11. सूरह हूद

بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ

(11.0) शुरु उस अल्लाह के नाम से जो बेहद मेहरबान और रहमदिल है।

الر كِتٰبٌ أُحكِمَت ءايٰتُهُ ثُمَّ فُصِّلَت مِن لَدُن حَكيمٍ خَبيرٍ

(11:1) अलिफ लाम रा,’ यह (कुरान) एक सहीफा है जिसकी आयतो को मुकम्मल की गयी हैं फिर सविस्तार वर्णित की गयी हैं, उसकी और से जो हिकमत वाला सर्वज्ञानी है।

*11:1 हमारी पीढ़ी सौभाग्यशाली है कि कुरआन में दो असाधारण घटनाएँ देखी हैंः (1) एक अद्वितीय गणितीय कोड (अपेन्डिक्स 1 और 2) अविश्वसनीय आयामों का एक साहित्यिक चमत्कार। यदि मानव गणितीय रूप से संरचित कार्य लिखने का प्रयास करता है, तो संख्यात्मक जोड़तोड़ साहित्यिक गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। कुरान साहित्यिक उत्कृष्टता के लिए बेंचमार्क सेट करता है।

कुरान अल्लाह का संदेश

أَلّا تَعبُدوا إِلَّا اللَّهَ إِنَّنى لَكُم مِنهُ نَذيرٌ وَبَشيرٌ

(11:2) ऐलान कर दोः अल्लाह के अलावा किसी की इबादत न करो। मैं उसकी तरफ से तुम्हारी तरफ डराने वाला और खुशखबरी देने वाला बना कर भेजा गया हूँ।

وَأَنِ استَغفِروا رَبَّكُم ثُمَّ توبوا إِلَيهِ يُمَتِّعكُم مَتٰعًا حَسَنًا إِلىٰ أَجَلٍ مُسَمًّى وَيُؤتِ كُلَّ ذى فَضلٍ فَضلَهُ وَإِن تَوَلَّوا فَإِنّى أَخافُ عَلَيكُم عَذابَ يَومٍ كَبيرٍ

(11:3) अपने रब से मगफिरत तलब करो और उस से तौबा करो। उसके बाद वह तुम्हें एक (मुकर्ररा) वक्त के लिए फराखदिली से नवाज़ेगा, और उन लोगों पर अपना फज़ल करेगा जो उसके मुसतहक़ हैं। और यदि तुम मुँह फेरोगे तो मे तुमपर एक बड़े दिन की यातना से डरता हु।

إِلَى اللَّهِ مَرجِعُكُم وَهُوَ عَلىٰ كُلِّ شَىءٍ قَديرٌ

(11:4) अल्लाह की तरफ तुम्हारी आखरी वापसी है। और वह हर चीज़ पर कुदरत रखता है।

أَلا إِنَّهُم يَثنونَ صُدورَهُم لِيَستَخفوا مِنهُ أَلا حينَ يَستَغشونَ ثِيابَهُم يَعلَمُ ما يُسِرّونَ وَما يُعلِنونَ إِنَّهُ عَليمٌ بِذاتِ الصُّدورِ

(11:5) हकीकत में अपने अन्दरूनी (बातिनी) खयालात को इस तरह छिपाते हैं जैसे कि वह अपनी बातें उस (खुदा) से छिपाते हों। दर हक़ीकत जब वह अपने कपड़ों से अपने को ढापते हैं तब भी खुदा उनके तमाम रा़ज़ और एलानात को जानता है। जो वह छुपाते है और जो वह जाहिर करते है। वह उनकी छिपी हुई सोच को भी जानता है।

मआश (रोज़ी) की ज़मानत दी गई है

وَما مِن دابَّةٍ فِى الأَرضِ إِلّا عَلَى اللَّهِ رِزقُها وَيَعلَمُ مُستَقَرَّها وَمُستَودَعَها كُلٌّ فى كِتٰبٍ مُبينٍ

(11:6) ज़मीन पर कोई भी प्राणी ऐसा नहीं है जिसकी रोज़ी की ज़मानत अल्लाह ने ना दी हो। और वह उस का ठिकाना और उसकी आखरी मन्ज़िल को जानता है। और सब कुछ एक वाज़ेह रिकार्ड में दर्ज है।

وَهُوَ الَّذى خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالأَرضَ فى سِتَّةِ أَيّامٍ وَكانَ عَرشُهُ عَلَى الماءِ لِيَبلُوَكُم أَيُّكُم أَحسَنُ عَمَلًا وَلَئِن قُلتَ إِنَّكُم مَبعوثونَ مِن بَعدِ المَوتِ لَيَقولَنَّ الَّذينَ كَفَروا إِن هٰذا إِلّا سِحرٌ مُبينٌ

(11:7) खुदा वह है जिसने आसमान और ज़मीन को छः दिन में पैदा किया। ’ और उसका (जमीनी) क्षेत्र पूरी तरह पानी से ढका हुआ था ’’ ताकि वह तुमको आज़माये कि तुम में से कौन अच्छा काम करने वाला है। फिर भी जब तुम (उनसे) कहते हो कि तुम्हें मौत के बाद दुबारा ज़िन्दा किया जायेगा तो काफिर लोग कहेंगेः “यह तो खुला हुआ जादू है।“

*11:7 छह दिन केवल एक मापदंड हैं जो हमें बहुत सारी जानकारी प्रदान करते हैं। इस प्रकार, हम सीखते हैं कि विशाल निर्जीव भौतिक ब्रह्मांड दो दिनों में बनाया गया था, जबकि ‘पृथ्वी‘ नामक छोटा कण चार दिनों में बनाया गया था (41ः10-12)। पृथ्वी के निवासियों के लिए भोजन, पानी और ऑक्सीजन के प्रावधान की सटीक गणना और व्यवस्था की जानी थी।
**11:7 शुरू में ज़मीन पानी से ढकी हुई थी। उसके बाद ज़मीन का हिस्सा उभरा और महाद्वीप अलग-अलग हो गये।

وَلَئِن أَخَّرنا عَنهُمُ العَذابَ إِلىٰ أُمَّةٍ مَعدودَةٍ لَيَقولُنَّ ما يَحبِسُهُ أَلا يَومَ يَأتيهِم لَيسَ مَصروفًا عَنهُم وَحاقَ بِهِم ما كانوا بِهِ يَستَهزِءونَ

(11:8) और अगर हम उनके अज़ाब में देर करते है -क्योंकि हम उसे एक खास क़ौम के लिए रखते हैं- तो वह कहते हैं “उसे क्यों रोक रखा है?“ हक़ीकत में जब एक बार उन पर अज़ाब आजाता है तो कोई उसे रोक नहीं सकता। और वह जिसका मज़ाक उड़ा रहे थे वही उनको मुश्किल मे डालेगा।

وَلَئِن أَذَقنَا الإِنسٰنَ مِنّا رَحمَةً ثُمَّ نَزَعنٰها مِنهُ إِنَّهُ لَيَـٔوسٌ كَفورٌ

(11:9) जब कभी हम इन्सान को अपनी रहमत से नवाज़ते हैं और उस (रेहमत) को जब छीन लेते हैं तो वह मायूस होकर नाशुक्री करता है।

وَلَئِن أَذَقنٰهُ نَعماءَ بَعدَ ضَرّاءَ مَسَّتهُ لَيَقولَنَّ ذَهَبَ السَّيِّـٔاتُ عَنّى إِنَّهُ لَفَرِحٌ فَخورٌ

(11:10) जब कभी हम उसे परेशानी के बाद अपनी रहमत से नवाज़ते है। तो वह कहता है। “मुझसे सारी मुसीबतें दूर होगईं। और वह घमण्ड करके इतराने लगता है।

إِلَّا الَّذينَ صَبَروا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ أُولٰئِكَ لَهُم مَغفِرَةٌ وَأَجرٌ كَبيرٌ

(11:11) जिन लोगों ने सब्र किया और नेक काम किये उनके लिए माफी है और उनके लिए बड़ा सवाब (अजर) है।

अल्लाह की वही भारी (दुशवार) है

فَلَعَلَّكَ تارِكٌ بَعضَ ما يوحىٰ إِلَيكَ وَضائِقٌ بِهِ صَدرُكَ أَن يَقولوا لَولا أُنزِلَ عَلَيهِ كَنزٌ أَو جاءَ مَعَهُ مَلَكٌ إِنَّما أَنتَ نَذيرٌ وَاللَّهُ عَلىٰ كُلِّ شَىءٍ وَكيلٌ

(11:12) हो सकता है कि जो कुछ तुम पर नाज़िल हुआ है तुम उनमें से कुछ को नज़र अन्दाज़ करना चाहते हो और तुम उस से गुस्सा (मुशतइल) हो सकते हो। जब वह लोग कहते हैं कि उनके पास कोई खज़ाना क्यों नहीं उतरा या कोई फरिश्ता क्यों नहीं आया। तुम तो सिर्फ डराने वाले हो। और अल्लाह हर चीज़ पर पूरा इख्तियार रखता है।

कुरआनः नकल करना नामुम्किन है

أَم يَقولونَ افتَرىٰهُ قُل فَأتوا بِعَشرِ سُوَرٍ مِثلِهِ مُفتَرَيٰتٍ وَادعوا مَنِ استَطَعتُم مِن دونِ اللَّهِ إِن كُنتُم صٰدِقينَ

(11:13) अगर वह कहते हैं: कि उस ने (कुरआन) को स्वयं बना लिया है तो उनसे कहदो की तुम इस जैसी दस सूरते बना लो और अल्लाह के सिवा जिसको चाहो बुला लो, अगर तुम सच्चे हो।

*11:13 कुरान का गणितीय चमत्कार बेमिसाल है। (देखें अपेन्डिक्स 1)

فَإِلَّم يَستَجيبوا لَكُم فَاعلَموا أَنَّما أُنزِلَ بِعِلمِ اللَّهِ وَأَن لا إِلٰهَ إِلّا هُوَ فَهَل أَنتُم مُسلِمونَ

(11:14) अगर वह तुम्हारी चुनौती पूरी करने में असफल हो जाते हैं तो जान लो यक (कुरआन) अल्लाह के इल्म से नाज़िल किया गया है और यह भी कि खुदा के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं है। क्या तुम तब ईमान लाओगे?

