10. जोनह (यूनुस)

بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ

(10.0) शुरु उस अल्लाह के नाम से जो बेहद मेहरबान और रहमदिल है।

الر تِلكَ ءايٰتُ الكِتٰبِ الحَكيمِ

(10:1) अलिफ लाम रा,* यह हुरूफ इस बात के सुबूत हैं कि यह हिकमत की किताब है।

* 10:1 ये अक्षर कुरान के अद्भुत गणितीय कोड का एक बड़ा हिस्सा हैं और यह खुदा के लेखक होने का प्रमाण है। विवरण के लिए अपेन्डिक्स 1 देखें।

أَكانَ لِلنّاسِ عَجَبًا أَن أَوحَينا إِلىٰ رَجُلٍ مِنهُم أَن أَنذِرِ النّاسَ وَبَشِّرِ الَّذينَ ءامَنوا أَنَّ لَهُم قَدَمَ صِدقٍ عِندَ رَبِّهِم قالَ الكٰفِرونَ إِنَّ هٰذا لَسٰحِرٌ مُبينٌ

(10:2) यह लोगों के लिए बहुत हैरत की बात है कि हमने उन जैसे ही एक आदमी पर वही नाज़िल की के “वह लागों को डराये और ईमान वालों को खुशखबरी दे कि उनके लिए उनके रब के पास एक सच्चा मक़ाम है।“ काफिरों ने कहाः यह एक चालाक जादुगर है।

إِنَّ رَبَّكُمُ اللَّهُ الَّذى خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالأَرضَ فى سِتَّةِ أَيّامٍ ثُمَّ استَوىٰ عَلَى العَرشِ يُدَبِّرُ الأَمرَ ما مِن شَفيعٍ إِلّا مِن بَعدِ إِذنِهِ ذٰلِكُمُ اللَّهُ رَبُّكُم فَاعبُدوهُ أَفَلا تَذَكَّرونَ

(10:3) तुम्हारा रब सिर्फ (वाहिद) अल्लाह है। वह जिसने आसमान और ज़मीन को छे: दिनों में पेदा किया। फिर सभी हुकूमत को संभाला। वह सभी मामलात को का़बू करता है। उसकी मर्ज़ी के बगैर कोई सिफ़ारिश करने वाला नहीं है। वही अल्लाह तुम्हारा रब है, पस उसी की इबादत करो। क्या तुम ध्यान नहीं दोगे? 

إِلَيهِ مَرجِعُكُم جَميعًا وَعدَ اللَّهِ حَقًّا إِنَّهُ يَبدَؤُا۟ الخَلقَ ثُمَّ يُعيدُهُ لِيَجزِىَ الَّذينَ ءامَنوا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ بِالقِسطِ وَالَّذينَ كَفَروا لَهُم شَرابٌ مِن حَميمٍ وَعَذابٌ أَليمٌ بِما كانوا يَكفُرونَ

(10:4) उस की तरफ़ तुम सब को लौट कर जाना है, अल्लाह का वादा सच्चा है, बेशक वही पहली बार पैदा करता है फिर उस को दोबारा पैदा करेगा ताकि ईमान वालों और नेक काम करने वालों को इन्साफ के साथ बदला दिया जाए। जो लोग काफिर हैं उनके लिए दोज़ख का खौलता हुआ पानी और उनके कुफ्र करने के बदले दर्दनाक अज़ाब है।

هُوَ الَّذى جَعَلَ الشَّمسَ ضِياءً وَالقَمَرَ نورًا وَقَدَّرَهُ مَنازِلَ لِتَعلَموا عَدَدَ السِّنينَ وَالحِسابَ ما خَلَقَ اللَّهُ ذٰلِكَ إِلّا بِالحَقِّ يُفَصِّلُ الـٔايٰتِ لِقَومٍ يَعلَمونَ

(10:5) (खुदा) वही है जिसने सूरज को रौशन और चान्द को नूर बनाया। और उनके लिए मंज़िलें निश्चित की, ताकि तुम वर्षों की गिनती और हिसाब मालूम कर लिया करो। अल्लाह ने इन सभी चीज़ों को ऐसे ही नहीं पैदा किया है बल्कि सबका एक खास मक़सद है। वह इल्म वालो के लिए निशानियां खोल कर बयान करता है ।

إِنَّ فِى اختِلٰفِ الَّيلِ وَالنَّهارِ وَما خَلَقَ اللَّهُ فِى السَّمٰوٰتِ وَالأَرضِ لَـٔايٰتٍ لِقَومٍ يَتَّقونَ

(10:6) यकीनन रात और दिन के बदलने में और जो कुछ अल्लाह ने ज़मीन और आसमान में पैदा किया है उनमें परहेज़गारों के लिए निशानियां हैं।

इस संसार में व्यस्त रहना

إِنَّ الَّذينَ لا يَرجونَ لِقاءَنا وَرَضوا بِالحَيوٰةِ الدُّنيا وَاطمَأَنّوا بِها وَالَّذينَ هُم عَن ءايٰتِنا غٰفِلونَ

(10:7) जो लोग मुझसे मिलने की उम्मीद नहीं रखते हैं, वह इस दुनिया की ज़िन्दगी में मशगूल और उसीसे संतुष्ट हैं । और हमारी निशानियों से गाफिल हें।

أُولٰئِكَ مَأوىٰهُمُ النّارُ بِما كانوا يَكسِبونَ

(10:8) यह अपने कामों की वजह से दोज़ख को अपना आखिरी ठिकाना बना चुके हैं।

अल्लाह मोमिनों की रहनुमाई करता है

إِنَّ الَّذينَ ءامَنوا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ يَهديهِم رَبُّهُم بِإيمٰنِهِم تَجرى مِن تَحتِهِمُ الأَنهٰرُ فى جَنّٰتِ النَّعيمِ

(10:9) जो लोग ईमान लाते हैं और नेक काम करते हैं। उनका खुदा उनके ईमान की वजह से उनकी रहनुमाई करता है (स्वर्ग के रास्तो पर जहा) नेमतों के बाग़ के नीचे से नहरें बह रही होंगी।

دَعوىٰهُم فيها سُبحٰنَكَ اللَّهُمَّ وَتَحِيَّتُهُم فيها سَلٰمٌ وَءاخِرُ دَعوىٰهُم أَنِ الحَمدُ لِلَّهِ رَبِّ العٰلَمينَ

(10:10) वहां उनकी दुआ “हमारे अल्लाह तेरी ज़ात पाक है“ और वहां उनकी मुलाकात की दुआ “सलामती“ है और उनकी आखिरी दुआ “तमाम तारीफ सारे जहांन के रब के लिए हैं“।

وَلَو يُعَجِّلُ اللَّهُ لِلنّاسِ الشَّرَّ استِعجالَهُم بِالخَيرِ لَقُضِىَ إِلَيهِم أَجَلُهُم فَنَذَرُ الَّذينَ لا يَرجونَ لِقاءَنا فى طُغيٰنِهِم يَعمَهونَ

(10:11) अगर अल्लाह लोगों के अज़ाब मे जल्दी पहुंचाता जिसतरह से वह भलाई को जल्दी मांगते हैं तो वह सब के सब फना हो चुके होते। बल्कि वो हमसे मिलने की उम्मीद ही नहीं रखते हैं तो हम उनको छोड़े रखते हैं उनकी सरकशी और नाफर्मानी में।

وَإِذا مَسَّ الإِنسٰنَ الضُّرُّ دَعانا لِجَنبِهِ أَو قاعِدًا أَو قائِمًا فَلَمّا كَشَفنا عَنهُ ضُرَّهُ مَرَّ كَأَن لَم يَدعُنا إِلىٰ ضُرٍّ مَسَّهُ كَذٰلِكَ زُيِّنَ لِلمُسرِفينَ ما كانوا يَعمَلونَ

(10:12) जब इनसान को कोई तकलीफ पहुंचती है तो वह हमसे लेटे, खड़े और बैठे हुवे दुआ (इल्तिजा) करता है। लेकिन जब हम उसकी मुसीबत को दूर कर देते हैं तो वह इस तरह चला जाता है जैसे उसने मुसीबत को दूर करने के लिए हमें कभी पुकारा ही नहीं था। इस प्रकार मर्यादाहीन लोगों के कर्म उनकी नज़रो में शोभायमान होते हैं।     

अतीत से सबक़

وَلَقَد أَهلَكنَا القُرونَ مِن قَبلِكُم لَمّا ظَلَموا وَجاءَتهُم رُسُلُهُم بِالبَيِّنٰتِ وَما كانوا لِيُؤمِنوا كَذٰلِكَ نَجزِى القَومَ المُجرِمينَ

