मूसा
بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ
(2:0) शुरु उस अल्लाह के नाम से जो बेहद मेहरबान और रहमदिल है।
الم
(2:1) अलिफ लाम मीम *
ذٰلِكَ الكِتٰبُ لا رَيبَ فيهِ هُدًى لِلمُتَّقينَ
(2:2) यह एक अचूक ग्रंथ है जिसमें किसी शक की गुन्जाइश नहीं, (और) खुदा से डरने वाले (परहेजगार) लोगों के लिये हिदायत है।
लोग तीन तरह के होते हैं।
الَّذينَ يُؤمِنونَ بِالغَيبِ وَيُقيمونَ الصَّلوٰةَ وَمِمّا رَزَقنٰهُم يُنفِقونَ
(2:3) जो दिखाई न देने वाली चीजों में यकीन रखते है, और संपर्क प्रार्थना (नमाज)* कायम करते है, और हमने** उन्हे जो अता किया है उसमें से (खुदा की राह में) खर्च करते है।
وَالَّذينَ يُؤمِنونَ بِما أُنزِلَ إِلَيكَ وَما أُنزِلَ مِن قَبلِكَ وَبِالـٔاخِرَةِ هُم يوقِنونَ
(2:4) और वोह लोग जो तुम्हारी तरफ नाजिल किया गया और जो तुम से पहले नाजिल किया गया उन सब पर ईमान लाते हैं’ और वही आख़िरत का यक़ीन भी रखते हैं।*
أُولٰئِكَ عَلىٰ هُدًى مِن رَبِّهِم وَأُولٰئِكَ هُمُ المُفلِحونَ
(2:5) वोही अपने रब की तरफ से हिदायत पर हैं और वास्तव में यही लोग कामयाब हैं।
إِنَّ الَّذينَ كَفَروا سَواءٌ عَلَيهِم ءَأَنذَرتَهُم أَم لَم تُنذِرهُم لا يُؤمِنونَ
(2:6) जो लोग कुफ्र करते हैं, उनको चेतावनी दी जाए या न दी जाए उनके लिए यह बात बराबर है और वह ईमान लाने वाले नही हैं। *
خَتَمَ اللَّهُ عَلىٰ قُلوبِهِم وَعَلىٰ سَمعِهِم وَعَلىٰ أَبصٰرِهِم غِشٰوَةٌ وَلَهُم عَذابٌ عَظيمٌ
(2:7) अल्लाह ने उनके दिलों (दिमाग) और कान पर मुहर लगा दी है और उनकी आँखों पर पर्दा डाल दिया है और उनके लिए सख्त सजा है।
وَمِنَ النّاسِ مَن يَقولُ ءامَنّا بِاللَّهِ وَبِاليَومِ الـٔاخِرِ وَما هُم بِمُؤمِنينَ
(2:8) और कुछ लोग कहते हैं कि हम अल्लाह तथा आखिरी दिन (कयामत) पर ईमान ले आये, जबकि वे ईमान नहीं रखते।
يُخٰدِعونَ اللَّهَ وَالَّذينَ ءامَنوا وَما يَخدَعونَ إِلّا أَنفُسَهُم وَما يَشعُرونَ
(2:9) वे अल्लाह और ईमानवालों के साथ धोखेबाज़ी कर रहे हैं, हालाँकि धोखा वे स्वयं अपने-आपको ही दे रहे हैं, परन्तु वे इसको महसूस नहीं करते।
فى قُلوبِهِم مَرَضٌ فَزادَهُمُ اللَّهُ مَرَضًا وَلَهُم عَذابٌ أَليمٌ بِما كانوا يَكذِبونَ
(2:10) उनकी अकल को बीमारी ने जकड़ लिया है तो अल्लाह ने उनकी बीमारी को और बढ़ा दिया और झूठ बोलने की वजह से उनके लिये दर्दनाक सजा है।
وَإِذا قيلَ لَهُم لا تُفسِدوا فِى الأَرضِ قالوا إِنَّما نَحنُ مُصلِحونَ
(2:11) और जब उनसे कहा जाता है कि जमीन पर फसाद मत करो तो वह कहते हैं कि हम तो सही काम कर रहे हैं।
أَلا إِنَّهُم هُمُ المُفسِدونَ وَلٰكِن لا يَشعُرونَ
(2:12) वास्तव में यह फसाद व बिगाड़ करने वाले लोग हैं लेकिन वह इस बात को समझते नही हैं।
وَإِذا قيلَ لَهُم ءامِنوا كَما ءامَنَ النّاسُ قالوا أَنُؤمِنُ كَما ءامَنَ السُّفَهاءُ أَلا إِنَّهُم هُمُ السُّفَهاءُ وَلٰكِن لا يَعلَمونَ
(2:13) और जब उनसे कहा जाता है कि ईमान लाने वालों की तरह तुम भी ईमान ले आओ तो वह लोग कहते हैं कि क्या हम लोग भी ईमान लाने वाले बेवकूफों की तरह ईमान ले आएं? वास्तव में यही लोग बेवकूफ हैं लेकिन वह इस बात से बेखबर हैं।
وَإِذا لَقُوا الَّذينَ ءامَنوا قالوا ءامَنّا وَإِذا خَلَوا إِلىٰ شَيٰطينِهِم قالوا إِنّا مَعَكُم إِنَّما نَحنُ مُستَهزِءونَ
(2:14) और जब ईमान लानेवालों से मिलते हैं तो कहते है, ‘हम भी ईमान लाए हैं,’ और जब एकान्त में अपने शैतानों के पास पहुँचते हैं, तो कहते हैं, ‘हम तो तुम्हारे साथ हैं और यह तो हम केवल (उनका) मज़ाक उड़ाते हैं।’
اللَّهُ يَستَهزِئُ بِهِم وَيَمُدُّهُم فى طُغيٰنِهِم يَعمَهونَ
(2:15) अल्लाह उनका मजाक उड़ाता है और उन्हें (उनकी सरकशी व नाफरमानी में) ढील दिए जाता है, सो वोह खुद अपनी सरकशी में भटक रहे हें।
أُولٰئِكَ الَّذينَ اشتَرَوُا الضَّلٰلَةَ بِالهُدىٰ فَما رَبِحَت تِجٰرَتُهُم وَما كانوا مُهتَدينَ
(2:16) यही वे लोग हैं, जिन्होंने मार्गदर्शन के बदले में गुमराही को खरीद लिया , लेकिन उनके इस व्यापार में न कोई लाभ पहुँचा, और न ही वे सीधा मार्ग पा सके।
مَثَلُهُم كَمَثَلِ الَّذِى استَوقَدَ نارًا فَلَمّا أَضاءَت ما حَولَهُ ذَهَبَ اللَّهُ بِنورِهِم وَتَرَكَهُم فى ظُلُمٰتٍ لا يُبصِرونَ
(2:17) उनकी मिसाल उन लोगों की तरह है जो आग जलाते हैं फिर जब वह (आग) उनके आस-पास रौशनी फैला देती है तो अल्लाह उनकी रौशनी को छीन लेता है और उनकों ऐसे अंधेरों में छोड़ देता है जिसमें वह देख नही सकते।
صُمٌّ بُكمٌ عُمىٌ فَهُم لا يَرجِعونَ
(2:18) वह बहरे, गूँगे और अंधे हैं अब वोह (सच्चे रास्ते की तरफ) नहीं लौटेंगे।
أَو كَصَيِّبٍ مِنَ السَّماءِ فيهِ ظُلُمٰتٌ وَرَعدٌ وَبَرقٌ يَجعَلونَ أَصٰبِعَهُم فى ءاذانِهِم مِنَ الصَّوٰعِقِ حَذَرَ المَوتِ وَاللَّهُ مُحيطٌ بِالكٰفِرينَ
(2:19) या (उनकी मिसाल ऐसी है) जैसे आसमान से ऐसी तूफानी बारिश जिसमें अंधेरा हों और बिजली की गरज और चमक भी होती हैं, और वे बिजली की कड़क के कारण मौत से बचने के लिये कानों में उंगलिया डाल लेते हैं। और अल्लाह इंकार करने वाले (काफिरों) से अच्छी तरह वाकिफ है।
ईमान की रौशनी
يَكادُ البَرقُ يَخطَفُ أَبصٰرَهُم كُلَّما أَضاءَ لَهُم مَشَوا فيهِ وَإِذا أَظلَمَ عَلَيهِم قاموا وَلَو شاءَ اللَّهُ لَذَهَبَ بِسَمعِهِم وَأَبصٰرِهِم إِنَّ اللَّهَ عَلىٰ كُلِّ شَىءٍ قَديرٌ
(2:20) ऐसा मालूम होता है कि बिजली जल्द ही उनके देखने की ताकत को छीन लेगी। जब उनके सामने चमकती है तो वह आगे बढ़ते हैं और जब उनकी नजरों के सामने अंधेरा छाजाता है तो वह खड़े रह जाते हैं अगर अल्लाह चाहे तो उनके सुनने व देखने की ताकत छीन ले, निस्सन्देह अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।
يٰأَيُّهَا النّاسُ اعبُدوا رَبَّكُمُ الَّذى خَلَقَكُم وَالَّذينَ مِن قَبلِكُم لَعَلَّكُم تَتَّقونَ
(2:21) ऐ लोगों! तुम सिर्फ अपने रब की इबादत करो जिसने तुम्हें और तुमसे पहले के लोगों को पैदा किया ताकि तुम महफूज रह सको।
الَّذى جَعَلَ لَكُمُ الأَرضَ فِرٰشًا وَالسَّماءَ بِناءً وَأَنزَلَ مِنَ السَّماءِ ماءً فَأَخرَجَ بِهِ مِنَ الثَّمَرٰتِ رِزقًا لَكُم فَلا تَجعَلوا لِلَّهِ أَندادًا وَأَنتُم تَعلَمونَ
(2:22) वह जिसने जमीन को तुम्हारे लिये रहने के लायक बनाया और आसमान को छट का रुप दिया। और (वही) आसमान से पानी उतारता है ताकि तुम्हारी रोजी के लिए हर तरह के फल पैदा करे। अब जबकि तुम्हें पता चल गया तो फिर अल्लाह के मुकाबले में किसी को उसका शरीक या समकक्ष न ठहराओ।
गणितीय चुनौती
وَإِن كُنتُم فى رَيبٍ مِمّا نَزَّلنا عَلىٰ عَبدِنا فَأتوا بِسورَةٍ مِن مِثلِهِ وَادعوا شُهَداءَكُم مِن دونِ اللَّهِ إِن كُنتُم صٰدِقينَ
(2:23) और अगर तुम इस (क़ुरआन) के बारे में शक है जो हमने अपने बंदे * पर नाजिल किया है तो इस जैसी कोई एक सूरत ही बना लाओ, और अल्लाह के खिलाफ अपने गवाहों को बुला लो अगर तुम सच्चे हो।
जहन्नम का प्रतीकात्मक वर्णन
فَإِن لَم تَفعَلوا وَلَن تَفعَلوا فَاتَّقُوا النّارَ الَّتى وَقودُهَا النّاسُ وَالحِجارَةُ أُعِدَّت لِلكٰفِرينَ
(2:24) अगर तुम यह नही कर सकते – और तुम कभी भी ऐसा नही कर पाओगे – तो तुम डरो (जहन्नम की) उस आग से जिसका ईंधन इंसान और पत्थर हैं। जो इनकार करनेवालों के लिए तैयार की गई है।
जन्नत का प्रतीकात्मक वर्णन
وَبَشِّرِ الَّذينَ ءامَنوا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ أَنَّ لَهُم جَنّٰتٍ تَجرى مِن تَحتِهَا الأَنهٰرُ كُلَّما رُزِقوا مِنها مِن ثَمَرَةٍ رِزقًا قالوا هٰذَا الَّذى رُزِقنا مِن قَبلُ وَأُتوا بِهِ مُتَشٰبِهًا وَلَهُم فيها أَزوٰجٌ مُطَهَّرَةٌ وَهُم فيها خٰلِدونَ
(2:25) खुशखबरी सुना दीजिए ईमान वालों को और अच्छे काम करने वालों कों कि उनके लिये ऐसे बागात हैं जिनके नीचे नहरें बह रही हैं। जब वहाँ उनको खाने के लिये फल दिये जाँएगें तो वह कहेंगे यह तो वही फल है जो हमें पहले भी दिया गया था। इस तरह उनको मिलते-जुलते फल दिये जाएँगे। और वहाँ उनके लिये पवित्र (पाक दामन) बीवियाँ होंगी और वह उसमें हमेशा रहेंगे।
إِنَّ اللَّهَ لا يَستَحى ۦ أَن يَضرِبَ مَثَلًا ما بَعوضَةً فَما فَوقَها فَأَمَّا الَّذينَ ءامَنوا فَيَعلَمونَ أَنَّهُ الحَقُّ مِن رَبِّهِم وَأَمَّا الَّذينَ كَفَروا فَيَقولونَ ماذا أَرادَ اللَّهُ بِهٰذا مَثَلًا يُضِلُّ بِهِ كَثيرًا وَيَهدى بِهِ كَثيرًا وَما يُضِلُّ بِهِ إِلَّا الفٰسِقينَ
(2:26) बेशक अल्लाह किसी भी तरह की मिसाल देने से नही शर्माता,* चाहे वह छोटे से मच्छर की हो या उस से बड़ी हो। जहाँ तक ईमान वालों की बात हैं वह जानते हैं कि उनके रब की तरफ से यही सच है और जहाँ तक काफिरों की बात है तो वह कहते हैं कि अल्लाह का इस मिसाल को बयान करने का क्या मतलब है? इस तरह वह ऐसी मिसालों के जरिये बहुत से लोगों को गुमराह कर देता है और बहुतों को सीधी राह दिखा देता है लेकिन ऐसी मिसाल से वह सिर्फ बुरे लोगों को ही गुमराह करता है।
الَّذينَ يَنقُضونَ عَهدَ اللَّهِ مِن بَعدِ ميثٰقِهِ وَيَقطَعونَ ما أَمَرَ اللَّهُ بِهِ أَن يوصَلَ وَيُفسِدونَ فِى الأَرضِ أُولٰئِكَ هُمُ الخٰسِرونَ
(2:27) जो लोग अल्लाह के अहद को कायम रखने का वादा करके तोड़ देते हैं और जिस चीज को अल्लाह ने जोड़ने का हुक्म दिया है उसे तोड़ देते हैं और ज़मीन में बुराई फैलाते हैं। यही लोग नुकसान उठाने वाले हैं।
काफिरों के लिये दो जिंदगी और दो मौत
كَيفَ تَكفُرونَ بِاللَّهِ وَكُنتُم أَموٰتًا فَأَحيٰكُم ثُمَّ يُميتُكُم ثُمَّ يُحييكُم ثُمَّ إِلَيهِ تُرجَعونَ
(2:28) तुम कैसे अल्लाह का इंकार कर सकते हो जबकि तुम बेजान थे और फिर उसने तुम्हे जिंदगी दी, फिर वह तुम को मौत देगा और फिर तुम्हे जिंदा करेगा और आख़िरकार तुम उसी की तरफ लौटाए जाओगे।
هُوَ الَّذى خَلَقَ لَكُم ما فِى الأَرضِ جَميعًا ثُمَّ استَوىٰ إِلَى السَّماءِ فَسَوّىٰهُنَّ سَبعَ سَمٰوٰتٍ وَهُوَ بِكُلِّ شَىءٍ عَليمٌ
(2:29) वही है जिसने तुम्हारे लिये जमीन में हर चीज पैदा की, फिर आसमान की तरफ तवज्जो फरमायी और सात ब्रहमांड * को पूरा कर दिया।’और वह हर चीज़ का इल्म रखता है।
शैतानः अस्थायी और थोड़े समय का ही खुदा है *
وَإِذ قالَ رَبُّكَ لِلمَلٰئِكَةِ إِنّى جاعِلٌ فِى الأَرضِ خَليفَةً قالوا أَتَجعَلُ فيها مَن يُفسِدُ فيها وَيَسفِكُ الدِّماءَ وَنَحنُ نُسَبِّحُ بِحَمدِكَ وَنُقَدِّسُ لَكَ قالَ إِنّى أَعلَمُ ما لا تَعلَمونَ
(2:30) याद करो जब तुम्हारे रब ने फरिश्तों से कहा ’मैं जमीन पर अपना एक खलीफा (अस्थायी खुदा) बनाने वाला हूँ’तो फरिश्तों ने कहा ’क्या तू जमीन में ऐसी मखलूक को पैदा करेगा जो जमीन में बुराई फैलाए और खून बहाए, जबकि हम तेरी तारीफ करते हैं और तेरी पवित्रता बयान करते हैं और तेरे मुकम्मल इख्तियार को बरकरार रखने वाले हैं ? उसने कहा मैं वो जानता हूँ जो तुम नही जानते।
وَعَلَّمَ ءادَمَ الأَسماءَ كُلَّها ثُمَّ عَرَضَهُم عَلَى المَلٰئِكَةِ فَقالَ أَنبِـٔونى بِأَسماءِ هٰؤُلاءِ إِن كُنتُم صٰدِقينَ
(2:31) उसने आदम को सारे नाम सिखाए,* फिर उन्हें फ़रिश्तों के सामने पेश किया और कहा, ‘अगर तुम सच्चे हो तो मुझे इनके नाम बताओ।’
قالوا سُبحٰنَكَ لا عِلمَ لَنا إِلّا ما عَلَّمتَنا إِنَّكَ أَنتَ العَليمُ الحَكيمُ
(2:32) (फरिश्तों ने) फरमायाः पाक है तेरी जात, हम उतना ही जानते हैं जितना तूने हमें सिखाया है बेशक तू ही जानने वाला है, समझने वाला है।
قالَ يٰـٔادَمُ أَنبِئهُم بِأَسمائِهِم فَلَمّا أَنبَأَهُم بِأَسمائِهِم قالَ أَلَم أَقُل لَكُم إِنّى أَعلَمُ غَيبَ السَّمٰوٰتِ وَالأَرضِ وَأَعلَمُ ما تُبدونَ وَما كُنتُم تَكتُمونَ
(2:33) (खुदा ने) फरमायाः ‘ऐ आदम! उन्हें उन के नाम बताओ।’ फिर जब उसने उन्हें उनके नाम बता दिए तो (खुदा ने) कहा, ‘क्या मैंने तुमसे कहा न था कि मैं आकाशों और धरती की छिपी बातों को जानता हूँ और मैं जानता हूँ जो कुछ तुम ज़ाहिर करते हो और जो कुछ तुम छिपाते हो।’
وَإِذ قُلنا لِلمَلٰئِكَةِ اسجُدوا لِـٔادَمَ فَسَجَدوا إِلّا إِبليسَ أَبىٰ وَاستَكبَرَ وَكانَ مِنَ الكٰفِرينَ
(2:34) और (याद करो) जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि ‘आदम को सजदा करो’ तो, उन्होंने सजदा किया सिवाय शैतान के; उसने इनकार कर दिया और वह बहुत ज्यादा घमंड करने वाला और काफिर था।
وَقُلنا يٰـٔادَمُ اسكُن أَنتَ وَزَوجُكَ الجَنَّةَ وَكُلا مِنها رَغَدًا حَيثُ شِئتُما وَلا تَقرَبا هٰذِهِ الشَّجَرَةَ فَتَكونا مِنَ الظّٰلِمينَ
(2:35) हमने कहाः ऐ आदम तुम अपनी बीवी के साथ जन्नत में रहो और जो चाहो, जहाँ से चाहो खाओ। लेकिन इस दरख्त के पास मत जाना वर्ना तुम जालिमो में से हो जाओगे।
فَأَزَلَّهُمَا الشَّيطٰنُ عَنها فَأَخرَجَهُما مِمّا كانا فيهِ وَقُلنَا اهبِطوا بَعضُكُم لِبَعضٍ عَدُوٌّ وَلَكُم فِى الأَرضِ مُستَقَرٌّ وَمَتٰعٌ إِلىٰ حينٍ
(2:36) लेकिन शैतान ने उन्हें धोके में डाल दिया फिर उन दोनों को वहाँ से निकलवाकर छोड़ा। हमने कहाः नीचे उतर जाओ कि तुम एक दूसरे के दुश्मन होगे और जमीन पर तुम्हारे लिये रहने की जगह है और एक छोटी सी मुद्दत के लिये रिज़्क़ है।
विशिष्ट शब्द (खास कलिमात) *
فَتَلَقّىٰ ءادَمُ مِن رَبِّهِ كَلِمٰتٍ فَتابَ عَلَيهِ إِنَّهُ هُوَ التَّوّابُ الرَّحيمُ
(2:37) फिर सीख लिये आदम ने कुछ कलिमात अपने रब से जिनके जरिये उन्होंने उसकी तौबा क़बूल कर ली। बेशक वह तौबा कबूल करने वाला और बेहद रहमदिल है।
قُلنَا اهبِطوا مِنها جَميعًا فَإِمّا يَأتِيَنَّكُم مِنّى هُدًى فَمَن تَبِعَ هُداىَ فَلا خَوفٌ عَلَيهِم وَلا هُم يَحزَنونَ
(2:38) हमने कहाः तुम सब यहाँ से नीचे उतर जाओ. जब तुमको मेरी तरफ से कोई हिदायत मिले तो जिन्होंने मेरी हिदायत पर अमल किया, उनको न कोई डर होगा और न ही वह गमगीन होंगे।
وَالَّذينَ كَفَروا وَكَذَّبوا بِـٔايٰتِنا أُولٰئِكَ أَصحٰبُ النّارِ هُم فيها خٰلِدونَ
(2:39) और जिन्होंने इंकार किया और झुठला दिया हमारी निशानियों को, वही लोग दोजख में जलने वाले हैं और वोह उस में हमेशा रहेंगे।
तमाम यहूदियों के नाम खुदा का आदेश : ’इस कुरान पर ईमान ले आओ’
يٰبَنى إِسرٰءيلَ اذكُروا نِعمَتِىَ الَّتى أَنعَمتُ عَلَيكُم وَأَوفوا بِعَهدى أوفِ بِعَهدِكُم وَإِيّٰىَ فَارهَبونِ
(2:40) ऐ बनी इसराईल (याक़ूब की औलाद) मेरे उन एहसानात को याद करो जो मैंने तुम पर किया था और पूरा करो अपने वादे को तो मैं पूरा करुँ अपने वादे को और मुझ ही से डरा करो।
وَءامِنوا بِما أَنزَلتُ مُصَدِّقًا لِما مَعَكُم وَلا تَكونوا أَوَّلَ كافِرٍ بِهِ وَلا تَشتَروا بِـٔايٰتى ثَمَنًا قَليلًا وَإِيّٰىَ فَاتَّقونِ
(2:41) और जो (किताब) मैंने नाज़िल की है उस पर ईमान लाओ (और वो उस किताब की) तसदीक़ करती है जो तुम्हारे पास है और सबसे पहले उसका इन्कार न करो और मेरी आयतों के बदले थोड़ी क़ीमत (दुनयावी फायदे) न लो और मेरी इताअत करो।
وَلا تَلبِسُوا الحَقَّ بِالبٰطِلِ وَتَكتُمُوا الحَقَّ وَأَنتُم تَعلَمونَ
(2:42) सत्य को झूठ के साथ न मिलाओ और न ही सत्य को छुपाओ जानबूझ कर।
وَأَقيمُوا الصَّلوٰةَ وَءاتُوا الزَّكوٰةَ وَاركَعوا مَعَ الرّٰكِعينَ
(2:43) नमाज कायम करो और जकात अदा करते रहो और (नमाज में) झुकने वालों के साथ झुका करो।
أَتَأمُرونَ النّاسَ بِالبِرِّ وَتَنسَونَ أَنفُسَكُم وَأَنتُم تَتلونَ الكِتٰبَ أَفَلا تَعقِلونَ
(2:44) क्या तुम दूसरे लोगों को नेकी का हुक्म देते हो और अपने आप को भूल जाते हो हालां कि तुम (खुदा की) किताब भी पढ़ते हो, तो क्या तुम नहीं सोचते?