مَن كانَ يُريدُ الحَيوٰةَ الدُّنيا وَزينَتَها نُوَفِّ إِلَيهِم أَعمٰلَهُم فيها وَهُم فيها لا يُبخَسونَ

(11:15) जो लोग सांसारिक जीवन तथा उसकी शोभा चाहते हैं, हम उनके कर्मों का (फल) उसीमें चुका देंगे और उनके लिए (संसार में) कोई कमी नहीं की जायेगी।

أُولٰئِكَ الَّذينَ لَيسَ لَهُم فِى الـٔاخِرَةِ إِلَّا النّارُ وَحَبِطَ ما صَنَعوا فيها وَبٰطِلٌ ما كانوا يَعمَلونَ

(11:16) यह वह लोग हैं जिनका आखिरत में दोज़ख के सिवा कुछ हिस्सा नहीं है। और आखिरत में उनके सारे काम बेकार जायेंगे। और वह जो कुछ कर रहे हैं सब बातिल हैं।

कुरान का गणितीय कोड

أَفَمَن كانَ عَلىٰ بَيِّنَةٍ مِن رَبِّهِ وَيَتلوهُ شاهِدٌ مِنهُ وَمِن قَبلِهِ كِتٰبُ موسىٰ إِمامًا وَرَحمَةً أُولٰئِكَ يُؤمِنونَ بِهِ وَمَن يَكفُر بِهِ مِنَ الأَحزابِ فَالنّارُ مَوعِدُهُ فَلا تَكُ فى مِريَةٍ مِنهُ إِنَّهُ الحَقُّ مِن رَبِّكَ وَلٰكِنَّ أَكثَرَ النّاسِ لا يُؤمِنونَ

(11:17) जिन लोगों को उनके रब की तरफ से पक्की निशानिया’ दी गई हैं। जिन्हें खुदा की तरफ से एक गवाह बयान करता है। और इससे पहले मूसा की पुस्तक मार्गदर्शक’’ तथा दया बनकर आ चुकी हो यही लोग इस (कुरआन) पर ईमान लाते है और गिरोहों में से जो इस का इनकार करता है तो दोज़ख उनका इन्तिज़ार कर रही है। तो तुम इसमें कोई शक न करो। यह तुम्हारे रब की तरफ से हक़ है लेकिन अक्सर लोग ईमान नहीं लाते हैं।

* 11:17 कुरान का 19 आधारित गणितीय कोड ईश्वरीय लेखकत्व का एक अंतर्निहित प्रमाण है। ग़ौरतलब है कि क़ुरआन में 19 बार बैयिनाह ¼सबूत½ शब्द आया है।
** 11:17 जैसा कि यह पता चला है, मूसा की पुस्तक भी गणितीय रूप से रची गई थी, जिसमें ‘‘19‘‘ सामान्य भाजक था। फुटनोट 46ः10 और अपेन्डिक्स 1 देखें।

وَمَن أَظلَمُ مِمَّنِ افتَرىٰ عَلَى اللَّهِ كَذِبًا أُولٰئِكَ يُعرَضونَ عَلىٰ رَبِّهِم وَيَقولُ الأَشهٰدُ هٰؤُلاءِ الَّذينَ كَذَبوا عَلىٰ رَبِّهِم أَلا لَعنَةُ اللَّهِ عَلَى الظّٰلِمينَ

(11:18) और ऐसे लोगों से ज़्यादा ज़ालिम कौन होगा जो अल्लाह पर झूठ बान्धते हैं? वह (कयामत के दिन) अपने रब के सामने पेश किये जायेंगे और गवाह कहेगाः “यह वह शख्स है जिसने खुदा पर झूठ बान्धा था, क्या ज़ालिमों पर अल्लाह की लानत नहीं है“।

الَّذينَ يَصُدّونَ عَن سَبيلِ اللَّهِ وَيَبغونَها عِوَجًا وَهُم بِالـٔاخِرَةِ هُم كٰفِرونَ

(11:19) जो लोग दूसरों को अल्लाह के रास्ते से रोकते हैं और कमी निकालने की कोशिश करते हैं वह लोग आखिरत का इन्कार करते हैं।

काफिर

أُولٰئِكَ لَم يَكونوا مُعجِزينَ فِى الأَرضِ وَما كانَ لَهُم مِن دونِ اللَّهِ مِن أَولِياءَ يُضٰعَفُ لَهُمُ العَذابُ ما كانوا يَستَطيعونَ السَّمعَ وَما كانوا يُبصِرونَ

(11:20) यह कभी जमीन पर बच नहीं पायेंगे और ना ही अल्लाह के मुकाबले में अपनी मदद के लिए कोई रब और आक़ा पायेंगे। उनके लिए दोगुना अज़ाब होगा। ना तो वह सुन्ने की ताक़त रखते थे और ना ही देखने की।

أُولٰئِكَ الَّذينَ خَسِروا أَنفُسَهُم وَضَلَّ عَنهُم ما كانوا يَفتَرونَ

(11:21) यह वह लोग हैं जिन्हों ने अपना नुक़सान खुद किया। और जिन प्रतिमा को इन लोगों ने बना़ रखा था वह उनसे इन्कार कर देंगे।

لا جَرَمَ أَنَّهُم فِى الـٔاخِرَةِ هُمُ الأَخسَرونَ

(11:22) इस में कोई शक नहीं है कि आखिरत में वह सबसे ज़्यादा नुक़सान उठाने वाले होंगे।

मोमिन

إِنَّ الَّذينَ ءامَنوا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَأَخبَتوا إِلىٰ رَبِّهِم أُولٰئِكَ أَصحٰبُ الجَنَّةِ هُم فيها خٰلِدونَ

(11:23) बेशक जो लोग ईमान लाए और नेक रास्ते पर चले, और खुद को अपने रब के लिए अर्पित कर दिया। यही लोग जन्नती हैं और हमेशा उसी में रहेंगे।

مَثَلُ الفَريقَينِ كَالأَعمىٰ وَالأَصَمِّ وَالبَصيرِ وَالسَّميعِ هَل يَستَوِيانِ مَثَلًا أَفَلا تَذَكَّرونَ

(11:24) इन दोनों जमअतों (गिरोहों) की मिसाल सुन्ने वालों और देखने वालों के मुकाबले मे गूंगे और बेहरों की तरह है।, क्या दोनों बराबर हो सकते हैं? क्या तुम गौर नहीं करोगे?

नूह

وَلَقَد أَرسَلنا نوحًا إِلىٰ قَومِهِ إِنّى لَكُم نَذيرٌ مُبينٌ

(11:25) हमने नूह को उनकी क़ौम में भेजा और उसने कहा कि मैं तुम्हारे लिए खुले रूप से सावधान करने वाला हूँ।

أَن لا تَعبُدوا إِلَّا اللَّهَ إِنّى أَخافُ عَلَيكُم عَذابَ يَومٍ أَليمٍ

(11:26) अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करो। मैं तुम्हारे लिए एक दर्दनाक दिन के अज़ाब से डरता हूँ।

فَقالَ المَلَأُ الَّذينَ كَفَروا مِن قَومِهِ ما نَرىٰكَ إِلّا بَشَرًا مِثلَنا وَما نَرىٰكَ اتَّبَعَكَ إِلَّا الَّذينَ هُم أَراذِلُنا بادِىَ الرَّأىِ وَما نَرىٰ لَكُم عَلَينا مِن فَضلٍ بَل نَظُنُّكُم كٰذِبينَ

(11:27) उनकी (नूह की) क़ौम के काफिर लीडरों ने कहा: “हम तुम्हें अपने जैसा एक इन्सान से ज़्यादा नहीं देखते हैं। और हम देखते हैं कि सब से पहले तुम्हारी पैरवी करने वाले हम में से सबसे निचे दरज्जे के लोग हैं। और हम देखते हैं कि तुमको हम पर कोई फज़ीलत नहीं हैं, बल्कि हम तुम्हें झूठा समझते हैं।

قالَ يٰقَومِ أَرَءَيتُم إِن كُنتُ عَلىٰ بَيِّنَةٍ مِن رَبّى وَءاتىٰنى رَحمَةً مِن عِندِهِ فَعُمِّيَت عَلَيكُم أَنُلزِمُكُموها وَأَنتُم لَها كٰرِهونَ

(11:28) उस (नूह) ने कहाः ऐ मेरी क़ौम! तो क्या हुआ अगर मेरे पास मेरे रब की तरफ से ठोस सुबूत है? तो क्या हुआ अगर मेरे रब ने मुझ पर अपनी रहमत की जो तुमको नहीं दिखाई देती? क्या हम तुम पर ईमान लाने के लिए ज़बरदस्ती करें जबकि तुम उसे नापसन्द करते रहो?