(10:13) और हम तुम से पहले बहुत सी कौमों को उनके जुल्म (कुफ्र व शिर्क) करने की वजह से हलाक कर चुके हैं। और उनके पैगम्बर उनके पास खुली हुई निशानियां लेकर आये थे लेकिन उन लोगों ने ईमान लाने से इन्कार कर दिया। हम मुजरिमों को इसी तरह सज़ा देते हैं।

अब तुम्हारी बारी

ثُمَّ جَعَلنٰكُم خَلٰئِفَ فِى الأَرضِ مِن بَعدِهِم لِنَنظُرَ كَيفَ تَعمَلونَ

(10:14) फिर उनके बाद हमने तुमको ज़मीन का वारिस बनाया ताकि देखें तुम कैसा अमल करोगे।

हर लफ्ज़ का हिसाब खुदाई तौर पर तैयार किया गया है

وَإِذا تُتلىٰ عَلَيهِم ءايٰتُنا بَيِّنٰتٍ قالَ الَّذينَ لا يَرجونَ لِقاءَنَا ائتِ بِقُرءانٍ غَيرِ هٰذا أَو بَدِّلهُ قُل ما يَكونُ لى أَن أُبَدِّلَهُ مِن تِلقائِ نَفسى إِن أَتَّبِعُ إِلّا ما يوحىٰ إِلَىَّ إِنّى أَخافُ إِن عَصَيتُ رَبّى عَذابَ يَومٍ عَظيمٍ

(10:15) और जब उन्हें हमारी आयतें पढ़ कर सुनाई जाती हैं तो जो लोग हमसे मिलने की उम्मीद नहीं रखते कहते हैंः “इसके अलावा कोई और कुरान* ले आाओ या इसे बदल दो“ (ऐ पैगम्बर!) उनसे कहोः मेरे लिए मुम्किन नहीं है कि मैं उसे अपनी तरफ से बदल सकूं। मैं तो सिर्फ उस की पैरवी करता हूं जो मुझ पर नाज़िल होता हैं। मैं अगर अपने परवरदिगार का कहा न मानूँ तो बड़े दिन के अज़ाब से डरता हूँ।

*10:15 लफ्ज़“ कुरान“ कुरान में 58 बार आया है लेकिन यह आयत दूसरे कुरान की तरफ इशारा करती है। इस लिए इसे निकाल देना चाहिए। यानी कुरान में लफ्ज़ “कुरान“ 57 बार है। 19x3.

قُل لَو شاءَ اللَّهُ ما تَلَوتُهُ عَلَيكُم وَلا أَدرىٰكُم بِهِ فَقَد لَبِثتُ فيكُم عُمُرًا مِن قَبلِهِ أَفَلا تَعقِلونَ

(10:16) (ऐ पैगम्बर!) इनसे कहोः अगर अल्लाह चाहता तो मैं तुम्हें उसे पढ़ कर नहीं सुनाता, और न तुम उसके बारे में कुछ जानते। मैं इस (पैगम्बरी) से पहले पूरी ज़िन्दगी तुम्हारे बीच रहा और तुम मुझे एक सच्चे इन्सान के तौर पर जानते हो। क्या तुम नहीं समझते?

فَمَن أَظلَمُ مِمَّنِ افتَرىٰ عَلَى اللَّهِ كَذِبًا أَو كَذَّبَ بِـٔايٰتِهِ إِنَّهُ لا يُفلِحُ المُجرِمونَ

(10:17) उस से बढ़ कर बुरा कौन है जो अल्लाह पर झूठ बांधे और उसकी आयतों को झुठलाये। यकीनन मुजरिम कभी कामयाब नहीं होता।

وَيَعبُدونَ مِن دونِ اللَّهِ ما لا يَضُرُّهُم وَلا يَنفَعُهُم وَيَقولونَ هٰؤُلاءِ شُفَعٰؤُنا عِندَ اللَّهِ قُل أَتُنَبِّـٔونَ اللَّهَ بِما لا يَعلَمُ فِى السَّمٰوٰتِ وَلا فِى الأَرضِ سُبحٰنَهُ وَتَعٰلىٰ عَمّا يُشرِكونَ

(10:18) वह अल्लाह के अलावा जिन साझीदारों या शरीको को पूजते हैं वो उनको नफा या नुकसान पहुंचाने की ताकत नहीं रखते हैं। और वह कहते हैं कि यह अल्लाह के यहां हमारी सिफारिश करेंगे। उनसे कह दोः क्या तुम अल्लाह को ऐसी खबर देते हो जिसे वह आसमान और ज़मीन में नहीं जानता? उसकी जात पाक है और वोह उन सब चीजों से बुलंद और आला है जिन्हें येह उसका शरीक थहराते हैं।

وَما كانَ النّاسُ إِلّا أُمَّةً وٰحِدَةً فَاختَلَفوا وَلَولا كَلِمَةٌ سَبَقَت مِن رَبِّكَ لَقُضِىَ بَينَهُم فيما فيهِ يَختَلِفونَ

(10:19) सारे इन्सान एक ही समुदाय हुवा करती थी, फिर उन्होंने इख़तिलाफ़ किया और यदि तेरे रब की तरफ से पहले से ही तय शुदा बात न होती तो उनके झगड़ों का तुरन्त फैसला कर दिया जाता।

मुहम्मद के बाद कुरान का चमत्कार प्रकट होगा

وَيَقولونَ لَولا أُنزِلَ عَلَيهِ ءايَةٌ مِن رَبِّهِ فَقُل إِنَّمَا الغَيبُ لِلَّهِ فَانتَظِروا إِنّى مَعَكُم مِنَ المُنتَظِرينَ

(10:20) वह लोग कहते हैंः उसके पास उसके रब की तरफ से कोई मोजिज़ा(चमत्कार)* क्यों नहीं नाज़िल हुआ? उनसे कह दो गैब का तअल्लुक अल्लाह से है इस लिए इन्तिज़ार करो और मैं भी तुम्हारे साथ इन्तिज़ार कर रहा हूँ।

*10:20 पीछे मुड़कर जब हम अब देखते हैं कि कुरान का चमत्कार, वास्तव में "सबसे बड़े चमत्कारों में से एक" है (74:30-35),और मुहम्मद के 14 शताब्दियों बाद इसको प्रकट होना एक दिव्य रूप से पूर्वनिर्धारित था। परंपरागत मुसलमानों की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यदि मुहम्मद को यह चमत्कार दिया गया होता, तो वे मुसलमान जो पहले से ही मुहम्मद को खुदा के अलावा पूजते हैं, उन्हें खुदा के रूप में पूजते। इसके अतिरिक्त, यह चमत्कार स्पष्ट रूप से कंप्यूटर युग के लिए बनाया गया है, और गणितीय रूप से परिष्कृत पीढ़ियों द्वारा इसकी सराहना की जानी चाहिए।      

बाग़ी इन्सान

وَإِذا أَذَقنَا النّاسَ رَحمَةً مِن بَعدِ ضَرّاءَ مَسَّتهُم إِذا لَهُم مَكرٌ فى ءايٰتِنا قُلِ اللَّهُ أَسرَعُ مَكرًا إِنَّ رُسُلَنا يَكتُبونَ ما تَمكُرونَ

(10:21) जब हम लोगों को मुसीबत के बाद अपनी रहम अता करते हैं तो वह फौरन हमारी आयतों के खिलाफ साज़िश करते हैं। (इनसे) कहोः अल्लाह की तदबीरें ज़्यादा प्रभावशाली हैं। क्यों कि हमारे रसूल (फरिश्ते) तुम्हारी हर तदबीर को रिकार्ड कर रहे हैं।

هُوَ الَّذى يُسَيِّرُكُم فِى البَرِّ وَالبَحرِ حَتّىٰ إِذا كُنتُم فِى الفُلكِ وَجَرَينَ بِهِم بِريحٍ طَيِّبَةٍ وَفَرِحوا بِها جاءَتها ريحٌ عاصِفٌ وَجاءَهُمُ المَوجُ مِن كُلِّ مَكانٍ وَظَنّوا أَنَّهُم أُحيطَ بِهِم دَعَوُا اللَّهَ مُخلِصينَ لَهُ الدّينَ لَئِن أَنجَيتَنا مِن هٰذِهِ لَنَكونَنَّ مِنَ الشّٰكِرينَ

(10:22) खुदा वही है जो तुमको जमीन और समन्दर के पार लेजाता है। यहां तक कि जब तुम जहाज़ में सवार होते हो और जब जहाज़ को अच्छी हवा असानी से चलाती है, और जब वह उसमें खुश होते हैं, तभी वहा तेज़ हवा चलती है और लहरे उन्हें चारो तरफ से घेर लेती हैं। और वह समझते हैं कि वह बुरे फंसे। उस वक्त वह खुलूस के साथ सिर्फ खुदा से दुआ करते हैं। ऐ अल्लाह अगर हमको सिर्फ इस वक्त बचा ले और इस मुसीबत से नजात दे तो हम तेरे हमेशा शुक्रगुज़ार रहेंगे।