وَاستَعينوا بِالصَّبرِ وَالصَّلوٰةِ وَإِنَّها لَكَبيرَةٌ إِلّا عَلَى الخٰشِعينَ
(2:45) और सब्र और नमाज के जरीए मदद तलब करो, और हकीकत में यह बहुत मुश्किल है मगर उन लोंगों के लिये नही जो विनम्रता अपनाने वाले है।
الَّذينَ يَظُنّونَ أَنَّهُم مُلٰقوا رَبِّهِم وَأَنَّهُم إِلَيهِ رٰجِعونَ
(2:46) जो इस बात में यकीन रखते हैं कि वह अपने रब के सामने पेश किये जायेंगे और आखिरकार वह अपने रब की तरफ ही लौटने वाले हैं।
يٰبَنى إِسرٰءيلَ اذكُروا نِعمَتِىَ الَّتى أَنعَمتُ عَلَيكُم وَأَنّى فَضَّلتُكُم عَلَى العٰلَمينَ
(2:47) ऐ इजराईल की औलाद याद करो मेरे उस एहसान को जो मैंने तुम पर किया और (इसे भी कि) मैंने तुम्हें सारे संसार पर श्रेष्ठता प्रदान की थी।
وَاتَّقوا يَومًا لا تَجزى نَفسٌ عَن نَفسٍ شَيـًٔا وَلا يُقبَلُ مِنها شَفٰعَةٌ وَلا يُؤخَذُ مِنها عَدلٌ وَلا هُم يُنصَرونَ
(2:48) और उस दिन से डरो जिस दिन एक शख्स किसी दूसरे शख्स के किसी काम न आयेगा और न ही उसकी तरफ से कोई सिफारिश कुबूल होगी और न उस की तरफ से जान (छुड़ाने के लिए) कोई मुआवजा कुबूल किया जाएगा और न उन्हें कोई सहायता मिल सकेगी।
وَإِذ نَجَّينٰكُم مِن ءالِ فِرعَونَ يَسومونَكُم سوءَ العَذابِ يُذَبِّحونَ أَبناءَكُم وَيَستَحيونَ نِساءَكُم وَفى ذٰلِكُم بَلاءٌ مِن رَبِّكُم عَظيمٌ
(2:49) और याद करो जब हमने तुमको फिरऔन के लोंगो से छुटकारा दिलाया जो तुम्हें अत्यन्त बुरी यातना देते थे, तुम्हारे बेटों को मार डालते थे और तुम्हारी बेटियों को जीवित रहने देते थे, और तुम अपने रब की तरफ से सख्त आजमाईश में घिरे हुए थे।
وَإِذ فَرَقنا بِكُمُ البَحرَ فَأَنجَينٰكُم وَأَغرَقنا ءالَ فِرعَونَ وَأَنتُم تَنظُرونَ
(2:50) याद करो जब हमने तुम्हारे लिये समंदर को टुकड़े टुकड़े कर दिया फिर तुम्हें बचा लिया और फिरऔन के लोंगो को डुबा दिया तुम्हारी नजरों के सामने।
وَإِذ وٰعَدنا موسىٰ أَربَعينَ لَيلَةً ثُمَّ اتَّخَذتُمُ العِجلَ مِن بَعدِهِ وَأَنتُم ظٰلِمونَ
(2:51) फिर जब हमने मूसा को चालीस रातों के लिये बुला लिया तो तुमने उनकी गैर मौजूदगी में बछड़े की इबादत शुरु कर दी और तुम जालिम थे। *
ثُمَّ عَفَونا عَنكُم مِن بَعدِ ذٰلِكَ لَعَلَّكُم تَشكُرونَ
(2:52) उसके बाद भी हमने तुमको माफ कर दिया शायद कि तुम शुक्र अदा करने वाले बन जाओ।
وَإِذ ءاتَينا موسَى الكِتٰبَ وَالفُرقانَ لَعَلَّكُم تَهتَدونَ
(2:53) याद करो जब हमने मूसा को किताब और फ़ुरक़ान दी (सत्य ओर असत्य का फैसला करने वाली किताब), कि शायद तुम हिदायत का सीधा रास्ता पा जाओ।
अपने अहंकार (गुरुर) का खात्मा कर डालो *
وَإِذ قالَ موسىٰ لِقَومِهِ يٰقَومِ إِنَّكُم ظَلَمتُم أَنفُسَكُم بِاتِّخاذِكُمُ العِجلَ فَتوبوا إِلىٰ بارِئِكُم فَاقتُلوا أَنفُسَكُم ذٰلِكُم خَيرٌ لَكُم عِندَ بارِئِكُم فَتابَ عَلَيكُم إِنَّهُ هُوَ التَّوّابُ الرَّحيمُ
(2:54) याद करो जब मूसा ने अपनी कौम से कहाः ऐ लोगों तुमने बछड़े की इबाइत करके अपनी जान पर जुल्म किया है. तुम लोगों को जरुर अपने रब से तौबा करनी चाहिए तो तुम अपने अहंकार का खात्मा कर डालो। यह तुम्हारे रब के नजदीक ज्यादा बेहतर है। फिर उसने तुम्हें माफ कर दिया और वह माफ करने वाला और बहुत रहम करने वाला है।
भौतिक (दिखाई देने वाला) सबूत *
وَإِذ قُلتُم يٰموسىٰ لَن نُؤمِنَ لَكَ حَتّىٰ نَرَى اللَّهَ جَهرَةً فَأَخَذَتكُمُ الصّٰعِقَةُ وَأَنتُم تَنظُرونَ
(2:55) याद करो जब तुमने मूसा से कहाः ऐ मूसा हम उस वक्त तक ईमान नही लाने वाले जब तक हम अल्लाह को अपनी आँखों से न देख लें, तो इसके नतीजे में तुमको बिजली की कड़क ने आ पकड़ा और तुम देखते ही रह गए।
وَإِذ قُلتُم يٰموسىٰ لَن نُؤمِنَ لَكَ حَتّىٰ نَرَى اللَّهَ جَهرَةً فَأَخَذَتكُمُ الصّٰعِقَةُ وَأَنتُم تَنظُرونَ
(2:56) फिर हमने मौत के बाद तुम्हें जिंदा किया ताकि तुम शुक्र अदा करो।
सिनाई में
وَظَلَّلنا عَلَيكُمُ الغَمامَ وَأَنزَلنا عَلَيكُمُ المَنَّ وَالسَّلوىٰ كُلوا مِن طَيِّبٰتِ ما رَزَقنٰكُم وَما ظَلَمونا وَلٰكِن كانوا أَنفُسَهُم يَظلِمونَ
(2:57) और हमने तुम पर बादलों की छाया की (सिनाई में) और तुम पर मन्नो और सल्वा उतारा. ‘खाओ जो अच्छी पाक चीजें हमने तुम्हारे लिये उतारीं है।. उन्होंने (नाफरमानी करके) हमारा कुछ नहीं बिगाड़ा मगर अपनी ही जानों पर जुल्म करते रहे।
खुदा पर ईमान में कमीः उन्होंने जेरुसलेम में दाखिल हाने से इंकार कर दिया
وَٱلْبَلَدُ ٱلطَّيِّبُ يَخْرُجُ نَبَاتُهُۥ بِإِذْنِ رَبِّهِۦ ۖ وَٱلَّذِى خَبُثَ لَا يَخْرُجُ إِلَّا نَكِدًۭا ۚ كَذَٰلِكَ نُصَرِّفُ ٱلْـَٔايَـٰتِ لِقَوْمٍۢ يَشْكُرُونَ
(2:58) याद करो जब हमने कहाः इस शहर में दाखिल हो जाओ और इस में जहां से चाहो खूब जी भर के खाओ और यह कि शहर के दरवाजे में सजदह करते हुए दाखिल होना और लोंगो से अच्छा बर्ताव करना. तब हम तुम्हारे गुनाहों को माफ कर देंगे और नेकी करने वालो की नेकी को और ज्यादा कर देंगे।
فَبَدَّلَ الَّذينَ ظَلَموا قَولًا غَيرَ الَّذى قيلَ لَهُم فَأَنزَلنا عَلَى الَّذينَ ظَلَموا رِجزًا مِنَ السَّماءِ بِما كانوا يَفسُقونَ
(2:59) लेकिन जालिमों ने, वह अहकामात जो उन्हें दिये गए थे, उन्हें दूसरे अहकामात से बदल डाला, फिर हमने उन जालिमों पर, उनकी शरारतों के जुर्म में, आसमान से अजाब उतारा।
और भी चमत्कार
وَإِذِ استَسقىٰ موسىٰ لِقَومِهِ فَقُلنَا اضرِب بِعَصاكَ الحَجَرَ فَانفَجَرَت مِنهُ اثنَتا عَشرَةَ عَينًا قَد عَلِمَ كُلُّ أُناسٍ مَشرَبَهُم كُلوا وَاشرَبوا مِن رِزقِ اللَّهِ وَلا تَعثَوا فِى الأَرضِ مُفسِدينَ
(2:60) याद करो जब मूसा ने अपनी कौम के लिये पानी माँगा तो हमने कहाः ‘चट्टान पर अपनी लाठी मारो,’ जिसके बाद उससे बारह चश्में फूट निकले और हर कबीले ने अपना घाट पहचान लिया। अल्लाह की दी हुई चीजों में से खाओ और पियो और जमीन में फसाद ना फैलाओ।
विद्रोही इजराईली
وَإِذ قُلتُم يٰموسىٰ لَن نَصبِرَ عَلىٰ طَعامٍ وٰحِدٍ فَادعُ لَنا رَبَّكَ يُخرِج لَنا مِمّا تُنبِتُ الأَرضُ مِن بَقلِها وَقِثّائِها وَفومِها وَعَدَسِها وَبَصَلِها قالَ أَتَستَبدِلونَ الَّذى هُوَ أَدنىٰ بِالَّذى هُوَ خَيرٌ اهبِطوا مِصرًا فَإِنَّ لَكُم ما سَأَلتُم وَضُرِبَت عَلَيهِمُ الذِّلَّةُ وَالمَسكَنَةُ وَباءو بِغَضَبٍ مِنَ اللَّهِ ذٰلِكَ بِأَنَّهُم كانوا يَكفُرونَ بِـٔايٰتِ اللَّهِ وَيَقتُلونَ النَّبِيّـۧنَ بِغَيرِ الحَقِّ ذٰلِكَ بِما عَصَوا وَكانوا يَعتَدونَ
(2:61) याद करो जब तुम लोगों ने कहाः ऐ मूसा हम एक ही खाने पर सब्र नही कर सकते सो दुआ करो अपने रब से कि जमीन से हमारे लिये पैदा करे सब्जिया, और ककड़ी, और लहसुन, और मसूर और प्याज, तो हमने फरमायाः क्या तुम बदल देना चाहते हो एक कीमती चीज को एक मामूली चीज से? तुम जाओ निचे मिस्र शहर की तरफ, जहाँ तुम्हें मिल जाएगीं वह चीज जो तुम माँगते हो. आखिरकार वह इस हालत में पहुँच गए कि उन पर लानत, जिल्लत और मोह्ताजगी मुसल्लत् कर दी गई, और वह अल्लाह के गज़ब में घिर गए. यह इस वजह से हुआ कि वह अल्लाह के हुक्मों की नाफरमानी किया करते थे और नबियों को बिना किसी वजह के कत्ल कर देते थे वह ऐसा इस लिये करते थे क्योंकि वह नाफरमान थे और अपनी हद से आगे बढ़ गए थे।
एकता सभी खुदा के समर्पित लोगो मे
إِنَّ الَّذينَ ءامَنوا وَالَّذينَ هادوا وَالنَّصٰرىٰ وَالصّٰبِـٔينَ مَن ءامَنَ بِاللَّهِ وَاليَومِ الـٔاخِرِ وَعَمِلَ صٰلِحًا فَلَهُم أَجرُهُم عِندَ رَبِّهِم وَلا خَوفٌ عَلَيهِم وَلا هُم يَحزَنونَ
(2:62) यकीनन जो लोग ईमान रखते है और जो यहूदी हुए, और इसाई और जो मजहब बदल के तबदिल हो गए और जो कोई भी (१) ईमान लाए अल्लाह पर (२) और (ईमान लाए) कयामत के दिन पर (३) और नेक कर्म किये तो उनके रब के पास उन लोंगो को लिये बड़ा अज्र (इनाम) है. उन्हें न किसी का खौफ होगा और ना ही वह गमगीन होंगे।
इज्रराईलियों से समझौता (अहद)
وَإِذ أَخَذنا ميثٰقَكُم وَرَفَعنا فَوقَكُمُ الطّورَ خُذوا ما ءاتَينٰكُم بِقُوَّةٍ وَاذكُروا ما فيهِ لَعَلَّكُم تَتَّقونَ
(2:63) हमने तुम्हारे साथ एक वादा किया और तुम्हारे ऊपर तूर पहाड़ को बुलंद करते हुए कहाः हमने जो तुम्हें दिया उसे मजबूती से पकड़ लो और जो कुछ उसमें है उसे याद रखो ताकि तुम बचाये जा सको।
ثُمَّ تَوَلَّيتُم مِن بَعدِ ذٰلِكَ فَلَولا فَضلُ اللَّهِ عَلَيكُم وَرَحمَتُهُ لَكُنتُم مِنَ الخٰسِرينَ
(2:64) लेकिन तुमने उसके बाद वादाखिलाफी की और अगर तुम पर अल्लाह का करम व रहमत ना होती तो तुम तबाह कर दिए गए होते।
وَلَقَد عَلِمتُمُ الَّذينَ اعتَدَوا مِنكُم فِى السَّبتِ فَقُلنا لَهُم كونوا قِرَدَةً خٰسِـٔينَ
(2:65) तुम्हें उन लोंगो के बारे में पता होगा जिन्होंने सब्बाथ (हफ्ते के दिन) के मामले में मर्यादा का उल्लंघन किया था, तो हमने उन्हें हुक्म दियाः तुम बंदरों की तरह ज़लील हो जाओ।
فَجَعَلنٰها نَكٰلًا لِما بَينَ يَدَيها وَما خَلفَها وَمَوعِظَةً لِلمُتَّقينَ
(2:66) हमने उन्हें उनकी कौम के लिये और आने वाली नस्लों के लिये मिसाल और नेक अमल करने वालों के लिये नसीहत (हासिल करने का मौका) बना दिया।
गाय *
وَإِذ قالَ موسىٰ لِقَومِهِ إِنَّ اللَّهَ يَأمُرُكُم أَن تَذبَحوا بَقَرَةً قالوا أَتَتَّخِذُنا هُزُوًا قالَ أَعوذُ بِاللَّهِ أَن أَكونَ مِنَ الجٰهِلينَ
(2:67) जब मूसा ने अपनी कौम से फरमायाः अल्लाह तुम्हें एक गाय कुर्बान करने का हुक्म देता है. उन्होंने कहाः क्या तुम हमारा मजाक उड़ा रहे हो? उसने कहाः मैं इस से अल्लाह की पनाह माँगता हूँ कि मैं जाहिलों में से हो जाऊं।
قالُوا ادعُ لَنا رَبَّكَ يُبَيِّن لَنا ما هِىَ قالَ إِنَّهُ يَقولُ إِنَّها بَقَرَةٌ لا فارِضٌ وَلا بِكرٌ عَوانٌ بَينَ ذٰلِكَ فَافعَلوا ما تُؤمَرونَ
(2:68) उन्होंने मूसा से कहाः अपने रब से दुआ करो कि वह बता दे कि वह गाय कैसी होनी चाहिये ? उसने कहाः वह फरमाता है कि वह गाय न बहुत बूढ़ी हो और न ही बहुत जवान हो बल्कि दरमियानी उम्र की होनी चाहिये. तो अब कर डालो उस काम को जिसका तुम्हें हुक्म मिला है।
قالُوا ادعُ لَنا رَبَّكَ يُبَيِّن لَنا ما لَونُها قالَ إِنَّهُ يَقولُ إِنَّها بَقَرَةٌ صَفراءُ فاقِعٌ لَونُها تَسُرُّ النّٰظِرينَ
(2:69) उन्होंने फिर कहाः अपने रब से दुआ करें कि वह हमें उसका रंग बता दे. उसने कहाः वह फरमाता है कि वह बहुत गहरे जर्द पीले रंग की ऐसी गाय है जो देखने वालों को अच्छी लगती है।
قالُوا ادعُ لَنا رَبَّكَ يُبَيِّن لَنا ما هِىَ إِنَّ البَقَرَ تَشٰبَهَ عَلَينا وَإِنّا إِن شاءَ اللَّهُ لَمُهتَدونَ
(2:70) उन्होंने फिर कहाः अपने रब से दुआ करें कि वह बता दे कि वह किस तरह की है क्योंकि हमें सारी गाये एक जैसी मालूम होती है (की हम संदेह में पड़ गये हैं) और अल्लाह ने चाहा तो हम जरुर रहनुमाई पा लेंगे।
قالَ إِنَّهُ يَقولُ إِنَّها بَقَرَةٌ لا ذَلولٌ تُثيرُ الأَرضَ وَلا تَسقِى الحَرثَ مُسَلَّمَةٌ لا شِيَةَ فيها قالُوا الـٰٔنَ جِئتَ بِالحَقِّ فَذَبَحوها وَما كادوا يَفعَلونَ
(2:71) उसने कहाः वह फरमाता है कि वह एक ऐसी गाय है जिसने न जमीन में हल चलाने की मेहनत ली जाती हो और न खेती को पानी देती हो, बिल्कुल तन्दुर॒स्त हो और उस में कोई दाग धब्बा भी न हो। उन्होंने कहा, अब तुमने बिलकुल सही बताया। फिर उन्होंने उसे जिबह कर डाला हालांकि ऐसा नही लगता था कि वह ऐसा कर डालेगें (इस लम्बी हिचकिचाहट के बाद)।
गाय का मकसद
وَإِذ قَتَلتُم نَفسًا فَادّٰرَءتُم فيها وَاللَّهُ مُخرِجٌ ما كُنتُم تَكتُمونَ
(2:72) तुमने एक आदमी का कत्ल कर डाला था फिर तुम उस मामले में एक दूसरे से झगड़ा करने लगे। अल्लाह ने उस चीज को जाहिर करने का फैसला कर लिया जिसको तुम छुपाया करते थे।
فَقُلنَا اضرِبوهُ بِبَعضِها كَذٰلِكَ يُحىِ اللَّهُ المَوتىٰ وَيُريكُم ءايٰتِهِ لَعَلَّكُم تَعقِلونَ
(2:73) हमने हुक्म दिया कि (मारे गए शख्स पर गाय का कोई) टुकड़ा लेकर मारो। अल्लाह इसी तरह मुर्दों को जिंदा करता है और तुमको अपनी निशानियां दिखाता है ताकि तुम समझ जाओ।
ثُمَّ قَسَت قُلوبُكُم مِن بَعدِ ذٰلِكَ فَهِىَ كَالحِجارَةِ أَو أَشَدُّ قَسوَةً وَإِنَّ مِنَ الحِجارَةِ لَما يَتَفَجَّرُ مِنهُ الأَنهٰرُ وَإِنَّ مِنها لَما يَشَّقَّقُ فَيَخرُجُ مِنهُ الماءُ وَإِنَّ مِنها لَما يَهبِطُ مِن خَشيَةِ اللَّهِ وَمَا اللَّهُ بِغٰفِلٍ عَمّا تَعمَلونَ
(2:74) इसके बावजूद तुम्हारे दिल पत्थर की तरह या उससे भी ज्यादा सख्त हो गए जबकि कुछ पत्थर ऐसे भी होते हैं जिनसे नहरें निकलती हैं और कुछ फट जाते हैं जिनसे पानी निकलने लगता है और कुछ अल्लाह के खौफ से गिर पड़ते हैं और अल्लाह तुम्हारे हर अमल से पूरी तरह वाकिफ है।
खुदा के कलाम में तोड़-मरोड़ करना
أَفَتَطمَعونَ أَن يُؤمِنوا لَكُم وَقَد كانَ فَريقٌ مِنهُم يَسمَعونَ كَلٰمَ اللَّهِ ثُمَّ يُحَرِّفونَهُ مِن بَعدِ ما عَقَلوهُ وَهُم يَعلَمونَ
(2:75) क्या तुम इस बात की उम्मीद रखते हो कि वह तुम्हारी बात मान लें हालांकि उनमें ऐसे लोग भी थे जब वह अल्लाह के कलाम को सुनते तो उसे बदल देते है जबकि वह उसे अच्छी तरह समझते और जानते थे।
खुदा के कलाम को छुपाना
وَإِذا لَقُوا الَّذينَ ءامَنوا قالوا ءامَنّا وَإِذا خَلا بَعضُهُم إِلىٰ بَعضٍ قالوا أَتُحَدِّثونَهُم بِما فَتَحَ اللَّهُ عَلَيكُم لِيُحاجّوكُم بِهِ عِندَ رَبِّكُم أَفَلا تَعقِلونَ
(2:76) और जब उनका सामना ईमान वालों से होता तो वह कहते कि हम भी ईमान वाले हैं और जब वह तन्हाई में आपस में मिलते तो कहते कि ईमान वालों को मत बताओ वह बात जो अल्लाह ने तुम्हें बताई है, कहीं ऐसा न हो कि उन बातों को जो तुम उन्हें बताते हो, उनको वह तुम्हारे रब के सामने दलील की हैसियत से पेश करें, क्या तुम इस बात को नही समझते हो?
أَوَلا يَعلَمونَ أَنَّ اللَّهَ يَعلَمُ ما يُسِرّونَ وَما يُعلِنونَ
(2:77) क्या वह यह नही जानते कि अल्लाह हर उस चीज से वाकिफ है जो वह छुपाते हैं और जो वह जाहिर करते हैं।
وَمِنهُم أُمِّيّونَ لا يَعلَمونَ الكِتٰبَ إِلّا أَمانِىَّ وَإِن هُم إِلّا يَظُنّونَ
(2:78) उनमें कुछ ऐसे अनपढ़ लोग भी हैं जो अल्लाह की किताब के बारे में नही जानते, उनके पास झूठी उम्मीदों और ख्यालात के सिवा कुछ भी नही और वह केवल अनुमान लगाते है।
فَوَيلٌ لِلَّذينَ يَكتُبونَ الكِتٰبَ بِأَيديهِم ثُمَّ يَقولونَ هٰذا مِن عِندِ اللَّهِ لِيَشتَروا بِهِ ثَمَنًا قَليلًا فَوَيلٌ لَهُم مِمّا كَتَبَت أَيديهِم وَوَيلٌ لَهُم مِمّا يَكسِبونَ
(2:79) तो बुरा अंजाम है ऐसे लोंगो का जो अपने हाथों से किताब तैयार करते हैं और फिर कहते हैं कि यह तो अल्लाह की तरफ से है वह ऐसा इस लिये करते हैं ताकि वह उसके जरिये थोड़ा सा दुनियावी फायदा हासिल कर लें, सो बर्बादी है उनकी जो अपने हाथों से लिखकर (बिगाड़ते) हैं और बर्बादी है उसके बदले में जो वह कमाते हैं।
जन्नत और जहन्नुम कभी न खत्म होने वाली जिंदगी *
وَقالوا لَن تَمَسَّنَا النّارُ إِلّا أَيّامًا مَعدودَةً قُل أَتَّخَذتُم عِندَ اللَّهِ عَهدًا فَلَن يُخلِفَ اللَّهُ عَهدَهُ أَم تَقولونَ عَلَى اللَّهِ ما لا تَعلَمونَ
(2:80) वे कहते है, ‘जहन्नम की आग हमें नहीं छू सकती, सिवाए गिनती के चन्द दिनों के’ कहो, ‘क्या तुमने अल्लाह से कोई वचन ले रखा है? फिर तो अल्लाह कदापि अपने वचन के विरुद्ध नहीं जा सकता? या तुम अल्लाह के ज़िम्मे डालकर ऐसी बात कहते हो जिसका तुम्हें ज्ञान नहीं?
بَلىٰ مَن كَسَبَ سَيِّئَةً وَأَحٰطَت بِهِ خَطيـَٔتُهُ فَأُولٰئِكَ أَصحٰبُ النّارِ هُم فيها خٰلِدونَ
(2:81) हां वाकई जिस ने गुनाह कमाया और उसके गुनाहों ने उस को हर तरफ से घेर लिया तो वोही लोग (जहन्नम की) आग में पड़नेवाले हैं, और वोह उस में हमेशा रेहनेवाले हैं।
وَالَّذينَ ءامَنوا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ أُولٰئِكَ أَصحٰبُ الجَنَّةِ هُم فيها خٰلِدونَ
(2:82) और जो लोग ईमान लाए और नेक अमल किए तो वोही लोग जन्नत के निवासी हैं, और वोह उस में हमेशा रेहने वाले है।
अहकाम (आदेश)
وَإِذ أَخَذنا ميثٰقَ بَنى إِسرٰءيلَ لا تَعبُدونَ إِلَّا اللَّهَ وَبِالوٰلِدَينِ إِحسانًا وَذِى القُربىٰ وَاليَتٰمىٰ وَالمَسٰكينِ وَقولوا لِلنّاسِ حُسنًا وَأَقيمُوا الصَّلوٰةَ وَءاتُوا الزَّكوٰةَ ثُمَّ تَوَلَّيتُم إِلّا قَليلًا مِنكُم وَأَنتُم مُعرِضونَ
(2:83) हमने बनी इजराईल से अहद लिया : तुम अल्लाह के सिवा किसी की इबादत ना करना और अपने माँ-बाप, रिश्तेदारों, यतीमों व गरीबों के साथ अच्छा बर्ताव करना, लोगों से भली बात और अच्छा बर्ताव करना, नमाज कायम करना और जरुरी जकात अदा करते रहना लेकिन तुम में से कुछ लोगों के अलावा बाकी लोग अपने वादे से पलट गए और तुम उपेक्षा करने की नीति ही अपनाते रहे।
وَإِذ أَخَذنا ميثٰقَكُم لا تَسفِكونَ دِماءَكُم وَلا تُخرِجونَ أَنفُسَكُم مِن دِيٰرِكُم ثُمَّ أَقرَرتُم وَأَنتُم تَشهَدونَ
(2:84) हमनें तुमसे वादा लिया कि तुम आपस में अपना खून नही बहाओगे और न ही एक दूसरे को अपने घर (या शहर) से निकालोगे, तुमने इस पर रजामंदी जाहिर की और गवाही भी दी।
ثُمَّ أَنتُم هٰؤُلاءِ تَقتُلونَ أَنفُسَكُم وَتُخرِجونَ فَريقًا مِنكُم مِن دِيٰرِهِم تَظٰهَرونَ عَلَيهِم بِالإِثمِ وَالعُدوٰنِ وَإِن يَأتوكُم أُسٰرىٰ تُفٰدوهُم وَهُوَ مُحَرَّمٌ عَلَيكُم إِخراجُهُم أَفَتُؤمِنونَ بِبَعضِ الكِتٰبِ وَتَكفُرونَ بِبَعضٍ فَما جَزاءُ مَن يَفعَلُ ذٰلِكَ مِنكُم إِلّا خِزىٌ فِى الحَيوٰةِ الدُّنيا وَيَومَ القِيٰمَةِ يُرَدّونَ إِلىٰ أَشَدِّ العَذابِ وَمَا اللَّهُ بِغٰفِلٍ عَمّا تَعمَلونَ
(2:85) फिर भी, तुम यहाँ एक दूसरे को कत्ल करते हो और अपने ही (भाई-बंधुओं) में से कुछ लोगों को उनके घरों से निकाल देते हो, और जुल्म-ज्यादती व गलत तरीके से उनके खिलाफ गिरोह बंदी करते हो, यहां तक कि जब वह हथियार डाल देते हैं तो तुम उन्हें पकड़ कर उनके बदले में रिहाई की रकम माँगते हो, हालांकि उन्हें उनके घरों से निकालना तुम्हारे लिये पहले ही हराम कर दिया गया था, क्या तुम किताब के एक हिस्से पर ईमान रखते हो और दूसरे हिस्से का इंकार कर देते हो? तो तुम में से जो ऐसा अमल करते हैं उनके लिये क्या सजा है सिवाए इसके कि उनके लिये इस दुन्या की जिंदगी में भी जिल्लत व रुसवाई है और कयामत के दिन भी उनके लिये बड़ा दर्दनाक अजाब है और तुम जो अमल करते हो अल्लाह उससे बेखबर नही है।
أُولٰئِكَ الَّذينَ اشتَرَوُا الحَيوٰةَ الدُّنيا بِالـٔاخِرَةِ فَلا يُخَفَّفُ عَنهُمُ العَذابُ وَلا هُم يُنصَرونَ
(2:86) वह लोग जिन्होंने आखिरत की जिंदगी को बेचकर इस मामूली जिंदगी को खरीद ली है तो इसके बदले में उनके अजाब में न कोई कमी की जायेगी और न ही उनके लिये कोई मदद की जायेगी।
इजराईल के नबी
وَلَقَد ءاتَينا موسَى الكِتٰبَ وَقَفَّينا مِن بَعدِهِ بِالرُّسُلِ وَءاتَينا عيسَى ابنَ مَريَمَ البَيِّنٰتِ وَأَيَّدنٰهُ بِروحِ القُدُسِ أَفَكُلَّما جاءَكُم رَسولٌ بِما لا تَهوىٰ أَنفُسُكُمُ استَكبَرتُم فَفَريقًا كَذَّبتُم وَفَريقًا تَقتُلونَ
(2:87) हमनें मूसा को किताब दी और उसके बाद लगातार रसूल भेजे और हमनें ईसा इबने मरियम को खुली निशानियाँ दीं और पाक रुह के जरिये उनकी मदद की। क्या यह सच नही है कि जब कोई रसूल तुम्हारे पास तुम्हारी ख्वाहिशे नफ़सानी के ख़िलाफ कोई हुक्म लेकर आया तो तुम उससे घमंडी बन गये। उनमें से कुछ को तुमने झूठला दिया और कुछ को तुमने कत्ल कर डाला।
अफसोसनाक बयान : "मेरा मन बना हुआ है!"
وَقالوا قُلوبُنا غُلفٌ بَل لَعَنَهُمُ اللَّهُ بِكُفرِهِم فَقَليلًا ما يُؤمِنونَ
(2:88) उनमें से कुछ कहते है कि हमारा मन तो बन चूका है। नही, सच तो यह है कि कुर्फ करने की वजह से अल्लाह ने उनपर लानत की है और ईमान लाने वाले उनमें थोड़े ही लोग थे।
कुरान सभी आसमानी किताबों का सच्चा होने का प्रमाण करने वाली किताब है।
وَلَمّا جاءَهُم كِتٰبٌ مِن عِندِ اللَّهِ مُصَدِّقٌ لِما مَعَهُم وَكانوا مِن قَبلُ يَستَفتِحونَ عَلَى الَّذينَ كَفَروا فَلَمّا جاءَهُم ما عَرَفوا كَفَروا بِهِ فَلَعنَةُ اللَّهِ عَلَى الكٰفِرينَ
(2:89) और जब उनके पास एक किताब (क़ुरआन) अल्लाह की ओर से आई है जो उनके पास मौजूद है (तौरात) उसका सच्चा होने का प्रमाण करती है – और इससे पहले तो वे काफ़िर लोगों पर विजय पाने की भविष्यवाणी कर रहे थे – फिर जब वह चीज़ उनके पास आ गई जिसे वे पहचान भी गए हैं, तो उसका इनकार कर बैठे; तो अल्लाह की लानत इनकार करने वालों पर!