وَيٰقَومِ لا أَسـَٔلُكُم عَلَيهِ مالًا إِن أَجرِىَ إِلّا عَلَى اللَّهِ وَما أَنا۠ بِطارِدِ الَّذينَ ءامَنوا إِنَّهُم مُلٰقوا رَبِّهِم وَلٰكِنّى أَرىٰكُم قَومًا تَجهَلونَ

(11:29) ऐ मेरी क़ौम! मैं तुमसे दौलत नहीं मांगता। मेरा बदला तो मेरे अल्लाह की तरफ से मिलता है ओर मैं ईमान लाने वालों को दूर नहीं कर सकता। वह अपने रब से मिलेंग(वह अकेला उनका फैसला करेगा)। लेकिन मैं देख रहा हूँ की तुम जाहिल लोग हो।

وَيٰقَومِ مَن يَنصُرُنى مِنَ اللَّهِ إِن طَرَدتُهُم أَفَلا تَذَكَّرونَ

(11:30) ऐ मेरे लोगो! अल्लाह के खिलाफ मेरी मदद कौन कर सकता है? अगर मैं उन्हें हटा दूँ। तुम इतना भी नहीं समझते?

सभी ताक़त अल्लाह के लिए है

وَلا أَقولُ لَكُم عِندى خَزائِنُ اللَّهِ وَلا أَعلَمُ الغَيبَ وَلا أَقولُ إِنّى مَلَكٌ وَلا أَقولُ لِلَّذينَ تَزدَرى أَعيُنُكُم لَن يُؤتِيَهُمُ اللَّهُ خَيرًا اللَّهُ أَعلَمُ بِما فى أَنفُسِهِم إِنّى إِذًا لَمِنَ الظّٰلِمينَ

(11:31) मैं यह नहीं कहता कि मेरे पास अल्लाह का ख़ज़ाना है। और ना ही मैं गैब की बातों को जानता हूँ। मैं यह भी नहीं कहता कि मैं फरिश्ता हूँ। और जो लोग तुम्हारी नज़र में हक़ीर हैं मैं उनके बारे में यह नहीं कहता कि अल्लाह उन पर कोई फज़लो करम नहीं करेगा। अल्लाह ज़्यादा जानता है जो कुछ उनके दिलो में है। (अगर मैं ऐसा कहता हूँ) तब मैं ज़ालिमों में से हूंगा।

قالوا يٰنوحُ قَد جٰدَلتَنا فَأَكثَرتَ جِدٰلَنا فَأتِنا بِما تَعِدُنا إِن كُنتَ مِنَ الصّٰدِقينَ

(11:32) उन लोगों ने कहाः ऐ नूह! तुमने हम से बहस की। और हमसे झगड़ते रहे। हम तुम्हें चैलेन्ज करते हैं कि अगर तुम सच्चे हो तो जिस अज़ाब से हमको डराते हो वह ले आओ।

قالَ إِنَّما يَأتيكُم بِهِ اللَّهُ إِن شاءَ وَما أَنتُم بِمُعجِزينَ

(11:33) उसने कहाः वह अल्लाह है अगर वह चाहे तो तुम्हारे लिए अज़ाब ले आए। तब तुम बच नहीं सकते हो।

وَلا يَنفَعُكُم نُصحى إِن أَرَدتُ أَن أَنصَحَ لَكُم إِن كانَ اللَّهُ يُريدُ أَن يُغوِيَكُم هُوَ رَبُّكُم وَإِلَيهِ تُرجَعونَ

(11:34) यहां तक कि अगर मैं तुम्हें सलाह दूँ तो मेरी सलाह तुम्हे फायदा नहीं पहुंचा सकती अगर अल्लाह तुम्हें गुमराह करना चाहता है। वह तुम्हारा रब है और उसी की तरफ तुम लौटकर जाओगे।

أَم يَقولونَ افتَرىٰهُ قُل إِنِ افتَرَيتُهُ فَعَلَىَّ إِجرامى وَأَنا۠ بَرىءٌ مِمّا تُجرِمونَ

(11:35) अगर वह कहते है, “उसने इस कहानी को बनया है“ तो उनसे कहोः “अगर मैंने इसे बनाया होता तो मैं अपने गुनाहों (जुर्म) का ज़िम्मेदार हूँ। और मैं इससे बरी हूं जो जुर्म तुम कर रहे हो।

وَأوحِىَ إِلىٰ نوحٍ أَنَّهُ لَن يُؤمِنَ مِن قَومِكَ إِلّا مَن قَد ءامَنَ فَلا تَبتَئِس بِما كانوا يَفعَلونَ

(11:36) और नूह की तरफ वही आयी, तुम्हारे लोगों में से जो लोग पहले ही ईमान ला चुके हैं उनसे ज़्यादा और लोग ईमान नहीं लायेंगे। उनके कामों से गमगीन (मायूस) ना हो।

وَاصنَعِ الفُلكَ بِأَعيُنِنا وَوَحيِنا وَلا تُخٰطِبنى فِى الَّذينَ ظَلَموا إِنَّهُم مُغرَقونَ

(11:37) हमारी निगरानी और वही के मुताबिक एक कशती बनाओ। और जो लोग नाफर्मान हैं उनकी तरफ से मुझसे दुआ न करो। डूबना उनका मुकद्दर है।

वह जो आखिरी बार हंसता है सबसे अच्छा हंसता है

وَيَصنَعُ الفُلكَ وَكُلَّما مَرَّ عَلَيهِ مَلَأٌ مِن قَومِهِ سَخِروا مِنهُ قالَ إِن تَسخَروا مِنّا فَإِنّا نَسخَرُ مِنكُم كَما تَسخَرونَ

(11:38) जब नूह कशती बना रहे थे तो उनकी क़ौम के कुछ लोग उनके पास से गुज़रे, वह उन (नूह) पर हंसे। उसने कहा: तुम मुझ पर हंस रहे होगे, लेकिन हम तुम पर हंस रहे हैं। जैसे तुम हम पर हंस रहे हो।

فَسَوفَ تَعلَمونَ مَن يَأتيهِ عَذابٌ يُخزيهِ وَيَحِلُّ عَلَيهِ عَذابٌ مُقيمٌ

(11:39) यक़ीनन तुम जान लोगे कि ज़िल्लत़ वाला अज़ाब कौन बर्दाश्त करेगा। और (मरने के बाद) उस पर हमेशा रेहनेवाला अज़ाब होगा।

حَتّىٰ إِذا جاءَ أَمرُنا وَفارَ التَّنّورُ قُلنَا احمِل فيها مِن كُلٍّ زَوجَينِ اثنَينِ وَأَهلَكَ إِلّا مَن سَبَقَ عَلَيهِ القَولُ وَمَن ءامَنَ وَما ءامَنَ مَعَهُ إِلّا قَليلٌ

(11:40) जब हमारा फैसला आया और माहौल उबल पड़ा। हमने कहाः “इस (कशती) पर अपने परिवार के साथ हर चीज़ का एक जोड़ा ले आओ।’ सिवा उनके जिनकी मलामत की गई। और उन लोगों को ले आओ जो ईमान लाये। और उनके साथ थोड़े ही ईमान लाने वाले थे।

* 11:40 & 44 यह खुदा की साबित शुदा सच्चाई है कि नूह की कशती लट्ठों से बनी हुई थी, जो कि पुरानी रस्सियों से एक साथ बन्धे हुए थे। (54ः13) आम धारणा के विपरीत, बाढ़ आज के डेड-सी के आसपास के क्षेत्र तक ही सीमित थी, और जानवर केवल नूह के पशु थे, ना की पृथ्वी पर रहने वाले सभी जानवर।  

وَقالَ اركَبوا فيها بِسمِ اللَّهِ مَجر۪ىٰها وَمُرسىٰها إِنَّ رَبّى لَغَفورٌ رَحيمٌ

(11:41) उसने कहाः आओ इस कशती में सवार हो जाओ। जिसका चलना और ठहरना अल्लाह के नाम से है। बेशक मेरा रब माफ करने वाला और मेहेरबान है।

وَهِىَ تَجرى بِهِم فى مَوجٍ كَالجِبالِ وَنادىٰ نوحٌ ابنَهُ وَكانَ فى مَعزِلٍ يٰبُنَىَّ اركَب مَعَنا وَلا تَكُن مَعَ الكٰفِرينَ

(11:42) और यह (कशती) उन लोगों को लेकर मौजों में पहाड़ों की तरह चली। और नूह ने अपने बेटे को पुकारा जो अलग-थलग था। ऐ मेरे बेटे हमारे साथ कशती में सवार हो जाओ। काफिरों के साथ न रहो।

قالَ سَـٔاوى إِلىٰ جَبَلٍ يَعصِمُنى مِنَ الماءِ قالَ لا عاصِمَ اليَومَ مِن أَمرِ اللَّهِ إِلّا مَن رَحِمَ وَحالَ بَينَهُمَا المَوجُ فَكانَ مِنَ المُغرَقينَ