فَلَمّا أَنجىٰهُم إِذا هُم يَبغونَ فِى الأَرضِ بِغَيرِ الحَقِّ يٰأَيُّهَا النّاسُ إِنَّما بَغيُكُم عَلىٰ أَنفُسِكُم مَتٰعَ الحَيوٰةِ الدُّنيا ثُمَّ إِلَينا مَرجِعُكُم فَنُنَبِّئُكُم بِما كُنتُم تَعمَلونَ

(10:23) लेकिन जैसे ही खुदा उन्हें बचाता है वह ज़मीन पर अपराध करते हैं, और सत्य का विरोध करते हैं। ऐ लोगो! तुम्हारी सरकशी व नाफरमानी तुम्हारे लिए ही नुकसान देह है। तुम इस दुनियावी ज़िन्दगी में मशगूल रहो। आखिर में तुम्हें हमारी तरफ ही लौटना है। फिर हम तुम्हें तुम्हारे सभी कामें की खबर देंगे जो कुछ तुम किया करते थे।

إِنَّما مَثَلُ الحَيوٰةِ الدُّنيا كَماءٍ أَنزَلنٰهُ مِنَ السَّماءِ فَاختَلَطَ بِهِ نَباتُ الأَرضِ مِمّا يَأكُلُ النّاسُ وَالأَنعٰمُ حَتّىٰ إِذا أَخَذَتِ الأَرضُ زُخرُفَها وَازَّيَّنَت وَظَنَّ أَهلُها أَنَّهُم قٰدِرونَ عَلَيها أَتىٰها أَمرُنا لَيلًا أَو نَهارًا فَجَعَلنٰها حَصيدًا كَأَن لَم تَغنَ بِالأَمسِ كَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الـٔايٰتِ لِقَومٍ يَتَفَكَّرونَ

(10:24) इस दुनिया की ज़िन्दगी की मिसाल हमारे आसमान से उतारे हुए पानी की तरह है जिस से ज़मीन पर हर किस्म के पौधे पैदा होते है जिसे इन्सान और जानवर खाते हैं। और जब ज़मीन अपनी खेती से खूब आरासता हो जाती है और लोग समझते हैं कि वह उस पर कुदरत रखते हैं। फिर हमारा फैसला रात या दिन में आता हैं *और उसे बन्जर बना देता है जैसे वहा पहले कुछ था ही नहीं। इस तरह हम अपनी आयतों को गौर और फिक्र करने वालों के लिए खोल-खोल कर बयान करते हैं।

*10:24 बेशक खुदा जानता है कि उसका फैसला दिन में आयेगा या रात में। लेकिन जब दुनिया का खातमा होगा तो ज़मीन पर आधा दिन और आधी रात होगी। यह कुरान का एक और साइंस का चमत्कार है।

وَاللَّهُ يَدعوا إِلىٰ دارِ السَّلٰمِ وَيَهدى مَن يَشاءُ إِلىٰ صِرٰطٍ مُستَقيمٍ

(10:25) अल्लाह तुम्हे सलामती के घर की तरफ बुलाता है और जिसको चाहता है सीधे रास्ते की हिदायत(और रहनुमाई) देता है।

जन्नत और दोज़ख हमेशा रहने वाली हैं

لِلَّذينَ أَحسَنُوا الحُسنىٰ وَزِيادَةٌ وَلا يَرهَقُ وُجوهَهُم قَتَرٌ وَلا ذِلَّةٌ أُولٰئِكَ أَصحٰبُ الجَنَّةِ هُم فيها خٰلِدونَ

(10:26) नेक लोगों को कई गुना सवाब (अजर) दिया जायेगा। उनके चेहरों पर कोई मायूसी या शर्मिन्दगी महसूस नहीं होगी। यही लोग जन्नत के रहने वाले हैं और हमेशा उसी में रहेंगे।

وَالَّذينَ كَسَبُوا السَّيِّـٔاتِ جَزاءُ سَيِّئَةٍ بِمِثلِها وَتَرهَقُهُم ذِلَّةٌ ما لَهُم مِنَ اللَّهِ مِن عاصِمٍ كَأَنَّما أُغشِيَت وُجوهُهُم قِطَعًا مِنَ الَّيلِ مُظلِمًا أُولٰئِكَ أَصحٰبُ النّارِ هُم فيها خٰلِدونَ

(10:27) जिन लोगों ने गुनाह कमायें हैं उनको बदला उनके गुनाहों के बराबर होगा। उनके ऊपर बहुत ज़िल्लत है। और अल्लाह के अलावा कोई उनका बचाने वाला नहीं है। गोया कि उनके चेहरों पर अन्धेरी रात की तारीकी नज़र आयेगी। यह दोज़खी लोग हैं। उसी में हमेशा रहेंगे।

शरीक (बुत, रसूल, पैगम्बर, महात्मा, उस्ताद) अपने पूजने वालों से इनकार करते हैं

وَيَومَ نَحشُرُهُم جَميعًا ثُمَّ نَقولُ لِلَّذينَ أَشرَكوا مَكانَكُم أَنتُم وَشُرَكاؤُكُم فَزَيَّلنا بَينَهُم وَقالَ شُرَكاؤُهُم ما كُنتُم إِيّانا تَعبُدونَ

(10:28) जिस दिन हम उन सबको बुलायेंगे। हम उनसे कहेंगे जिस शरीक की तुम पूजा करते थे। आज हमने तुम्हें और तुम्हारे शरीको को साथ बुलाया है। हम उनका एक-दूसरे से सामना करायेंगे, और शरीक उन से कहेंगे हमें कोई अन्दाज़ा नहीं है कि तुमने हमें अपना शरीक (इबादत करेवाला) बना लिया है।

فَكَفىٰ بِاللَّهِ شَهيدًا بَينَنا وَبَينَكُم إِن كُنّا عَن عِبادَتِكُم لَغٰفِلينَ

(10:29) अल्लाह हमारे और तुम्हारे बीच गवाह के तौर पर काफी है कि हम तुम्हारी इबादत से बिलकुल बेखबर थे।

هُنالِكَ تَبلوا كُلُّ نَفسٍ ما أَسلَفَت وَرُدّوا إِلَى اللَّهِ مَولىٰهُمُ الحَقِّ وَضَلَّ عَنهُم ما كانوا يَفتَرونَ

(10:30) यह वह वक्त है जब हर नफ्स अपने कामों का जायज़ा लेगा। तब वह अल्लाह की तरफ लौटेंगे कि वही उनका हकीकी रब और मालिक है। और जिन शरीको को उन्हों ने बनाया था वह उनसे इनकार कर देंगे।

قُل مَن يَرزُقُكُم مِنَ السَّماءِ وَالأَرضِ أَمَّن يَملِكُ السَّمعَ وَالأَبصٰرَ وَمَن يُخرِجُ الحَىَّ مِنَ المَيِّتِ وَيُخرِجُ المَيِّتَ مِنَ الحَىِّ وَمَن يُدَبِّرُ الأَمرَ فَسَيَقولونَ اللَّهُ فَقُل أَفَلا تَتَّقونَ

(10:31) कहो! आसमान और ज़मीन से तुम्हें कौन रोज़ी देता है? सुनने तथा देखने की शक्तियाँ किसके अधिकार में हैं? जो ज़िन्दा को मुर्दा से और मुर्दा को ज़िन्दा से पैदा करता है। जो हर चीज़ पर क़ादिर है। वह सब कहेंगेः अल्लाह । कहोः फिर तुम खुदा के अहकाम और आदेश को क्यों नहीं मानते हो।

فَذٰلِكُمُ اللَّهُ رَبُّكُمُ الحَقُّ فَماذا بَعدَ الحَقِّ إِلَّا الضَّلٰلُ فَأَنّىٰ تُصرَفونَ

(10:32) वही अल्लाह तुम्हारा हक़ीक़ी रब है। तो हक़ के बाद असत्य के सिवा क्या है? तुम इस सब को कैसे नज़र अन्दाज़ कर सकते हो?

كَذٰلِكَ حَقَّت كَلِمَتُ رَبِّكَ عَلَى الَّذينَ فَسَقوا أَنَّهُم لا يُؤمِنونَ

(10:33) इसी तरह तुम्हारे रब की बात “यह लोग ईमान नहीं लाएंगे” उन लोगों के लिए सच साबित हुई है जिन्हों ने बदकार होना चुना।

अपने शरीको पर गौर करो

قُل هَل مِن شُرَكائِكُم مَن يَبدَؤُا۟ الخَلقَ ثُمَّ يُعيدُهُ قُلِ اللَّهُ يَبدَؤُا۟ الخَلقَ ثُمَّ يُعيدُهُ فَأَنّىٰ تُؤفَكونَ

(10:34) कहो (इनसे पूछो) क्या तुम्हारे बुत कोई चीज़ (पहली मरतबा) पैदा कर सकते हैं? फिर उसे दोहरा सकते हैं? तुम कह दो कि अल्लाह ही ने मख़लूकात को पहली बार पैदा किया फिर वही दोबारा उसकी पुनरावृति भी करता है । फिर तुम कहां फिरे जाते हो?