بِئسَمَا اشتَرَوا بِهِ أَنفُسَهُم أَن يَكفُروا بِما أَنزَلَ اللَّهُ بَغيًا أَن يُنَزِّلَ اللَّهُ مِن فَضلِهِ عَلىٰ مَن يَشاءُ مِن عِبادِهِ فَباءو بِغَضَبٍ عَلىٰ غَضَبٍ وَلِلكٰفِرينَ عَذابٌ مُهينٌ
(2:90) क्या ही बुरी चीज़ है जिसके बदले उन्होंने अपनी जानों का सौदा किया, अर्थात जो कुछ अल्लाह ने उतारा है उसे सरकशी और इस हसद के कारण नहीं मानते कि अल्लाह अपना फ़ज़्ल (और कृपा) अपने बन्दों में से जिसपर चाहता है क्यों उतारता है, अतः वे प्रकोप पर प्रकोप के अधिकारी हो गए है। और ऐसे इनकार करनेवालों के लिए अपमानजनक यातना है।
وَإِذا قيلَ لَهُم ءامِنوا بِما أَنزَلَ اللَّهُ قالوا نُؤمِنُ بِما أُنزِلَ عَلَينا وَيَكفُرونَ بِما وَراءَهُ وَهُوَ الحَقُّ مُصَدِّقًا لِما مَعَهُم قُل فَلِمَ تَقتُلونَ أَنبِياءَ اللَّهِ مِن قَبلُ إِن كُنتُم مُؤمِنينَ
(2:91) और जब उन से कहा जाता है इस (किताब) पर ईमान लाओ जिसे अल्लाह ने (अब) नाजिल फरमाया है (तो) केहते हैं : हम सिर्फ उस (किताब) पर ईमान रखते हैं जो हम पर नाजिल की गई, और वोह इस के अलावा (कोई भी दुसरी किताब) का इन्कार करते हैं, हालांकि वोह (कुर्आान भी) हक है (और) उस (किताब) का भी सच्चा होने का प्रमाण करती है जो उन के पास है, तुम उनसे पूछो कि इससे पहले अल्लाह के पैग़म्बरों की हत्या क्यों करते रहे हो, यदि तुम (वाकई मे अपनी ही किताब पर) ईमान रखते हो?
इजराइल के इतिहास से सीखें
وَلَقَد جاءَكُم موسىٰ بِالبَيِّنٰتِ ثُمَّ اتَّخَذتُمُ العِجلَ مِن بَعدِهِ وَأَنتُم ظٰلِمونَ
(2:92) मूसा तुम्हारे पास खुली निशानियाँ लेकर आये, फिर तुमने उनकी गैरमौजूदगी में बछड़े की इबादत शुरु कर दी तो तुम जालिम हो गए।
وَإِذ أَخَذنا ميثٰقَكُم وَرَفَعنا فَوقَكُمُ الطّورَ خُذوا ما ءاتَينٰكُم بِقُوَّةٍ وَاسمَعوا قالوا سَمِعنا وَعَصَينا وَأُشرِبوا فى قُلوبِهِمُ العِجلَ بِكُفرِهِم قُل بِئسَما يَأمُرُكُم بِهِ إيمٰنُكُم إِن كُنتُم مُؤمِنينَ
(2:93) जब हमने तुम्हारे साथ अहद किया और तूर नामी पहाड़ को तुम्हारे ऊपर बुलंद कर दिया और कहाः हमने जो हुक्म तुमको दिया है उस पर सख्ती से अमल करो और गौर से सुनों तो उन्होंने कहाः हमने सुन लिया लेकिन हमने नाफरमानी की। तो नाफरमानी की वजह से उनके दिल बछड़े की इबादत से भर गए। कह दो अगर वाकई तुम्हारे पास ईमान है तो तुम्हारा ईमान तुमको बुरी बातो का हुक़्म देता है।
قُل إِن كانَت لَكُمُ الدّارُ الـٔاخِرَةُ عِندَ اللَّهِ خالِصَةً مِن دونِ النّاسِ فَتَمَنَّوُا المَوتَ إِن كُنتُم صٰدِقينَ
(2:94) कह दो की अगर अल्लाह के यहाँ आखिरत का घर तमाम इंसानों को छोड़कर सिर्फ तुम्हारे लिये ही होता तो तुम मरने की तमन्ना करते अगर तुम सच्चे होते।
وَلَن يَتَمَنَّوهُ أَبَدًا بِما قَدَّمَت أَيديهِم وَاللَّهُ عَليمٌ بِالظّٰلِمينَ
(2:95) वह कभी भी मौत की तमन्ना नही करेंगें उन (गुनाहों की) वजह से जो उनके हाथों ने कमाये हैं और अल्लाह जालिमों को खूब जानता है।
وَلَتَجِدَنَّهُم أَحرَصَ النّاسِ عَلىٰ حَيوٰةٍ وَمِنَ الَّذينَ أَشرَكوا يَوَدُّ أَحَدُهُم لَو يُعَمَّرُ أَلفَ سَنَةٍ وَما هُوَ بِمُزَحزِحِهِ مِنَ العَذابِ أَن يُعَمَّرَ وَاللَّهُ بَصيرٌ بِما يَعمَلونَ
(2:96) हकीकत में तुम उनको जिंदगी की सबसे ज्यादा चाहत रखने वाला पाओगे बल्कि वह मुशरिकों से भी ज्यादा जिंदगी की ख्वाहिश रखते हैं और उनमें से हर शख्स चाहता है कि वह हजार बरस तक जिंदा रहे। लेकिन इतनी लंबी उम्र भी उनको (खुदा के) अजाब से नही बचा सकती। और अल्लाह देखता है जो कुछ वह करते हैं।
जिब्रईल फ़रिश्ता खुदा के हुक़्म को पहुंचाते है
قُل مَن كانَ عَدُوًّا لِجِبريلَ فَإِنَّهُ نَزَّلَهُ عَلىٰ قَلبِكَ بِإِذنِ اللَّهِ مُصَدِّقًا لِما بَينَ يَدَيهِ وَهُدًى وَبُشرىٰ لِلمُؤمِنينَ
(2:97) कह दीजिएः जो कोई जिब्रईल को दुश्मन समझता है, क्योंकि उसने तो अल्लाह के हुक्म से ही (यह कुरान) तुम्हारे दिल पर उतारा है जो पिछली (असामानी किताबों) को सच साबित करता है और ईमान वालों के लिये (यह किताब) हिदायत व खुशखबरी का जरिया है।
مَن كانَ عَدُوًّا لِلَّهِ وَمَلٰئِكَتِهِ وَرُسُلِهِ وَجِبريلَ وَميكىٰلَ فَإِنَّ اللَّهَ عَدُوٌّ لِلكٰفِرينَ
(2:98) जो कोई अल्लाह और उसके फ़रिश्तों और उसके रसूलों और जिबरील और मीकाईल का दुश्मन हो, तो ऐसे इनकार करनेवालों का अल्लाह दुश्मन है।’
وَلَقَد أَنزَلنا إِلَيكَ ءايٰتٍ بَيِّنٰتٍ وَما يَكفُرُ بِها إِلَّا الفٰسِقونَ
(2:99) हमने तुम पर खुली व साफ निशानियाँ उतारीं और गुनाहगार ही इन (निशानियों) का इंकार करते हैं।
أَوَكُلَّما عٰهَدوا عَهدًا نَبَذَهُ فَريقٌ مِنهُم بَل أَكثَرُهُم لا يُؤمِنونَ
(2:100) क्या ये एक हकीकत नहीं कि जब वो एक वादा करते हैं और अहद करते है उसे पूरा करने का, उनमें से कुछ हर बार उसे नज़र अंदाज़ करते हैं ? बल्कि उनमें से अक्सर लोग ईमान ही नही रखते।
खुदा की किताब को नज़र अंदाज़ करना
وَلَمّا جاءَهُم رَسولٌ مِن عِندِ اللَّهِ مُصَدِّقٌ لِما مَعَهُم نَبَذَ فَريقٌ مِنَ الَّذينَ أوتُوا الكِتٰبَ كِتٰبَ اللَّهِ وَراءَ ظُهورِهِم كَأَنَّهُم لا يَعلَمونَ
(2:101) जब अल्लाह के रसूल उनके पास आये जो उनके पास मौजूद किताब का सच्चा होने का सबूत दे रहे थे, तो उनमें से कुछ (यहूदी, ईसाई, और मुसलमान) ने अल्लाह की किताब को इस तरह पीठ के पीछे डाल दिया जैसे उनके पास कोई (किताब का) इल्म था ही नही।
जादू टोने की निंदा की गयी है
وَاتَّبَعوا ما تَتلُوا الشَّيٰطينُ عَلىٰ مُلكِ سُلَيمٰنَ وَما كَفَرَ سُلَيمٰنُ وَلٰكِنَّ الشَّيٰطينَ كَفَروا يُعَلِّمونَ النّاسَ السِّحرَ وَما أُنزِلَ عَلَى المَلَكَينِ بِبابِلَ هٰروتَ وَمٰروتَ وَما يُعَلِّمانِ مِن أَحَدٍ حَتّىٰ يَقولا إِنَّما نَحنُ فِتنَةٌ فَلا تَكفُر فَيَتَعَلَّمونَ مِنهُما ما يُفَرِّقونَ بِهِ بَينَ المَرءِ وَزَوجِهِ وَما هُم بِضارّينَ بِهِ مِن أَحَدٍ إِلّا بِإِذنِ اللَّهِ وَيَتَعَلَّمونَ ما يَضُرُّهُم وَلا يَنفَعُهُم وَلَقَد عَلِموا لَمَنِ اشتَرىٰهُ ما لَهُ فِى الـٔاخِرَةِ مِن خَلٰقٍ وَلَبِئسَ ما شَرَوا بِهِ أَنفُسَهُم لَو كانوا يَعلَمونَ
(2:102) सुलेमान के दौर में उन्होंने पैरवी की उस इल्म की जो शैतानों ने उन्हें सिखाया। अलबत्ता सुलेमान ईमान रखने वालों में से थे लेकिन शैतानों ने कुफ्र किया और लोगों को जादू सिखाया और उस इल्म की पैरवी की जो शहर बाबेल में हारुत और मारुत नामी दो फरिश्तों के जरिये उतारा गया। वह दोनों फरिश्ते किसी को भी उस वक्त तक कुछ न बताते जब तक वह यह न कह देते कि यह एक आजमाईश है सो तुम इस तरह के इल्म का गलत इस्तेमाल न करो। लेकिन वह लोग फरिश्तों से जादू सीखते फिर उसका इस्तेमाल पति और पत्नी के रिश्तो को तोड़ने वाले शैतानी मन्सूबे करते। हालांकि वह अल्लाह की मर्जी के बिना हरगिज किसी को नुकसान नही पहँचा सकते। और वह ऐसी चीज सीखते हैं जो उन्हें नुकसान ही पहुँचाए और वो नहीं जो उन्हें कोई नफा या लाभ पहुँचाए। वह यह भी खूब जानते थे कि जो भी इन (जादू करने की बुराईयों) का ख़रीदार हुआ उसका आखिरत में कोई हिस्सा नही। बहुत बुरी है वह चीज जिसके बदले उन्होंने अपनी जानों को बेच डाला काश कि वह यह बात जानते।
وَلَو أَنَّهُم ءامَنوا وَاتَّقَوا لَمَثوبَةٌ مِن عِندِ اللَّهِ خَيرٌ لَو كانوا يَعلَمونَ
(2:103) अगर वह ईमान ले आते और नेक अमल करते तो अल्लाह के यहाँ वह इसका बेहतर बदला पाते अगर वह यह बात जानते।
प्रार्थना के शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना
يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا لا تَقولوا رٰعِنا وَقولُوا انظُرنا وَاسمَعوا وَلِلكٰفِرينَ عَذابٌ أَليمٌ
(2:104) ऐ ईमान वालों तुम ‘‘रा‘इना’ * (हमारा चरवाहा बनो) न कहा करो बल्कि ‘उन्जुरना’ (हम पर नजर रखो) कहा करो और सुनते रहो। काफिरों के लिये बड़ा ही दर्दनाक अजाब है।
ईर्ष्या और हसद की निंदा की गयी है
ما يَوَدُّ الَّذينَ كَفَروا مِن أَهلِ الكِتٰبِ وَلَا المُشرِكينَ أَن يُنَزَّلَ عَلَيكُم مِن خَيرٍ مِن رَبِّكُم وَاللَّهُ يَختَصُّ بِرَحمَتِهِ مَن يَشاءُ وَاللَّهُ ذُو الفَضلِ العَظيمِ
(2:105) न वोह लोग जो अहले किताब में से काफिर हो गए और न ही मुशरेकीन यह चाहते हैं कि तुम पर तुम्हारे रब की तरफ से कोई भलाई नाज़िल की जाए मगर अल्लाह जिसे चाहता है अपनी रहमत के लिये चुन लेता है और अल्लाह लामहदूद फज्लो करम का मालिक है।
ما نَنسَخ مِن ءايَةٍ أَو نُنسِها نَأتِ بِخَيرٍ مِنها أَو مِثلِها أَلَم تَعلَم أَنَّ اللَّهَ عَلىٰ كُلِّ شَىءٍ قَديرٌ
(2:106) जब हम किसी चमत्कार या निशानी को मिटा देते हैं या उसे भुला देते हैं, तो हम उससे बेहतर (निशानी) लाते हैं, या कम से कम उसके बराबर। क्या तुम नहीं जानते कि अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है?
أَلَم تَعلَم أَنَّ اللَّهَ لَهُ مُلكُ السَّمٰوٰتِ وَالأَرضِ وَما لَكُم مِن دونِ اللَّهِ مِن وَلِىٍّ وَلا نَصيرٍ
(2:107) क्या तुम नहीं जानते कि आकाशों और धरती पर बादशाही अल्लाह ही की है? और अल्लाह के सिवा न कोई तुम्हारा दोस्त है और न ही कोई मददगार।
أَم تُريدونَ أَن تَسـَٔلوا رَسولَكُم كَما سُئِلَ موسىٰ مِن قَبلُ وَمَن يَتَبَدَّلِ الكُفرَ بِالإيمٰنِ فَقَد ضَلَّ سَواءَ السَّبيلِ
(2:108) क्या तुम चाहते हो कि अपने रसूल से उसी तरह से सवाल करो जैसे पहले मूसा से सवाल किये जा चुके हैं? और जो शख्स ईमान के बदले कुफ्र को चुने वह यकीनन सीधे रास्ते से भटक गया।
وَدَّ كَثيرٌ مِن أَهلِ الكِتٰبِ لَو يَرُدّونَكُم مِن بَعدِ إيمٰنِكُم كُفّارًا حَسَدًا مِن عِندِ أَنفُسِهِم مِن بَعدِ ما تَبَيَّنَ لَهُمُ الحَقُّ فَاعفوا وَاصفَحوا حَتّىٰ يَأتِىَ اللَّهُ بِأَمرِهِ إِنَّ اللَّهَ عَلىٰ كُلِّ شَىءٍ قَديرٌ
(2:109) हसद की वजह से अहले किताब में से बहुतों का दिल चाहता है कि ईमान लाने के बाद तुमको फिर कुफ्र की तरफ लौटा दें जबकि उनके सामने सच्चाई खुल कर आ चुकी है। सो तुम उन्हें माफ कर दो और उस वक्त तक उन्हें तन्हा छोड़ दो जब तक कि अल्लाह उनके बारे में फैसला न कर दे, बेशक अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।
وَأَقيمُوا الصَّلوٰةَ وَءاتُوا الزَّكوٰةَ وَما تُقَدِّموا لِأَنفُسِكُم مِن خَيرٍ تَجِدوهُ عِندَ اللَّهِ إِنَّ اللَّهَ بِما تَعمَلونَ بَصيرٌ
(2:110) और नमाज कायम करो और जकात अदा करते रहो और तुम स्वयं अपने लिए जो भलाई को आगे भेजोगे, उसे अल्लाह के यहाँ मौजूद पाओगे। बेशक जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे देख रहा है।
وَقالوا لَن يَدخُلَ الجَنَّةَ إِلّا مَن كانَ هودًا أَو نَصٰرىٰ تِلكَ أَمانِيُّهُم قُل هاتوا بُرهٰنَكُم إِن كُنتُم صٰدِقينَ
(2:111) और उनका कहना है की सिर्फ इसाई और यहूदी ही जन्नत के हकदार हैं, उन्होंने यह उम्मीदें बाँध रखी हैं तो उनसे कह दो: अगर तुम सच्चे हो तो मुझे इसका सुबूत दे दो।
بَلىٰ مَن أَسلَمَ وَجهَهُ لِلَّهِ وَهُوَ مُحسِنٌ فَلَهُ أَجرُهُ عِندَ رَبِّهِ وَلا خَوفٌ عَلَيهِم وَلا هُم يَحزَنونَ
(2:112) हकीकत में जिसने अपने आपको पूरी तरह अल्लाह के हवाले कर दिया हो और अच्छे अमल भी करता हो तो वह अपने परवरदिगार से उसका बेहतर बदला पाएगा, और उनपर कोई भय नहीं होगा और न वे उदासीन होंगे।
وَقالَتِ اليَهودُ لَيسَتِ النَّصٰرىٰ عَلىٰ شَىءٍ وَقالَتِ النَّصٰرىٰ لَيسَتِ اليَهودُ عَلىٰ شَىءٍ وَهُم يَتلونَ الكِتٰبَ كَذٰلِكَ قالَ الَّذينَ لا يَعلَمونَ مِثلَ قَولِهِم فَاللَّهُ يَحكُمُ بَينَهُم يَومَ القِيٰمَةِ فيما كانوا فيهِ يَختَلِفونَ
(2:113) और यहूदी कहते हैंः इसाईयों की कोई बुनियाद नही है और इसाई कहते हैं कि यहूदियों की कोई बुनियाद नही हैं हालांकि दोनों ही किताब पढ़ते हैं, फिर भी जो लोग इस तरह की बातें करते हैं वोही (लोग) है जो इल्म नहीं रखते और जिस चीज को लेकर वह आपस में झगड़ा करते हैं, कयामत के दिन अल्लाह उनके दरमियान फैसला कर देगा।
وَمَن أَظلَمُ مِمَّن مَنَعَ مَسٰجِدَ اللَّهِ أَن يُذكَرَ فيهَا اسمُهُ وَسَعىٰ فى خَرابِها أُولٰئِكَ ما كانَ لَهُم أَن يَدخُلوها إِلّا خائِفينَ لَهُم فِى الدُّنيا خِزىٌ وَلَهُم فِى الـٔاخِرَةِ عَذابٌ عَظيمٌ
(2:114) और उससे बढ़कर अत्याचारी और कौन होगा जिसने अल्लाह की मस्जिदों में उसके नाम के जिक्र किए जाने को रोक दे और उन्हें उजाडने की कोशिश करे? ऐसे लोगों को तो बस डरते हुए ही उसमें प्रवेश करना चाहिए था। उन के लिए दुनिया में भी जिल्लत व अपमान है और आखिरत में उनके लिये बड़ा अजाब है।
وَلِلَّهِ المَشرِقُ وَالمَغرِبُ فَأَينَما تُوَلّوا فَثَمَّ وَجهُ اللَّهِ إِنَّ اللَّهَ وٰسِعٌ عَليمٌ
(2:115) पूरब से लेकर पश्चिम तक अल्लाह की (बादशाहत) है सो जिस तरफ भी निगाह उठाओगे अल्लाह को पाओगे बेशक अल्लाह हर जगह मौजूद है और हर चीज उसके इल्म में है।
وَقالُوا اتَّخَذَ اللَّهُ وَلَدًا سُبحٰنَهُ بَل لَهُ ما فِى السَّمٰوٰتِ وَالأَرضِ كُلٌّ لَهُ قٰنِتونَ
(2:116) वह कहते है: अल्लाह ने अपने लिये बेटा बना लिया है। जबकि वह इन बातों से बिल्कुल पाक है बल्कि जमीन और आसमान की तमाम चीजों का मालिक है और सभी उसके हुक्म के पाबंद हैं।
بَديعُ السَّمٰوٰتِ وَالأَرضِ وَإِذا قَضىٰ أَمرًا فَإِنَّما يَقولُ لَهُ كُن فَيَكونُ
(2:117) वह जमीन व आसमान का पैदा करने वाला है और जब वह किसी काम का फैसला कर लेता है तो उसके लिए बस कह देता है: हो जा! तो वह हो जाता है।
وَقالَ الَّذينَ لا يَعلَمونَ لَولا يُكَلِّمُنَا اللَّهُ أَو تَأتينا ءايَةٌ كَذٰلِكَ قالَ الَّذينَ مِن قَبلِهِم مِثلَ قَولِهِم تَشٰبَهَت قُلوبُهُم قَد بَيَّنَّا الـٔايٰتِ لِقَومٍ يوقِنونَ
(2:118) जो लोग जिहालत व नासमझी की वजह से कहते हैंः अल्लाह हमसे बात क्यों नही करता या हम पर कोई निशानी क्यों नही उतारता? और जो लोग इनसे पहले गुजर चुके वह भी इसी तरह की बातें किया करते थे सो इन सब के दिल एक जैसे ही हैं। हमने यकीन करने वालों के लिये अपनी निशानियों को साफ लफ्जों में बयान कर दिया है।
إِنّا أَرسَلنٰكَ بِالحَقِّ بَشيرًا وَنَذيرًا وَلا تُسـَٔلُ عَن أَصحٰبِ الجَحيمِ
(2:119) हमने तुम्हे सच्चा दीन देकर भेजा है, ताकि तुम लोगों को खुशखबरी सुनाओ और बुरे अंजाम से डराओ और जहन्नमी लोगों के बारे में तुमसे कोई सवाल न किया जायेगा।
وَلَن تَرضىٰ عَنكَ اليَهودُ وَلَا النَّصٰرىٰ حَتّىٰ تَتَّبِعَ مِلَّتَهُم قُل إِنَّ هُدَى اللَّهِ هُوَ الهُدىٰ وَلَئِنِ اتَّبَعتَ أَهواءَهُم بَعدَ الَّذى جاءَكَ مِنَ العِلمِ ما لَكَ مِنَ اللَّهِ مِن وَلِىٍّ وَلا نَصيرٍ
(2:120) न यहूदी तुमसे कभी राज़ी होनेवाले है और न ईसाई जब तक कि तुम उनके मज़हब पर चलने लग जाओ। कह दो, ‘अल्लाह का मार्गदर्शन ही वास्तविक मार्गदर्शन है।’ और यदि तुमने उस ईल्म के बाद भी जो तुम्हारे पास आ चुका है, तुमने उनकी इच्छाओं का अनुसरण किया, तो अल्लाह से बचानेवाला न तो तुम्हारा कोई दोस्त होगा और न ही कोई मददगार।
الَّذينَ ءاتَينٰهُمُ الكِتٰبَ يَتلونَهُ حَقَّ تِلاوَتِهِ أُولٰئِكَ يُؤمِنونَ بِهِ وَمَن يَكفُر بِهِ فَأُولٰئِكَ هُمُ الخٰسِرونَ
(2:121) वह लोग जिन्हें हमने किताब दी तो वह उस किताब को उसी तरह पढ़ते हैं जैसा कि उसके पढ़ने का हक़ है, सो वही लोग उस पर ईमान लाते हैं और जो लोग उसको मानने से इंकार करते हैं वही लोग सही मायने में नुकसान उठाने वाले हैं।
يٰبَنى إِسرٰءيلَ اذكُروا نِعمَتِىَ الَّتى أَنعَمتُ عَلَيكُم وَأَنّى فَضَّلتُكُم عَلَى العٰلَمينَ
(2:122) ऐ इसराइल की औलाद! मेरी उन नेअमतों को याद करो जो मैंने तुम पर उतारी और दुनिया के सभी लोगों पर तुमको फ़ज़ीलत दीं।
وَاتَّقوا يَومًا لا تَجزى نَفسٌ عَن نَفسٍ شَيـًٔا وَلا يُقبَلُ مِنها عَدلٌ وَلا تَنفَعُها شَفٰعَةٌ وَلا هُم يُنصَرونَ
(2:123) और उस दिन से डरो जिस दिन कोई शख्स किसी दूसरे शख्स के कुछ काम न आयेगा और न उसकी तरफ से कोई बदला कुबूल किया जायेगा और न किसी की सिफारिश उसको फायदा पहुँचा सकेगी ओर न ही कोई उसकी मदद कर सकेगा।
وَإِذِ ابتَلىٰ إِبرٰهـۧمَ رَبُّهُ بِكَلِمٰتٍ فَأَتَمَّهُنَّ قالَ إِنّى جاعِلُكَ لِلنّاسِ إِمامًا قالَ وَمِن ذُرِّيَّتى قالَ لا يَنالُ عَهدِى الظّٰلِمينَ
(2:124) याद करो जब इब्राहीम को उनके रब ने कुछ बातों में इम्तिहान लिया तो वह उनमें सही साबित हुए। उनसे कहाः मै तुम्हें लोंगो का इमाम बनाने वाला हूँ इस पर (इब्राहीम ने) पूछाः क्या मेरी नस्ल में से भी? उसने फरमायाः मेरा वादा जालिमो को शामिल नही करता।
وَإِذ جَعَلنَا البَيتَ مَثابَةً لِلنّاسِ وَأَمنًا وَاتَّخِذوا مِن مَقامِ إِبرٰهـۧمَ مُصَلًّى وَعَهِدنا إِلىٰ إِبرٰهـۧمَ وَإِسمٰعيلَ أَن طَهِّرا بَيتِىَ لِلطّائِفينَ وَالعٰكِفينَ وَالرُّكَّعِ السُّجودِ
(2:125) और याद करो जब हमने इस मुक़द्दस घर (काबा) को लोगों के लिए बार-बार आने का केंद्र तथा शांति स्थल निर्धारित कर दिया और ये आदेश दे दिया कि ‘मक़ामे इब्राहीम’ को नमाज़ का स्थान बना लो तथा इब्राहीम और इस्माईल को आदेश दिया कि तुम मेरे इस घर को तवाफ़ (यानि उसकी परिक्रमा) करनेवालों और एतिकाफ़ (यानि वहा बैठकर खुदा का जिक्र) करनेवालों के लिए और रुकू और सजदा करनेवालों के लिए पाक-साफ़ रखो।
وَإِذ قالَ إِبرٰهـۧمُ رَبِّ اجعَل هٰذا بَلَدًا ءامِنًا وَارزُق أَهلَهُ مِنَ الثَّمَرٰتِ مَن ءامَنَ مِنهُم بِاللَّهِ وَاليَومِ الـٔاخِرِ قالَ وَمَن كَفَرَ فَأُمَتِّعُهُ قَليلًا ثُمَّ أَضطَرُّهُ إِلىٰ عَذابِ النّارِ وَبِئسَ المَصيرُ
(2:126) और याद करो जब इबराहीम ने कहा, ‘ऐ मेरे रब! इस शहर को अमन व सुकून वाला बना दे, और इसके उन निवासियों को फलों की रोज़ी दे जो उनमें से अल्लाह और अन्तिम दिन (आख़िरत) पर ईमान लाएँ। (खुदा ने) फरमायाः ‘और मैं काफिरों को भी छोटी सी मुद्दत के लिये फ़ायदा पहुँचाने वाला हूँ, फिर उसे घसीटकर आग की यातना की ओर पहुँचा दूँगा और वह बहुत-ही बुरा ठिकाना है!’