(11:43) उस (नूह के बेटे) ने कहाः खुद को पानी से बचाने के लिए मैं पहाड की चोटी पर पनाह ले लूंगा। नूह ने कहाः “अल्लाह के फैसले से आज कोई चीज़ बचाने (हिफज़त करने) वाली नहीं है। सिवा उनके जिन पर खुदा रहम करे।“ एक मौज ने दोनों को अलग कर दिया, और वह (नूह का बेटा) डूबने वालों में से था।

कशती कहां उतरी

وَقيلَ يٰأَرضُ ابلَعى ماءَكِ وَيٰسَماءُ أَقلِعى وَغيضَ الماءُ وَقُضِىَ الأَمرُ وَاستَوَت عَلَى الجودِىِّ وَقيلَ بُعدًا لِلقَومِ الظّٰلِمينَ

(11:44) यह एलान किया गया: “ऐ ज़मीन! अपना पानी निगल लो।“ और “ऐ आसमान! थमजा।“ फिर पानी कम हो गया, फैसला पूरा हुआ। आखिर में कशती जूदी पहाड़ पर रूकी।’ तब यह कहा गया “ज़ालिम हलाक हो गए।“ (काफिर लोग रहमत से दूर हुए)।

* 11:40 & 44 यह खुदा की साबित अल्लाह सच्चाई है कि नूह की कशती लट्ठों से बनी हुई थी, जो कि पुरानी रस्सियों से एक साथ बन्धे हुए थे। (54ः13) आम धारणा के विपरीत, बाढ़ आज के डेड-सी के आसपास के क्षेत्र तक ही सीमित थी, और जानवर केवल नूह के पशु थे, ना की पृथ्वी पर रहने वाले सभी जानवर।

وَنادىٰ نوحٌ رَبَّهُ فَقالَ رَبِّ إِنَّ ابنى مِن أَهلى وَإِنَّ وَعدَكَ الحَقُّ وَأَنتَ أَحكَمُ الحٰكِمينَ

(11:45) नूह ने अपने मालिक से दुआ की। ऐ मेरे रब! मेरा बेटा मेरे परिवार से है और तेरा वादा सच्चा है। और तू हाकिमों मे सबसे बड़ा हाकिम है।

सिफारिश का वहेम

قالَ يٰنوحُ إِنَّهُ لَيسَ مِن أَهلِكَ إِنَّهُ عَمَلٌ غَيرُ صٰلِحٍ فَلا تَسـَٔلنِ ما لَيسَ لَكَ بِهِ عِلمٌ إِنّى أَعِظُكَ أَن تَكونَ مِنَ الجٰهِلينَ

(11:46) उस (खुदा) ने कहाः ऐ नूह! वह तुम्हारे परिवार में से नहीं है। ऐसा काम(पूछना) नेक लोगो की तरह नहीं है। और मुझ से ऐसी चीज़ ना मांगो जिसे तुम नहीं जानते हो।’ मैं तुमको नसीहत (वाज़ेह या रौशन) करता हूँ कि कहीं ऐसा न हो कि तुम जाहिलों में से हो जाओ।

* 11:46 हिमायत शैतान का सबसे मुअस्सिर हथियार है जिनके ज़रिए वह लोगों को बुतपरस्ती की तरफ राग़िब करता है। जबकि इब्राहीम अपने पिता की मदद नहीं कर सके, न ही नूह अपने बेटे की मदद कर सके और न ही मुहम्मद अपने रिश्तेदारों की मदद कर सके। (2:254, 9:80 और 114)

قالَ رَبِّ إِنّى أَعوذُ بِكَ أَن أَسـَٔلَكَ ما لَيسَ لى بِهِ عِلمٌ وَإِلّا تَغفِر لى وَتَرحَمنى أَكُن مِنَ الخٰسِرينَ

(11:47) नूह ने कहाः ऐ मेरे रब! मैं आपकी पनाह चाहता हूँ कि मैंने आपसे ऐसी चीज़ तलब की (मांगी) जिसका मुझे इल्म नहीं था। अगर तूने मुझे माफ नहीं किया और मुझ पर रहम नहीं किया तो मैं नुकसान उठाने वालों में से होजाऊंगा।

قيلَ يٰنوحُ اهبِط بِسَلٰمٍ مِنّا وَبَرَكٰتٍ عَلَيكَ وَعَلىٰ أُمَمٍ مِمَّن مَعَكَ وَأُمَمٌ سَنُمَتِّعُهُم ثُمَّ يَمَسُّهُم مِنّا عَذابٌ أَليمٌ

(11:48) यह एलान किया गया था। ऐ नूह! तुम पर और उन क़ौमों पर सलामती और बरकत हो जो तुम्हारे साथ उतरेंगी। और तुम्हारे साथ उतरने वाली ऐसी क़ौमें भी होंगी जिन्हें हम कुछ वक्त के लिए बरकत (ऐश) देंगे और फिर उन्हें हमारी तरफ से सख्त अज़ाब मिलेगा।

تِلكَ مِن أَنباءِ الغَيبِ نوحيها إِلَيكَ ما كُنتَ تَعلَمُها أَنتَ وَلا قَومُكَ مِن قَبلِ هٰذا فَاصبِر إِنَّ العٰقِبَةَ لِلمُتَّقينَ

(11:49) यह गैब(अतीत) की ख़बरें हैं जो हमने तुम पर ज़ाहिर कर दी हैं। न तो तुम्हें इस से पहले इसका इल्म था और न ही तुम्हारी क़ौम को। इस लिए सब्र करो। आखीर में सच्चे लोगों को ही फतेह नसीब होगी।

हूदः एक और एक ही पैगाम

وَإِلىٰ عادٍ أَخاهُم هودًا قالَ يٰقَومِ اعبُدُوا اللَّهَ ما لَكُم مِن إِلٰهٍ غَيرُهُ إِن أَنتُم إِلّا مُفتَرونَ

(11:50) आद (क़ौमे आद) की तरफ हमने उनके भाई हूद को भेजा। उसने कहाः ऐ मेरी क़ौम अल्लाह (खुदा) की इबादत करो। उसके सिवा तुम्हारा कोई माबूद नहीं है। वरना तुम झूठ गढ़ने वालो में से हो।

يٰقَومِ لا أَسـَٔلُكُم عَلَيهِ أَجرًا إِن أَجرِىَ إِلّا عَلَى الَّذى فَطَرَنى أَفَلا تَعقِلونَ

(11:51) ऐ मेरे भाईयो! मैं तुमसे कोई उजरत (बदला) नहीं मांगता। मेरी उजरत तो उसके पास से आती है जिसने मुझे पैदा किया है। क्या तुम लोग समझ नहीं रखते हो।

وَيٰقَومِ استَغفِروا رَبَّكُم ثُمَّ توبوا إِلَيهِ يُرسِلِ السَّماءَ عَلَيكُم مِدرارًا وَيَزِدكُم قُوَّةً إِلىٰ قُوَّتِكُم وَلا تَتَوَلَّوا مُجرِمينَ

(11:52) ऐ मेरी क़ौम! अपने रब से माफी तलब करो फिर उस से तौबा करो। तब वह तुम पर आसमान से रिज़क की बरसात करेगा। और तुम्हारी ताकत में इज़ाफा करेगा। और वापस मुजरिमीन (ज़ालिमों) में मत शामिल हो।

قالوا يٰهودُ ما جِئتَنا بِبَيِّنَةٍ وَما نَحنُ بِتارِكى ءالِهَتِنا عَن قَولِكَ وَما نَحنُ لَكَ بِمُؤمِنينَ

(11:53) उन लोगों ने कहाः ऐ हूद! तुमने हमें कोई सुबूत (निशानी) नहीं दिखाया और हम अपने माबूदों को तुम्हारे कहने से नहीं छोड़ सकते। हम तुम पर कभी ईमान नहीं लायेंगे।

إِن نَقولُ إِلَّا اعتَرىٰكَ بَعضُ ءالِهَتِنا بِسوءٍ قالَ إِنّى أُشهِدُ اللَّهَ وَاشهَدوا أَنّى بَرىءٌ مِمّا تُشرِكونَ

(11:54) हमें यक़ीन है कि हमारे खुदाओं (बुतों) में से किसी एक ने तुम्हें बद-दुआ दी है। हूद ने कहाः “मैं अल्लाह के सामने गवाही देता हूँ और तुम भी गवाही दो कि मैं उन खुदाओं से इन्कार करता हूँ जो तुमने क़ायम किये हैं।

مِن دونِهِ فَكيدونى جَميعًا ثُمَّ لا تُنظِرونِ

(11:55) इसके अलावा तुम सब मिल कर मेरे साथ साज़िश करो और फिर मुझे मौक़ा मत दो।

إِنّى تَوَكَّلتُ عَلَى اللَّهِ رَبّى وَرَبِّكُم ما مِن دابَّةٍ إِلّا هُوَ ءاخِذٌ بِناصِيَتِها إِنَّ رَبّى عَلىٰ صِرٰطٍ مُستَقيمٍ

(11:56) मैंने अल्लाह पर भरोसा किया है, जो मेरा रब है और तुम्हारा रब भी। दुनिया की कोई भी मखलूक़ उसके क़ाबू से बाहर नहीं है। बेशक मेरा रब सीधे(हक़) रास्ते पर है।