قُل هَل مِن شُرَكائِكُم مَن يَهدى إِلَى الحَقِّ قُلِ اللَّهُ يَهدى لِلحَقِّ أَفَمَن يَهدى إِلَى الحَقِّ أَحَقُّ أَن يُتَّبَعَ أَمَّن لا يَهِدّى إِلّا أَن يُهدىٰ فَما لَكُم كَيفَ تَحكُمونَ

(10:35) कहोः क्या तुम्हारे शरीको में से कोई सच्चाई की राह दिखा सकता है? कहोः अल्लाह सच्चाई की तरफ रहनुमाई करता है। क्या जो सच्चाई की तरफ रहनुमाई करता है उसकी पैरवी करना बेहतर है या उसकी जो रहनुमाई नहीं करता? बल्कि उसे खुद रहनुमाई की ज़रूरत है। तुम्हें क्या हुआ है? कैसे फैसले करते हो?

وَما يَتَّبِعُ أَكثَرُهُم إِلّا ظَنًّا إِنَّ الظَّنَّ لا يُغنى مِنَ الحَقِّ شَيـًٔا إِنَّ اللَّهَ عَليمٌ بِما يَفعَلونَ

(10:36) और उनमें से अधिकतर तो बस अटकल और गुमान पर चलते है। निश्चय ही गुमान करना सत्य का विकल्प नहीं हो सकता । जो कुछ वह करते हैं अल्लाह उसे अच्छी तरह से जानता है।

कुरान को सिर्फ अल्लाह ही लिख सकता है

وَما كانَ هٰذَا القُرءانُ أَن يُفتَرىٰ مِن دونِ اللَّهِ وَلٰكِن تَصديقَ الَّذى بَينَ يَدَيهِ وَتَفصيلَ الكِتٰبِ لا رَيبَ فيهِ مِن رَبِّ العٰلَمينَ

(10:37) ये क़ुर्आन, ऐसा नहीं है कि अल्लाह के सिवा अपने मन से बना लिया जाये, और यह पहले के सभी पैगाम की तसदीक़ करता है। और एक पूरी तरह से मुकम्मल तफसीली किताब प्रदान करता है। इस में कोई शक नहीं है क्योंकि यह तमाम दुनिया के रब की तरफ से उतारा गया है।

أَم يَقولونَ افتَرىٰهُ قُل فَأتوا بِسورَةٍ مِثلِهِ وَادعوا مَنِ استَطَعتُم مِن دونِ اللَّهِ إِن كُنتُم صٰدِقينَ

(10:38) अगर वह कहें कि उसने इसे (कुरान को) अपने आप से बना लिया है, तो कहो तुम इस जैसी कोई एक सूरत बनालो और अल्लाह के अलावा जिसको चाहो बुला लो। अगर तुम सच्चे हो।

بَل كَذَّبوا بِما لَم يُحيطوا بِعِلمِهِ وَلَمّا يَأتِهِم تَأويلُهُ كَذٰلِكَ كَذَّبَ الَّذينَ مِن قَبلِهِم فَانظُر كَيفَ كانَ عٰقِبَةُ الظّٰلِمينَ

(10:39) हकीकत मे उन्होंने इसकी मालूमात किये बिना और इसे जांच पड़ताल या समझे बगैंर इसका इंकार किया। इसी तरह उनसे पहले के लोगें ने भी इंकार किया। इस लिए देखो ज़ालिमों का क्या अन्जाम हुआ।

وَمِنهُم مَن يُؤمِنُ بِهِ وَمِنهُم مَن لا يُؤمِنُ بِهِ وَرَبُّكَ أَعلَمُ بِالمُفسِدينَ

(10:40) उनमें से कुछ लोग किताब पर यक़ीन रखते हैं जबकि कुछ लोग उस पर यक़ीन नहीं करते। तुम्हरा रब बिगाड़ पैदा करनेवालों को भली-भाँति जानता है ।

وَإِن كَذَّبوكَ فَقُل لى عَمَلى وَلَكُم عَمَلُكُم أَنتُم بَريـٔونَ مِمّا أَعمَلُ وَأَنا۠ بَرىءٌ مِمّا تَعمَلونَ

(10:41) अगर वह तुम्हारा इनकार करें तो उनसे कहोः मेरे लिए मेरे कर्म हैं और तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्म हैं। तुम उससे बेक़सूर हो, जो मैं करता हूँ तथा मैं उससे बेक़सूर हूँ, जो तुम करते हो।

وَمِنهُم مَن يَستَمِعونَ إِلَيكَ أَفَأَنتَ تُسمِعُ الصُّمَّ وَلَو كانوا لا يَعقِلونَ

(10:42) उनमें से कुछ लोग तुम्हारी बाते सुनते हें लेकिन क्या तुम बेहरों को सुना सकते हो जब कि वह समझ नहीं सकते हैं। 

इनसान आज़ादी से अपने रास्ते को चुनता है

وَمِنهُم مَن يَنظُرُ إِلَيكَ أَفَأَنتَ تَهدِى العُمىَ وَلَو كانوا لا يُبصِرونَ

(10:43) उनमें से कुछ तुम्हें देखते हैं। लेकिन क्या तुम अन्धों की रहनुमाई कर सकते हो जबकि वह देखते नहीं हैं।

إِنَّ اللَّهَ لا يَظلِمُ النّاسَ شَيـًٔا وَلٰكِنَّ النّاسَ أَنفُسَهُم يَظلِمونَ

(10:44) अल्लाह कभी भी लोगों पर जुल्म नहीं करता है बल्कि लोग खुद ही अपने ऊपर जुल्म करते हैं।

وَيَومَ يَحشُرُهُم كَأَن لَم يَلبَثوا إِلّا ساعَةً مِنَ النَّهارِ يَتَعارَفونَ بَينَهُم قَد خَسِرَ الَّذينَ كَذَّبوا بِلِقاءِ اللَّهِ وَما كانوا مُهتَدينَ

(10:45) जिस दिन खुदा उन सबको इकट्ठा करेगा। वह महसूस करेंगे कि वह दिनकी एक घड़ी से ज्यादा दुनिया में ठेहरे ही न थे, जिस में वोह एक दूसरेको पहचानेंगे। हकीकत में वह लोग नुकसान में हैं जिन्हों ने अल्लाह की मुलाक़ात का इन्कार किया और गुमराह होने को चुना।

وَإِمّا نُرِيَنَّكَ بَعضَ الَّذى نَعِدُهُم أَو نَتَوَفَّيَنَّكَ فَإِلَينا مَرجِعُهُم ثُمَّ اللَّهُ شَهيدٌ عَلىٰ ما يَفعَلونَ

(10:46) चाहें हम तुम्हें वह (अज़ाब) दिखा दें जिसका हमने उनसे वादा किया था, या उस से पहले हम तुम्हें खत्म कर दे, उन सबको हमारी तरफ लौटना है। फिर अल्लाह उनके सब कामों का गवाह है।

وَلِكُلِّ أُمَّةٍ رَسولٌ فَإِذا جاءَ رَسولُهُم قُضِىَ بَينَهُم بِالقِسطِ وَهُم لا يُظلَمونَ

(10:47) हर क़ौम के लिए एक पैगम्बर है। पैगम्बर के आने के बाद हर एक से इन्साफ किया जाता है। और किसी के साथ नाइन्साफी नही की जाती है।

وَيَقولونَ مَتىٰ هٰذَا الوَعدُ إِن كُنتُم صٰدِقينَ

(10:48) वे चुनौती देते हैं: “यदि आप सच कह रहे हैं तो यह भविष्यवाणी कब पूरी होगी?”    

पैगम्बर के पास कोई ताकत नहीं है

قُل لا أَملِكُ لِنَفسى ضَرًّا وَلا نَفعًا إِلّا ما شاءَ اللَّهُ لِكُلِّ أُمَّةٍ أَجَلٌ إِذا جاءَ أَجَلُهُم فَلا يَستَـٔخِرونَ ساعَةً وَلا يَستَقدِمونَ

(10:49) कहोः “मैं अपने आप को नफा या नुकसान पहुंचाने की ताकत नहीं रखता। सिर्फ वही होता है जो अल्लाह चाहता है।“ हर क़ौम की ज़िन्दगी का एक मुकर्रर वक्त होता है। एक बार जब उनका वक्त खत्म हो जाता है तो वह उस वक्त में से एक लम्हा भी पीछे नहीं कर सकते और ना ही आगे कर सकते हैं।

قُل أَرَءَيتُم إِن أَتىٰكُم عَذابُهُ بَيٰتًا أَو نَهارًا ماذا يَستَعجِلُ مِنهُ المُجرِمونَ

(10:50) कहोः चाहे उसका अज़ाब तुम्हारे पास रात में आये या दिन में मुजरिम लोगो को इतनी जल्दी क्यों हैं?