وَإِذ يَرفَعُ إِبرٰهـۧمُ القَواعِدَ مِنَ البَيتِ وَإِسمٰعيلُ رَبَّنا تَقَبَّل مِنّا إِنَّكَ أَنتَ السَّميعُ العَليمُ
(2:127) और याद करो जब इब्राहीम (अपने बेटे) इस्माईल के साथ खाना-ऐ-काबा की बुनियाद उठा रहे थे (तो दोनों दुआ कर रहे थे) कि ऐ हमारे रब ! तू हम से (येह खिदमत) कुबूल फूरमा ले, बेशक तू ही सुनने वाला और हर चीज का जानने वाला है।
رَبَّنا وَاجعَلنا مُسلِمَينِ لَكَ وَمِن ذُرِّيَّتِنا أُمَّةً مُسلِمَةً لَكَ وَأَرِنا مَناسِكَنا وَتُب عَلَينا إِنَّكَ أَنتَ التَّوّابُ الرَّحيمُ
(2:128) ऐ हमारे रब! हम को तेरे हुक्म के सामने झुकने वाला बना और हमारी औलाद से भी एक उम्मत को खास अपना फरमाबरदार बना; और हमें हमारे इबादत के तरीक़े बता और हमें माफ फरमा दे। बेशक तू ही तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है।
رَبَّنا وَابعَث فيهِم رَسولًا مِنهُم يَتلوا عَلَيهِم ءايٰتِكَ وَيُعَلِّمُهُمُ الكِتٰبَ وَالحِكمَةَ وَيُزَكّيهِم إِنَّكَ أَنتَ العَزيزُ الحَكيمُ
(2:129) ऐ हमारे रब! उनमें उन्हीं में से एक ऐसा रसूल उठा जो उन्हें तेरी आयतें पढ़ कर सुनाये और उन्हें किताब व अक्लमंदी की बातें सिखाए और उन (की आत्मा) को पाक साफ कर दे, बेशक तू ही प्रभुत्वशाली हिक्मतवाला है।
وَمَن يَرغَبُ عَن مِلَّةِ إِبرٰهـۧمَ إِلّا مَن سَفِهَ نَفسَهُ وَلَقَدِ اصطَفَينٰهُ فِى الدُّنيا وَإِنَّهُ فِى الـٔاخِرَةِ لَمِنَ الصّٰلِحينَ
(2:130) कौन है जो इबराहीम के पंथ से मुँह मोड़े सिवाय उसके जिसने अपनी जान को बेवकूफ बनाने के सिवा कुछ न किया। और उसे तो हमने दुनिया में अपने लिये चुन लिया था और आखिरत में भी उसका शुमार नेक लोगों में होगा।
إِذ قالَ لَهُ رَبُّهُ أَسلِم قالَ أَسلَمتُ لِرَبِّ العٰلَمينَ
(2:131) जब उनके रब ने उनसे कहाः ईमान ले आओ (अपने रब पर) तो उन्होंने कहाः मैंने सारे जहाँ के रब के सामने अपने आपको झुका दिया।
وَوَصّىٰ بِها إِبرٰهـۧمُ بَنيهِ وَيَعقوبُ يٰبَنِىَّ إِنَّ اللَّهَ اصطَفىٰ لَكُمُ الدّينَ فَلا تَموتُنَّ إِلّا وَأَنتُم مُسلِمونَ
(2:132) इब्राहीम और याकूब ने अपनी औलाद से इसी तरीके पर चलने की ताकीद करते हुए कहाः ऐ मेरे सन्तानों अल्लाह ने तुम्हारे लिये यही मजहब पसन्द किया है लिहाजा तुम्हें मौत भी आये तो इस हालत में आये कि तुम मुस्लिम हो।
أَم كُنتُم شُهَداءَ إِذ حَضَرَ يَعقوبَ المَوتُ إِذ قالَ لِبَنيهِ ما تَعبُدونَ مِن بَعدى قالوا نَعبُدُ إِلٰهَكَ وَإِلٰهَ ءابائِكَ إِبرٰهـۧمَ وَإِسمٰعيلَ وَإِسحٰقَ إِلٰهًا وٰحِدًا وَنَحنُ لَهُ مُسلِمونَ
(2:133) क्या तुम उस वक्त मौजूद थे जब याकूब की मौत का वक्त करीब आया, उस वक्त उन्होंने अपनी औलाद से पूछाः मेरे बाद तुम किसकी इबादत करोगे? इस पर उन्होंने जवाब दियाः हम आपके बाद आपके और आपके बाप – दादा इब्राहीम, इस्माईल व इस्हाक के एक खुदा की ही इबादत करेंगे और उसी के फरमाबरदार रहेंगे।
تِلكَ أُمَّةٌ قَد خَلَت لَها ما كَسَبَت وَلَكُم ما كَسَبتُم وَلا تُسـَٔلونَ عَمّا كانوا يَعمَلونَ
(7:134) और जब उन पर अज़ाब आया तो कहने लगेः ‘ऐ मूसा, हमारे लिए अपने रब से प्रार्थना करो, उस प्रतिज्ञा के आधार पर जो उसने तुमसे कर रखी है। की तुमने यदि हम पर से यह अज़ाब को हटा दिया, तो हम अवश्य ही तुम पर ईमान ले आएँगे और इसराईल की सन्तान को तुम्हारे साथ जाने देंगे।’
इस्लामः हजरत इब्राहीम का दीन *
وَقالوا كونوا هودًا أَو نَصٰرىٰ تَهتَدوا قُل بَل مِلَّةَ إِبرٰهـۧمَ حَنيفًا وَما كانَ مِنَ المُشرِكينَ
(2:135) और वे कहते हैं कि यहूदी हो जाओ या ईसाई बन जाओ तो तुम्हें मार्गदर्शन मिल जायेगा। तुम उनसे कह दो, नहीं! हम तो एकेश्वरवादी इब्राहीम के धर्म की ही पैरवी करेंगे और यकीनन वह बुतों की पुजा करने वालों में से न थे।
खुदा के रसूलों में कोई फर्क नही
قولوا ءامَنّا بِاللَّهِ وَما أُنزِلَ إِلَينا وَما أُنزِلَ إِلىٰ إِبرٰهـۧمَ وَإِسمٰعيلَ وَإِسحٰقَ وَيَعقوبَ وَالأَسباطِ وَما أوتِىَ موسىٰ وَعيسىٰ وَما أوتِىَ النَّبِيّونَ مِن رَبِّهِم لا نُفَرِّقُ بَينَ أَحَدٍ مِنهُم وَنَحنُ لَهُ مُسلِمونَ
(2:136) ‘‘तुम उनसे कह दोः हम लाये ईमान अल्लाह पर, और ईमान रखते हैं उस पर जो (कलाम) हम पर उतारा गया, और उस पर भी जो उतारा गया इब्राहीम व इस्माईल व इस्हाक व याकूब और उसकी औलाद पर और उस पर भी जो दिया गया मूसा व ईसा को और उस पर भी जो दूसरे पैगम्बरों को उनके रब की तरफ से अता किया गया। हम इन (पैगम्बरों) के दरमियान कोई फर्क नही करते। हम सिर्फ उस (खुदा) के लिए ही आज्ञाकारी है।
فَإِن ءامَنوا بِمِثلِ ما ءامَنتُم بِهِ فَقَدِ اهتَدَوا وَإِن تَوَلَّوا فَإِنَّما هُم فى شِقاقٍ فَسَيَكفيكَهُمُ اللَّهُ وَهُوَ السَّميعُ العَليمُ
(2:137) अगर वह लोग ईमान ले आयें जिस तरह तुम ईमान ले आये हो तो वह भी हिदायत का सीधा मार्ग पा जायेंगे लेकिन वह इन्कार करें तो यकीनन वह अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। सो उनके विरोध में अल्लाह तुम्हारे लिए काफी है। और वोह खूब सुननेवाला जाननेवाला है।
فَإِن ءامَنوا بِمِثلِ ما ءامَنتُم بِهِ فَقَدِ اهتَدَوا وَإِن تَوَلَّوا فَإِنَّما هُم فى شِقاقٍ فَسَيَكفيكَهُمُ اللَّهُ وَهُوَ السَّميعُ العَليمُ
(2:138) यह अल्लाह का निजाम है और अल्लाह के निजाम के मुकाबले में किसका निजाम बेहतर हो सकता है? हम सिर्फ उसी की इबादत करते हैं।
قُل أَتُحاجّونَنا فِى اللَّهِ وَهُوَ رَبُّنا وَرَبُّكُم وَلَنا أَعمٰلُنا وَلَكُم أَعمٰلُكُم وَنَحنُ لَهُ مُخلِصونَ
(2:139) कह दोः क्या तुम अल्लाह के बारे में हम से झगड़ रहे हो, हालांकि वह हमारा भी रब है और तुम्हारा भी। हम अपने कर्म के लिये जिम्मेदार हैं और तुम अपने कर्म के लिये जिम्मेदार हो। और हम पूर्ण रूप से सिर्फ उसी के लिये है।
أَم تَقولونَ إِنَّ إِبرٰهـۧمَ وَإِسمٰعيلَ وَإِسحٰقَ وَيَعقوبَ وَالأَسباطَ كانوا هودًا أَو نَصٰرىٰ قُل ءَأَنتُم أَعلَمُ أَمِ اللَّهُ وَمَن أَظلَمُ مِمَّن كَتَمَ شَهٰدَةً عِندَهُ مِنَ اللَّهِ وَمَا اللَّهُ بِغٰفِلٍ عَمّا تَعمَلونَ
(2:140) क्या तुम कहते हो कि इब्राहीम व इस्माईल व इस्हाक व याकूब और उनकी औलाद यहूदी या इसाई थे? उनसे कह दो: क्या तुम अल्लाह से ज्यादा जानते हो? और उस से बढ़ कर जालिम कौन होगा जो उस गवाही को छुपा ले जो उसके अल्लाह की तरफ से साबित हो चुकी हो? और अल्लाह उनके हर उस कर्म से बाखबर है जो वह किया करते हैं।
تِلكَ أُمَّةٌ قَد خَلَت لَها ما كَسَبَت وَلَكُم ما كَسَبتُم وَلا تُسـَٔلونَ عَمّا كانوا يَعمَلونَ
(2:141) वह एक समुदाय था जो गुजर चुका, जो कुछ उसने कमाया वह उसके लिये जिम्मेदार हैं और जो कुछ तुमने कमाया उसके लिये तुम जिम्मेदार हो, उनके कर्म के बारे में तुम से कोई भी सवाल-जवाब नहीं होगा।
कट्टरता और पूर्वाग्रह को ख़तम करना *
سَيَقولُ السُّفَهاءُ مِنَ النّاسِ ما وَلّىٰهُم عَن قِبلَتِهِمُ الَّتى كانوا عَلَيها قُل لِلَّهِ المَشرِقُ وَالمَغرِبُ يَهدى مَن يَشاءُ إِلىٰ صِرٰطٍ مُستَقيمٍ
(2:142) अब उनमें से कुछ बेवकूफ लोग कहेंगेः उन्होंने अपने पिछले किबले का रुख क्यूँ बदल दिया, उनसे कह दो: पूरब से लेकर पश्चिम तक अल्लाह ही के लिये (बादशाही) है, वह जिसको चाहता है सीधे रास्ते पर चला देता है।
وَكَذٰلِكَ جَعَلنٰكُم أُمَّةً وَسَطًا لِتَكونوا شُهَداءَ عَلَى النّاسِ وَيَكونَ الرَّسولُ عَلَيكُم شَهيدًا وَما جَعَلنَا القِبلَةَ الَّتى كُنتَ عَلَيها إِلّا لِنَعلَمَ مَن يَتَّبِعُ الرَّسولَ مِمَّن يَنقَلِبُ عَلىٰ عَقِبَيهِ وَإِن كانَت لَكَبيرَةً إِلّا عَلَى الَّذينَ هَدَى اللَّهُ وَما كانَ اللَّهُ لِيُضيعَ إيمٰنَكُم إِنَّ اللَّهَ بِالنّاسِ لَرَءوفٌ رَحيمٌ
(2:143) इसी तरह हमनें तुमको एक पक्षपात रहित (तटस्थ) समुदाय बनाया ताकि तुम लोगों पर गवाह रहो और रसूल तुम पर गवाह रहें। हमनें तुम्हारे पिछले किबले का रुख सिर्फ इस वजह से बदला ताकि हम यह बात जान सकें कि कौन सचमुच अपने रसूल के बताये रास्ते पर चलता है और कौन उल्टे पाँव लौट जाता है। यह एक कठिन परीक्षा थी लेकिन उन लोंगो के लिये नही जिन्हें अल्लाह ने हिदायत अता की थी। अल्लाह हरगिज तुम्हारे ईमान व् इबादत को बरबाद नही करेगा। बेशक अल्लाह लोगों पर बड़ा मेहरबान और रहमदिल है।
मक्के की तरफ किबले का रुख करने का आदेश
قَد نَرىٰ تَقَلُّبَ وَجهِكَ فِى السَّماءِ فَلَنُوَلِّيَنَّكَ قِبلَةً تَرضىٰها فَوَلِّ وَجهَكَ شَطرَ المَسجِدِ الحَرامِ وَحَيثُ ما كُنتُم فَوَلّوا وُجوهَكُم شَطرَهُ وَإِنَّ الَّذينَ أوتُوا الكِتٰبَ لَيَعلَمونَ أَنَّهُ الحَقُّ مِن رَبِّهِم وَمَا اللَّهُ بِغٰفِلٍ عَمّا يَعمَلونَ
(2:144) हम तुम्हारे चेहरे का (सही रुख तलाश करने के लिये) बार-बार आसमान की ओर उठना देख रहे हैं। अतः हम तुमको उसी किब्ले की ओर फेर देंगे जिसको तुम पसन्द करते हो, अब अपना चेहरा मस्जिद-ए हराम (काबा) की ओर फेर दो। और तुम जहाँ कहीं भी हो अपने चेहरों को उसी की ओर करो। और जिन लोगों को किताब दी गई, वह भली-भाँति जानते हैं कि यह उनके रब की ओर से सत्य है। और अल्लाह उनके किसी भी कर्म से कभी अनजान नहीं रहता।
وَلَئِن أَتَيتَ الَّذينَ أوتُوا الكِتٰبَ بِكُلِّ ءايَةٍ ما تَبِعوا قِبلَتَكَ وَما أَنتَ بِتابِعٍ قِبلَتَهُم وَما بَعضُهُم بِتابِعٍ قِبلَةَ بَعضٍ وَلَئِنِ اتَّبَعتَ أَهواءَهُم مِن بَعدِ ما جاءَكَ مِنَ العِلمِ إِنَّكَ إِذًا لَمِنَ الظّٰلِمينَ
(2:145) यदि तुम उन लोगों के पास, जिन्हें किताब दी गई थी, कोई भी चमत्कार ले आओ, फिर भी वे तुम्हारे क़िबले का अनुसरण नहीं करेंगे और तुम भी उसके क़िबले का अनुसरण करने वाले नहीं हो। और वे स्वयं एक-दूसरे के क़िबले का अनुसरण करनेवाले नहीं हैं। और यदि तुमने उस ज्ञान के पश्चात, जो तुम्हारे पास आ चुका है, उनकी इच्छाओं का अनुसरण किया, तो निश्चय ही तुम्हारी गिनती भी ज़ालिमों में होगी।
आसमानी किताब का गलत इस्तेमालः सच्चाई को छिपाना
الَّذينَ ءاتَينٰهُمُ الكِتٰبَ يَعرِفونَهُ كَما يَعرِفونَ أَبناءَهُم وَإِنَّ فَريقًا مِنهُم لَيَكتُمونَ الحَقَّ وَهُم يَعلَمونَ
(2:146) वह लोग जिनको हमने किताब दी है वह उसको बिल्कुल उसी तरह पहचानते हैं जिस तरह वह अपनें बेटों को पहचान लेते हैं फिर भी उनमें कुछ लोग ऐसे हैं जो सत्य को छुपाते हैं हालांकि वह उसको जानतें हैं।
الحَقُّ مِن رَبِّكَ فَلا تَكونَنَّ مِنَ المُمتَرينَ
(2:147) सत्य वही है जो तुम्हारे रब की तरफ से आया है लिहाजा तुम शक करने वालों में से हरगिज न होना।
وَلِكُلٍّ وِجهَةٌ هُوَ مُوَلّيها فَاستَبِقُوا الخَيرٰتِ أَينَ ما تَكونوا يَأتِ بِكُمُ اللَّهُ جَميعًا إِنَّ اللَّهَ عَلىٰ كُلِّ شَىءٍ قَديرٌ
(2:148) तुम में से हर एक के लिये एक दिशा मुकर्रर है जिसकी तरफ वह अपना चेहरा करता है सो तुम भलाई के मामले मे मुकाबला करो। तुम जहाँ कहीं भी होगे अल्लाह तुम्हें जमा कर लेगा। बेशक अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।
मक्के की तरफ किबले का रुख करने का आदेश
وَمِن حَيثُ خَرَجتَ فَوَلِّ وَجهَكَ شَطرَ المَسجِدِ الحَرامِ وَإِنَّهُ لَلحَقُّ مِن رَبِّكَ وَمَا اللَّهُ بِغٰفِلٍ عَمّا تَعمَلونَ
(2:149) और जहाँ से भी तुम निकलों, (प्राथना के वक्त) अपना मुँह ‘मस्जिदे हराम’ (काबा) की ओर फेर लिया करो। बेशक़ यही तुम्हारे रब की ओर से सत्य है। जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उससे बेख़बर नहीं है।
وَمِن حَيثُ خَرَجتَ فَوَلِّ وَجهَكَ شَطرَ المَسجِدِ الحَرامِ وَحَيثُ ما كُنتُم فَوَلّوا وُجوهَكُم شَطرَهُ لِئَلّا يَكونَ لِلنّاسِ عَلَيكُم حُجَّةٌ إِلَّا الَّذينَ ظَلَموا مِنهُم فَلا تَخشَوهُم وَاخشَونى وَلِأُتِمَّ نِعمَتى عَلَيكُم وَلَعَلَّكُم تَهتَدونَ
(2:150) तुम जहाँ से भी निकलो (प्राथना के वक्त) अपने चेहरे को मस्जिद-ए-हराम की तरफ कर लो और जहाँ कहीं भी तुम हो उसी की ओर मुँह कर लिया करो ताकि लोगों को तुमसे झगड़ने का मौका न मिले, मगर जिन्होंने जुल्म किया तुम उनसे खौफ मत करो और सिर्फ मुझसे ही डरो मैं तुम पर अपनी नेअमत पूरी कर दूगाँ ताकि तुम हिदायत की राह पा जाओ।
كَما أَرسَلنا فيكُم رَسولًا مِنكُم يَتلوا عَلَيكُم ءايٰتِنا وَيُزَكّيكُم وَيُعَلِّمُكُمُ الكِتٰبَ وَالحِكمَةَ وَيُعَلِّمُكُم ما لَم تَكونوا تَعلَمونَ
(2:151) जैसा कि हमने तुम्हारे पास तुम्ही में से एक रसूल भेजा जो तुम्हारे सामने हमारी आयतें पढ़ कर सुनाता है, तुमको पाक करता है और तुमको ईल्म व हिकमत की तालीम देता है और तुमको वह चीज सिखाता है जो तुम नही जानते थे।
فَاذكُرونى أَذكُركُم وَاشكُروا لى وَلا تَكفُرونِ
(2:152) अगर तुम मुझे याद करोगे तो मैं तुम्हें याद करुँगा बस तुम मेरा शुक्र अदा करो और नाशुक्री मत करो।
يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنُوا استَعينوا بِالصَّبرِ وَالصَّلوٰةِ إِنَّ اللَّهَ مَعَ الصّٰبِرينَ
(2:153) ऐ ईमान लानेवालो! धैर्य और प्राथना के जरिये मदद तलब करो बेशक अल्लाह धैर्य रखने वालों के साथ है।
وَلا تَقولوا لِمَن يُقتَلُ فى سَبيلِ اللَّهِ أَموٰتٌ بَل أَحياءٌ وَلٰكِن لا تَشعُرونَ
(2:154) और जो लोग अल्लाह की राह में कत्ल कर दिये गए उन्हें मुर्दा मत कहो बल्कि वह जिंदा हैं मगर तुम्हें इस बात का एहसास नहीं होता।
وَلَنَبلُوَنَّكُم بِشَىءٍ مِنَ الخَوفِ وَالجوعِ وَنَقصٍ مِنَ الأَموٰلِ وَالأَنفُسِ وَالثَّمَرٰتِ وَبَشِّرِ الصّٰبِرينَ
(2:155) और हम अवश्य ही कुछ भय से, और कुछ भूख से, और कुछ जान-माल और पैदावार की कमी से तुम्हारी परीक्षा लेंगे। और धैर्य से काम लेनेवालों को खुशखबरी दे दो।
الَّذينَ إِذا أَصٰبَتهُم مُصيبَةٌ قالوا إِنّا لِلَّهِ وَإِنّا إِلَيهِ رٰجِعونَ
(2:156) जब उन्हें कोई मुसीबत या परेशानी पहुँचती है तो वह कहते हैं बेशक हम अल्लाह ही के लिये हैं और हमें उसी की तरफ लौट कर जाना है।
أُولٰئِكَ عَلَيهِم صَلَوٰتٌ مِن رَبِّهِم وَرَحمَةٌ وَأُولٰئِكَ هُمُ المُهتَدونَ
(2:157) यही लोग है जिन पर उनके रब की नेअमतें है और दयालुता भी; और यही लोग कामयाबी की मंजिल को पहुँचने वाले हैं।
हज की तीर्थयात्रा
إِنَّ الصَّفا وَالمَروَةَ مِن شَعائِرِ اللَّهِ فَمَن حَجَّ البَيتَ أَوِ اعتَمَرَ فَلا جُناحَ عَلَيهِ أَن يَطَّوَّفَ بِهِما وَمَن تَطَوَّعَ خَيرًا فَإِنَّ اللَّهَ شاكِرٌ عَليمٌ
(2:158) बेशक सफा व मरवा की पहाड़ियाँ अल्लाह की तरफ से मुकर्रर रस्मों में से हैं सो जिसने हज या उमरा किया, उस पर उन दोनों पहाड़ी के दरमियान परिक्रमा करने पर कोई गुनाह नही। और अगर कोई अपनी खुशी से ज्यादा नेकी करे तो बेशक अल्लाह कद्र करने वाला और सब कुछ जानने वाला है।
हज की तीर्थयात्रा
إِنَّ الَّذينَ يَكتُمونَ ما أَنزَلنا مِنَ البَيِّنٰتِ وَالهُدىٰ مِن بَعدِ ما بَيَّنّٰهُ لِلنّاسِ فِى الكِتٰبِ أُولٰئِكَ يَلعَنُهُمُ اللَّهُ وَيَلعَنُهُمُ اللّٰعِنونَ
(2:159) जो लोग हमारी उतारी हुई खुली निशानियों और मार्गदर्शन को छिपाते है, इसके बाद कि हम उन्हें लोगों के लिए किताब में स्पष्ट कर चुके है; तो यही वो लोग है जिन्हें अल्लाह धिक्कारता है – और सभी धिक्कारने वाले भी उन्हें धिक्कारते है।
إِلَّا الَّذينَ تابوا وَأَصلَحوا وَبَيَّنوا فَأُولٰئِكَ أَتوبُ عَلَيهِم وَأَنَا التَّوّابُ الرَّحيمُ
(2:160) सिवाय उनके जिन्होंने तौबा कर ली और सुधार कर लिया, और साफ़-साफ़ बयान कर दिया, तो उनकी तौबा मैं क़बूल करूँगा; मैं बड़ा तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान हूँ।
إِنَّ الَّذينَ كَفَروا وَماتوا وَهُم كُفّارٌ أُولٰئِكَ عَلَيهِم لَعنَةُ اللَّهِ وَالمَلٰئِكَةِ وَالنّاسِ أَجمَعينَ
(2:161) जिन्होंने कुफ्र किया और कुफ्र की हालत में ही मर गए तो ऐसे लोगों पर (क़यामत के दिन) अल्लाह की, फरिश्तों की और तमाम लोगों की लानत हो।
خٰلِدينَ فيها لا يُخَفَّفُ عَنهُمُ العَذابُ وَلا هُم يُنظَرونَ
(2:162) ऐसे लोग हमेशा के लिये दोजख में रहेगें, न ही उनके अजाब में कुछ कमी की जायेगी और न ही उनको मोहलत या ढील दी जायेगी।
وَإِلٰهُكُم إِلٰهٌ وٰحِدٌ لا إِلٰهَ إِلّا هُوَ الرَّحمٰنُ الرَّحيمُ
(2:163) तुम्हारा सिर्फ एक ही खुदा है। उसके सिवा कोई खुदा नही, वह बड़ा मेहरबान और निहायत रहमदिल है।
खुदा की ज़बरदस्त निशानियाँ
إِنَّ فى خَلقِ السَّمٰوٰتِ وَالأَرضِ وَاختِلٰفِ الَّيلِ وَالنَّهارِ وَالفُلكِ الَّتى تَجرى فِى البَحرِ بِما يَنفَعُ النّاسَ وَما أَنزَلَ اللَّهُ مِنَ السَّماءِ مِن ماءٍ فَأَحيا بِهِ الأَرضَ بَعدَ مَوتِها وَبَثَّ فيها مِن كُلِّ دابَّةٍ وَتَصريفِ الرِّيٰحِ وَالسَّحابِ المُسَخَّرِ بَينَ السَّماءِ وَالأَرضِ لَـٔايٰتٍ لِقَومٍ يَعقِلونَ
(2:164) जमीन व आसमान को पैदा करने में, रात व दिन के बदलने में और उन कश्तियों में जो लोगों के फायदे का सामान लेकर समुंदर में चलती हैं और उस पानी में जो अल्लाह ने खुश्क जमीन में जान डालने के लिये असामान से बरसाया फिर उसमें हर किस्म के जानवर फैला दिये, जमीन व आसमान के दरमियान बादलों के चलने और हवाओं का रुख बदलने में समझने व गौर करने वालों के लिये बेशुमार निशानियाँ हैं।
मूर्तियाँ अपने मूर्तिपूजकों को और संत, महात्मा, इमाम, देवी, देवता अपने अनुयायी को त्याग देते हैं *
وَمِنَ النّاسِ مَن يَتَّخِذُ مِن دونِ اللَّهِ أَندادًا يُحِبّونَهُم كَحُبِّ اللَّهِ وَالَّذينَ ءامَنوا أَشَدُّ حُبًّا لِلَّهِ وَلَو يَرَى الَّذينَ ظَلَموا إِذ يَرَونَ العَذابَ أَنَّ القُوَّةَ لِلَّهِ جَميعًا وَأَنَّ اللَّهَ شَديدُ العَذابِ
(2:165) कुछ लोग अल्लाह को छोड़ कर दुसरो को उसका साझीदार बना लेते हैं और उनसे ऐसी मुहब्बत करते है जैसी अल्लाह से मुहब्बत करनी चाहिए। जबकि दिलों में ईमान रखने वाले सबसे ज्यादा मुहब्बत अपने अल्लाह से करते हैं। काश कि जालिम लोग उस अज़ाब को देख लेते और यकीनन वह अजाब को देखेंगे, उस वक्त उन्हें पता चल जायेगा कि सारी ताकत सिर्फ अल्लाह ही की है और अल्लाह अत्यन्त कठोर यातना देनेवाला है।
إِذ تَبَرَّأَ الَّذينَ اتُّبِعوا مِنَ الَّذينَ اتَّبَعوا وَرَأَوُا العَذابَ وَتَقَطَّعَت بِهِمُ الأَسبابُ
(2:166) जब यातना उनके सामने होगी तो वह लोग जिनके कहने पर वह चलते थे, उन लोगों से अलग हो जायेंगे और उनके प्रत्येक दिशा के सम्बन्ध और सम्पर्क टूट जाएँगे।
وَقالَ الَّذينَ اتَّبَعوا لَو أَنَّ لَنا كَرَّةً فَنَتَبَرَّأَ مِنهُم كَما تَبَرَّءوا مِنّا كَذٰلِكَ يُريهِمُ اللَّهُ أَعمٰلَهُم حَسَرٰتٍ عَلَيهِم وَما هُم بِخٰرِجينَ مِنَ النّارِ
(2:167) पैरवी करने वाले लोग जो उनके पीछे चले थे उस वक्त कहेंगें काश कि हमें एक और मौका मिल जाता (फिर से संसार में लौटने का) तो हम उन्हें छोड़ देते जिस तरह से आज उन्होंने हमें छोड़ दिया है। इसी तरह अल्लाह उनके कर्मो को दिखायेगा जो उनके लिये पश्चाताप व शर्मिंदगी की वजह बनेगें और वह किसी भी हालत में उस आग के अजाब से निकल न सकेगें।
शैतान हलाल चीजों को हराम कर देता है
يٰأَيُّهَا النّاسُ كُلوا مِمّا فِى الأَرضِ حَلٰلًا طَيِّبًا وَلا تَتَّبِعوا خُطُوٰتِ الشَّيطٰنِ إِنَّهُ لَكُم عَدُوٌّ مُبينٌ
(2:168) ऐ लोगों जमीन से निकलने वाली सिर्फ हलाल व पाकीजा चीजें ही खाया करो और शैतान के रास्तों पर न चलो, बेशक वह तुम्हारा खुला दुश्मन है।
(2:169) वह तुमको सिर्फ बेहयाई और बुरे कामों का हुक्म देता है और इस बात का कि तुम अल्लाह के बारे में वह बातें करो, जिनके सम्बन्ध में तुमको कोई ज्ञान नहीं।
मौजूदा हालत को बरक़रार रखना: एक मानवीय दुःखद घटना है
وَإِذا قيلَ لَهُمُ اتَّبِعوا ما أَنزَلَ اللَّهُ قالوا بَل نَتَّبِعُ ما أَلفَينا عَلَيهِ ءاباءَنا أَوَلَو كانَ ءاباؤُهُم لا يَعقِلونَ شَيـًٔا وَلا يَهتَدونَ
(2:170) और जब उनसे कहा जाता है, ‘अल्लाह ने जो कुछ उतारा है उसका अनुसरण करो।’ तो कहते है, ‘नहीं बल्कि हम तो उसका अनुसरण करेंगे जिस पर हमने अपने बाप-दादा को पाया है।’ क्या उस दशा में भी जबकि उनके बाप-दादा कुछ भी बुद्धि से काम न लेते हों और न ही सीधे मार्ग पर चलते हों?