فَإِن تَوَلَّوا فَقَد أَبلَغتُكُم ما أُرسِلتُ بِهِ إِلَيكُم وَيَستَخلِفُ رَبّى قَومًا غَيرَكُم وَلا تَضُرّونَهُ شَيـًٔا إِنَّ رَبّى عَلىٰ كُلِّ شَىءٍ حَفيظٌ

(11:57) अगर तुम वापस लौटते हो तो मैं तुमको वह चीज़ पहुंचा चुका हूँ जिसके लिए मुझे तुम्हारे पास भेजा गया है। मेरा खुदा तुम्हारी जगह दूसरे लोगों को ले आयेगा, तुम उसे कुछ नुकसान नहीं पहुंचा सकते हो। हर चीज़ मेरे रब की कुदरत (क़ाबू) में है।

وَلَمّا جاءَ أَمرُنا نَجَّينا هودًا وَالَّذينَ ءامَنوا مَعَهُ بِرَحمَةٍ مِنّا وَنَجَّينٰهُم مِن عَذابٍ غَليظٍ

(11:58) और जब हमारा फैसला आया, हमने हूद को और जो उसके साथ ईमान लाये थे अपनी रहमत के ज़रिए खौफनाक अज़ाब से बचा लिया।

وَتِلكَ عادٌ جَحَدوا بِـٔايٰتِ رَبِّهِم وَعَصَوا رُسُلَهُ وَاتَّبَعوا أَمرَ كُلِّ جَبّارٍ عَنيدٍ

(11:59) इस तरह थी क़ोमे आद। जिन्होंने अपने रब की आयतों को झुठलाया (इन्कार किया) और अपने पैगम्बरों का कहा नहीं माना। और हर ज़ालिम और ज़िद्दी के कहने पर चलते रहे।

وَأُتبِعوا فى هٰذِهِ الدُّنيا لَعنَةً وَيَومَ القِيٰمَةِ أَلا إِنَّ عادًا كَفَروا رَبَّهُم أَلا بُعدًا لِعادٍ قَومِ هودٍ

(11:60) जिसका नतीजा यह हुआ कि वह दुनिया में लानती हुए (अज़ाब में मुबतला हुए) और आखिरत में भी होंगे। आद ने अपने रब का इन्कार किया। हकीकत में हूद के लोग “आद“ हलाक हो गए। 

सालेहः एक और एक ही पैगाम

وَإِلىٰ ثَمودَ أَخاهُم صٰلِحًا قالَ يٰقَومِ اعبُدُوا اللَّهَ ما لَكُم مِن إِلٰهٍ غَيرُهُ هُوَ أَنشَأَكُم مِنَ الأَرضِ وَاستَعمَرَكُم فيها فَاستَغفِروهُ ثُمَّ توبوا إِلَيهِ إِنَّ رَبّى قَريبٌ مُجيبٌ

(11:61) और समूद की तरफ उनके भाई सालेह को भेजा। सालेह ने कहाः ऐ मेरी क़ौम! अल्लाह की इबादत करो जिसके सिवा तुम्हारा कोई माबूद नहीं है। उसने तुमको धरती से पैदा किया और फिर इसी में बसाया। तुम उससे मगफिरत तलब करो और उसी से तौबा करो। बेशक मेरा रब (बन्दों से) क़रीब और जवाब देने वाला है।

قالوا يٰصٰلِحُ قَد كُنتَ فينا مَرجُوًّا قَبلَ هٰذا أَتَنهىٰنا أَن نَعبُدَ ما يَعبُدُ ءاباؤُنا وَإِنَّنا لَفى شَكٍّ مِمّا تَدعونا إِلَيهِ مُريبٍ

(11:62) उन लोगों ने कहाः ऐ सालेह तुम इस (तबलीग करने) से पहले हम में मशहूर थे। क्या तुम हमको उसकी इबादत करने से रोकते हो जिनको हमारे बाप-दादा पूजा करते थे? तुमने जो हमें बताया, हम को हर उस चीज़ में शक है।

काफिर हमेशा घाटे में हैं

قالَ يٰقَومِ أَرَءَيتُم إِن كُنتُ عَلىٰ بَيِّنَةٍ مِن رَبّى وَءاتىٰنى مِنهُ رَحمَةً فَمَن يَنصُرُنى مِنَ اللَّهِ إِن عَصَيتُهُ فَما تَزيدونَنى غَيرَ تَخسيرٍ

(11:63) उसने कहाः ऐ मेरी क़ौम! क्या हुआ अगर मेरे पास मेरे रब की ठोस (वाज़ेह) निशानियां और उसकी रहमत (नुबव्वत) आयी हैं। अगर मैं अल्लाह की नाफर्मानी करूँ तो उस के खिलाफ मेरी कौन मदद करेगा? तुम सिर्फ मेरा नुकसान ही बढ़ा सकते हो।

وَيٰقَومِ هٰذِهِ ناقَةُ اللَّهِ لَكُم ءايَةً فَذَروها تَأكُل فى أَرضِ اللَّهِ وَلا تَمَسّوها بِسوءٍ فَيَأخُذَكُم عَذابٌ قَريبٌ

(11:64) ऐ मेरी क़ौम! यह अल्लाह की ऊँटनी तुम्हारे पास उसकी निशानी है। तुम उसे अल्लाह की ज़मीन मे खाने(चरने) के लिए छोड़ दो, और नुकसान पहुंचाने की गर्ज़ से उसे छूना भी नहीं, नहीं तो तुम्हें जल्द ही अज़ाब पहुंचेगा।

فَعَقَروها فَقالَ تَمَتَّعوا فى دارِكُم ثَلٰثَةَ أَيّامٍ ذٰلِكَ وَعدٌ غَيرُ مَكذوبٍ

(11:65) उन लोगों ने ऊँटनी को काट (ज़बह कर) दिया। तब सालेह ने उनसे कहाः तुम्हारे पास जीने के लिए तीन दिन हैं। यह वह वादा है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता।  

فَلَمّا جاءَ أَمرُنا نَجَّينا صٰلِحًا وَالَّذينَ ءامَنوا مَعَهُ بِرَحمَةٍ مِنّا وَمِن خِزىِ يَومِئِذٍ إِنَّ رَبَّكَ هُوَ القَوِىُّ العَزيزُ

(11:66) जब हमारा फैसला (अज़ाब) आया, तो हमने अपनी रहमत से सालेह और उन लोगों को जो उसके साथ ईमान लाये थे उस दिन की ज़िल्लत से बचा लिया। बेशक तुम्हारा रब बड़ा शक्तिवान, प्रभुत्वशाली है।  

وَأَخَذَ الَّذينَ ظَلَمُوا الصَّيحَةُ فَأَصبَحوا فى دِيٰرِهِم جٰثِمينَ

(11:67) और जिन लोगों ने जुल्म किया, वह अज़ाब की तबाही से फना हो गए (एक चीख़ ने उन्हें आ दबोचा)। इस हालत में कि वह अपने घरों में मुर्दा (औंधे) पड़े हुए थे।

كَأَن لَم يَغنَوا فيها أَلا إِنَّ ثَمودَا۟ كَفَروا رَبَّهُم أَلا بُعدًا لِثَمودَ

(11:68) जैसे कि वह पहल कभी वहां रहते ही ना थे। हक़ीकत में समूद ने अपने रब का इन्कार किया। यक़ीनन समूद हलाक (रहमत से दूर) हो गए।

इब्राहीम और लूत

وَلَقَد جاءَت رُسُلُنا إِبرٰهيمَ بِالبُشرىٰ قالوا سَلٰمًا قالَ سَلٰمٌ فَما لَبِثَ أَن جاءَ بِعِجلٍ حَنيذٍ

(11:69) जब हमारे फरिश्ते इब्राहीम के पास खुशखबरी लेकर आये। उन लोगों ने सलाम किया। इब्राहीम ने भी सलाम किया। जल्दी ही इब्राहीम एक भुना हुवा बछड़ा ले आये।

فَلَمّا رَءا أَيدِيَهُم لا تَصِلُ إِلَيهِ نَكِرَهُم وَأَوجَسَ مِنهُم خيفَةً قالوا لا تَخَف إِنّا أُرسِلنا إِلىٰ قَومِ لوطٍ

(11:70) जब उसने देखा कि उनके हाथ इसे (बछड़े को खाने के लिए) छू नहीं रहे तो उसे (इब्राहीम को) शक हुआ और वह उनसे डर गया। तो उन लोगों ने कहाः डरो नहीं हम लोग क़ौमे लूत की तरफ भेजे गए हैं।

وَامرَأَتُهُ قائِمَةٌ فَضَحِكَت فَبَشَّرنٰها بِإِسحٰقَ وَمِن وَراءِ إِسحٰقَ يَعقوبَ

(11:71) उस (इब्राहीम) की बीवी खड़ी थी तो वह हंसी, जब हमने उसे इसहाक़ की खुशखबरी दी और इसहाक के बाद याकूब की खुशखबरी दी।

قالَت يٰوَيلَتىٰ ءَأَلِدُ وَأَنا۠ عَجوزٌ وَهٰذا بَعلى شَيخًا إِنَّ هٰذا لَشَىءٌ عَجيبٌ