أَثُمَّ إِذا ما وَقَعَ ءامَنتُم بِهِ ءالـٰٔنَ وَقَد كُنتُم بِهِ تَستَعجِلونَ

(10:51) अगर यह वाके होता तो क्या तुम ईमान ले आते? तुम क्यों ईमान लाओगे? तुम तो इसे आने के लिए चुनौती देते थे?”

ثُمَّ قيلَ لِلَّذينَ ظَلَموا ذوقوا عَذابَ الخُلدِ هَل تُجزَونَ إِلّا بِما كُنتُم تَكسِبونَ

(10:52) अपराधी लोगों से यह कहा जायेगा “हमेशा के लिए रेहनेवाला अज़ाब चखो, क्या तुम्हें इसका बदला नहीं दिया जयेगा जो तुमने कमाया है।

وَيَستَنبِـٔونَكَ أَحَقٌّ هُوَ قُل إى وَرَبّى إِنَّهُ لَحَقٌّ وَما أَنتُم بِمُعجِزينَ

(10:53) वह तुम्हारी भविष्यवाणी को चुनौती देते हैंः “क्या वाकई ऐसा होगा? कहो हां मेरे खुदा की क़सम यह सच है। और तुम कभी भी बच नहीं सकते।

ईमान की क्या क़ीमत है

وَلَو أَنَّ لِكُلِّ نَفسٍ ظَلَمَت ما فِى الأَرضِ لَافتَدَت بِهِ وَأَسَرُّوا النَّدامَةَ لَمّا رَأَوُا العَذابَ وَقُضِىَ بَينَهُم بِالقِسطِ وَهُم لا يُظلَمونَ

(10:54) अगर हर जालिम शख्सकी मिल्किय्यत में वोह (सारी दौलत) हो जो जमीनमें है तो वोह यकीनन उसे (अपनी जान छुड़ाने के लिए) अजाब के बदले में दे डाले (तो फिर भी अजाब से न बच सकेगा), और (ऐसे लोग) जब अजाब को देखेंगे तो अपने पश्चाताप को छुपाए फिरेंगे और उनके दरमियान इन्साफ के साथ फैसला कर दिया जाएगा और उन पर जुल्म नहीं होगा।

أَلا إِنَّ لِلَّهِ ما فِى السَّمٰوٰتِ وَالأَرضِ أَلا إِنَّ وَعدَ اللَّهِ حَقٌّ وَلٰكِنَّ أَكثَرَهُم لا يَعلَمونَ

(10:55) जो कुछ आसमान और ज़मीन में है सब अल्लाह ही का है। अल्लाह का वादा बिल्कुल सच्चा है लेकिन अक्सर लोग नहीं जानते हैं।

هُوَ يُحى ۦ وَيُميتُ وَإِلَيهِ تُرجَعونَ

(10:56) वह मौत और ज़िन्दगी को क़ाबू में रखता है और उसी की तरफ तुम को लौट कर जाना है।

يٰأَيُّهَا النّاسُ قَد جاءَتكُم مَوعِظَةٌ مِن رَبِّكُم وَشِفاءٌ لِما فِى الصُّدورِ وَهُدًى وَرَحمَةٌ لِلمُؤمِنينَ

(10:57) ऐ लोगो! तुम्हारे पास तुम्हारे रब की तरफ से रौशन नसीहत आचुकी है। और हर उस चीज़ के लिए शिफा और मरहम है जो तुम्हारे दिल को परेशान करे। और वह मोमिनो के लिए हिदायत और रहमत है।

मोमिनों के लिए प्रसन्नता

قُل بِفَضلِ اللَّهِ وَبِرَحمَتِهِ فَبِذٰلِكَ فَليَفرَحوا هُوَ خَيرٌ مِمّا يَجمَعونَ

(10:58) कहोः अल्लाह के फज़्ल और उसकी रहमत से वह प्रसन्न होगें और यह उनके द्वारा जमा की हुवी किसी भी दौलत से कहीं बेहतर है।

मानव निर्मित आहार का प्रतिबंध

قُل أَرَءَيتُم ما أَنزَلَ اللَّهُ لَكُم مِن رِزقٍ فَجَعَلتُم مِنهُ حَرامًا وَحَلٰلًا قُل ءاللَّهُ أَذِنَ لَكُم أَم عَلَى اللَّهِ تَفتَرونَ

(10:59) कहोः क्या तुमने गौर किया है कि अल्लाह तुम पर हर किस्म का रिज़क कैसे नाज़िल करता है? फिर तुमने उनमें से कुछ को हलाल और कुछ को हराम (गैर कानूनी) करार दे दिया। इनसे पूछो! क्या अल्लाह ने तुम्हें इसकी इजाज़त दी है? या तुम झूठ बना कर उसको अल्लाह की तरफ मनसूब करते हो?

وَما ظَنُّ الَّذينَ يَفتَرونَ عَلَى اللَّهِ الكَذِبَ يَومَ القِيٰمَةِ إِنَّ اللَّهَ لَذو فَضلٍ عَلَى النّاسِ وَلٰكِنَّ أَكثَرَهُم لا يَشكُرونَ

(10:60) क्या कभी कोई ख्याल आता है उनको जो अल्लाह के बारे मे झूठ बनाते है कि उन्हें खुदा का क़यामत के दिन सामना करना पड़ेगा? बेशक अल्लाह लोगों पर अपना रहम करता है लेकिन बहुत से लोग नाशुकरी करते हैं।

अल्लाह को जानना

وَما تَكونُ فى شَأنٍ وَما تَتلوا مِنهُ مِن قُرءانٍ وَلا تَعمَلونَ مِن عَمَلٍ إِلّا كُنّا عَلَيكُم شُهودًا إِذ تُفيضونَ فيهِ وَما يَعزُبُ عَن رَبِّكَ مِن مِثقالِ ذَرَّةٍ فِى الأَرضِ وَلا فِى السَّماءِ وَلا أَصغَرَ مِن ذٰلِكَ وَلا أَكبَرَ إِلّا فى كِتٰبٍ مُبينٍ

(10:61) तुम किसी भी हाल में नही होते हो, ना ही तुम कुरान पढ़ते हो, ना ही तुम कोई काम करते हो, मगर हम तुम्हारे सारे कामों के गवाह होते हैं। एक ऐटम का वज़न भी तेरे रब के क़ाबू से बाहर नहीं है चाहे वह आसमान में हो या ज़मीन में हो। और ना ही ऐटम से कोई छोटी या बड़ी चीज़ है जो एक स्पष्ट किताब में मौजूद न हो ।

खुशी: अभी और हमेशा के लिए

أَلا إِنَّ أَولِياءَ اللَّهِ لا خَوفٌ عَلَيهِم وَلا هُم يَحزَنونَ

(10:62) बेशक अल्लाह वालों को ना तो कोई खौफ होता है और ना कभी वह ग़मग़ीन होते हैं।

*10:62-64 बहुत से लोग यह सोचते हैं कि उन्हें अपनी नेकी के इनाम के लिए कयामत तक इन्तिज़ार करना पड़ेगा। लेकिन कुरान मोमिनों को बार-बार यह यक़ीन दिलाता है कि उन्हें इस दुनिया में हमेशा के लिए खुशी की ज़मानत दी गई है। उनकी यहां की ज़िन्दगी खत्म होने पर वह सीधे जन्नत में जाते हैं। अपेन्डिक्स 17 देखें।,

الَّذينَ ءامَنوا وَكانوا يَتَّقونَ

(10:63) यह वह लोग हैं जो ईमान लाते हैं और नेक ज़िन्दगी गुज़ारते हैं।

لَهُمُ البُشرىٰ فِى الحَيوٰةِ الدُّنيا وَفِى الـٔاخِرَةِ لا تَبديلَ لِكَلِمٰتِ اللَّهِ ذٰلِكَ هُوَ الفَوزُ العَظيمُ

(10:64) उनके लिए इस दुनिया के साथ-साथ आखिरत में भी खुशी है। यह अल्लाह का अटल कानून है। यह सबसे बड़ी कामयाबी है।