وَمَثَلُ الَّذينَ كَفَروا كَمَثَلِ الَّذى يَنعِقُ بِما لا يَسمَعُ إِلّا دُعاءً وَنِداءً صُمٌّ بُكمٌ عُمىٌ فَهُم لا يَعقِلونَ
(2:171) काफिरों की हालत उन (तोतों) की तरह है जो सुनी हुई आवाज और बातचीत को बिना समझे दोहराते रहते हैं। सो वह बहरे, गूँगे और अंधे हैं जो कुछ नही समझते।
सिर्फ चार तरह का गोश्त खाना मना है *
يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا كُلوا مِن طَيِّبٰتِ ما رَزَقنٰكُم وَاشكُروا لِلَّهِ إِن كُنتُم إِيّاهُ تَعبُدونَ
(2:172) ऐ ईमान लानेवालो! जो अच्छी-सुथरी चीज़ें हमने तुम्हें प्रदान की हैं उनमें से खाओ और अल्लाह के आगे उसका शुक्र अदा करो, यदि तुम सिर्फ उसी की बन्दगी करते हो।
إِنَّما حَرَّمَ عَلَيكُمُ المَيتَةَ وَالدَّمَ وَلَحمَ الخِنزيرِ وَما أُهِلَّ بِهِ لِغَيرِ اللَّهِ فَمَنِ اضطُرَّ غَيرَ باغٍ وَلا عادٍ فَلا إِثمَ عَلَيهِ إِنَّ اللَّهَ غَفورٌ رَحيمٌ
(2:173) उसने तुम पर हराम किया है मुर्दा जानवर (जो इंसान के शिकार के बिना मरा हो) और खून और सूअर का माँस और (उस जानवर का गोश्त जिस पर कुबार्नी करते वक्त) अल्लाह के सिवा किसी और का नाम लिया जाये, लेकिन किसी शख्स को मजबूरी और विवश की हालत में ऐसा गोश्त खाना पड़ जाये और वह न इच्छुक हो और न सीमा का उल्लघंन करने वाला हो, तो उस पर कोई गुनाह नही। बेशह अल्लाह माफ करने वाला और निहायत मेहरबान है।
भ्रष्ट धार्मिक नेता कुरान के चमत्कार को छिपाते हैं *
إِنَّ الَّذينَ يَكتُمونَ ما أَنزَلَ اللَّهُ مِنَ الكِتٰبِ وَيَشتَرونَ بِهِ ثَمَنًا قَليلًا أُولٰئِكَ ما يَأكُلونَ فى بُطونِهِم إِلَّا النّارَ وَلا يُكَلِّمُهُمُ اللَّهُ يَومَ القِيٰمَةِ وَلا يُزَكّيهِم وَلَهُم عَذابٌ أَليمٌ
(2:174) जो लोग अल्लाह की किताब में लिखे हुक्मों को छुपाते हैं और चंद पैसों की खतिर उनका सौदा कर लेते हैं, वे तो बस ऐसा करके अपने पेट को जहन्नुम के अंगारों से भर रहें हैं। कयामत के दिन अल्लाह न तो उनसे बात करेगा और न ही उनको पाक करेगा। ऐसे लोगों के लिये बड़ा ही सख्त अजाब है।
أُولٰئِكَ الَّذينَ اشتَرَوُا الضَّلٰلَةَ بِالهُدىٰ وَالعَذابَ بِالمَغفِرَةِ فَما أَصبَرَهُم عَلَى النّارِ
(2:175) यही वह लोग हैं जिन्होंने हिदायत के बदले गुमराही और क्षमा के बदले यातना को खरीद लिया है। तो जहन्नम की आग पर वे कितने सहनशील है?
(2:176) यह इस लिये कि अल्लाह ने एक सच्ची किताब उतारी लेकिन उन्होंने उस किताब के बारे में मतभेद किया, और वे उनके हठ और विरोध में बहुत आगे बढ़ चुके है।
अच्छे और नेक अमल की परिभासा
لَيسَ البِرَّ أَن تُوَلّوا وُجوهَكُم قِبَلَ المَشرِقِ وَالمَغرِبِ وَلٰكِنَّ البِرَّ مَن ءامَنَ بِاللَّهِ وَاليَومِ الـٔاخِرِ وَالمَلٰئِكَةِ وَالكِتٰبِ وَالنَّبِيّـۧنَ وَءاتَى المالَ عَلىٰ حُبِّهِ ذَوِى القُربىٰ وَاليَتٰمىٰ وَالمَسٰكينَ وَابنَ السَّبيلِ وَالسّائِلينَ وَفِى الرِّقابِ وَأَقامَ الصَّلوٰةَ وَءاتَى الزَّكوٰةَ وَالموفونَ بِعَهدِهِم إِذا عٰهَدوا وَالصّٰبِرينَ فِى البَأساءِ وَالضَّرّاءِ وَحينَ البَأسِ أُولٰئِكَ الَّذينَ صَدَقوا وَأُولٰئِكَ هُمُ المُتَّقونَ
(2:177) नेकी केवल यह नहीं है कि तुम अपने चेहरों को पूरब और पश्चिम की ओर कर लो, बल्कि नेकी तो उस लोगो की है जो ईमान रखते हैं अल्लाह पर, कयामत के दिन पर, फरिश्तों पर, आसमानी किताबों पर, पैगंबरों पर, और अपने माल को मुहब्बत से खर्च करते हैं रिश्तेदारों पर, यतीमों पर, मोहताजों पर, मुसाफिरों पर, माँगने वालों पर और गुलामों को आजाद करने पर, और नमाज कायम करते है, जकात अदा करते हैं, और जब किसी से वादा करते हैं तो उसे पूरा करते हैं, और सब्र करते हैं तंगदस्ती में और मुसीबत के वक्त और जंग की हालत में, हकीकत में यही लोग सच्चे और नेकी करने वाले परहेजगार हैं।
मौत की सजा को उत्साहित या ज्यादा पसंद नहीं किया गया *
يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا كُتِبَ عَلَيكُمُ القِصاصُ فِى القَتلَى الحُرُّ بِالحُرِّ وَالعَبدُ بِالعَبدِ وَالأُنثىٰ بِالأُنثىٰ فَمَن عُفِىَ لَهُ مِن أَخيهِ شَىءٌ فَاتِّباعٌ بِالمَعروفِ وَأَداءٌ إِلَيهِ بِإِحسٰنٍ ذٰلِكَ تَخفيفٌ مِن رَبِّكُم وَرَحمَةٌ فَمَنِ اعتَدىٰ بَعدَ ذٰلِكَ فَلَهُ عَذابٌ أَليمٌ
(2:178) ऐ ईमान लानेवालो! तुम पर हत्या का बदला लेने के मामले में न्याय-व्यवस्था अनिवार्य कर दी गई है। आजाद के बदले आजाद, गुलाम के बदले गुलाम व औरत के बदले औरत को ही कत्ल किया जाये। यदि किसी को पीड़ित के परिजनों द्वारा क्षमा कर दिया जाता है, तो उसका एहसानमंद होना चाहिए, और एक न्यायसंगत क्षतिपूर्ति का भुगतान अदा किया जाना चाहिए। यह तुम्हारे रब की तरफ से मसले के हल का एक तरीका और मेहरबानी है फिर इसके बाद भी अगर कोई सरकशी व मनमानी करे तो ऐसे शख्स के लिये बड़ा ही दर्दनाक अजाब है।
وَلَكُم فِى القِصاصِ حَيوٰةٌ يٰأُولِى الأَلبٰبِ لَعَلَّكُم تَتَّقونَ
(2:179) ऐ बुद्धि और समझवालों! तुम्हारे लिए हत्या का बदला लेने के कानून में जीवन है, ताकि तुम (खून खराबी से) बचो और परहेज़गार बनो।
वसीयत लिखना
كُتِبَ عَلَيكُم إِذا حَضَرَ أَحَدَكُمُ المَوتُ إِن تَرَكَ خَيرًا الوَصِيَّةُ لِلوٰلِدَينِ وَالأَقرَبينَ بِالمَعروفِ حَقًّا عَلَى المُتَّقينَ
(2:180) तुमको इस बात का हुक्म दिया जाता है कि जब तुम में से किसी पर मौत का समय जाहिर हो जाएं और वह अपने पीछे सम्पत्ति छोड़ रहा हो तो माँ-बाप और रिश्तेदारों के हक में उसूल के मुताबिक वसीयत लिख दे। नेक अमल करने वालों की यह एक अनिवार्य जिम्मेदारी है।
فَمَن بَدَّلَهُ بَعدَما سَمِعَهُ فَإِنَّما إِثمُهُ عَلَى الَّذينَ يُبَدِّلونَهُ إِنَّ اللَّهَ سَميعٌ عَليمٌ
(2:181) फिर जिसने (वसीयत) सुनने के बाद उसे बदल डाला सो इस (कर्म) का गुनाह उन लोगों पर है जिन्होंने यह फेर-बदली की। बेशक अल्लाह हर चीज को सुनने वाला और जानने वाला है।
وَٱلَّذِينَ كَذَّبُوا۟ بِـَٔايَـٰتِنَا سَنَسْتَدْرِجُهُم مِّنْ حَيْثُ لَا يَعْلَمُونَ
(2:182) अगर कोई वसीयत करने वाले से किसी तरह की नाइंसाफी या गुनाह होने का दर हो लेकिन वह उन (वारिसों) के दरमियान सुलह करा दे तो उस (सुलह कराने वाले) पर कोई गुनाह नही बेशक अल्लाह बड़ा बख्शने वाला और बेहद मेहरबान है।
उपवास रखने पर जोर दिया गया और उसमे बदलाव किया गया *
يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا كُتِبَ عَلَيكُمُ الصِّيامُ كَما كُتِبَ عَلَى الَّذينَ مِن قَبلِكُم لَعَلَّكُم تَتَّقونَ
(2:183) ऐ ईमानवालो ! तुम पर इसी तरह रोजे यानि उपवास अनिवार्य किये गए हैं जैसे तुम से पहले लोगों पर अनिवार्य किये गए थे ताकि तुम परहेजगार बन जाओ।
أَيّامًا مَعدودٰتٍ فَمَن كانَ مِنكُم مَريضًا أَو عَلىٰ سَفَرٍ فَعِدَّةٌ مِن أَيّامٍ أُخَرَ وَعَلَى الَّذينَ يُطيقونَهُ فِديَةٌ طَعامُ مِسكينٍ فَمَن تَطَوَّعَ خَيرًا فَهُوَ خَيرٌ لَهُ وَأَن تَصوموا خَيرٌ لَكُم إِن كُنتُم تَعلَمونَ
(2:184) कुछ दिन (रोजे के लिये) खास हैं। अगर कोई शख्स बीमार या मुसाफिर हो तो जितने (रोजे) छूटे हुए हैं उतने ही (रोजे) बाद के दिनों में रख ले। और जो ताकत रखते हैं लेकिन किसी बड़ी परेशानी की वजह से (रोजा) नही रख सकते तो वह छूटे हुए (हर रोजे) के लिये एक मिस्कीन को खाना खिलाए। अगर कोई शख्स खुशी से कोई नेकी करे तो उसके लिये अच्छा है लेकिन अगर तुम समझदार हो तो रोजे रखना तुम्हारे लिये बेहतर है।
شَهرُ رَمَضانَ الَّذى أُنزِلَ فيهِ القُرءانُ هُدًى لِلنّاسِ وَبَيِّنٰتٍ مِنَ الهُدىٰ وَالفُرقانِ فَمَن شَهِدَ مِنكُمُ الشَّهرَ فَليَصُمهُ وَمَن كانَ مَريضًا أَو عَلىٰ سَفَرٍ فَعِدَّةٌ مِن أَيّامٍ أُخَرَ يُريدُ اللَّهُ بِكُمُ اليُسرَ وَلا يُريدُ بِكُمُ العُسرَ وَلِتُكمِلُوا العِدَّةَ وَلِتُكَبِّرُوا اللَّهَ عَلىٰ ما هَدىٰكُم وَلَعَلَّكُم تَشكُرونَ
(2:185) रमजान वह महीना है जिसमें कुरान उतारा गया जो लोगों के लिये हिदायत का जरिया है, उसमें हिदायत की प्रत्यक्ष निशानियाँ है और वह एक कानूनी किताब की तरह है (जो सत्य और असत्य के बीच निर्णय करने के लिये है)। तुम में जो भी उस मुबारक महीने में मौजूद हो उसे चाहिए कि उसके रोज़े रखे और जो बीमारी या सफर की हालत में हो तो दूसरे दिनों में रोजा रख कर रोजों की गिनती पूरी कर ले। अल्लाह तुम्हारे साथ आसानी चाहता है, वह तुम्हारे साथ सख़्ती और कठिनाई नहीं चाहता और (वह चाहता है) कि तुम अपने (रोजे की) गिनती पूरी कर लो और अपने अल्लाह की बड़ाई के साथ तारीफ करो जिसने तुम्हें हिदायत दी ताकि तुम शुक्र अदा करने वाले बन जाओ।।
खुदा अपने बंदों की इबादत का जवाब देता है
وَإِذا سَأَلَكَ عِبادى عَنّى فَإِنّى قَريبٌ أُجيبُ دَعوَةَ الدّاعِ إِذا دَعانِ فَليَستَجيبوا لى وَليُؤمِنوا بى لَعَلَّهُم يَرشُدونَ
(2:186) और जब मेरे बन्दे तुमसे मेरे बारे में पूछें तो (कह दो कि) मै तो (तुम्हारे) क़रीब ही हूँ और मैं उसकी पुकार का जवाब देता हूँ जब वह मुझे पुकारता है। तो (उनको चाहिऐ कि) वह मेरा हुक्म मानें और मुझपर ईमान लाएँ, ताकि वे सीधे मार्ग पर रहें।
أُحِلَّ لَكُم لَيلَةَ الصِّيامِ الرَّفَثُ إِلىٰ نِسائِكُم هُنَّ لِباسٌ لَكُم وَأَنتُم لِباسٌ لَهُنَّ عَلِمَ اللَّهُ أَنَّكُم كُنتُم تَختانونَ أَنفُسَكُم فَتابَ عَلَيكُم وَعَفا عَنكُم فَالـٰٔنَ بٰشِروهُنَّ وَابتَغوا ما كَتَبَ اللَّهُ لَكُم وَكُلوا وَاشرَبوا حَتّىٰ يَتَبَيَّنَ لَكُمُ الخَيطُ الأَبيَضُ مِنَ الخَيطِ الأَسوَدِ مِنَ الفَجرِ ثُمَّ أَتِمُّوا الصِّيامَ إِلَى الَّيلِ وَلا تُبٰشِروهُنَّ وَأَنتُم عٰكِفونَ فِى المَسٰجِدِ تِلكَ حُدودُ اللَّهِ فَلا تَقرَبوها كَذٰلِكَ يُبَيِّنُ اللَّهُ ءايٰتِهِ لِلنّاسِ لَعَلَّهُم يَتَّقونَ
(2:187) तम्हारे लिये इस बात की इजाजत है कि रोजे की रात में अपनी बीवियों से मिलाप करो वह तुम्हारे राज की बातों की हिफाजत करने वाली हैं और तुम उनके राज की बातों के हिफाजत करने वाले हो। अल्लाह को मालूम है कि तुम अपनी जानों के साथ खयानत किया करते थे फिर उसने तुम्हें माफ कर दिया और तुम्हारी गलतियों को नजरअंदाज कर दिया सो तुम अपनी बीवियों से नफ्सानी ख्वाहिशात को पूरा करो और तलाश करो उस चीज को जो अल्लाह ने तुम्हारे वास्ते लिख दी है। और उस वक्त तक खाओ-पियो जब तक कि दिन की सफेद धारी रात की काली धारी से अलग होकर तुम पर जाहिर न हो जाए और सूरज के डूबने तक रोजा रखो और जब तुम ऐतेकाफ (के आखिर दस रोजों में मस्जिद में रुकने) का इरादा कर लो तो औरत से दूर रहो। यह अल्लाह के कानून हैं सो इनका उल्लंघन न करो। अल्लाह इसी तरह अपनी आयतों को लोगों के सामने खोल-खोल कर बयान फरमाता है ताकि लोग परहेजगार बन जाएँ।
रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की निंदा की गई
وَلا تَأكُلوا أَموٰلَكُم بَينَكُم بِالبٰطِلِ وَتُدلوا بِها إِلَى الحُكّامِ لِتَأكُلوا فَريقًا مِن أَموٰلِ النّاسِ بِالإِثمِ وَأَنتُم تَعلَمونَ
(2:188) तुम एक दूसरे का माल गलत तरीके से न खाओ और ना ही लोगों को उनके हक से महरुम करने के लिये अफसरों को रिश्वत दो जब कि तुम जानते हो।
يَسـَٔلونَكَ عَنِ الأَهِلَّةِ قُل هِىَ مَوٰقيتُ لِلنّاسِ وَالحَجِّ وَلَيسَ البِرُّ بِأَن تَأتُوا البُيوتَ مِن ظُهورِها وَلٰكِنَّ البِرَّ مَنِ اتَّقىٰ وَأتُوا البُيوتَ مِن أَبوٰبِها وَاتَّقُوا اللَّهَ لَعَلَّكُم تُفلِحونَ
(2:189) वह तुमसे चांद के घटने एवं बढ़ने के बारे में सवाल करते हैं तो उनसे कह दो ‘‘यह लोगों के लिये (समय बताने वाले है) और हज के वक्त को मुकर्रर करने के लिये है। यह नेकी का काम नही है कि तुम बातो को घुमा फिरा कर करो बल्कि नेकी हासिल होती है (खुदा के) हुकम को मानकर और बातो को साफ़ केहने से और अल्लाह से डरते रहो ताकि तुम कामयाब हो जाओ।
وَقٰتِلوا فى سَبيلِ اللَّهِ الَّذينَ يُقٰتِلونَكُم وَلا تَعتَدوا إِنَّ اللَّهَ لا يُحِبُّ المُعتَدينَ
(2:190) उन लोगों से अल्लाह की राह में जंग करो जो तुमसे जंग करते हैं लेकिन जुल्म व ज्यादती मत करो। बेशक अल्लाह जुल्म व ज्यादती करने वालों को पसन्द नही करता है।
وَاقتُلوهُم حَيثُ ثَقِفتُموهُم وَأَخرِجوهُم مِن حَيثُ أَخرَجوكُم وَالفِتنَةُ أَشَدُّ مِنَ القَتلِ وَلا تُقٰتِلوهُم عِندَ المَسجِدِ الحَرامِ حَتّىٰ يُقٰتِلوكُم فيهِ فَإِن قٰتَلوكُم فَاقتُلوهُم كَذٰلِكَ جَزاءُ الكٰفِرينَ
(2:191) और जहाँ कहीं उनपर क़ाबू पाओ, क़त्ल करो (जो तुमसे युद्ध करना चाहें) और उन्हें निकालो जहाँ से उन्होंने तुम्हें निकाला है, फितना व फसाद फैलाना किसी का कत्ल करने से भी ज्यादा संगीन है। मस्जिद-ए-हराम (काबा) के करीब उनसे उस वक्त तक युद्ध मत करो जब तक कि वे स्वयं तुमसे वहाँ युद्ध न करें। अगर वह तुम पर हमला करें तो तुम उनको मार डालो और कफिरों की यही सजा है।
فَإِنِ انتَهَوا فَإِنَّ اللَّهَ غَفورٌ رَحيمٌ
(2:192) फिर यदि वे बाज़ आ जाएँ तो अल्लाह भी क्षमा करनेवाला, अत्यन्त दयावान है
وَقٰتِلوهُم حَتّىٰ لا تَكونَ فِتنَةٌ وَيَكونَ الدّينُ لِلَّهِ فَإِنِ انتَهَوا فَلا عُدوٰنَ إِلّا عَلَى الظّٰلِمينَ
(2:193) तुम उनसे युद्ध करो यहाँ तक कि फितना और फसाद बाकि न रहे और दिने धर्म अल्लाह का हो जाये लेकिन अगर वह मान जायें तो तुम ज़्यादती न करो, सख़्ती करने की इजाजत सिर्फ जालिमों के खिलाफ ही है।
الشَّهرُ الحَرامُ بِالشَّهرِ الحَرامِ وَالحُرُمٰتُ قِصاصٌ فَمَنِ اعتَدىٰ عَلَيكُم فَاعتَدوا عَلَيهِ بِمِثلِ مَا اعتَدىٰ عَلَيكُم وَاتَّقُوا اللَّهَ وَاعلَموا أَنَّ اللَّهَ مَعَ المُتَّقينَ
(2:194) इज्ज़त वाला महीना इज्ज़त वाले महीने की बराबर है और सभी इज्ज़त वाली चीजों (के अपमान) का बदला (बराबरी से) दिया जा सकता है (जैसे) अगर वह तुम पर हमला करें तो तुम उन पर वैसा ही हमला करो जैसा हमला उन्होंने तुम पर किया है और अल्लाह से डरते रहो और जान लो अल्लाह परहेजगार (और डर रखनेवालो) के साथ है।
وَأَنفِقوا فى سَبيلِ اللَّهِ وَلا تُلقوا بِأَيديكُم إِلَى التَّهلُكَةِ وَأَحسِنوا إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ المُحسِنينَ
(2:195) तुम अल्लाह के रास्ते में खर्च करो और अपने ही हाथों से अपने-आपको तबाही में न डालो और अच्छे से अच्छा तरीक़ा अपनाओ। निस्संदेह अल्लाह अच्छे से अच्छा काम करनेवालों को पसन्द करता है।
وَأَتِمُّوا الحَجَّ وَالعُمرَةَ لِلَّهِ فَإِن أُحصِرتُم فَمَا استَيسَرَ مِنَ الهَدىِ وَلا تَحلِقوا رُءوسَكُم حَتّىٰ يَبلُغَ الهَدىُ مَحِلَّهُ فَمَن كانَ مِنكُم مَريضًا أَو بِهِ أَذًى مِن رَأسِهِ فَفِديَةٌ مِن صِيامٍ أَو صَدَقَةٍ أَو نُسُكٍ فَإِذا أَمِنتُم فَمَن تَمَتَّعَ بِالعُمرَةِ إِلَى الحَجِّ فَمَا استَيسَرَ مِنَ الهَدىِ فَمَن لَم يَجِد فَصِيامُ ثَلٰثَةِ أَيّامٍ فِى الحَجِّ وَسَبعَةٍ إِذا رَجَعتُم تِلكَ عَشَرَةٌ كامِلَةٌ ذٰلِكَ لِمَن لَم يَكُن أَهلُهُ حاضِرِى المَسجِدِ الحَرامِ وَاتَّقُوا اللَّهَ وَاعلَموا أَنَّ اللَّهَ شَديدُ العِقابِ
(2:196) और हज और उमरा अल्लाह के लिए पूरा करो। फिर अगर तुम मजबूर हो जाओ (कोई तकलीफ़ की वजह से) तो जो कुछ भी तुम्हें मिल जाए उसकी कुर्बानी दो और उस वक्त तक अपने बाल ना कटवाओ जब तक कि तुम्हारी कुर्बानी अपने ठिकाने पर न पहुँच जाऐ। और अगर तुम बीमार हो जाओ या तुम्हारे सर में चोट लग जाए (और तुम्हे बाल को काटना पड़े) तो उसका बदला रोजा रखकर, या ख़ैरात देकर या दूसरी इबादत के जरिये पूरा करो। और जब शान्ति की स्थिति हो और कोई उमरा को हज्ज के साथ मिलाकर लाभ प्राप्त करना चाहे, तो तुम पर एक जानवर की कुबार्नी फर्ज है अगर तुम इसे पूरा नही कर सकते तो हज के दौरान तीन रोजे रखो और हज से लौट कर सात रोजे और रखो इस तरह दस रोजे पूरे हो गए, यह हुक्म उस शख्स के लिये है जिसके घर वाले मस्जिदे हराम से दूर (रेह्ते) हों। अल्लाह से डरते रहो और जान लो अल्लाह का अजाब बहुत सख्त है।
الحَجُّ أَشهُرٌ مَعلومٰتٌ فَمَن فَرَضَ فيهِنَّ الحَجَّ فَلا رَفَثَ وَلا فُسوقَ وَلا جِدالَ فِى الحَجِّ وَما تَفعَلوا مِن خَيرٍ يَعلَمهُ اللَّهُ وَتَزَوَّدوا فَإِنَّ خَيرَ الزّادِ التَّقوىٰ وَاتَّقونِ يٰأُولِى الأَلبٰبِ
(2:197) हज के महीने मुकर्रर हैं * तो जो कोई इन महीनों के दौरान हज करने का निश्चय करे तो उसे चाहिये कि हज के दौरान वह यौन संबंध से दूर रहे, गुनाह न करे और लड़ाई-झगड़े से परहेज करे। तुम जो भी भलाई करते हो अल्लाह उसे जानता है। जैसे तुम सफर के लिये तुम्हारे सामनो की तैयारी करते हो वैसे ही सबसे बेहतरीन सामान है परहेजगारी। ऐ अक्लमंद लोगों मुझ से डरते रहो।
لَيسَ عَلَيكُم جُناحٌ أَن تَبتَغوا فَضلًا مِن رَبِّكُم فَإِذا أَفَضتُم مِن عَرَفٰتٍ فَاذكُرُوا اللَّهَ عِندَ المَشعَرِ الحَرامِ وَاذكُروهُ كَما هَدىٰكُم وَإِن كُنتُم مِن قَبلِهِ لَمِنَ الضّالّينَ
(2:198) इसमें तुम्हारे लिये कोई गुनाह की बात नही कि तिजारत के जरिये अपने रब का फज्ल तलाश करो और जब तुम अराफ़ात से वापस आने लगो तो मुकद्दस मकाम (मुजदलफा) के करीब अल्लाह का जिक्र किया करो और उस का जिक्र इस तरह करो जैसे उस ने तुम्हें हिदायत दी है।और बेशक इस से पहले तुम भटके हुए थे।
ثُمَّ أَفيضوا مِن حَيثُ أَفاضَ النّاسُ وَاستَغفِرُوا اللَّهَ إِنَّ اللَّهَ غَفورٌ رَحيمٌ
(2:199) जहाँ से बाकी लोगों ने तवाफ किया है तुम भी उसी जगह से (काबा की) परिक्रमा करो और अल्लाह से क्षमा की प्रार्थना करो। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।
فَإِذا قَضَيتُم مَنٰسِكَكُم فَاذكُرُوا اللَّهَ كَذِكرِكُم ءاباءَكُم أَو أَشَدَّ ذِكرًا فَمِنَ النّاسِ مَن يَقولُ رَبَّنا ءاتِنا فِى الدُّنيا وَما لَهُ فِى الـٔاخِرَةِ مِن خَلٰقٍ
(2:200) फिर जब तुम अपने हज की प्रक्रिया पूरी कर लो तो अल्लाह को याद करो, जिस तरह तुम पहले अपने बाप-दादा को याद करते थे, बल्कि उससे भी अधिक। और लोगों में से कोई कहता हैः ऐ हमारे पालनहार! हमको इसी संसार में सब कुछ दे दे, सो ऐसे लोगों का परलोक में काई हिस्सा नही है।
وَمِنهُم مَن يَقولُ رَبَّنا ءاتِنا فِى الدُّنيا حَسَنَةً وَفِى الـٔاخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنا عَذابَ النّارِ
(2:201) और उनमें कोई ऐसा है जो कहता है, ‘‘ऐ हमारे रब हमें दुनिया में भी भलाई अता फरमा और आखिरत में भी भलाई अता फरमा और जहन्नम की आग के अजाब से हमारी हिफाजत फरमा।
