगर तुम इन अहकाम पर अमल नहीं करोगे तो ज़मीन पर अफरा-तफरी और खौफनाक फसाद होगा।

وَالَّذينَ ءامَنوا وَهاجَروا وَجٰهَدوا فى سَبيلِ اللَّهِ وَالَّذينَ ءاوَوا وَنَصَروا أُولٰئِكَ هُمُ المُؤمِنونَ حَقًّا لَهُم مَغفِرَةٌ وَرِزقٌ كَريمٌ

(8:74) जो लोग ईमान लाये और हिजरत की और अल्लाह की राह में जिहाद किया और जिन लोगों ने उनको पनाह दी और उनकी मदद की ऐसे ही लोग सच्चे मोमिन हैं। और वोही लोग क्षमा और इज़्जत की रोज़ी के हक़दार हैं।

وَالَّذينَ ءامَنوا مِن بَعدُ وَهاجَروا وَجٰهَدوا مَعَكُم فَأُولٰئِكَ مِنكُم وَأُولُوا الأَرحامِ بَعضُهُم أَولىٰ بِبَعضٍ فى كِتٰبِ اللَّهِ إِنَّ اللَّهَ بِكُلِّ شَىءٍ عَليمٌ

(8:75) जो लोग इसके बाद ईमान लाये और तुम्हारे साथ हिजरत की और जिहाद किया तो वह तुम में से हैं। (उनमें से) जो लोग एक-दूसरे से तअल्लुक रखते हैं उन्हें अल्लाह के हुक्म के मुताबिक पहले एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। अल्लाह हर चीज़ को अच्छी तरह जानता है।