وَلا يَحزُنكَ قَولُهُم إِنَّ العِزَّةَ لِلَّهِ جَميعًا هُوَ السَّميعُ العَليمُ

(10:65) उनकी बातों से ग़मग़ीन मत हो। तमाम इज़्ज़त (और ताकत) अल्लाह के हाथ में है। वह सुनने वाला और जानने वाला है।

أَلا إِنَّ لِلَّهِ مَن فِى السَّمٰوٰتِ وَمَن فِى الأَرضِ وَما يَتَّبِعُ الَّذينَ يَدعونَ مِن دونِ اللَّهِ شُرَكاءَ إِن يَتَّبِعونَ إِلَّا الظَّنَّ وَإِن هُم إِلّا يَخرُصونَ

(10:66) बेशक जो कुछ आसमान और ज़मीन में है सब अल्लाह का है। जो लोग अल्लाह के अलावा दूसरे साझीदारों की पूजा करते हैं वह हक़ीकत में किसी चीज़ की पैरवी नहीं करते हैं। वह सिर्फ सोचते हैं कि वह किसी की पैरवी कर रहे हैं। वह सिर्फ अन्दाज़ा लगाते हैं।

هُوَ الَّذى جَعَلَ لَكُمُ الَّيلَ لِتَسكُنوا فيهِ وَالنَّهارَ مُبصِرًا إِنَّ فى ذٰلِكَ لَـٔايٰتٍ لِقَومٍ يَسمَعونَ

(10:67) वह (खुदा) एक है जिसने तुम्हारे लिए रात बनाई ताकि तुम आराम कर सको और दिन को रौशन बनाया। यह उन लोगों के लिए सुबूत (और निशानी) हैं जो सुन सकते हैं।

सख्त निन्दा(तौहीन)

قالُوا اتَّخَذَ اللَّهُ وَلَدًا سُبحٰنَهُ هُوَ الغَنِىُّ لَهُ ما فِى السَّمٰوٰتِ وَما فِى الأَرضِ إِن عِندَكُم مِن سُلطٰنٍ بِهٰذا أَتَقولونَ عَلَى اللَّهِ ما لا تَعلَمونَ

(10:68) वह लोग कहते हैंः अल्लाह ने बेटा बना लिया है है। उसकी ज़ात पाक है। वह सबसे आला अफज़ल व बेनियाज़ है। जो कुछ आसमान और ज़मीन में है उसी का है। तुम्हारे पास इस तरह की तौहीन का कोई सुबूत नहीं है। क्या तुम अल्लाह के बारे में ऐसी बात कह रहे हो जिसे तुम खुद नहीं जानते हो?

قُل إِنَّ الَّذينَ يَفتَرونَ عَلَى اللَّهِ الكَذِبَ لا يُفلِحونَ

(10:69) ऐलान कर दो! जो अल्लाह पर जूठा बोहतान बांधते हैं वह कभी कामयाब नहीं होंगे।

مَتٰعٌ فِى الدُّنيا ثُمَّ إِلَينا مَرجِعُهُم ثُمَّ نُذيقُهُمُ العَذابَ الشَّديدَ بِما كانوا يَكفُرونَ

(10:70) उन्हें इस दुनिया में जो हिस्सा मिलता है वो चंद लम्हो का आनंद है । फिर उनको हमारी तरफ ही लौटना है। फिर हम उन्हें उनके कुफ्र करने के बदले दर्दनाक अज़ाब देंगे।

नूह

وَاتلُ عَلَيهِم نَبَأَ نوحٍ إِذ قالَ لِقَومِهِ يٰقَومِ إِن كانَ كَبُرَ عَلَيكُم مَقامى وَتَذكيرى بِـٔايٰتِ اللَّهِ فَعَلَى اللَّهِ تَوَكَّلتُ فَأَجمِعوا أَمرَكُم وَشُرَكاءَكُم ثُمَّ لا يَكُن أَمرُكُم عَلَيكُم غُمَّةً ثُمَّ اقضوا إِلَىَّ وَلا تُنظِرونِ

(10:71) उन्हें नूह की तारीख पढ़ कर सुनाओ। जब उसने अपनी क़ौम से कहाः ऐ मेरी क़ौम! अगर तुमको मेरा मक़ाम और मेरा तुम्हें अल्लाह की आयतों को याद दिलाना बहुत ज़्याद लगता है तो मैं अल्लाह पर भरोसा करता हूँ तो तुम आपस में अपने नेताओ के साथ मिल कर बिना संदेह किये कोई आखिरी फैसले पर सहमत हो जाओ और तुम्हारे फैसले बिना देर किये मुझे बता दो (या तुम्हारे फैसले मुझ पर लगा दो और मुझे मोहलत न दो)।

فَإِن تَوَلَّيتُم فَما سَأَلتُكُم مِن أَجرٍ إِن أَجرِىَ إِلّا عَلَى اللَّهِ وَأُمِرتُ أَن أَكونَ مِنَ المُسلِمينَ

(10:72) अगर तुम मुंह फेर लो तो मैंने तुमसे कोई मज़दूरी नहीं मांगी है। मेरी मज़दूरी अल्लाह की तरफ से मिलती है। और मुझे फर्माबरदार होने का हुक्म दिया गया है।

فَكَذَّبوهُ فَنَجَّينٰهُ وَمَن مَعَهُ فِى الفُلكِ وَجَعَلنٰهُم خَلٰئِفَ وَأَغرَقنَا الَّذينَ كَذَّبوا بِـٔايٰتِنا فَانظُر كَيفَ كانَ عٰقِبَةُ المُنذَرينَ

(10:73) उन लोगों ने उसे (नूह को) झुठला दिया। नतीजतन हमने नूह और उसके साथ कशती में सवार सभी लोगों को बचा लिया। और हमने उन्हें वारिस बनाया और जिन लोगो ने हमारी आयातों को झुठलाया उनको डुबो दिया। तो उनका नतीजा देख लो जिन्हें चेतावनी दी गयी थी।

इंसान अपने असली गुनाह पर अड़े रहता है

ثُمَّ بَعَثنا مِن بَعدِهِ رُسُلًا إِلىٰ قَومِهِم فَجاءوهُم بِالبَيِّنٰتِ فَما كانوا لِيُؤمِنوا بِما كَذَّبوا بِهِ مِن قَبلُ كَذٰلِكَ نَطبَعُ عَلىٰ قُلوبِ المُعتَدينَ

(10:74) फिर हमने नूह के बाद उसकी क़ौम में रसूलो को भेजा और उन्होंने उन लोगो को खुली निशानियां दिखायीं। लेकिन वह लोग उस पर यक़ीन नहीं करने वाले थे जो वह पहले झुठला चुके थे। इसी तरह हम मुजरिमो के दिलों पर मोहर लगा देते हैं।

मूसा और हारून

ثُمَّ بَعَثنا مِن بَعدِهِم موسىٰ وَهٰرونَ إِلىٰ فِرعَونَ وَمَلَإِي۟هِ بِـٔايٰتِنا فَاستَكبَروا وَكانوا قَومًا مُجرِمينَ

(10:75) फिर उनके बाद हमने मूसा और हारून को फिरऔन और उसके लोगों में अपनी निशानियों के साथ भेजा। लेकिन उन लोगें ने तकब्बुर किया और वह गुनेहगार लोग थे।

فَلَمّا جاءَهُمُ الحَقُّ مِن عِندِنا قالوا إِنَّ هٰذا لَسِحرٌ مُبينٌ

(10:76) जब उनके पास हमारी तरफ से हक बात पहुंची तो उन्हों ने कहाः यह तो खुला हुआ जादु है।

قالَ موسىٰ أَتَقولونَ لِلحَقِّ لَمّا جاءَكُم أَسِحرٌ هٰذا وَلا يُفلِحُ السّٰحِرونَ

(10:77) मूसा ने कहा क्या जब सत्य तुम्हारे पास आया तो उसके बारे में ये कहते हो की क्या यह जादू है? कोई भी जादूगर कैसे कामयाब हो सकता है?