أُولٰئِكَ لَهُم نَصيبٌ مِمّا كَسَبوا وَاللَّهُ سَريعُ الحِسابِ
(2:202) उनमें से हर एक को उसकी की हुवी कमाई का बदला मिलेगा। और अल्लाह बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है।
وَاذكُرُوا اللَّهَ فى أَيّامٍ مَعدودٰتٍ فَمَن تَعَجَّلَ فى يَومَينِ فَلا إِثمَ عَلَيهِ وَمَن تَأَخَّرَ فَلا إِثمَ عَلَيهِ لِمَنِ اتَّقىٰ وَاتَّقُوا اللَّهَ وَاعلَموا أَنَّكُم إِلَيهِ تُحشَرونَ
(2:203) और (मीना में) अल्लाह को उन गिनती के चन्द दिनों में याद किया करो, फिर जिस किसी ने (मिना से वापसी में) दो ही दिनों में जल्दी की तो उस पर कोई गुनाह नहीं और इसी तरह जो वहाँ लम्बी मुद्दत ठहरा रहे उस पर भी कोई गुनाह नही। बशर्ते की वहा परहेजगारी कायम रखी जाये, और अल्लाह से डरते रहो और जान लो कि तुम सब को उसी के पास जमा किया जाएगा।
وَمِنَ النّاسِ مَن يُعجِبُكَ قَولُهُ فِى الحَيوٰةِ الدُّنيا وَيُشهِدُ اللَّهَ عَلىٰ ما فى قَلبِهِ وَهُوَ أَلَدُّ الخِصامِ
(2:204) और लोगों में से कोई ऐसा भी हो सकता है कि इस सांसारिक जीवन के विषय में उसकी बाते तुम्हें पसन्द आ जाए और वह अपने दिल की बात पर अल्लाह को गवाह भी बनाता है लेकिन वह सख्त किस्म का विरोधी (और झगड़ालू) है।
وَإِذا تَوَلّىٰ سَعىٰ فِى الأَرضِ لِيُفسِدَ فيها وَيُهلِكَ الحَرثَ وَالنَّسلَ وَاللَّهُ لا يُحِبُّ الفَسادَ
(2:205) जब वह कहीं जाता है तो जमीन में उसकी भाग-दौड़ सिर्फ इस मकसद से होती है कि वह जमीन में फसाद (और उपद्रव) फैलाये और खेती और संपत्ति को नुकसान पहुँचाये और लोगों की जिंदगियों को बर्बाद करे जबकि अल्लाह फसादी लोगों को पसन्द नही करता है।
وَإِذا قيلَ لَهُ اتَّقِ اللَّهَ أَخَذَتهُ العِزَّةُ بِالإِثمِ فَحَسبُهُ جَهَنَّمُ وَلَبِئسَ المِهادُ
(7:206) जो तुम्हारे रब के क़रीब हैं वह उसकी इबादत करने में कभी घमण्ड या तकब्बुर नहीं करते। और वह उसकी पाकीज़गी कि तसबीह करते हैं और उसके (बारगाह में) सजदा करते हैं।
وَمِنَ النّاسِ مَن يَشرى نَفسَهُ ابتِغاءَ مَرضاتِ اللَّهِ وَاللَّهُ رَءوفٌ بِالعِبادِ
(2:207) लोगों में वह शख्स भी है जो अल्लाह की प्रसन्नता की तलाश में वह अपने नफ्स (और प्राण) को भी बेच (के कुर्बान कर) देता है और अल्लाह अपने बंदो पर बड़ा मेहरबान है।
يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنُوا ادخُلوا فِى السِّلمِ كافَّةً وَلا تَتَّبِعوا خُطُوٰتِ الشَّيطٰنِ إِنَّهُ لَكُم عَدُوٌّ مُبينٌ
(2:208) ऐ ईमान वालों (तुम सब) इस्लाम में पूरे-पूरे दाखिल हो जाओ और शैतान के नक्शे कदम पर मत चलो। बेशक वह तुम्हारा खुला दुश्मन है।
فَإِن زَلَلتُم مِن بَعدِ ما جاءَتكُمُ البَيِّنٰتُ فَاعلَموا أَنَّ اللَّهَ عَزيزٌ حَكيمٌ
(2:209) फिर यदि तुम फिसल गए उन स्पष्ट दलीलों के पश्चात भी, जो तुम्हारे पास आ चुकी है, तो भली-भाँति जान रखो कि अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।
هَل يَنظُرونَ إِلّا أَن يَأتِيَهُمُ اللَّهُ فى ظُلَلٍ مِنَ الغَمامِ وَالمَلٰئِكَةُ وَقُضِىَ الأَمرُ وَإِلَى اللَّهِ تُرجَعُ الأُمورُ
(2:210) क्या वह इसी इंतेजार में हैं कि अल्लाह, फरिश्तों के साथ उन पर घने बादलों में आ जाए? और ऐसा होने पर सारा मामला खत्म हो जायेगा और आखिरकार तमाम मामलात उसी की तरफ लौटने वाले हैं।
سَل بَنى إِسرٰءيلَ كَم ءاتَينٰهُم مِن ءايَةٍ بَيِّنَةٍ وَمَن يُبَدِّل نِعمَةَ اللَّهِ مِن بَعدِ ما جاءَتهُ فَإِنَّ اللَّهَ شَديدُ العِقابِ
(2:211) बनी इस्राईल से पूछो, हमने उन्हें कितनी खुली निशानियाँ प्रदान की। और जो अल्लाह की नेमत को इसके बाद कि वह उसे पहुँच चुकी हो बदल देते है (या नजरअंदाज करते हैं), तो निस्संदेह अल्लाह भी कठोर दंड देनेवाला है।
زُيِّنَ لِلَّذينَ كَفَرُوا الحَيوٰةُ الدُّنيا وَيَسخَرونَ مِنَ الَّذينَ ءامَنوا وَالَّذينَ اتَّقَوا فَوقَهُم يَومَ القِيٰمَةِ وَاللَّهُ يَرزُقُ مَن يَشاءُ بِغَيرِ حِسابٍ
(2:212) आकर्षक बना दिया गया है सांसारिक जीवन उन लोगों की नजर में जो कुफ्र करते हैं और वह ईमान वालों का मजाक उड़ाते हैं। और जिन्होने परहेजगारी का रास्ता चुना, वह कयामत के दिन उनसे बहुत बुलंदी पर होंगे। और अल्लाह जिसे चाहता है उसे बेहिसाब देता है।
كانَ النّاسُ أُمَّةً وٰحِدَةً فَبَعَثَ اللَّهُ النَّبِيّـۧنَ مُبَشِّرينَ وَمُنذِرينَ وَأَنزَلَ مَعَهُمُ الكِتٰبَ بِالحَقِّ لِيَحكُمَ بَينَ النّاسِ فيمَا اختَلَفوا فيهِ وَمَا اختَلَفَ فيهِ إِلَّا الَّذينَ أوتوهُ مِن بَعدِ ما جاءَتهُمُ البَيِّنٰتُ بَغيًا بَينَهُم فَهَدَى اللَّهُ الَّذينَ ءامَنوا لِمَا اختَلَفوا فيهِ مِنَ الحَقِّ بِإِذنِهِ وَاللَّهُ يَهدى مَن يَشاءُ إِلىٰ صِرٰطٍ مُستَقيمٍ
(2:213) जब लोग एक ही धर्म रखते थे। तो अल्लाह ने नबी को अच्छी खबर देने वाला और सचेत करने वाला बना के भेजा, उनके साथ सच्ची किताब भेजी ताकि जिन में लोगों का मतभेद हो वो इस (किताब) के ज़रिये फैसला कर दे। और उन्हीं लोगों ने, जिनको (किताब) मिली थी, आपस की ज़िद की वजह से मतभेद किया, बावजूद इसके कि उनको खुले हुवे हुकम पहुँच चुके थे। (यह उनकी ईर्ष्या की वजह से था।) फिर अल्लाह ने ईमान वालों को सच्चा रास्ता दिखला दिया जिसमें वह लोग मतभेद कर रहे थे। और अल्लाह जिसको चाहता है सच्चे रास्ते की हिदायत देता है। *
أَم حَسِبتُم أَن تَدخُلُوا الجَنَّةَ وَلَمّا يَأتِكُم مَثَلُ الَّذينَ خَلَوا مِن قَبلِكُم مَسَّتهُمُ البَأساءُ وَالضَّرّاءُ وَزُلزِلوا حَتّىٰ يَقولَ الرَّسولُ وَالَّذينَ ءامَنوا مَعَهُ مَتىٰ نَصرُ اللَّهِ أَلا إِنَّ نَصرَ اللَّهِ قَريبٌ
(2:214) क्या तुम ख्याल करते हो कि तुम जन्नत में (ऐसे हि) दाखिल हो जाओगे? जबकि तुम पर उन लोगों जैसी परिस्थितियाँ गुजरी ही नहीं जो तुमसे पहले के लोगों पर गुजरी थीं।, और उन्हें तो तरह तरह की सख्तियां और तक्लीफें पहुंचीं और उन्हें (इस तरह) हिला डाला गया कि (खुद) रसूल और ईमान वाले जो उन के साथ थे, कह उठे कि अल्लाह की मदद कब आयगी। बेशक अल्लाह की मदद करीब है।
يَسـَٔلونَكَ ماذا يُنفِقونَ قُل ما أَنفَقتُم مِن خَيرٍ فَلِلوٰلِدَينِ وَالأَقرَبينَ وَاليَتٰمىٰ وَالمَسٰكينِ وَابنِ السَّبيلِ وَما تَفعَلوا مِن خَيرٍ فَإِنَّ اللَّهَ بِهِ عَليمٌ
(2:215) लोग तुमसे पूछते हैं कि वह क्या ख़र्च करें। कह दो कि जो धन तुम ख़र्च करो तो उसमें अधिकार है तुम्हारे माता-पिता का और रिश्तेदारों का और अनाथों का और गरीबों का और मुसाफिरों का। और तुम जो भी भलाई करोगे अल्लाह उसको पूरी तरह जानता है।
كُتِبَ عَلَيكُمُ القِتالُ وَهُوَ كُرهٌ لَكُم وَعَسىٰ أَن تَكرَهوا شَيـًٔا وَهُوَ خَيرٌ لَكُم وَعَسىٰ أَن تُحِبّوا شَيـًٔا وَهُوَ شَرٌّ لَكُم وَاللَّهُ يَعلَمُ وَأَنتُم لا تَعلَمونَ
(2:216) तुम पर युद्ध अनिवार्य किया गया है, भले ही तुम उसे नापसंद करते हो। हो सकता है कि तुम एक चीज़ को नापसन्द करो और वह तुम्हारे लिए अच्छी हो। और हो सकता है कि तुम एक चीज़ को पसन्द करो और वह तुम्हारे लिए बुरी हो। और अल्लाह जानता है, तुम नहीं जानते।
يَسـَٔلونَكَ عَنِ الشَّهرِ الحَرامِ قِتالٍ فيهِ قُل قِتالٌ فيهِ كَبيرٌ وَصَدٌّ عَن سَبيلِ اللَّهِ وَكُفرٌ بِهِ وَالمَسجِدِ الحَرامِ وَإِخراجُ أَهلِهِ مِنهُ أَكبَرُ عِندَ اللَّهِ وَالفِتنَةُ أَكبَرُ مِنَ القَتلِ وَلا يَزالونَ يُقٰتِلونَكُم حَتّىٰ يَرُدّوكُم عَن دينِكُم إِنِ استَطٰعوا وَمَن يَرتَدِد مِنكُم عَن دينِهِ فَيَمُت وَهُوَ كافِرٌ فَأُولٰئِكَ حَبِطَت أَعمٰلُهُم فِى الدُّنيا وَالـٔاخِرَةِ وَأُولٰئِكَ أَصحٰبُ النّارِ هُم فيها خٰلِدونَ
(2:217) लोग तुमसे सम्मानित महीने के सम्बन्ध में पूछते हैं कि उसमें युद्ध करना कैसा है। कह दो कि उसमें युद्ध करना बहुत बड़ा पाप है। परन्तु अल्लाह की राह से रोकना और कुफ्र करना, और मस्जिद-ए हराम में जाने से रोकना, और उसके रहने वालों को वहां से निकाल देना, अल्लाह के नज़दीक उससे भी बड़ा पाप है। और फितना फसाद (फैलाना) हत्या से भी बढकर (बुरा) है। और ये लोग तुमसे सदा लड़ते ही रहेंगे, यहां तक कि इनका बस चले तो तुमको तुम्हारे धर्म से बदल ही दें। और तुममें से जो कोई अपने धर्म से बदलेगा और वह कुफ्र की स्थिति में मर जाये तो ऐसे लोगों के कर्म नष्ट हो गये इस संसार में और परलोक में। और वह आग में पड़ने वाले हैं और वह उसमें सदैव रहेंगे।
إِنَّ الَّذينَ ءامَنوا وَالَّذينَ هاجَروا وَجٰهَدوا فى سَبيلِ اللَّهِ أُولٰئِكَ يَرجونَ رَحمَتَ اللَّهِ وَاللَّهُ غَفورٌ رَحيمٌ
(2:218) रहे वे लोग जो ईमान लाए और जिन्होंने अल्लाह के मार्ग में घर-बार छोड़ा और संघर्ष किया, वहीं अल्लाह की दयालुता की उम्मीद रखते है। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।
يَسـَٔلونَكَ عَنِ الخَمرِ وَالمَيسِرِ قُل فيهِما إِثمٌ كَبيرٌ وَمَنٰفِعُ لِلنّاسِ وَإِثمُهُما أَكبَرُ مِن نَفعِهِما وَيَسـَٔلونَكَ ماذا يُنفِقونَ قُلِ العَفوَ كَذٰلِكَ يُبَيِّنُ اللَّهُ لَكُمُ الـٔايٰتِ لَعَلَّكُم تَتَفَكَّرونَ
(2:219) लोग तुमसे शराब और जुए के बारे में पूछते हैं। उनसे कह दो कि इन दोनों में बड़ा गुनाह है, और लोगों के लिए कुछ फायदे भी हैं, मगर इनके फायदे से इनके गुनाह कहीं बढकर है। और तुमसे पूछते हैं कि (खुदा की राह में) क्या खर्च करें? कह दो कि जो (तुम्हारी जरुरत से) ज़्यादा हो। इसी तरह अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयते खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम सोच-विचार करो।
فِى الدُّنيا وَالـٔاخِرَةِ وَيَسـَٔلونَكَ عَنِ اليَتٰمىٰ قُل إِصلاحٌ لَهُم خَيرٌ وَإِن تُخالِطوهُم فَإِخوٰنُكُم وَاللَّهُ يَعلَمُ المُفسِدَ مِنَ المُصلِحِ وَلَو شاءَ اللَّهُ لَأَعنَتَكُم إِنَّ اللَّهَ عَزيزٌ حَكيمٌ
(2:220) (तुम्हारी गौरो फिक्र) दुनिया और आखिरत (दोनों) के मामलों में (रहे) और वह तुमसे यतीमो के सम्बन्ध में पूछते हैं, कह दो कि उनकी भलाई की जो रीति अपनाई जाए अच्छी है। और यदि तुम उनको अपने साथ शामिल करलो तो वह तुम्हारे भाई हि तो हैं। और अल्लाह बिगाड़ पैदा करनेवाले को भलाई करनेवाले से अलग पहचानता है। और यदि अल्लाह चाहता तो तुमको कठिनाई में डाल देता। निस्संदेह अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।
وَلا تَنكِحُوا المُشرِكٰتِ حَتّىٰ يُؤمِنَّ وَلَأَمَةٌ مُؤمِنَةٌ خَيرٌ مِن مُشرِكَةٍ وَلَو أَعجَبَتكُم وَلا تُنكِحُوا المُشرِكينَ حَتّىٰ يُؤمِنوا وَلَعَبدٌ مُؤمِنٌ خَيرٌ مِن مُشرِكٍ وَلَو أَعجَبَكُم أُولٰئِكَ يَدعونَ إِلَى النّارِ وَاللَّهُ يَدعوا إِلَى الجَنَّةِ وَالمَغفِرَةِ بِإِذنِهِ وَيُبَيِّنُ ءايٰتِهِ لِلنّاسِ لَعَلَّهُم يَتَذَكَّرونَ
(2:221) और बहुदेववादी (मुशरिक) औरतों से जब तक वह ईमान न लायें निकाह मत करो। और मुस्लिम दासी (आजाद) मुशरिक औरत से बेहतर है चाहे वह तुमको कितनी भी अच्छी क्यों न लगती हो। और तुम मुशरिक मर्दों से अपनी औरतों का निकाह न करो जब तक की वह ईमान न लाये। और मोमिन गुलाम (आजाद) मुशरिक मर्द से बेहतर है चाहे वह तुमको कितना भी अच्छा क्यों न लगे। वह लोग दोज़ख की तरफ बुलाते हैं, और अल्लाह अपने हुकम से जन्नत और क्षमा की तरफ बुलाता है। और वह अपनी आयतों को लोगों से खोल कर स्पष्ट करके बयान करता है, ताकि वह नसीहत हासिल करें।
وَيَسـَٔلونَكَ عَنِ المَحيضِ قُل هُوَ أَذًى فَاعتَزِلُوا النِّساءَ فِى المَحيضِ وَلا تَقرَبوهُنَّ حَتّىٰ يَطهُرنَ فَإِذا تَطَهَّرنَ فَأتوهُنَّ مِن حَيثُ أَمَرَكُمُ اللَّهُ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ التَّوّٰبينَ وَيُحِبُّ المُتَطَهِّرينَ
(2:222) और वे तुमसे मासिक-धर्म के विषय में पूछते है। कहो, वह एक तकलीफ़ की चीज़ है। अतः मासिक-धर्म के दिनों में औरतों से (यौन संबंध से) दूर रहो और उनके पास न जाओ, जब तक कि वे पाक-साफ़ न हो जाएँ। फिर जब वे भली-भाँति पाक-साफ़ हो जाए, तो जिस प्रकार अल्लाह ने तुम्हें बताया है, उनके पास आओ। निस्संदेह अल्लाह बहुत तौबा करनेवालों को मोहब्बत करता है और वह उन्हें मोहब्बत करता है जो पाक साफ़ रहता है।
نِساؤُكُم حَرثٌ لَكُم فَأتوا حَرثَكُم أَنّىٰ شِئتُم وَقَدِّموا لِأَنفُسِكُم وَاتَّقُوا اللَّهَ وَاعلَموا أَنَّكُم مُلٰقوهُ وَبَشِّرِ المُؤمِنينَ
(2:223) तुम्हारी औरतें तुम्हारी संतान की जननी हैं। इसलिए तुम इस विशेषाधिकार का जिस तरह से चाहो आनंद ले सकते हो, जब तक की तुम अपने लिये आगे (परहेजगारी) बनाए रखते हो। और अल्लाह से डरो और जान लो कि तुम्हें अवश्य उससे मिलना है। और ईमान वालों को खुशखबरी सुना दो।
وَلا تَجعَلُوا اللَّهَ عُرضَةً لِأَيمٰنِكُم أَن تَبَرّوا وَتَتَّقوا وَتُصلِحوا بَينَ النّاسِ وَاللَّهُ سَميعٌ عَليمٌ
(2:224) और अपनी क़समों को अल्लाह के नाम से एक बहाना न बनाओ कि तुम अच्छे बन जाओ और डर रखनेवाले बन जाओ और लोगों में विश्वास पैदा करो। अल्लाह सुनने वाला जानने वाला है।
لا يُؤاخِذُكُمُ اللَّهُ بِاللَّغوِ فى أَيمٰنِكُم وَلٰكِن يُؤاخِذُكُم بِما كَسَبَت قُلوبُكُم وَاللَّهُ غَفورٌ حَليمٌ
(2:225) अल्लाह तुम्हें तुम्हारी ऐसी कसमों पर नहीं पकड़ेगा जो यूँ ही मुँह से निकल गई हो, लेकिन उन क़समों पर वह तुम्हें अवश्य पकड़ेगा जो तुम्हारे दिल के इरादे का नतीजा हों। अल्लाह बहुत क्षमा करनेवाला, सहनशील है।
لِلَّذينَ يُؤلونَ مِن نِسائِهِم تَرَبُّصُ أَربَعَةِ أَشهُرٍ فَإِن فاءو فَإِنَّ اللَّهَ غَفورٌ رَحيمٌ
(2:226) जो लोग अपनी बीवियों को तलाक देने का इरादा रखते हैं उनको चार माह इन्तिज़ार करना चाहिए, अगर उनका मन इस मुद्वत में बदल जाए तो (वह रुजू कर सकते हैं) अल्लाह बखशनेवाला मेहरबान है।
وَإِن عَزَمُوا الطَّلٰقَ فَإِنَّ اللَّهَ سَميعٌ عَليمٌ
(2:227) और अगर तलाक का ही इरादा कर लिया है तो अल्लाह (सब कुछ) जानने और सुनने वाला है।
وَالمُطَلَّقٰتُ يَتَرَبَّصنَ بِأَنفُسِهِنَّ ثَلٰثَةَ قُروءٍ وَلا يَحِلُّ لَهُنَّ أَن يَكتُمنَ ما خَلَقَ اللَّهُ فى أَرحامِهِنَّ إِن كُنَّ يُؤمِنَّ بِاللَّهِ وَاليَومِ الـٔاخِرِ وَبُعولَتُهُنَّ أَحَقُّ بِرَدِّهِنَّ فى ذٰلِكَ إِن أَرادوا إِصلٰحًا وَلَهُنَّ مِثلُ الَّذى عَلَيهِنَّ بِالمَعروفِ وَلِلرِّجالِ عَلَيهِنَّ دَرَجَةٌ وَاللَّهُ عَزيزٌ حَكيمٌ
(2:228) और जिन औरतों को तलाक दी गई हो वह खुद को तीन मासिक-धर्म पूरे होने तक निकाह से रोकें। और अगर वह अल्लाह और आखिरत पर यकीन रखतीं हैं तो जो कुछ भी (बच्चे की क़िस्म से) अल्लाह ने उनके पेट में पैदा किया हुवा है, उसका छुपाना उनको जायज़ नहीं। और उनके शौहर सुलह करना चाहें तो वह इस बीच उनको वापस लेने के ज़ियादा हक़दार हैं। और उन औरतों का नियम की अनुसार मर्दों पर उतना ही अधिकार है जीतना मर्दों का उन पर है। हां मर्दों को (गर्भावस्था की हालत मे) औरतों पर प्रधानता हासिल है। और अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली और हिकमतवाला है।
الطَّلٰقُ مَرَّتانِ فَإِمساكٌ بِمَعروفٍ أَو تَسريحٌ بِإِحسٰنٍ وَلا يَحِلُّ لَكُم أَن تَأخُذوا مِمّا ءاتَيتُموهُنَّ شَيـًٔا إِلّا أَن يَخافا أَلّا يُقيما حُدودَ اللَّهِ فَإِن خِفتُم أَلّا يُقيما حُدودَ اللَّهِ فَلا جُناحَ عَلَيهِما فيمَا افتَدَت بِهِ تِلكَ حُدودُ اللَّهِ فَلا تَعتَدوها وَمَن يَتَعَدَّ حُدودَ اللَّهِ فَأُولٰئِكَ هُمُ الظّٰلِمونَ
(2:229) तलाक दो हि बार की है। उसके बाद सामान्य नियम के अनुसार औरत को रोक लिया जाए या भले तरीक़े से विदा कर दिया जाए। और जो तुम उनको दे चुके हो उसमें से कुछ भी वापस लेना जाइज़ नहीं, सिवाय उस सूरत में कि दोनों को डर हो कि अल्लाह की निर्धारित सीमाओं पर क़ायम न रह सकेंगे तो यदि तुमको यह डर हो कि वे अल्लाह की सीमाओ पर क़ायम न रहेंगे तो औरत जो कुछ देकर छुटकारा प्राप्त करना चाहे उसमें उन दोनो के लिए कोई गुनाह नहीं। यह अल्लाह की बांधी हुई हदें हैं तो इनसे आगे मत बढ़ो। और जो अल्लाह की बांधी हुई हदों से आगे बढ़ जाएं वही लोग ज़ालिम हैं।
فَإِن طَلَّقَها فَلا تَحِلُّ لَهُ مِن بَعدُ حَتّىٰ تَنكِحَ زَوجًا غَيرَهُ فَإِن طَلَّقَها فَلا جُناحَ عَلَيهِما أَن يَتَراجَعا إِن ظَنّا أَن يُقيما حُدودَ اللَّهِ وَتِلكَ حُدودُ اللَّهِ يُبَيِّنُها لِقَومٍ يَعلَمونَ
(2:230) फिर अगर (तीसरी बार भी) औरत को तलाक़ दो तो इसके बाद जब तक औरत दूसरे मर्द से निकाह न कर ले उसके लिए जाइज़ नहीं हो सकती। हां अगर (दूसरा शौहर उससे निकाह करके) तलाक दे दे तो दोनों पर कोई गुनाह नहीं कि एक दूसरे से फिर से मिल जायें, बशर्ते कि दोनों को उम्मीद हो कि अल्लाह की बांधी हुई हदों को क़ायम रख सकेंगे। और अल्लाह की हदें है जिनको उन लोगें के लिए बयान फरमाता है जो समझ रखते हैं।
وَإِذا طَلَّقتُمُ النِّساءَ فَبَلَغنَ أَجَلَهُنَّ فَأَمسِكوهُنَّ بِمَعروفٍ أَو سَرِّحوهُنَّ بِمَعروفٍ وَلا تُمسِكوهُنَّ ضِرارًا لِتَعتَدوا وَمَن يَفعَل ذٰلِكَ فَقَد ظَلَمَ نَفسَهُ وَلا تَتَّخِذوا ءايٰتِ اللَّهِ هُزُوًا وَاذكُروا نِعمَتَ اللَّهِ عَلَيكُم وَما أَنزَلَ عَلَيكُم مِنَ الكِتٰبِ وَالحِكمَةِ يَعِظُكُم بِهِ وَاتَّقُوا اللَّهَ وَاعلَموا أَنَّ اللَّهَ بِكُلِّ شَىءٍ عَليمٌ
(2:231) और जब तुम औरतों को तलाक दे दो और वह अपनी निश्चित अवधि (तीन मासिक धर्म) तक पहुँच जायें तो तुम्हे चाहिये की उनको अमन से उसी घर में रहने की इजाजत दो या अच्छी तरह से उनको विदा कर दो और उसकी मर्जी के खिलाफ उनको अपने प्रतिशोध के लिये जबरदस्ती मत रोके रखो। और जो ऐसा करेगा, तो उसने स्वयं अपने ही ऊपर ज़ुल्म किया। और अल्लाह की आयतों को खेल या हसी मजाक का विषय न बनाओ। और अल्लाह का जो एहसान तुम पर है उसे याद रखो, और उस किताब और हिकमत को याद रखो जो उसने तुम पर उतारी है, जिसके द्वारा वह तुम्हें नसीहत करता है। और अल्लाह का डर रखो और भली-भाँति जान लो कि अल्लाह हर चीज को जाननेवाला है।
وَإِذا طَلَّقتُمُ النِّساءَ فَبَلَغنَ أَجَلَهُنَّ فَلا تَعضُلوهُنَّ أَن يَنكِحنَ أَزوٰجَهُنَّ إِذا تَرٰضَوا بَينَهُم بِالمَعروفِ ذٰلِكَ يوعَظُ بِهِ مَن كانَ مِنكُم يُؤمِنُ بِاللَّهِ وَاليَومِ الـٔاخِرِ ذٰلِكُم أَزكىٰ لَكُم وَأَطهَرُ وَاللَّهُ يَعلَمُ وَأَنتُم لا تَعلَمونَ