(11:72) उस (इब्राहीम की बीवी) ने कहाः हाय हो मुझपर मैं इस उम्र में बच्चा कैसे पैदा कर सकती हूँ। और मेरे पति (शौहर) भी बूढ़े हो गए हैं। यह वाकई (हक़ीकत) में अजीब है।

قالوا أَتَعجَبينَ مِن أَمرِ اللَّهِ رَحمَتُ اللَّهِ وَبَرَكٰتُهُ عَلَيكُم أَهلَ البَيتِ إِنَّهُ حَميدٌ مَجيدٌ

(11:73) फरिश्तों ने कहाः क्या तुम इसे अल्लाह के लिए अजीब समझती हो? अल्लाह ने तुम पर अपनी रहमत और बरकत नाज़िल की है। ऐ अहले बैत! वह क़ाबिले तारीफ और बड़ी शान वाला है।

فَلَمّا ذَهَبَ عَن إِبرٰهيمَ الرَّوعُ وَجاءَتهُ البُشرىٰ يُجٰدِلُنا فى قَومِ لوطٍ

(11:74) जब इब्राहीम का डर खत्म हो गया और खुशखबरी उन तक पहुंच चुकी। तो वह हमसे लूत के लोगों के बारे में चर्चा करने लगा। 

إِنَّ إِبرٰهيمَ لَحَليمٌ أَوّٰهٌ مُنيبٌ

(11:75) हक़ीकत में इब्राहीम बहुत ज़्यादा सहनशील, रहमदिल और फर्माबरदार था।  

يٰإِبرٰهيمُ أَعرِض عَن هٰذا إِنَّهُ قَد جاءَ أَمرُ رَبِّكَ وَإِنَّهُم ءاتيهِم عَذابٌ غَيرُ مَردودٍ

(11:76) ऐ इब्राहीम! इस बात को छोड़ो, तुम्हारे रब का फैसल आ चुका है और उन्हें अजाब पहुंचने ही वाला है जो टल नहीं सकता।

समलैंगिकता की निंदा

وَلَمّا جاءَت رُسُلُنا لوطًا سىءَ بِهِم وَضاقَ بِهِم ذَرعًا وَقالَ هٰذا يَومٌ عَصيبٌ

(11:77) जब हमारे फरिश्ते लूत के पास गए तो उनके आने से वह(लूत) ग़मग़ीन हुवा और उन (फरिश्तो) की मौजूदगी से शर्मिन्दा और तंग दिल महसूस किया। उसने कहाः यह बहुत मुश्किल दिन है।

وَجاءَهُ قَومُهُ يُهرَعونَ إِلَيهِ وَمِن قَبلُ كانوا يَعمَلونَ السَّيِّـٔاتِ قالَ يٰقَومِ هٰؤُلاءِ بَناتى هُنَّ أَطهَرُ لَكُم فَاتَّقُوا اللَّهَ وَلا تُخزونِ فى ضَيفى أَلَيسَ مِنكُم رَجُلٌ رَشيدٌ

(11:78) उसके लोग उसके पास दौड़ते हुए आये। इस से पहले उन्हों ने अपने गुनाहों के काम को आदत बना लिया था। लूत ने अपनी क़ौम से कहाः इन फरिश्तों के बजाय यह मेरी बेटियां तुम्हारे लिए ज़्यादा बेहतर हैं। अल्लाह से डरों और मेरे महमानों के तअल्लुक मे मुझे शर्मिन्दा (दुःखी) मत करो। क्या तुम में से कोई नेक आदमी नहीं है?

قالوا لَقَد عَلِمتَ ما لَنا فى بَناتِكَ مِن حَقٍّ وَإِنَّكَ لَتَعلَمُ ما نُريدُ

(11:79) उन लोगों ने कहाः “तुम अच्छी तरह से जानते हो कि हमें तुम्हारी बेटियों की ज़रूरत नहीं है। और तुम यह भी अच्छे से जानते हो कि हम क्या चाहते हैं।“

قالَ لَو أَنَّ لى بِكُم قُوَّةً أَو ءاوى إِلىٰ رُكنٍ شَديدٍ

(11:80) उस (लूत) ने कहाः “काश मेरे इतनी ताक़त होती या मैं किसी ताक़तवर चीज की पनाह लेता।“

قالوا يٰلوطُ إِنّا رُسُلُ رَبِّكَ لَن يَصِلوا إِلَيكَ فَأَسرِ بِأَهلِكَ بِقِطعٍ مِنَ الَّيلِ وَلا يَلتَفِت مِنكُم أَحَدٌ إِلَّا امرَأَتَكَ إِنَّهُ مُصيبُها ما أَصابَهُم إِنَّ مَوعِدَهُمُ الصُّبحُ أَلَيسَ الصُّبحُ بِقَريبٍ

(11:81) फरिश्तों ने कहाः ऐ लूत! हम तुम्हारे रब के भेजे हुए फरिश्ते हैं, और यह लोग तुम्हें छू नहीं सकते। तुम अपने परिवार के साथ रात में यहां से निकल जाना और तुम में से कोई पीछे मुड़ कर न देखना सिवाए तुम्हारी बीवी के वह भी सज़ा पाने वालों के साथ सज़ा पायेगी। उनका मुकर्ररा वक्त सुबह है। क्या सुबह बहुत क़रीब नहीं है?

सदोम और गोमोरा तबाह हुए

فَلَمّا جاءَ أَمرُنا جَعَلنا عٰلِيَها سافِلَها وَأَمطَرنا عَلَيها حِجارَةً مِن سِجّيلٍ مَنضودٍ

(11:82) जब हमारा फैसला (अज़ाब) आया तो हमने उस बस्ती को तहस-नहस कर दिया। और हमने इस पर सख्त तबाह करनेवाले पत्थर बरसाये।

مُسَوَّمَةً عِندَ رَبِّكَ وَما هِىَ مِنَ الظّٰلِمينَ بِبَعيدٍ

(11:83) ऐसी चट्टानें (जिन पर खास निशान था) तुम्हारे रब ने अपराधियों को मारने के लिए बनाई थीं। 

शुऐब एक और एक ही पैगाम

وَإِلىٰ مَديَنَ أَخاهُم شُعَيبًا قالَ يٰقَومِ اعبُدُوا اللَّهَ ما لَكُم مِن إِلٰهٍ غَيرُهُ وَلا تَنقُصُوا المِكيالَ وَالميزانَ إِنّى أَرىٰكُم بِخَيرٍ وَإِنّى أَخافُ عَلَيكُم عَذابَ يَومٍ مُحيطٍ

(11:84) और हमने मदयन(कौम) की तरफ उनके भाई शुऐब को भेजा। उसने कहाः “ऐ मेरी क़ौम अल्लाह की इबादत करो उसके सिवा तुम्हारा कोई माबूद नहीं है। और नाप-तौल में कमी मत करो। मैं देख रहा हूँ की तुम लोगों खुशहाल हो और मैं तुम्हारे लिए एक बड़े दिन के अज़ाब से डरता हूँ।“ 

وَيٰقَومِ أَوفُوا المِكيالَ وَالميزانَ بِالقِسطِ وَلا تَبخَسُوا النّاسَ أَشياءَهُم وَلا تَعثَوا فِى الأَرضِ مُفسِدينَ

(11:85) और ऐ. मेरी कौम! तुम नाप और तौल इन्साफ के साथ पूरा किया करो । लोगों को उनके माल (हुकूक़) में धोका मत दो। और ज़मीन पर बिगाड़ मत पैदा करो।

بَقِيَّتُ اللَّهِ خَيرٌ لَكُم إِن كُنتُم مُؤمِنينَ وَما أَنا۠ عَلَيكُم بِحَفيظٍ

(11:86) अगर तुम ईमान रखते हो तो अल्लाह ने जो कुछ तुम्हें दिया है (चाहे छोटा हो या बड़ा) वह तुम्हारे लिए बेहतर है। मैं तुम्हारे ऊपर कोई रखवाला नहीं हूँ।

قالوا يٰشُعَيبُ أَصَلوٰتُكَ تَأمُرُكَ أَن نَترُكَ ما يَعبُدُ ءاباؤُنا أَو أَن نَفعَلَ فى أَموٰلِنا ما نَشٰؤُا۟ إِنَّكَ لَأَنتَ الحَليمُ الرَّشيدُ

(11:87) उन लोगों ने कहाः ऐ शुऐब क्या तुम्हारा मज़हब (तकद्दुस) तुम्हें यह हुक्म देता है कि हम अपने बाप-दादा का दीन छोड़ दें और हम अपने कारोबार को अपनी मर्ज़ी से न चलायें? यक़ीनन बस एक तू ही तो बड़ा सहनशील, समझदार (रह गया) है!  