قالوا أَجِئتَنا لِتَلفِتَنا عَمّا وَجَدنا عَلَيهِ ءاباءَنا وَتَكونَ لَكُمَا الكِبرِياءُ فِى الأَرضِ وَما نَحنُ لَكُما بِمُؤمِنينَ

(10:78) उन लोगो ने कहाः क्या तुम हमको उस से हटाने के लिए आये हो जिसे हमने अपने बाप-दादा को करते हुए पाया है? क्या तुम दोनों ज़मीन पर अपने लिए बड़ाई स्थापित करना चाहते हो? हम तुम दोनों पर कभी ईमान नहीं लायेंगे।

सच गालिब है

وَقالَ فِرعَونُ ائتونى بِكُلِّ سٰحِرٍ عَليمٍ

(10:79) फिरऔन ने कहाः माहिर जादुगरों को मेरे पास ले कर आओ ।

فَلَمّا جاءَ السَّحَرَةُ قالَ لَهُم موسىٰ أَلقوا ما أَنتُم مُلقونَ

(10:80) जब जादुगर आये। मूसा ने उनसे कहाः फेको जो कुछ तुम फेकने जा रहे हो या जो जादु तुम करना चाहते हो करो।

فَلَمّا أَلقَوا قالَ موسىٰ ما جِئتُم بِهِ السِّحرُ إِنَّ اللَّهَ سَيُبطِلُهُ إِنَّ اللَّهَ لا يُصلِحُ عَمَلَ المُفسِدينَ

(10:81) जब उन्हों ने जादु किया तो मूसा ने कहाः जो कुछ तुमने किया है वह जादु है और अल्लाह उसे नाकाम कर देगा। अल्लाह ज़ालिमों के काम की हिमायत नहीं करता।

وَيُحِقُّ اللَّهُ الحَقَّ بِكَلِمٰتِهِ وَلَو كَرِهَ المُجرِمونَ

(10:82) अल्लाह मुजरिमों को नापसन्द होने के बावजूद सच्चाई को अपने अलफाज़ से साबित करता है।

فَما ءامَنَ لِموسىٰ إِلّا ذُرِّيَّةٌ مِن قَومِهِ عَلىٰ خَوفٍ مِن فِرعَونَ وَمَلَإِي۟هِم أَن يَفتِنَهُم وَإِنَّ فِرعَونَ لَعالٍ فِى الأَرضِ وَإِنَّهُ لَمِنَ المُسرِفينَ

(10:83) मूसा पर कोई ईमान नहीं लाया सिवा उसकी क़ौम के कुछ लोगों के और वोभी फिरऔन और उसके हाकिमों से डरते हुए ईमान लाए। यक़ीनन फिरऔन ज़मीन पर बहुत ज़्यादा मग़रूर और हक़ीकी ज़ालिम था।

وَقالَ موسىٰ يٰقَومِ إِن كُنتُم ءامَنتُم بِاللَّهِ فَعَلَيهِ تَوَكَّلوا إِن كُنتُم مُسلِمينَ

(10:84) मूसा ने कहाः ऐ मेरी क़ौम! अगर तुम हक़कीत में अल्लाह पर ईमान रखते हो तो उस पर भरोसा भी करो। अगर तुम हक़ीकत में फरमाबरदार ईमान वाले हो।

فَقالوا عَلَى اللَّهِ تَوَكَّلنا رَبَّنا لا تَجعَلنا فِتنَةً لِلقَومِ الظّٰلِمينَ

(10:85) उन लोगों ने कहाः हम अल्लाह पर भरोसा करते हैं। हमारा रब हमें इस ज़ालिम क़ौम के जुल्म और सितम से बचाए।

وَنَجِّنا بِرَحمَتِكَ مِنَ القَومِ الكٰفِرينَ

(10:86) और अपनी रहमत के ज़रिए हमें काफिरों से नजात दे।

وَأَوحَينا إِلىٰ موسىٰ وَأَخيهِ أَن تَبَوَّءا لِقَومِكُما بِمِصرَ بُيوتًا وَاجعَلوا بُيوتَكُم قِبلَةً وَأَقيمُوا الصَّلوٰةَ وَبَشِّرِ المُؤمِنينَ

(10:87) और हमने मूसा और उसके भाई पर वही भेजी कि तुम मिश्र में अपने घरों को बरक़रार रखें, और अपने घरों को इबादतगाहों में बदलें। नमाज़ (संपर्क प्रार्थना) क़ायम करों और ईमान लाने वालों को खुशखबरी देदो।

وَقالَ موسىٰ رَبَّنا إِنَّكَ ءاتَيتَ فِرعَونَ وَمَلَأَهُ زينَةً وَأَموٰلًا فِى الحَيوٰةِ الدُّنيا رَبَّنا لِيُضِلّوا عَن سَبيلِكَ رَبَّنَا اطمِس عَلىٰ أَموٰلِهِم وَاشدُد عَلىٰ قُلوبِهِم فَلا يُؤمِنوا حَتّىٰ يَرَوُا العَذابَ الأَليمَ

(10:88) मूसा ने कहाः ऐ मेरे रब! तूने फिरऔन और उसके सरदारों को इस दुनिया में माल व दौलत से नवाज़ा है। ऐ हमारे रब! वह लोग उसका इस्तेमाल सिर्फ दूसरों को तेरी राह से भटकाने के लिए करते हैं। ऐ हमारे रब! उनके माल को मिटा दे और उनके दिलों को सख्त करदे ताकि वह ईमान न लायें जब तक की वह दर्दनाक अज़ाब ना देख लें।

قالَ قَد أُجيبَت دَعوَتُكُما فَاستَقيما وَلا تَتَّبِعانِّ سَبيلَ الَّذينَ لا يَعلَمونَ

(10:89) उस (खुदा) ने कहाः ऐ मूसा और हारून! तुम दोनों की दुआ कुबूल हो गयी। तो तुम (ईमान पर) साबित क़दम रहो और उन लोगों के रास्ते पर मत चलो जो नहीं जानते हैं।

وَجٰوَزنا بِبَنى إِسرٰءيلَ البَحرَ فَأَتبَعَهُم فِرعَونُ وَجُنودُهُ بَغيًا وَعَدوًا حَتّىٰ إِذا أَدرَكَهُ الغَرَقُ قالَ ءامَنتُ أَنَّهُ لا إِلٰهَ إِلَّا الَّذى ءامَنَت بِهِ بَنوا إِسرٰءيلَ وَأَنا۠ مِنَ المُسلِمينَ

(10:90) हमने बनी इस्राईल को समन्दर पार करा दिया। फिरऔन और उसके लश्कर ने उनका आक्रमकता और गुनाह के साथ पीछा किया। जब वह (फिरऔन) डूबने लगा तो उसने कहाः “मैं ईमान लाता हूं कि कोई खुदा नहीं है सिवा उसके जिस पर बनी इस्राईल ईमान रखते हैं। और मैं मुसलमानो (ख़ुदा के फर्माबरदार ईमान वालो) में से हूँ।

ءالـٰٔنَ وَقَد عَصَيتَ قَبلُ وَكُنتَ مِنَ المُفسِدينَ

(10:91) बहुत देर हो चुकी!* तुम पहले ही बग़ावती हो चुके हो और तुमने गुनाहगार होना चुन लिया है।

*10:91 खुदा पर विश्वास करना पहला क़दम है। उसके बाद हर किसी को इबादत करने के तरीकों के ज़रिए रूह की परवरिश करने की ज़रूरत होती है।  

फिरऔन की लाश महफूज़ है

فَاليَومَ نُنَجّيكَ بِبَدَنِكَ لِتَكونَ لِمَن خَلفَكَ ءايَةً وَإِنَّ كَثيرًا مِنَ النّاسِ عَن ءايٰتِنا لَغٰفِلونَ

(10:92) आज हम तेरे जिस्म को महफूज़ करदेंगे, ताकि बाद मे आने वाली नस्लों के लिए एक सबक बन सके।* बद किस्मती से बहुत से लोग हमारी निशानियों से बिल्कुल ग़ाफिल हैं।

*10:92 खुदा ने मिश्रियों को ममी बनाने का खुसूसी इल्म अता किया था। आज फिरऔन की ममी बनी हुई लाश नुमाईश के लिए कारियो म्यूज़ियम में रखी है।

وَلَقَد بَوَّأنا بَنى إِسرٰءيلَ مُبَوَّأَ صِدقٍ وَرَزَقنٰهُم مِنَ الطَّيِّبٰتِ فَمَا اختَلَفوا حَتّىٰ جاءَهُمُ العِلمُ إِنَّ رَبَّكَ يَقضى بَينَهُم يَومَ القِيٰمَةِ فيما كانوا فيهِ يَختَلِفونَ

(10:93) हमने बनी इस्राईल को इज़़्ज़त के मक़ाम और अच्छे, पाक रिज़क से नवाज़ा। फिरभी जब यह इल्म उनके पास आया तो उन्हों ने इख्तिलाफ किया। तुम्हारा रब कयामत के दिन उन्हें उनकी हर बात और इख्तिलाफ का फैसला करेगा। 

रसूल का शक

فَإِن كُنتَ فى شَكٍّ مِمّا أَنزَلنا إِلَيكَ فَسـَٔلِ الَّذينَ يَقرَءونَ الكِتٰبَ مِن قَبلِكَ لَقَد جاءَكَ الحَقُّ مِن رَبِّكَ فَلا تَكونَنَّ مِنَ المُمتَرينَ