(2:232) और जब तुमने औरतों को तलाक दे दी और वे अपनी निश्चित अवधि (इद्दत) को पूरी कर लें, तो उन्हें अपने होनेवाले दूसरे पतियों से विवाह करने से न रोको, जबकि वे सामान्य नियम के अनुसार परस्पर रज़ामन्दी से मामला तय करें। यह नसीहत तुममें से उसको की जा रही है जो अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखता है। ये तुम्हे अधिक नेक और अधिक पवित्र बनाने वाला उपाय है। और अल्लाह जानता है, तुम नहीं जानते।
وَالوٰلِدٰتُ يُرضِعنَ أَولٰدَهُنَّ حَولَينِ كامِلَينِ لِمَن أَرادَ أَن يُتِمَّ الرَّضاعَةَ وَعَلَى المَولودِ لَهُ رِزقُهُنَّ وَكِسوَتُهُنَّ بِالمَعروفِ لا تُكَلَّفُ نَفسٌ إِلّا وُسعَها لا تُضارَّ وٰلِدَةٌ بِوَلَدِها وَلا مَولودٌ لَهُ بِوَلَدِهِ وَعَلَى الوارِثِ مِثلُ ذٰلِكَ فَإِن أَرادا فِصالًا عَن تَراضٍ مِنهُما وَتَشاوُرٍ فَلا جُناحَ عَلَيهِما وَإِن أَرَدتُم أَن تَستَرضِعوا أَولٰدَكُم فَلا جُناحَ عَلَيكُم إِذا سَلَّمتُم ما ءاتَيتُم بِالمَعروفِ وَاتَّقُوا اللَّهَ وَاعلَموا أَنَّ اللَّهَ بِما تَعمَلونَ بَصيرٌ
(2:233) और जिन औरतों को तलाक़ दिया गया हो अगर वह चाहें तो अपने बच्चों को पूरे दो बरस तक दूध पिलाएँ और वह (पिता) उनकी रोज़ी और पोशाक में इन्साफ़ के मुताबिक़ मदद करेगा, किसी पर उसकी सामर्थ्य से अधिक बोझ नहीं डाला जाएगा। न किसी माँ को उसके बच्चे के कारण नुकसान पहुँचाया जाए और न किसी बाप को उसके बच्चे के कारण नुकसान पहुँचाया जाए। (यदि पिता की मृत्यु हो जाती है) तो उसके उत्तराधिकारी को ये जिम्मेदारियां संभालनी होंगी। यदि बच्चे के माता-पिता उचित परामर्श के बाद आपस में सहमत होकर अलग हो जाते हैं, तो वे ऐसा करने में कोई गुनाह नहीं करते। और यदि तुम अपनी संतान को किसी अन्य औरत से दूध पिलवाना चाहो तो इसमें भी तुम पर कोई गुनाह नहीं, लेकिन तुमने जो कुछ बदले में देने का वादा किया हो, नियम के अनुसार (दूध पिलानेवाली औरत को) चुका दो। और अल्लाह का डर रखो और भली-भाँति जान लो कि जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे देख रहा है।
وَالَّذينَ يُتَوَفَّونَ مِنكُم وَيَذَرونَ أَزوٰجًا يَتَرَبَّصنَ بِأَنفُسِهِنَّ أَربَعَةَ أَشهُرٍ وَعَشرًا فَإِذا بَلَغنَ أَجَلَهُنَّ فَلا جُناحَ عَلَيكُم فيما فَعَلنَ فى أَنفُسِهِنَّ بِالمَعروفِ وَاللَّهُ بِما تَعمَلونَ خَبيرٌ
(2:234) और तुम में से जो लोग मर जाएं और अपनी बीवियां छोड़ जायें तो उन औरतों को चाहिए कि दूसरा निकाह करने से पहले चार महिने दस दिन तक का इन्तिज़ार करें। फिर जब वे अपनी निर्धारित अवधि पूरी कर लें तो मान्यता प्राप्त नियमों के अनुसार वे अपने लिए जो कुछ करें, उसमें तुम पर कोई गुनाह नहीं। जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसकी ख़बर रखता है।
وَلا جُناحَ عَلَيكُم فيما عَرَّضتُم بِهِ مِن خِطبَةِ النِّساءِ أَو أَكنَنتُم فى أَنفُسِكُم عَلِمَ اللَّهُ أَنَّكُم سَتَذكُرونَهُنَّ وَلٰكِن لا تُواعِدوهُنَّ سِرًّا إِلّا أَن تَقولوا قَولًا مَعروفًا وَلا تَعزِموا عُقدَةَ النِّكاحِ حَتّىٰ يَبلُغَ الكِتٰبُ أَجَلَهُ وَاعلَموا أَنَّ اللَّهَ يَعلَمُ ما فى أَنفُسِكُم فَاحذَروهُ وَاعلَموا أَنَّ اللَّهَ غَفورٌ حَليمٌ
(2:235) और इसमें भी तुम पर कोई गुनाह नहीं कि उन औरतों को विवाह के सन्देश सांकेतिक रूप से दो या अपने मन में छिपाए रखो। अल्लाह जानता है कि तुम उन्हें याद करोगे, परन्तु छिपकर उन्हें वचन न देना, सिवाय इसके कि तुम उनसे अच्छी रीति के अनुसार कोई बात कह दो। और जब तक निर्धारित अवधि (इद्दत) पूरी न हो जाए, विवाह का नाता जोड़ने का निश्चय न करो। जान रखो कि अल्लाह तुम्हारे मन की बात भी जानता है। अतः उससे सावधान रहो और अल्लाह अत्यन्त क्षमा करनेवाला, सहनशील है।
لا جُناحَ عَلَيكُم إِن طَلَّقتُمُ النِّساءَ ما لَم تَمَسّوهُنَّ أَو تَفرِضوا لَهُنَّ فَريضَةً وَمَتِّعوهُنَّ عَلَى الموسِعِ قَدَرُهُ وَعَلَى المُقتِرِ قَدَرُهُ مَتٰعًا بِالمَعروفِ حَقًّا عَلَى المُحسِنينَ
(2:236) यदि तुम औरतों को ऐसी स्थिति में तलाक दो कि उनको न तुमने हाथ लगाया है और न उनके लिए कुछ मेहर निर्धारित किया है तो उनके सम्बन्ध में तुम पर कोई पकड़ नहीं। हाँ उनको रीति के अनुसार, कुछ खर्च दे दो, क्षमता रखने वाले पर अपनी हैसियत के अनुसार है और क्षमता न रखने वाले पर अपनी हैसियत के अनुसार है, यह नेक लोगों पर एक जिम्मेदारी है।
وَإِن طَلَّقتُموهُنَّ مِن قَبلِ أَن تَمَسّوهُنَّ وَقَد فَرَضتُم لَهُنَّ فَريضَةً فَنِصفُ ما فَرَضتُم إِلّا أَن يَعفونَ أَو يَعفُوَا۟ الَّذى بِيَدِهِ عُقدَةُ النِّكاحِ وَأَن تَعفوا أَقرَبُ لِلتَّقوىٰ وَلا تَنسَوُا الفَضلَ بَينَكُم إِنَّ اللَّهَ بِما تَعمَلونَ بَصيرٌ
(2:237) और यदि तुम उन्हें हाथ लगाने से पहले तलाक़ दे दो, किन्तु उसका मेहर निश्चित कर चुके हो, तो जो मेहर तुमने निश्चित किया है उसका आधा अदा करना होगा, यह और बात है कि वे स्वेच्छा से माफ कर दे या तलाक़ के लिए ज़िम्मेदार पक्ष मेहर को छोड़ने का फ़ैसला कर ले। और यह कि तुम माफ़ कर दो और नर्मी से काम लो तो यह परहेज़गारी के ज़्यादा क़रीब है और आपस में उपकार करना न भूलो। निश्चय ही अल्लाह उसे देख रहा है, जो कुछ तुम करते हो।
حٰفِظوا عَلَى الصَّلَوٰتِ وَالصَّلوٰةِ الوُسطىٰ وَقوموا لِلَّهِ قٰنِتينَ
(2:238) नमाज़ की हिफाज़त (पाबन्दी के साथ) करो। और बीच वाली नमाज़ की खास तौर से और अपने आप को पूरी तरह से अल्लाह को समर्पित होकर खड़े रहो।
فَإِن خِفتُم فَرِجالًا أَو رُكبانًا فَإِذا أَمِنتُم فَاذكُرُوا اللَّهَ كَما عَلَّمَكُم ما لَم تَكونوا تَعلَمونَ
(2:239) फिर अगर तुमको (दुश्मन का) खौफ हो तो पैदल या सवारी पर (जैसे सम्भव हो) नमाज़ पढ़ लो। फिर जब निश्चिन्त हो तो अल्लाह को उस प्रकार याद करो जैसाकि उसने तुम्हें सिखाया है, जिसे तुम नहीं जानते थे।
وَالَّذينَ يُتَوَفَّونَ مِنكُم وَيَذَرونَ أَزوٰجًا وَصِيَّةً لِأَزوٰجِهِم مَتٰعًا إِلَى الحَولِ غَيرَ إِخراجٍ فَإِن خَرَجنَ فَلا جُناحَ عَلَيكُم فى ما فَعَلنَ فى أَنفُسِهِنَّ مِن مَعروفٍ وَاللَّهُ عَزيزٌ حَكيمٌ
(2:240) और तुममें से जो लोग मृत्यु पा जायें और पत्नियाँ छोड़ रहे हों, वह अपनी पत्नियों के सम्बन्ध में वसीयत कर दें कि एक वर्ष तक उनको घर में रखकर ख़र्च दिया जाये। फिर यदि वह स्वंय घर छोड़ दें तो जो कुछ वह अपने सम्बन्ध में अच्छी रीति के अनुसार करें, उसका तुम पर कोई आरोप नहीं। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।
وَلِلمُطَلَّقٰتِ مَتٰعٌ بِالمَعروفِ حَقًّا عَلَى المُتَّقينَ
(2:241) और तलाकशुदा औरतों को क़ायदे के मुताबिक खर्च देना है, यह नेक लोगों पर अनिवार्य है।
كَذٰلِكَ يُبَيِّنُ اللَّهُ لَكُم ءايٰتِهِ لَعَلَّكُم تَعقِلونَ
(2:242) इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयतें खोलकर बयान करता है, ताकि तुम समझ से काम लो।
أَلَم تَرَ إِلَى الَّذينَ خَرَجوا مِن دِيٰرِهِم وَهُم أُلوفٌ حَذَرَ المَوتِ فَقالَ لَهُمُ اللَّهُ موتوا ثُمَّ أَحيٰهُم إِنَّ اللَّهَ لَذو فَضلٍ عَلَى النّاسِ وَلٰكِنَّ أَكثَرَ النّاسِ لا يَشكُرونَ
(2:243) क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जो अपने घरों से मौत के डर से भाग खड़े हुए, जबकि उनकी संख्या हज़ारों में थी। तो अल्लाह ने उनसे कहा कि मर जाओ। फिर उसने उनको जीवित किया। वास्तव में, अल्लाह लोगों पर बहुत कृपा करने वाला है। परन्तु अधिकतर लोग आभार व्यक्त नहीं करते।
وَقٰتِلوا فى سَبيلِ اللَّهِ وَاعلَموا أَنَّ اللَّهَ سَميعٌ عَليمٌ
(2:244) और अल्लाह की राह में लडों, और जान लो कि अल्लाह सब कुछ सुननेवाला, जाननेवाले है।
مَن ذَا الَّذى يُقرِضُ اللَّهَ قَرضًا حَسَنًا فَيُضٰعِفَهُ لَهُ أَضعافًا كَثيرَةً وَاللَّهُ يَقبِضُ وَيَبصُۜطُ وَإِلَيهِ تُرجَعونَ
(2:245) कौन है जो अल्लाह को बेहतरीन कर्ज दे कि वो उसको बढ़ा कर उसके लिए कई गुना कर दे। और अल्लाह ही तंगी भी पैदा करता है और कुशादगी भी प्रदान करता है। और तुम सब उसी की ओर लौटाये जाओगे।
أَلَم تَرَ إِلَى المَلَإِ مِن بَنى إِسرٰءيلَ مِن بَعدِ موسىٰ إِذ قالوا لِنَبِىٍّ لَهُمُ ابعَث لَنا مَلِكًا نُقٰتِل فى سَبيلِ اللَّهِ قالَ هَل عَسَيتُم إِن كُتِبَ عَلَيكُمُ القِتالُ أَلّا تُقٰتِلوا قالوا وَما لَنا أَلّا نُقٰتِلَ فى سَبيلِ اللَّهِ وَقَد أُخرِجنا مِن دِيٰرِنا وَأَبنائِنا فَلَمّا كُتِبَ عَلَيهِمُ القِتالُ تَوَلَّوا إِلّا قَليلًا مِنهُم وَاللَّهُ عَليمٌ بِالظّٰلِمينَ
(2:246) क्या तुमने मूसा के बाद बनी इस्राईल के सरदारों को नहीं देखा? जब उन्होंने अपने नबी से कहा कि हमारे लिए एक बादशाह नियुक्त कर दो, ताकि हम अल्लाह के रास्ते में लड़ें। उसने कहा, ‘यदि तुम्हें लड़ाई का आदेश दिया जाए तो क्या तुम्हारे बारे में यह सम्भावना नहीं है कि तुम न लड़ो? वह बोले हमको क्या हुआ है जो हम अल्लाह की राह में न लड़ें जब कि हमको अपने घरों से निकाला गया है और अपने बच्चों से अलग किया गया है। और जब उनको लड़ाई का हुक्म हुआ तो उनमें से कुछ को छोड़ कर बाकी सब (लड़ने की बात से) फिर गए। और अल्लाह ज़ालिमों को खूब जानता है।
وَقالَ لَهُم نَبِيُّهُم إِنَّ اللَّهَ قَد بَعَثَ لَكُم طالوتَ مَلِكًا قالوا أَنّىٰ يَكونُ لَهُ المُلكُ عَلَينا وَنَحنُ أَحَقُّ بِالمُلكِ مِنهُ وَلَم يُؤتَ سَعَةً مِنَ المالِ قالَ إِنَّ اللَّهَ اصطَفىٰهُ عَلَيكُم وَزادَهُ بَسطَةً فِى العِلمِ وَالجِسمِ وَاللَّهُ يُؤتى مُلكَهُ مَن يَشاءُ وَاللَّهُ وٰسِعٌ عَليمٌ
(2:247) और उनके नबी ने उनसे कहा, बेशक अल्लाह ने तुम्हारे लिए तालूत को बादशाह नियुक्त किया है। वह बोले हम पर उसकी हुकूमत कैसे हो सकती है जबकि हम उसके मुक़ाबले में बादशाही के ज़्यादा हक़दार है। और वह मालदार भी नहीं है। उसने कहा बेशक अल्लाह ने तुम पर उसको पसन्द फरमाया है। और उसको ज्ञान में और शारीरिक क्षमता में तुम से जियादा बरकत दी है। और अल्लाह जिसको चाहे अपना राज्य अता करता है। और अल्लाह बहुत व्यापकता रखने वाला, जानने वाला है।
وَقالَ لَهُم نَبِيُّهُم إِنَّ ءايَةَ مُلكِهِ أَن يَأتِيَكُمُ التّابوتُ فيهِ سَكينَةٌ مِن رَبِّكُم وَبَقِيَّةٌ مِمّا تَرَكَ ءالُ موسىٰ وَءالُ هٰرونَ تَحمِلُهُ المَلٰئِكَةُ إِنَّ فى ذٰلِكَ لَـٔايَةً لَكُم إِن كُنتُم مُؤمِنينَ
(2:248) उनके नबी ने उनसे कहा, ‘उसकी बादशाही की निशानी यह है कि वह संदूक तुम्हारे पास आ जाएगा, जिसमें तुम्हारे रब की तरफ से तुम्हारे लिए अमन है और मूसा और हारून के लोगों की छोड़ी हुई यादगारें हैं, जिसको फ़रिश्ते उठाए हुए होंगे। यदि तुम ईमानवाले हो तो, बेशक इसमें तुम्हारे लिए बड़ी निशानी है।’
فَلَمّا فَصَلَ طالوتُ بِالجُنودِ قالَ إِنَّ اللَّهَ مُبتَليكُم بِنَهَرٍ فَمَن شَرِبَ مِنهُ فَلَيسَ مِنّى وَمَن لَم يَطعَمهُ فَإِنَّهُ مِنّى إِلّا مَنِ اغتَرَفَ غُرفَةً بِيَدِهِ فَشَرِبوا مِنهُ إِلّا قَليلًا مِنهُم فَلَمّا جاوَزَهُ هُوَ وَالَّذينَ ءامَنوا مَعَهُ قالوا لا طاقَةَ لَنَا اليَومَ بِجالوتَ وَجُنودِهِ قالَ الَّذينَ يَظُنّونَ أَنَّهُم مُلٰقُوا اللَّهِ كَم مِن فِئَةٍ قَليلَةٍ غَلَبَت فِئَةً كَثيرَةً بِإِذنِ اللَّهِ وَاللَّهُ مَعَ الصّٰبِرينَ
(2:249) फिर जब तालूत अपनी फौज लेकर निकले तो उनसे कहा कि अल्लाह निश्चित रूप से एक (पानी की) नहर द्वारा तुम्हारी परीक्षा लेनेवाला है। तो जिसने उसका पानी पी लिया, वह मुझमें से नहीं है और जिसने उसका पानी नहीं पिया, वही मुझमें से है। यह और बात है कि कोई अपने हाथ से थोड़ा सा भर कर ले ले। फिर उनमें से सब ने पानी पी लिया मगर कुछ को छोड़ कर। फिर जब तालूत और ईमान वाले (नहर को) पार कर चुके तो कहने लगे। हमको आज जालूत और उसके लश्कर से लड़ने की ताक़त नहीं है। जिन लोगों को अल्लाह से मिलने का यक़ीन था वह कहने लगे। बहुत छोटे से लश्कर ने अल्लाह के हुक्म से एक बड़े से लश्कर पर विजय प्राप्त की है। और अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है।
وَلَمّا بَرَزوا لِجالوتَ وَجُنودِهِ قالوا رَبَّنا أَفرِغ عَلَينا صَبرًا وَثَبِّت أَقدامَنا وَانصُرنا عَلَى القَومِ الكٰفِرينَ
(2:250) और जब वह सामने हुए जालूत और उसकी फौज के तो बोले ऐ हमारे रब हमे सब्र (और धैर्य) प्रदान कर और हमको साबित कदम रख और हमारी मदद फर्मा इस काफिर क़ौम पर।
فَهَزَموهُم بِإِذنِ اللَّهِ وَقَتَلَ داوۥدُ جالوتَ وَءاتىٰهُ اللَّهُ المُلكَ وَالحِكمَةَ وَعَلَّمَهُ مِمّا يَشاءُ وَلَولا دَفعُ اللَّهِ النّاسَ بَعضَهُم بِبَعضٍ لَفَسَدَتِ الأَرضُ وَلٰكِنَّ اللَّهَ ذو فَضلٍ عَلَى العٰلَمينَ
(2:251) फिर उन्होंने अल्लाह के हुक्म से जालूत और उसके लश्कर को हरा दिया। और दाऊद ने जालूत को क़त्ल कर दिया। और अल्लाह ने दाऊद को बादशाहत और हिक्मत अता की, और जो (दाऊद ने) चाहा वह सब उसको सिखाया। और यदि अल्लाह कुछ लोगों को कुछ लोगों से न बचाता रहे तो धरती बिगाड़ से भर जाये। परन्तु अल्लाह सारे जहाँन के लोगों पर बहुत मेहेरबान है।
تِلكَ ءايٰتُ اللَّهِ نَتلوها عَلَيكَ بِالحَقِّ وَإِنَّكَ لَمِنَ المُرسَلينَ
(2:252) ये अल्लाह की आयतें है जो हम तुम्हें सच्चाई की साथ सुना रहे है और निश्चय ही तुम* उन लोगों में से हो, जो रसूल बनाकर भेजे गए है
تِلكَ الرُّسُلُ فَضَّلنا بَعضَهُم عَلىٰ بَعضٍ مِنهُم مَن كَلَّمَ اللَّهُ وَرَفَعَ بَعضَهُم دَرَجٰتٍ وَءاتَينا عيسَى ابنَ مَريَمَ البَيِّنٰتِ وَأَيَّدنٰهُ بِروحِ القُدُسِ وَلَو شاءَ اللَّهُ مَا اقتَتَلَ الَّذينَ مِن بَعدِهِم مِن بَعدِ ما جاءَتهُمُ البَيِّنٰتُ وَلٰكِنِ اختَلَفوا فَمِنهُم مَن ءامَنَ وَمِنهُم مَن كَفَرَ وَلَو شاءَ اللَّهُ مَا اقتَتَلوا وَلٰكِنَّ اللَّهَ يَفعَلُ ما يُريدُ
(2:253) ये रसूल हैं, हमने उनमें से कुछ को दूसरों से ज़्यादा फज़ीलत दी है। इनमें कुछ से तो अल्लाह ने बात की, और इनमें से कुछ को ऊँचे दर्जे दिए। और मरयम के बेटे ईसा को हमने खुली निशानियाँ दी और पवित्र आत्मा से उसकी सहायता की। और यदि अल्लाह चाहता तो वे लोग, जो उनके बाद हुवे, खुली निशानियाँ पा लेने के बाद आपस में न लड़ते। मगर वो आपस में झगड़ते थे तो उनमें से कुछ ईमान लाए और कुछ ने इनकार की नीति अपनाई। और यदि अल्लाह चाहता तो वे आपस में न लड़ते, परन्तु अल्लाह जो चाहता है, करता है (सब कुछ खुदा की मर्जी से है)।
يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا أَنفِقوا مِمّا رَزَقنٰكُم مِن قَبلِ أَن يَأتِىَ يَومٌ لا بَيعٌ فيهِ وَلا خُلَّةٌ وَلا شَفٰعَةٌ وَالكٰفِرونَ هُمُ الظّٰلِمونَ
(2:254) ऐ ईमान वालों खर्च करो उसमे से जो हमने तुम्हें रोज़ी अता कि है इस से पहले वह दिन आजाए जिसमें न तो कोई सौदा होगा, न कोई दोस्ती होगी और न कोई सिफारिश होगी। और ज़ालिम वही है, जिन्होंने इनकार की नीति अपनाई है।
اللَّهُ لا إِلٰهَ إِلّا هُوَ الحَىُّ القَيّومُ لا تَأخُذُهُ سِنَةٌ وَلا نَومٌ لَهُ ما فِى السَّمٰوٰتِ وَما فِى الأَرضِ مَن ذَا الَّذى يَشفَعُ عِندَهُ إِلّا بِإِذنِهِ يَعلَمُ ما بَينَ أَيديهِم وَما خَلفَهُم وَلا يُحيطونَ بِشَىءٍ مِن عِلمِهِ إِلّا بِما شاءَ وَسِعَ كُرسِيُّهُ السَّمٰوٰتِ وَالأَرضَ وَلا يَـٔودُهُ حِفظُهُما وَهُوَ العَلِىُّ العَظيمُ
(2:255) अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं है। वह ज़िन्दा है और सबको थामने वाला है। न तो उसको सुस्ती आती है और न ही नीन्द। जो कुछ जमीन और आसमान में है उसी का है। ऐसा कौन है जो उसके पास सिफारिश करे मगर उसकी इजाज़त के बाद। वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है। और कोई भी उसके इल्म में से किसी चीज़ पर हावी नहीं हो सकता, सिवाय उसके जो उसने चाहा। उसका सिंहासन आकाश और धरती को घेरे हुवे है और उन दोनों की हिफ़ाज़त उसे थकाती नहीं है और वो सबसे उच्च, महान है।
لا إِكراهَ فِى الدّينِ قَد تَبَيَّنَ الرُّشدُ مِنَ الغَىِّ فَمَن يَكفُر بِالطّٰغوتِ وَيُؤمِن بِاللَّهِ فَقَدِ استَمسَكَ بِالعُروَةِ الوُثقىٰ لَا انفِصامَ لَها وَاللَّهُ سَميعٌ عَليمٌ
(2:256) दीन के मामले में कोई ज़बरदस्ती नहीं है। बेशक सही रास्ता गलत रास्ते से जुदा हो चुका हैं। जिसने इनकार किया शैतान का और अल्लाह पर ईमान लाया तो उसने ऐसा मज़बूत सहारा थाम लिया जो कभी टूटनेवाला नहीं। और अल्लाह सब कुछ सुननेवाला और जाननेवाला है।
اللَّهُ وَلِىُّ الَّذينَ ءامَنوا يُخرِجُهُم مِنَ الظُّلُمٰتِ إِلَى النّورِ وَالَّذينَ كَفَروا أَولِياؤُهُمُ الطّٰغوتُ يُخرِجونَهُم مِنَ النّورِ إِلَى الظُّلُمٰتِ أُولٰئِكَ أَصحٰبُ النّارِ هُم فيها خٰلِدونَ
(2:257) जो लोग ईमान लाते है, अल्लाह उनका मददगार और रक्षक है। वह उन्हें अँधेरों से निकालकर रौशनी की ओर ले जाता है। और जो लोग काफिर हैं वह शैतान के दोस्त हैं, वह उनको रौशनी से अन्धेरों की तरफ ले जाता है। यही लोग है जो जहन्नम की आग में गिरनेवाले है और वे उसमें हमेशा के लिए रेहने वाले है।
أَلَم تَرَ إِلَى الَّذى حاجَّ إِبرٰهـۧمَ فى رَبِّهِ أَن ءاتىٰهُ اللَّهُ المُلكَ إِذ قالَ إِبرٰهـۧمُ رَبِّىَ الَّذى يُحى ۦ وَيُميتُ قالَ أَنا۠ أُحى ۦ وَأُميتُ قالَ إِبرٰهـۧمُ فَإِنَّ اللَّهَ يَأتى بِالشَّمسِ مِنَ المَشرِقِ فَأتِ بِها مِنَ المَغرِبِ فَبُهِتَ الَّذى كَفَرَ وَاللَّهُ لا يَهدِى القَومَ الظّٰلِمينَ
(2:258) क्या तुमने उस शख्स को नहीं देखा जो इस वजह से कि अल्लाह ने उसे सल्तनत दी थी इब्राहीम से अपने रब ही के बारे में झगड़ा करने लगा, जब इब्राहीम ने कहा मेरा रब वोह है जो जिन्दा भी करता है और मारता भी है तो केहने लगा : मैं भी जिन्दा करता हूं और मारता हूं, इब्राहीम ने कहा : बेशक अल्लाह सूरज को मशरिक की तरफ से निकालता है तू उसे मगरिब की तरफ से निकाल कर ले आ। तब वह काफिर हैरान रह गया। और अल्लाह ज़ालिम लोगों को सीधी राह नहीं दिखाता।
أَو كَالَّذى مَرَّ عَلىٰ قَريَةٍ وَهِىَ خاوِيَةٌ عَلىٰ عُروشِها قالَ أَنّىٰ يُحى ۦ هٰذِهِ اللَّهُ بَعدَ مَوتِها فَأَماتَهُ اللَّهُ مِا۟ئَةَ عامٍ ثُمَّ بَعَثَهُ قالَ كَم لَبِثتَ قالَ لَبِثتُ يَومًا أَو بَعضَ يَومٍ قالَ بَل لَبِثتَ مِا۟ئَةَ عامٍ فَانظُر إِلىٰ طَعامِكَ وَشَرابِكَ لَم يَتَسَنَّه وَانظُر إِلىٰ حِمارِكَ وَلِنَجعَلَكَ ءايَةً لِلنّاسِ وَانظُر إِلَى العِظامِ كَيفَ نُنشِزُها ثُمَّ نَكسوها لَحمًا فَلَمّا تَبَيَّنَ لَهُ قالَ أَعلَمُ أَنَّ اللَّهَ عَلىٰ كُلِّ شَىءٍ قَديرٌ