قالَ يٰقَومِ أَرَءَيتُم إِن كُنتُ عَلىٰ بَيِّنَةٍ مِن رَبّى وَرَزَقَنى مِنهُ رِزقًا حَسَنًا وَما أُريدُ أَن أُخالِفَكُم إِلىٰ ما أَنهىٰكُم عَنهُ إِن أُريدُ إِلَّا الإِصلٰحَ مَا استَطَعتُ وَما تَوفيقى إِلّا بِاللَّهِ عَلَيهِ تَوَكَّلتُ وَإِلَيهِ أُنيبُ

(11:88) उसने कहाः ऐ मेरी क़ौम! क्या हुअ अगर मेरे पास मेरे रब की तरफ से ठोस सुबूत आये हैं। क्यां हुआ अगर उसने मुझ पर अपनी रहमत (पैगम्बरी) नाज़िल की। मेरी यह ख्वाहिश नहीं कि मैं जिस से तुम्हें रोकता हूँ उसे खुद करूँ और जहां तक हो सके मैं इसलाह (गलत को सही) करना चाहता हूँ। मेरे रहनुमाई मुकम्मल तौर पर अल्लाह की मदद से है । मैं उस पर भरोसा करता हूँ। मैंने खुद को उसके हवाले कर दिया है।

وَيٰقَومِ لا يَجرِمَنَّكُم شِقاقى أَن يُصيبَكُم مِثلُ ما أَصابَ قَومَ نوحٍ أَو قَومَ هودٍ أَو قَومَ صٰلِحٍ وَما قَومُ لوطٍ مِنكُم بِبَعيدٍ

(11:89) और ऐ मेरे लोगो! मेरी मुखालिफत(नाफरमानी) तुम्हें नूह, हूद और सालेह की क़ौम की तरह अज़ाब में मुबतला न कर दे। और लूत की क़ौम(का अज़ाब) भी तुम से ज़्यादा दूर नहीं है।

وَاستَغفِروا رَبَّكُم ثُمَّ توبوا إِلَيهِ إِنَّ رَبّى رَحيمٌ وَدودٌ

(11:90) तुम्हें अपने रब से मगफिरत की दुआ करनी चाहिए फिर उससे तौबा करो। मेरा रब बहुत ही मेहेरबान और रहमदिल है।

قالوا يٰشُعَيبُ ما نَفقَهُ كَثيرًا مِمّا تَقولُ وَإِنّا لَنَرىٰكَ فينا ضَعيفًا وَلَولا رَهطُكَ لَرَجَمنٰكَ وَما أَنتَ عَلَينا بِعَزيزٍ

(11:91) उन लोगों ने कहाः ऐ शुऐब! जो तुम हमें बता रहे हो उन में से हम बहुत सी बातों को नहीं समझते हैं, और हम तुमको अपने से कमज़ोर देखते हैं। अगर तुम्हारा क़बीला न होता तो हम तुम्हें संगसार (पत्थर से मार कर खत्म) कर देते। हमारे नज़दीक तुम्हारी कोई कीमत नहीं है।

قالَ يٰقَومِ أَرَهطى أَعَزُّ عَلَيكُم مِنَ اللَّهِ وَاتَّخَذتُموهُ وَراءَكُم ظِهرِيًّا إِنَّ رَبّى بِما تَعمَلونَ مُحيطٌ

(11:92) शुऐब ने कहाः ऐ मेरी क़ौम! क्या मेरा क़बीला अल्लाह से ज़्यादा इज़्ज़त का हुक्म देता है? क्या इसी लिए तुम उस से ग़ाफिल हो? तुम जो कुछ करते हो मेरा रब उस से बखुबी वाकिफ है।

وَيٰقَومِ اعمَلوا عَلىٰ مَكانَتِكُم إِنّى عٰمِلٌ سَوفَ تَعلَمونَ مَن يَأتيهِ عَذابٌ يُخزيهِ وَمَن هُوَ كٰذِبٌ وَارتَقِبوا إِنّى مَعَكُم رَقيبٌ

(11:93) ऐ मेरी क़ौम! जो तुम चाहते हो करो तो मैं भी जो चाहूंगा करूंगा। तुमको यक़ीनन मालूम हो जायेगा कि हम में से कौन ज़िल्लत भरे अज़ाब में मुबतला होगा। तुम्हें यह भी मालूम हो जायेगा कि कौन झूठा है। तो तुम इन्तिज़ार करो मैं भी तुम्हारे साथ इन्तिज़ार करूंगा।

وَلَمّا جاءَ أَمرُنا نَجَّينا شُعَيبًا وَالَّذينَ ءامَنوا مَعَهُ بِرَحمَةٍ مِنّا وَأَخَذَتِ الَّذينَ ظَلَمُوا الصَّيحَةُ فَأَصبَحوا فى دِيٰرِهِم جٰثِمينَ

(11:94) और जब हमारा फैसला (अज़ाब) आ गया, तो हमने शुऐब और उसके साथ ईमान लाने वालों को अपनी रहमत से बचा लिया। और ज़ालिमों को एक खौफनाक आफत (सख्त चीख़) ने आ पकड़ा जिस से वह अपने घरों में मुर्दा होकर रेह गए।

كَأَن لَم يَغنَوا فيها أَلا بُعدًا لِمَديَنَ كَما بَعِدَت ثَمودُ

(11:95) यह ऐसा था जैसे वह कभी मौजूद ही नहीं थे। मदयन भी समूद के फना होने की तरह फना हो गया।

मूसा

وَلَقَد أَرسَلنا موسىٰ بِـٔايٰتِنا وَسُلطٰنٍ مُبينٍ

(11:96) हमने मूसा को अपनी बड़ी निशानियों और रौशन दलील के साथ भेजा।

إِلىٰ فِرعَونَ وَمَلَإِي۟هِ فَاتَّبَعوا أَمرَ فِرعَونَ وَما أَمرُ فِرعَونَ بِرَشيدٍ

(11:97) फिरऔन और उसके सरदारों की तरफ। लेकिन उन्हों ने फिरऔन का कहा माना और फिरऔन का हुक्म समझदारी वाला नहीं था।

يَقدُمُ قَومَهُ يَومَ القِيٰمَةِ فَأَورَدَهُمُ النّارَ وَبِئسَ الوِردُ المَورودُ

(11:98) वह कयामत के दिन हर तरह से अपनी क़ौम का दोज़ख की तरफ लेजायेगा। दोज़ख रहने के लिए कितना बुरा ठिकाना है।

وَأُتبِعوا فى هٰذِهِ لَعنَةً وَيَومَ القِيٰمَةِ بِئسَ الرِّفدُ المَرفودُ

(11:99) वह इस ज़िन्दगी में भी लाअनती हुए और आखिरत में भी होंगे। यह कितना बुरा रास्ता है।

याद करने के लायक़ सबक़

ذٰلِكَ مِن أَنباءِ القُرىٰ نَقُصُّهُ عَلَيكَ مِنها قائِمٌ وَحَصيدٌ

(11:100) यह पहले के लोगों की खबरें हैं जो हम तुम्हें सुनाते (बयान करते) हैं। उनमें से कुछ तो अब भी बाक़ी हैं और कुछ मिट गयी हैं।

وَما ظَلَمنٰهُم وَلٰكِن ظَلَموا أَنفُسَهُم فَما أَغنَت عَنهُم ءالِهَتُهُمُ الَّتى يَدعونَ مِن دونِ اللَّهِ مِن شَىءٍ لَمّا جاءَ أَمرُ رَبِّكَ وَما زادوهُم غَيرَ تَتبيبٍ

(11:101) हमने उनके साथ कभी जुल्म नहीं किया लेकिन उन्हों ने खुद अपने साथ जुल्म किया। उनके वह माबूद ’जिन्हें अल्लाह के अलावा पुकारा जाता था’ जब तु म्हारे रब का फैसला (अज़ाब) आगया तो उनकी मदद नहीं कर सके। वास्तव मे उन्होंने उनके अजाब को बढाने का काम किया।

وَكَذٰلِكَ أَخذُ رَبِّكَ إِذا أَخَذَ القُرىٰ وَهِىَ ظٰلِمَةٌ إِنَّ أَخذَهُ أَليمٌ شَديدٌ

(11:102) ऐसा ही था तुम्हारे परवरदिगार का अजाब जब समुदायों ने ज्यादती की। वास्तव में, उसका प्रतिशोध दर्दनाक, विनाशकारी है। 

إِنَّ فى ذٰلِكَ لَـٔايَةً لِمَن خافَ عَذابَ الـٔاخِرَةِ ذٰلِكَ يَومٌ مَجموعٌ لَهُ النّاسُ وَذٰلِكَ يَومٌ مَشهودٌ

(11:103) यह उन लोगों के लिए सबक़ होना चाहिए जो आखिरत के अज़ाब से डरते हैं। यह वह दिन है जब तमाम लोग इकट्ठा किये जायेंगे। और वह सब की गवाही का दिन है।

وَما نُؤَخِّرُهُ إِلّا لِأَجَلٍ مَعدودٍ

(11:104) और हमने इसके कायम होने का एक खास दिन (वक्त) मुकर्रर कर दिया है।

يَومَ يَأتِ لا تَكَلَّمُ نَفسٌ إِلّا بِإِذنِهِ فَمِنهُم شَقِىٌّ وَسَعيدٌ

(11:105) वह दिन भी आयेगा जब उस (खुदा) की इजाज़त के बगैर कोई भी शख्स एक लफ्ज़ नही बोलेगा। उन में से कुछ लोग दुखी होंगे और कुछ खुश होंगे।

فَأَمَّا الَّذينَ شَقوا فَفِى النّارِ لَهُم فيها زَفيرٌ وَشَهيقٌ

(11:106) जो लोग दुखी होंगे वह दोज़ख में रहेंगे। वहां पर वह आहें भरेंगे और रोएगें ।