(10:94) अगर तुम्हें जो कुछ तुम पर तुम्हारे रब की तरफ से नाज़िल किया गया है उस पर शक हो तो उन लोगों से पूछो जो तुमसे पहले भेजी गई किताब पढ़ते थे। यकीनन सच्चाई तुम्हारे पास तुम्हारे रब की तरफ से आई है। तो शक करने वालों में से ना बनो।

وَلا تَكونَنَّ مِنَ الَّذينَ كَذَّبوا بِـٔايٰتِ اللَّهِ فَتَكونَ مِنَ الخٰسِرينَ

(10:95) ना ही तुम्हें अल्लाह की आयतों को झुठलाने वालों में से बनना चाहिए। नही तो तुम नुकसान उठाने वालों में से हो जाओगे।

إِنَّ الَّذينَ حَقَّت عَلَيهِم كَلِمَتُ رَبِّكَ لا يُؤمِنونَ

(10:96) बेशक जिन लोगों पर तुम्हारे परवरदिगार का हुक्म नाज़िल हो चुका है वह ईमान लाने वाले नहीं।

وَلَو جاءَتهُم كُلُّ ءايَةٍ حَتّىٰ يَرَوُا العَذابَ الأَليمَ

(10:97) इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि तुम उन्हें किस किस्म के सबूत या निशानियां दिखाते हो। (वह उस वक्त तक ईमान नहीं लायेंगे) जब तक दर्दनाक अज़ाब न देख लें।

मोमिन क़ौमें तरक्क़ी करती हैं

فَلَولا كانَت قَريَةٌ ءامَنَت فَنَفَعَها إيمٰنُها إِلّا قَومَ يونُسَ لَمّا ءامَنوا كَشَفنا عَنهُم عَذابَ الخِزىِ فِى الحَيوٰةِ الدُّنيا وَمَتَّعنٰهُم إِلىٰ حينٍ

(10:98) और जो लोग ईमान लाए उन्हें उनके ईमान का बदला दिया जाएगा और यूनुस की क़ौम के लोगों की मिसाल दीजिए जब उन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया तो हमने दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी में उन पर से रूसवाई का अज़ाब दूर कर दिया ।

इन्कार करने वालो को बाहर कर दिया गया *

وَلَو شاءَ رَبُّكَ لَـٔامَنَ مَن فِى الأَرضِ كُلُّهُم جَميعًا أَفَأَنتَ تُكرِهُ النّاسَ حَتّىٰ يَكونوا مُؤمِنينَ

(10:99) और अगर तुम्हारा परवरदिगार चाहता तो जो लोग रूए ज़मीन पर हैं सब के सब ईमान लाते तो क्या तुम लोगों पर ईमान लाने के लिये ज़बरदस्ती करोंगे?

*10:99-101 इम्तिहान या आजमाईश का वक़्त वो ही है कि हम अपने फैसले में खुदाई दखलअंदाजी के बगैर खुद से संत, महात्मा, देवी देवता आदि की इबादत से इन्कार करें। बेशक ख़ुदा कुफ्र करने वालो की राह को रोक देता हैं। 

وَما كانَ لِنَفسٍ أَن تُؤمِنَ إِلّا بِإِذنِ اللَّهِ وَيَجعَلُ الرِّجسَ عَلَى الَّذينَ لا يَعقِلونَ

(10:100) अल्लाह की इजाज़त के बगैर कोई शख्स ईमान नहीं ला सकता है। और खुदा उन लोगों पर लाअनत भेजता है जो लोग समझने से इन्कार करते हैं।

قُلِ انظُروا ماذا فِى السَّمٰوٰتِ وَالأَرضِ وَما تُغنِى الـٔايٰتُ وَالنُّذُرُ عَن قَومٍ لا يُؤمِنونَ

(10:101) कहो: आसमान और ज़मीन की सभी निशानियों को देखो। तमाम निशानियां और चेतावनी उन लोगों की मदद नहीं कर सकतीं जिन्हों ने ईमान न लाने का फैसला कर लिया है।

فَهَل يَنتَظِرونَ إِلّا مِثلَ أَيّامِ الَّذينَ خَلَوا مِن قَبلِهِم قُل فَانتَظِروا إِنّى مَعَكُم مِنَ المُنتَظِرينَ

(10:102) तो क्या, वे इस बात का इन्तिज़ार कर रहे हैं कि उनपर वैसे ही (बुरे) दिन आयें, जैसे उनसे पहले लोगों पर आ चुके हैं? उनसे कहोः बस तुम इन्तिज़ार करो, मैं भी तुम्हारे साथ इन्तिज़ार कर रहा हूँ।

यक़ीनी फतेह

ثُمَّ نُنَجّى رُسُلَنا وَالَّذينَ ءامَنوا كَذٰلِكَ حَقًّا عَلَينا نُنجِ المُؤمِنينَ

(10:103) फिर हम अपने रसूलों और ईमान लाने वालों को बचाते हैं। यह हमारा ना बदलने वाला क़ानून है कि हम ईमान लाने वालों को बचाते हैं।

قُل يٰأَيُّهَا النّاسُ إِن كُنتُم فى شَكٍّ مِن دينى فَلا أَعبُدُ الَّذينَ تَعبُدونَ مِن دونِ اللَّهِ وَلٰكِن أَعبُدُ اللَّهَ الَّذى يَتَوَفّىٰكُم وَأُمِرتُ أَن أَكونَ مِنَ المُؤمِنينَ

(10:104) कहोः ऐ ईमान वालो! अगर तुम्हें हमरे मज़हब में किसी तरह का शक है तो मैं उसकी इबादत नहीं करता जिनको अल्लाह के अलावा तुम पूजते हो। मैं तो सिर्फ अल्लाह की इबादत करता हूँ जो तुम्हारी जिंदगी को मौत देता है । और मुझे हुक्म दिया गया है कि मैं ईमान लानेवालो में से हो जाऊ।

وَأَن أَقِم وَجهَكَ لِلدّينِ حَنيفًا وَلا تَكونَنَّ مِنَ المُشرِكينَ

(10:105) मुझे हुक्म दिया गया था कि अपने आप को दीने तौहीद (एक ईश्वर की इबादत) के लिए अर्पित करो। और शरीक़ो की पूजा न करो।

وَلا تَدعُ مِن دونِ اللَّهِ ما لا يَنفَعُكَ وَلا يَضُرُّكَ فَإِن فَعَلتَ فَإِنَّكَ إِذًا مِنَ الظّٰلِمينَ

(10:106) तो तुम अल्लाह को छोड़कर ऐसी चीज़ो की इबादत न करो जो ताकत नहीं रखती तुम्हे फायदा या नुकसान पहुचाने की अगर तुमने ऐसा किया तो तुम ज़ालिमों में से होगे।

सभी ताकत अल्लाह की हैं

وَإِن يَمسَسكَ اللَّهُ بِضُرٍّ فَلا كاشِفَ لَهُ إِلّا هُوَ وَإِن يُرِدكَ بِخَيرٍ فَلا رادَّ لِفَضلِهِ يُصيبُ بِهِ مَن يَشاءُ مِن عِبادِهِ وَهُوَ الغَفورُ الرَّحيمُ

(10:107) अगर अल्लाह तुमको किसी मुसीबत में डालता है तो उसके सिवा कोई भी इस (मुसीबत) को दूर नहीं कर सकता, और अगर वह तुमको कोई भलाई देता है तो कोई ताकत उसके फज़ल को रोक नहीं सकती। वह अपने बन्दों में से जिसको चाहता है (अपना फज़ल) अता करता है। वह माफ करने वाला और बहुत मेहेरबान है।

قُل يٰأَيُّهَا النّاسُ قَد جاءَكُمُ الحَقُّ مِن رَبِّكُم فَمَنِ اهتَدىٰ فَإِنَّما يَهتَدى لِنَفسِهِ وَمَن ضَلَّ فَإِنَّما يَضِلُّ عَلَيها وَما أَنا۠ عَلَيكُم بِوَكيلٍ

(10:108) कह दो: ऐ लोगों! तुम्हारे रब की तरफ से तुम्हारे पास हक बात पहुंच चुकी है। जिसने हिदायत हासिल की अपनी भलाई के लिए ही हिदायत हासिल कि। और जो गुमराह हुआ, तो अपने ही नुक़सान के लिए गुमराह हुआ । और मैं तुम्हारे ऊपर कोई निगेहबान(या चौकीदार) नहीं हूँ।

وَاتَّبِع ما يوحىٰ إِلَيكَ وَاصبِر حَتّىٰ يَحكُمَ اللَّهُ وَهُوَ خَيرُ الحٰكِمينَ

(10:109) और जो तुम्हारी तरफ “वही” की जाती है उसकी पैरवी करो और सब्र करो यहाँ तक कि अल्लाह अपना हुक्म फरमाए और वही सबसे बेहतर हुक्म देने वाला है।