(2:259) या उस शख्स को तूने न देखा कि वह एक शहर से गुज़रा, जिसके तमाम घरों की छतें गिरी पड़ी थीं। तब वह शख्स बोला अल्लाह क्यों कर इस शहर को आबाद करेगा और यहां के लोगें को ज़िन्दा करेगा। फिर अल्लाह ने उसे सौ साल के लिए मार दिया, फिर सौ साल बाद ज़िन्दा किया। तब उससे पूछा तुम यहां कितनी देर रहे? तो वह बोला मैं एक दिन या उससे कुछ कम यहां रहा। उसने कहा नहीं बल्कि तू यहां सौ साल तक रहा है। अब अपने खाने और पीने की चीज़ों को देख ले, उन पर समय का कोई प्रभाव नहीं, और अपने गधे को भी देख, और यह इसलिए कह रहे है ताकि हम तुझे लोगों के लिए एक निशानी बना दें और हड्डियों को देख कि किस प्रकार हम उन्हें उभारते है, फिर, उनपर माँस चढ़ाते है। फिर जब उस पर यह हाल ज़ाहिर हुआ तो वह बोल उठा ”मुझे मालूम हो चूका की अल्लाह को हर चीज़ पर सामर्थ्य प्राप्त है।”
وَإِذ قالَ إِبرٰهـۧمُ رَبِّ أَرِنى كَيفَ تُحىِ المَوتىٰ قالَ أَوَلَم تُؤمِن قالَ بَلىٰ وَلٰكِن لِيَطمَئِنَّ قَلبى قالَ فَخُذ أَربَعَةً مِنَ الطَّيرِ فَصُرهُنَّ إِلَيكَ ثُمَّ اجعَل عَلىٰ كُلِّ جَبَلٍ مِنهُنَّ جُزءًا ثُمَّ ادعُهُنَّ يَأتينَكَ سَعيًا وَاعلَم أَنَّ اللَّهَ عَزيزٌ حَكيمٌ
(2:260) जब इब्राहीम ने कहा ऐ मेरे रब मुझे दिखाइये कि आप मुर्दों को किस तरह ज़िन्दा करते हैं। उसने कहा क्या तुम्हे यक़ीन नहीं है? कहा क्यों नहीं लेकिन मैं चाहता हूं कि मेरे दिल को सन्तुष्टि मिल जाय। उसने कहा तो चार परिन्दे पकड़ लो और उनको अपने से हिला मिला (कर निशानी को याद रख) लो और फिर रखदो उनके बदन का एक एक टुकड़ा हर पहाड़ पर। फिर उनको बुला लो तो वह तुम्हारे पास जल्दी से उड़ते हुए चले आयेंगे। और जान लो की यक़ीनन अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली हिकमत वाला है।
إِنَّ ٱلَّذِينَ عِندَ رَبِّكَ لَا يَسْتَكْبِرُونَ عَنْ عِبَادَتِهِۦ وَيُسَبِّحُونَهُۥ وَلَهُۥ يَسْجُدُونَ
(2:261) जो लोग अल्लाह के राह में खर्च करते हैं उनकी मिसाल ऐसी है जैसे एक दाना जिससे सात बालियां उगें और हर बाली में सौ-सौ दानें हों। और अल्लाह जिसके लिये चाहता है कही गुना ज़्यादा कर देता है। और अल्लाह बहुत व्यापकता रखने वाला और सब कुछ जानने वाला है।
الَّذينَ يُنفِقونَ أَموٰلَهُم فى سَبيلِ اللَّهِ ثُمَّ لا يُتبِعونَ ما أَنفَقوا مَنًّا وَلا أَذًى لَهُم أَجرُهُم عِندَ رَبِّهِم وَلا خَوفٌ عَلَيهِم وَلا هُم يَحزَنونَ
(2:262) जो लोग अपनी दौलत को अल्लाह के रास्ते में खर्च करते हैं। फिर खर्च करने के बाद एहसान नहीं जताते हैं और न हि दिल दुखाते है। उनके लिए उनके रब के पास उनका बदला है। और न तो उनके लिए कोई ख़ौफ़ होगा और न ही वे गमगीन होंगे।
قَولٌ مَعروفٌ وَمَغفِرَةٌ خَيرٌ مِن صَدَقَةٍ يَتبَعُها أَذًى وَاللَّهُ غَنِىٌّ حَليمٌ
(2:263) नर्मी से जवाब देना और दरगुज़र करना बेहतर है उस खैरात से जिस के पीछे सताना या दिल दुखाने का मकसद हो। और अल्लाह धनवान और निहायत बर्दाश्त करने वाला है।
يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا لا تُبطِلوا صَدَقٰتِكُم بِالمَنِّ وَالأَذىٰ كَالَّذى يُنفِقُ مالَهُ رِئاءَ النّاسِ وَلا يُؤمِنُ بِاللَّهِ وَاليَومِ الـٔاخِرِ فَمَثَلُهُ كَمَثَلِ صَفوانٍ عَلَيهِ تُرابٌ فَأَصابَهُ وابِلٌ فَتَرَكَهُ صَلدًا لا يَقدِرونَ عَلىٰ شَىءٍ مِمّا كَسَبوا وَاللَّهُ لا يَهدِى القَومَ الكٰفِرينَ
(2:264) ऐ ईमान वालों अपनी खैरात को एहसान जता कर या उससे दिल दुखा कर मत बर्बाद करो। जैसे उस शख्स की तरह जो अपना माल दिखाने के लिए खर्च करता है। वह अल्लाह पर और कियामत के दिन पर यकीन नहीं रखता है। सो उसकी मिसाल ऐसी है जैसे साफ पत्थर हो और उस पर मिट्टी पड़ी हो फिर जोर की बारिश हो और सारी मिट्टी बह कर पत्थर बिलकुल साफ हो जाये और ऐसे लोगों के हाथ उनके किसी भी ख़ैरात का कुछ बदला नहीं मिलेगा और अल्लाह काफिरों को सीधी राह नहीं दिखाता।
وَمَثَلُ الَّذينَ يُنفِقونَ أَموٰلَهُمُ ابتِغاءَ مَرضاتِ اللَّهِ وَتَثبيتًا مِن أَنفُسِهِم كَمَثَلِ جَنَّةٍ بِرَبوَةٍ أَصابَها وابِلٌ فَـٔاتَت أُكُلَها ضِعفَينِ فَإِن لَم يُصِبها وابِلٌ فَطَلٌّ وَاللَّهُ بِما تَعمَلونَ بَصيرٌ
(2:265) जो अल्लाह की खुशी हासिल करने के लिए सच्चे इरादे से अपना माल खर्च करते हैं उनकी मिसाल ऐसी है जैसे किसी बुलन्द ज़मीन पर एक बाग़ हो और उस पर जोर की बारिश हो और उसमें दोगुणा फल आये। और अगर बारिश न हो तो हलके पानी की फुवार ही काफी है। और अल्लाह तुम्हारे कामों को खूब देखता है।
أَيَوَدُّ أَحَدُكُم أَن تَكونَ لَهُ جَنَّةٌ مِن نَخيلٍ وَأَعنابٍ تَجرى مِن تَحتِهَا الأَنهٰرُ لَهُ فيها مِن كُلِّ الثَّمَرٰتِ وَأَصابَهُ الكِبَرُ وَلَهُ ذُرِّيَّةٌ ضُعَفاءُ فَأَصابَها إِعصارٌ فيهِ نارٌ فَاحتَرَقَت كَذٰلِكَ يُبَيِّنُ اللَّهُ لَكُمُ الـٔايٰتِ لَعَلَّكُم تَتَفَكَّرونَ
(2:266) क्या तुममें से कोई यह चाहेगा कि उसके पास ख़जूरों और अंगूरों का एक बाग़ हो, और उसके नीचे नहरें बहती हों। और उस बाग़ में हर तरह के मेवे हों। और उस पर बुढ़ापा आगया हो और उसकी औलाद भी कमज़ोर हों। तब उस बाग़ पर आग का तूफ़ान आ जाये और उससे वह बाग जल गया हो। इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे सामने आयतें खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम सोच-विचार करो।
يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا أَنفِقوا مِن طَيِّبٰتِ ما كَسَبتُم وَمِمّا أَخرَجنا لَكُم مِنَ الأَرضِ وَلا تَيَمَّمُوا الخَبيثَ مِنهُ تُنفِقونَ وَلَستُم بِـٔاخِذيهِ إِلّا أَن تُغمِضوا فيهِ وَاعلَموا أَنَّ اللَّهَ غَنِىٌّ حَميدٌ
(2:267) ऐ ईमान वालों अपनी कमाई में से पाक और अच्छी चीज़ों को खर्च करो और उन चीज़ों में से जो हमने तुम्हारे लिए ज़मीन से पैदा कीं हैं। और गन्दी चीज़ों को खर्च करने का इरादा न करो। हालांकि तुम उसको कभी न लोगे (अगर वह तुमको दी जाये), यह और बात है कि उसको लेने में देखी-अनदेखी कर जाओ। तुम्हे मालूम होना चाहिए की अल्लाह बेपरवाह बेनियाज़ और सब तारीफ़ के काबिल (खूबियों वाला) है।
الشَّيطٰنُ يَعِدُكُمُ الفَقرَ وَيَأمُرُكُم بِالفَحشاءِ وَاللَّهُ يَعِدُكُم مَغفِرَةً مِنهُ وَفَضلًا وَاللَّهُ وٰسِعٌ عَليمٌ
(2:268) शैतान तुमको तंगदस्ती का वादा करता है और बेहायाई का हुक्म देता है। और अल्लाह तुम से अपनी क्षमा और बख्शिश का वादा करता है। और अल्लाह बहुत व्यापकता रखने वाला और सब कुछ जानने वाला है।
يُؤتِى الحِكمَةَ مَن يَشاءُ وَمَن يُؤتَ الحِكمَةَ فَقَد أوتِىَ خَيرًا كَثيرًا وَما يَذَّكَّرُ إِلّا أُولُوا الأَلبٰبِ
(2:269) वह जिसको चाहे हिदायत अता करता है। और जिसको हिदायत मिली उसको बड़ी दौलत मिल गयी। और नसीहत वही कुबूल करते हैं जो बुद्धि और समझवाले हैं।
وَما أَنفَقتُم مِن نَفَقَةٍ أَو نَذَرتُم مِن نَذرٍ فَإِنَّ اللَّهَ يَعلَمُهُ وَما لِلظّٰلِمينَ مِن أَنصارٍ
(2:270) और तुम जो कुछ भी खैरात सदक़ा करोगे या जो कोई (खैरात करने की) मन्नत मानों गे, बेशक अल्लाह उन सब को जानता है। और ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं।
إِنَّ ٱلَّذِينَ عِندَ رَبِّكَ لَا يَسْتَكْبِرُونَ عَنْ عِبَادَتِهِۦ وَيُسَبِّحُونَهُۥ وَلَهُۥ يَسْجُدُونَ
(2:271) अगर तुम खैरात को ज़ाहिर करके दो तो यह भी अच्छा है। और अगर उसको छुपा कर फकीरों को दो तो वह तुम्हारे हक़ में जियादा बेहतर है। और (यह अमल) तुम्हारे कितने ही गुनाह को दूर कर देगा। और तुम जो कुछ करते हो अल्लाह को उसकी पूरी ख़बर है।
لَيسَ عَلَيكَ هُدىٰهُم وَلٰكِنَّ اللَّهَ يَهدى مَن يَشاءُ وَما تُنفِقوا مِن خَيرٍ فَلِأَنفُسِكُم وَما تُنفِقونَ إِلَّا ابتِغاءَ وَجهِ اللَّهِ وَما تُنفِقوا مِن خَيرٍ يُوَفَّ إِلَيكُم وَأَنتُم لا تُظلَمونَ
(2:272) उनको हिदायत देना तुम्हारी ज़िम्मेदारी नहीं है। लेकिन अल्लाह जिसको चाहता है हिदायत देता है। और जो भी माल तुम खर्च करोगे अपने भले के लिये हि खर्च करोगे। आख़िर तुम इसी लिए तो ख़र्च करते हो कि अल्लाह की ख़ुशी प्राप्त हो। और जो कुछ भी तुम ख़र्च करोगे, उसका पूरा-पूरा बदला तुम्हें दिया जाएगा और तुम पर कोई ज़ुल्म नहीं किया जाएगा।
لِلفُقَراءِ الَّذينَ أُحصِروا فى سَبيلِ اللَّهِ لا يَستَطيعونَ ضَربًا فِى الأَرضِ يَحسَبُهُمُ الجاهِلُ أَغنِياءَ مِنَ التَّعَفُّفِ تَعرِفُهُم بِسيمٰهُم لا يَسـَٔلونَ النّاسَ إِلحافًا وَما تُنفِقوا مِن خَيرٍ فَإِنَّ اللَّهَ بِهِ عَليمٌ
(2:273) यह (ख़ैरात) उन मुहताजों के लिए है जो अल्लाह की राह में इस तरह रूके हुए हैं कि धरती में कोई दौड़-धूप नहीं कर सकते। उनके स्वाभिमान के कारण अपरिचित व्यक्ति उन्हें धनवान समझता है। लेकिन तुम उन्हें उनके चेहरों (के लक्षणो) से पहचान सकते हो। और वे लिपटकर लोगों से नहीं माँगते। जो माल भी तुम ख़र्च करोगे बेशक अल्लाह उसको जानता है।
الَّذينَ يُنفِقونَ أَموٰلَهُم بِالَّيلِ وَالنَّهارِ سِرًّا وَعَلانِيَةً فَلَهُم أَجرُهُم عِندَ رَبِّهِم وَلا خَوفٌ عَلَيهِم وَلا هُم يَحزَنونَ
(2:274) जो लोग अपने माल को दिन रात, जाहिर में और छुप कर खर्च करते हैं। उनका बदला उनके रब के पास है। और उन पर किसी भी तरह का ख़ौफ़ नहीं होगा और नही उन पर किसी भी क़िस्म की उदासीनता होगी।
الَّذينَ يَأكُلونَ الرِّبوٰا۟ لا يَقومونَ إِلّا كَما يَقومُ الَّذى يَتَخَبَّطُهُ الشَّيطٰنُ مِنَ المَسِّ ذٰلِكَ بِأَنَّهُم قالوا إِنَّمَا البَيعُ مِثلُ الرِّبوٰا۟ وَأَحَلَّ اللَّهُ البَيعَ وَحَرَّمَ الرِّبوٰا۟ فَمَن جاءَهُ مَوعِظَةٌ مِن رَبِّهِ فَانتَهىٰ فَلَهُ ما سَلَفَ وَأَمرُهُ إِلَى اللَّهِ وَمَن عادَ فَأُولٰئِكَ أَصحٰبُ النّارِ هُم فيها خٰلِدونَ
(2:275) जो लोग ब्याज़ खाते हैं वह (कयामत में) इस तरह उठेंगे जैसे उनको शैतान ने स्पर्श करके उनके होसो-हवास खो दिया हों। यह इस लिये है कि वह कहते हैं कि व्यापार भी तो ब्याज के जैसी ही है। जबकि अल्लाह ने व्यापार को हलाल और ब्याज़ को हराम किया है। फिर जिसको अपने रब की तरफ से नसीहत पहूंची और वह रूक गया, तो जो कुछ पहले ले चुका वह उसी का रहा और मामला उसका अल्लाह के हवाले है। और जो कोई इसके बाद भी ब्याज़ ले तो वही लोग (जहन्नम की) आग में पड़नेवाले है और वह उसमें हमेशा रहेंगे।
يَمحَقُ اللَّهُ الرِّبوٰا۟ وَيُربِى الصَّدَقٰتِ وَاللَّهُ لا يُحِبُّ كُلَّ كَفّارٍ أَثيمٍ
(2:276) अल्लाह ब्याज को धिक्कारता है और ख़ैरात को ज्यादा कर देता है। और अल्लाह प्रत्येक काफ़िर (और) अपराधी को नापसंद करता है।
إِنَّ الَّذينَ ءامَنوا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَأَقامُوا الصَّلوٰةَ وَءاتَوُا الزَّكوٰةَ لَهُم أَجرُهُم عِندَ رَبِّهِم وَلا خَوفٌ عَلَيهِم وَلا هُم يَحزَنونَ
(2:277) निस्संदेह जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और नमाज़ क़ायम किया और ज़कात देते हैं, उनके लिए उनका बदला उनके रब के पास है, और उन्हें न कोई खौफ होगा और न वह ग़मगीन होंगे।
يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ وَذَروا ما بَقِىَ مِنَ الرِّبوٰا۟ إِن كُنتُم مُؤمِنينَ
(2:278) ऐ ईमान वालों अल्लाह से डरो और जो ब्याज़ बाकी रह गया है उसे छोड़ दो। अगर तुम ईमान रखते हो (खुदा पर) ।
إِن لَم تَفعَلوا فَأذَنوا بِحَربٍ مِنَ اللَّهِ وَرَسولِهِ وَإِن تُبتُم فَلَكُم رُءوسُ أَموٰلِكُم لا تَظلِمونَ وَلا تُظلَمونَ
(2:279) फिर अगर तुम (ब्याज़ को) नहीं छोड़ सकते हो तो अल्लाह और उसके रसूल से जंग करने के लिए तैयार हो जाओ। और अगर तुम तौबा करते हो तो अपना मूलधन लेने का तुम्हें अधिकार है। न तुम किसी पर जुल्म करो और न कोई तुम्हारे साथ ज़ुल्म करे।
وَإِن كانَ ذو عُسرَةٍ فَنَظِرَةٌ إِلىٰ مَيسَرَةٍ وَأَن تَصَدَّقوا خَيرٌ لَكُم إِن كُنتُم تَعلَمونَ
(2:280) और अगर तुम्हारा क़र्ज़दार तंगी में हो, तो उसकी हालत सुधरने तक उसे मुहलत दो। और अगर तुम (उसके कर्ज को) माफ़ कर सकते हो तो तुम्हारे लिए जियादा बेहतर है। अगर तुम समझो तो।
وَاتَّقوا يَومًا تُرجَعونَ فيهِ إِلَى اللَّهِ ثُمَّ تُوَفّىٰ كُلُّ نَفسٍ ما كَسَبَت وَهُم لا يُظلَمونَ
(2:281) और डरते रहो उस दिन से जिस दिन तुम सब अल्लाह की तरफ लौटा दिये जाओगे। और हर शख्स को जो कुछ उसने कमाया उसका पूरा-पूरा बदला दिया जायेगा। और उनके साथ कदापि कोई जुल्म नहीं होगा।
يٰأَيُّهَا الَّذينَ ءامَنوا إِذا تَدايَنتُم بِدَينٍ إِلىٰ أَجَلٍ مُسَمًّى فَاكتُبوهُ وَليَكتُب بَينَكُم كاتِبٌ بِالعَدلِ وَلا يَأبَ كاتِبٌ أَن يَكتُبَ كَما عَلَّمَهُ اللَّهُ فَليَكتُب وَليُملِلِ الَّذى عَلَيهِ الحَقُّ وَليَتَّقِ اللَّهَ رَبَّهُ وَلا يَبخَس مِنهُ شَيـًٔا فَإِن كانَ الَّذى عَلَيهِ الحَقُّ سَفيهًا أَو ضَعيفًا أَو لا يَستَطيعُ أَن يُمِلَّ هُوَ فَليُملِل وَلِيُّهُ بِالعَدلِ وَاستَشهِدوا شَهيدَينِ مِن رِجالِكُم فَإِن لَم يَكونا رَجُلَينِ فَرَجُلٌ وَامرَأَتانِ مِمَّن تَرضَونَ مِنَ الشُّهَداءِ أَن تَضِلَّ إِحدىٰهُما فَتُذَكِّرَ إِحدىٰهُمَا الأُخرىٰ وَلا يَأبَ الشُّهَداءُ إِذا ما دُعوا وَلا تَسـَٔموا أَن تَكتُبوهُ صَغيرًا أَو كَبيرًا إِلىٰ أَجَلِهِ ذٰلِكُم أَقسَطُ عِندَ اللَّهِ وَأَقوَمُ لِلشَّهٰدَةِ وَأَدنىٰ أَلّا تَرتابوا إِلّا أَن تَكونَ تِجٰرَةً حاضِرَةً تُديرونَها بَينَكُم فَلَيسَ عَلَيكُم جُناحٌ أَلّا تَكتُبوها وَأَشهِدوا إِذا تَبايَعتُم وَلا يُضارَّ كاتِبٌ وَلا شَهيدٌ وَإِن تَفعَلوا فَإِنَّهُ فُسوقٌ بِكُم وَاتَّقُوا اللَّهَ وَيُعَلِّمُكُمُ اللَّهُ وَاللَّهُ بِكُلِّ شَىءٍ عَليمٌ
(2:282) ऐ ईमान वालों जब तुम आपस में किसी निर्धारित समय के लिए उधार का लेन-देंन करो तो उसे लिख लिया करो। और किसी लिखने वाले को चाहिए कि तुम्हारे दरमियान इन्साफ के साथ लिखे। जिसे अल्लाह ने लिखने-पढ़ने की क़ाबिलियत दी हो, उसे लिखने से इनकार नहीं करना चाहिए। तो उसको चाहिए कि लिखे और कर्ज लेनेवाला व्यक्ति उसे बोलकर बतलाता जाए, और उसे अल्लाह का, जो उसका रब है, डर रखना चाहिए। और उसमें से कुछ कमी न करे। फिर अगर वह शख्स जिस पर कर्ज़ है वह कमज़ोर या कम अक्ल है या ठीक से बता नहीं सकता तो उसके वारिस को चाहिए कि इन्साफ के साथ बोलकर लिखा दे। फिर अपने मर्दों में से दो आदमियों की इसपर गवाही करा लो। और अगर दो मर्द न हो तो एक मर्द और दो औरतें हो ताकि एक भूल जाए तो दूसरी उसे याद दिला दे। ये गवाह ऐसे लोगों में से होने चाहिएँ, जिनकी गवाही तुमहारे बीच स्वीकार की जाती हो*। गवाहों को जब गवाह बनने के लिए कहा जाए, तो उन्हें इनकार न करना चाहिए। मामला चाहे छोटा हो या बड़ा, निर्धारित समय के साथ उसका दस्तावेज़ लिखवा लेने में सुस्ती न करो। अल्लाह के नज़दीक यह तरीक़ा तुम्हारे लिए ज़्यादा न्यायसंगत है, और इससे गवाही क़ायम होने में ज़्यादा आसानी होती है, और मामले को लिख लेने से यह उम्मीद बढ़ जाती है कि तुम शक में न पड़ो। मगर जब लेन-देन हाथों हाथ हो तो इस न लिखने में कोई गुनाह नहीं। और जब तुम सौदा करो तो गवाह बना लिया करो। और लिखनेवाले और गवाह को कोई नुकसान न पहुंचाए। और अगर तुम ऐसा करो तो यह तुमहारे लिए गुनाह की बात है। और डरते रहो अल्लाह से। और अल्लाह तुमको सिखाता है। और अल्लाह हर एक चीज़ से बाखबर है।
وَإِن كُنتُم عَلىٰ سَفَرٍ وَلَم تَجِدوا كاتِبًا فَرِهٰنٌ مَقبوضَةٌ فَإِن أَمِنَ بَعضُكُم بَعضًا فَليُؤَدِّ الَّذِى اؤتُمِنَ أَمٰنَتَهُ وَليَتَّقِ اللَّهَ رَبَّهُ وَلا تَكتُمُوا الشَّهٰدَةَ وَمَن يَكتُمها فَإِنَّهُ ءاثِمٌ قَلبُهُ وَاللَّهُ بِما تَعمَلونَ عَليمٌ
(2:283) और अगर तुम सफर में हो और कोई लिखने वाला न पाओ तो कर्ज़ के बदले मे कोई चीज़ को गिरवीह रख दो। फिर अगर तुम अमानत के लिए एक दूसरे पर भरोसा करो तो जिस पर भरोसा किया गया अमानत रखने के लिए उस शख्स को चाहिए कि वह पूरी अमानत लौटा दे। और डरते रहो अपने रब अल्लाह से। और गवाही को मत छुपाओ। जो उसे छिपाता है तो निश्चय ही उसका दिल गुनाहगार है। और जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है।
لِلَّهِ ما فِى السَّمٰوٰتِ وَما فِى الأَرضِ وَإِن تُبدوا ما فى أَنفُسِكُم أَو تُخفوهُ يُحاسِبكُم بِهِ اللَّهُ فَيَغفِرُ لِمَن يَشاءُ وَيُعَذِّبُ مَن يَشاءُ وَاللَّهُ عَلىٰ كُلِّ شَىءٍ قَديرٌ
(2:284) अल्लाह ही का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। और अगर तुम अपने दिल की बात जाहिर करो या छुपाओ, अल्लाह तुम से उसका हिसाब लेगा। फिर जिसे वोह चाहेगा बख्श देगा और जिसे चाहेगा अज़ाब देगा। और अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिरे कुदरत रखता है।
ءامَنَ الرَّسولُ بِما أُنزِلَ إِلَيهِ مِن رَبِّهِ وَالمُؤمِنونَ كُلٌّ ءامَنَ بِاللَّهِ وَمَلٰئِكَتِهِ وَكُتُبِهِ وَرُسُلِهِ لا نُفَرِّقُ بَينَ أَحَدٍ مِن رُسُلِهِ وَقالوا سَمِعنا وَأَطَعنا غُفرانَكَ رَبَّنا وَإِلَيكَ المَصيرُ
(2:285) ईमान लाए रसूल जो कुछ उसके रब की और से उन पर नाज़िल हुवा और ईमानवाले भी। सबके सब ईमान लाये अल्लाह पर, उसके फरिश्तों पर, उसकी किताबों पर और उसके रसूलों पर। और हम किसी रसूल के दरमियान कोई फर्क़ नहीं करते। और उनका कहना है की हमने सुना और हम तेरी ही फ़रमाबरदारी क़बूल करते हैं *। ऐ हमारे रब हमको माफ फर्मा, और हमको तेरी तरफ ही लौट कर आना है।
إِنَّ ٱلَّذِينَ عِندَ رَبِّكَ لَا يَسْتَكْبِرُونَ عَنْ عِبَادَتِهِۦ وَيُسَبِّحُونَهُۥ وَلَهُۥ يَسْجُدُونَ
(2:286) अल्लाह किसी भी शख्स को उसकी सहन-शक्ति से बढ़कर ज़िम्मेदारी का बोझ नहीं डालता। हर आदमी ने जो कमाई की है, उसका फल उसी के लिए है और जो बुराई समेटी है, उसका वबाल उसी पर है। ऐ हमारे रब, हमसे भूलचूक में जो ख़ताएँ हो जाएँ, उनपर हमारी पकड़ न कर। और हम पर ऐसे भारी बोझ न डाल जैसा हमसे पहले के लोगों पर डाले थे। और न ही हम पर ऐसा बोझ डालना जिसको उठाने की हमें ताकत नहीं है। और हमको दर गुज़र फर्मा। और हम को बख्श दे। और हम पर रहम फर्मा। तू ही हमारा मालिक है, तो फिर हमारी मदद कर कुफ़्र करनेवालों के मुक़ाबले में।