خٰلِدينَ فيها ما دامَتِ السَّمٰوٰتُ وَالأَرضُ إِلّا ما شاءَ رَبُّكَ إِنَّ رَبَّكَ فَعّالٌ لِما يُريدُ

(11:107) वहां वह हमेशा रहेंगे, जब तक तुम्हारे रब के हुक्म से आसमान और ज़मीन क़ायम हैं। तुम्हारा रब जो चाहता है करता है।

وَأَمَّا الَّذينَ سُعِدوا فَفِى الجَنَّةِ خٰلِدينَ فيها ما دامَتِ السَّمٰوٰتُ وَالأَرضُ إِلّا ما شاءَ رَبُّكَ عَطاءً غَيرَ مَجذوذٍ

(11:108) और जो लोग सआदत मन्द (खुशनसीब) हैं, जब तक ज़मीन और आसमान है वह जन्नत में हमेंशा रहेंगे। मगर जो खुदा चाहे। यह कभी न खत्म होने वाला अजर (बदला) है। 

अपने माता-पिता का आँख बंद करके पालन करना इन्सान की सबसे बड़ी गलती

فَلا تَكُ فى مِريَةٍ مِمّا يَعبُدُ هٰؤُلاءِ ما يَعبُدونَ إِلّا كَما يَعبُدُ ءاباؤُهُم مِن قَبلُ وَإِنّا لَمُوَفّوهُم نَصيبَهُم غَيرَ مَنقوصٍ

(11:109) इसके में कोई शक न करो, जिसकी ये लोग पूजा करते हैं। वे ठीक वैसे ही पूजा करते हैं जैसे उन्होंने अपने माता-पिता को पूजा करते हुए पाया था। हम बिना किसी कमी के उन्हें उनका पूरा हिस्सा (अजाब) देंगे।

وَلَقَد ءاتَينا موسَى الكِتٰبَ فَاختُلِفَ فيهِ وَلَولا كَلِمَةٌ سَبَقَت مِن رَبِّكَ لَقُضِىَ بَينَهُم وَإِنَّهُم لَفى شَكٍّ مِنهُ مُريبٍ

(11:110) और हमने मूसा को किताब दि लेकिन उसमें इख्तिलाफ किया गया और अगर यह तुम्हारे रब की तरफ से पहले से तय किया हुवा अल्फाज़ न होता तो उनका फैसला फौरन कर दिया जाता। यह लोग इसके बारे में बहुत गहरे शक में पड़े हुए है।     

وَإِنَّ كُلًّا لَمّا لَيُوَفِّيَنَّهُم رَبُّكَ أَعمٰلَهُم إِنَّهُ بِما يَعمَلونَ خَبيرٌ

(11:111) और यक़ीनन तुम्हारा रब हर एक को उनके किए का मुआवज़ा देगा। वह उनके हर काम से पूरी तरह वाकिफ (बाखबर) है।

فَاستَقِم كَما أُمِرتَ وَمَن تابَ مَعَكَ وَلا تَطغَوا إِنَّهُ بِما تَعمَلونَ بَصيرٌ

(11:112) इस लिए जो लोग तौबा कर चुके हैं उनके साथ उस रास्त पर चलते रहो जिसका तुम्हें हुक्म दिया गया है। और सरकशी मत करो। वह तुम्हारे हर काम को देखने वाला है।

وَلا تَركَنوا إِلَى الَّذينَ ظَلَموا فَتَمَسَّكُمُ النّارُ وَما لَكُم مِن دونِ اللَّهِ مِن أَولِياءَ ثُمَّ لا تُنصَرونَ

(11:113) उन लोगों की तरफ ना मायल हो (झूको) जिन लोगों ने जुल्म किया। वरना तुम भी दोज़ख में डाले जाओगे और अल्लाह के मुक़ाबले तुम्हारा कोई मददगार नहीं होगा और तुम्हारी कोई मदद नहीं की जाएगी।

पांच में से तीन नमाज़

وَأَقِمِ الصَّلوٰةَ طَرَفَىِ النَّهارِ وَزُلَفًا مِنَ الَّيلِ إِنَّ الحَسَنٰتِ يُذهِبنَ السَّيِّـٔاتِ ذٰلِكَ ذِكرىٰ لِلذّٰكِرينَ

(11:114) दिन के दोनों हिस्सों में और रात की नमाज़ की पाबन्दी करो। बेशक नेक काम बुराई को मिटा देते हैं। यह उनके लिए नसीहत हैं जो नसीहत लेते हैं।

وَاصبِر فَإِنَّ اللَّهَ لا يُضيعُ أَجرَ المُحسِنينَ

(11:115) और सब्र करो। इस लिए कि अल्लाह नेक काम करने वालों के अजर (सवाब) को ज़ाया (बरबाद) नहीं करता।

فَلَولا كانَ مِنَ القُرونِ مِن قَبلِكُم أُولوا بَقِيَّةٍ يَنهَونَ عَنِ الفَسادِ فِى الأَرضِ إِلّا قَليلًا مِمَّن أَنجَينا مِنهُم وَاتَّبَعَ الَّذينَ ظَلَموا ما أُترِفوا فيهِ وَكانوا مُجرِمينَ

(11:116) काश पिछली कौमों में से कुछ लोगों के पास बुराई को रोकने के लिए पर्याप्त समज होती! उनमें से कुछ ही हमारे द्वारा बचाए जाने के योग्य थे। जहां तक ज़ालिमों का सवाल है तो वह अपनी भौतिकी ऐशो-आराम में मशगूल थे। और वह मुजरिम लोग थे।

وَما كانَ رَبُّكَ لِيُهلِكَ القُرىٰ بِظُلمٍ وَأَهلُها مُصلِحونَ

(11:117) तुम्हारा रब कभी किसी क़ौम को नाहक़ हलाक नहीं करता, जब कि उसके लोग नेक हों।

हमें क्यों पैदा किया गया है?

وَلَو شاءَ رَبُّكَ لَجَعَلَ النّاسَ أُمَّةً وٰحِدَةً وَلا يَزالونَ مُختَلِفينَ

(11:118) अगर तुम्हारा रब चाहता तो तमाम लोगों को एक ही उम्मत बना देता (मगर उसने ऐसा न किया बल्कि सबको मजहब इख्तियार करने की आजादी दी)। लेकिन वह हमेशा (सच पर) झगड़ते रहेंगे।

إِلّا مَن رَحِمَ رَبُّكَ وَلِذٰلِكَ خَلَقَهُم وَتَمَّت كَلِمَةُ رَبِّكَ لَأَملَأَنَّ جَهَنَّمَ مِنَ الجِنَّةِ وَالنّاسِ أَجمَعينَ

(11:119) सिवा उसके जिस पर तुम्हारा रब रहम करे (वह हक पर नहीं झगडेंगे)। इसी लिए उनको पैदा किया है।’ तुम्हारे रब का फैसला पहले ही हो चुका है कि “मैं दोज़ख को जिन्नों और इन्सानों से भर दुँगा।’’

*11:119 बहुत ही मेहेरबान ने हमको इस ज़मीन पर पैदा करके एक और मौक़ा दिया है कि हम अपने जुर्मा (गुनाहों) से तौबा कर सकें और खुद को बचा सकें। (देखें अपेन्डिक्स 7 और इन्ट्रोडक्शन)।
* 11:119 अल्लाह किसी एक व्यक्ति को भी जहन्नम में नहीं डालेगा बल्की वे चुनते हैं और जहन्नम मे जाने पर जोर देते हैं।

وَكُلًّا نَقُصُّ عَلَيكَ مِن أَنباءِ الرُّسُلِ ما نُثَبِّتُ بِهِ فُؤادَكَ وَجاءَكَ فى هٰذِهِ الحَقُّ وَمَوعِظَةٌ وَذِكرىٰ لِلمُؤمِنينَ

(11:120) और हम तुमको तमाम पैगम्बरों के किस्से सुनाते हैं ताकि तुम्हारे दिल को हौसला मिले। और उस में से तुम्हारे पास हक आचुका है और साथ ही मोमिनो के लिए इबरत और नसीहत भी।

وَقُل لِلَّذينَ لا يُؤمِنونَ اعمَلوا عَلىٰ مَكانَتِكُم إِنّا عٰمِلونَ

(11:121) जो लोग ईमान नहीं ला रहे हैं उनसे कह दो, तुम अपनी जगह कर्म किए जाओ, हम (अपनी जगह) कर्म करते है।  

وَانتَظِروا إِنّا مُنتَظِرونَ

(11:122) तब इन्तिज़ार करो और मैं भी इन्तिज़ार करूंगा।

وَلِلَّهِ غَيبُ السَّمٰوٰتِ وَالأَرضِ وَإِلَيهِ يُرجَعُ الأَمرُ كُلُّهُ فَاعبُدهُ وَتَوَكَّل عَلَيهِ وَما رَبُّكَ بِغٰفِلٍ عَمّا تَعمَلونَ

(11:123) और सारे आसमान व जमीन की पोशीदा(छुपी) बातों का इल्म खास अल्लाह ही को हैं। उसी की तरफ हर एक काम लौटाया जाता है। तुम्हें उसी की इबादत करनी चाहिए और उसी पर भरोसा करना चाहिए। जो कुछ तुम करते हो तुम्हारा रब उस से बेख़बर नहीं है।