गर्भपात

समय एक काल चक्र की तरह होता है, जहा हम सुई के काँटों की तरह घूमते रहते है ।  इतिहास इस बात का गवाह है आदमी औरत के रिश्ते हमेशा….. सामाजिक नही रहे । जब ये समाज की दहलीज को पार कर गए तब एक वो बच्चा जन्मा जिसे अजन्मा समझा जाने लगा । जिसकी पहचान को या तो गर्भ में ही मार दिया गया या उसे जिंदा दफन कर दिया गया ।

हैवानियत के ये किस्से तुम जानते ही होगे जिसमे एक गर्भपात किया हुआ भ्रूण जो गन्दी नाली में बहा दिया गया था जिसे चंद कुत्तो ने अपनी गिज़ा बनाई थी ।

पूरी दुनिया में गर्भपात का विषय चर्चा का केंद्र बिंदु बना हुआ है क्यों ? क्योकि अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के 50 साल पुराने अपने ही बनाये कानून को पलट दिया । लेकिन पुरे अमेरिका में इसका विरोध हो रहा है । इसका विरोध क्यों हो रहा है ? इसे जानने की किसी को भी दिलचस्पी नहीं है । आखिर क्यों ? चलिए समझने की कोशिश करते है ।

मर्द और औरत के रिश्ते दो तरह के होते है एक जिसे हम जायज़ रिश्ता कहते है जिसमे वो दोनों सामाजिक तरीके से शादी के बंधन में समाज के बीच बंधते है । और दूसरा रिश्ता नाजायज़ कहलाता है जिसमे दोनों एक साथ बिना किसी वैवाहिक संबंधो के रहते है जिसे आजकल  Live In Relationship का नाम दिया गया और कुछ लोग चोरी छिपे भी सम्बन्ध बनाते है । ये रिश्ते समाज में मकुबूल नहीं होते ।

मै फिर पूछूँगा ऐसा क्यों ? ऐसा इसलिए कि सभ्य समाज में औरत की virginity (कौमार्य ) को ही उसका सब कुछ माना जाता है । जब उसे कोई तोड़ देता है तो समाज उसे कुबूल नहीं करता है यानि वो शरीफ या कुवारे लड़के उसे अपनी विवाहिता नहीं बनाते है ।

जब कोई लड़की किसी लड़के के साथ बिना किसी वैवाहिक सम्बन्ध के साथ रहती है और फिर जब वो दोनों एक दूजे से बिना किसी वैवाहिक बंधन में बंधे अलग हो जाते  है तो उसे, उस औरत की तरह का सम्मान नहीं मिलता है जिस तरह एक आम तलाक में होता है , क्योकि उस औरत ने अपना कुंवारापन जानबूझकर  गवा दिया होता है , उसे एक चरित्र वान स्त्री की तरह कैसे कुबूल किया जाये ? उसे समाज में आज़ाद वैश्या समझा जाने लगता है ।

जो अपनी आज़ादी के साथ रहना चाहती है जो Test & Trial के सिध्दांतो पर अपनी ज़िन्दगी के फैसले करना चाहती है और ये ही बात उन लड़को के लिए भी कायम होते है जो प्लेबॉय की तरह अपनी ज़िन्दगी गुज़ारते है ।

इन रिश्तो से जो बच्चे होते है वो नाजायज़ कहलाते है । लेकिन इन बच्चो को तो कोख में ही मार दिया जाने लगा है । वहशी पन इंसानियत का पर्याय बनती जा रही है । इस तरह से आप एक बेहतर समाज का निर्माण नहीं कर सकते । विचारो की आज़ादी की अपनी सीमाए होती है , जिस लड़की से आप सम्बन्ध बनाना चाहते है वो एक बेटी और किसी की बहन है ।

आप Feminism की बाते कर औरत को वस्तु नहीं बना सकते । आप समाज को दुराचार के तरीको के लिए force नहीं कर सकते , यदि आप ऐसा कर रहे है तो आप सभ्य समाज की कल्पना भी नहीं कर सकते ।

अमेरिका में गर्भपात के विरोध की वजहे

चलिए अब हम समझते है क्यों अमेरिका की औरते इसका विरोध कर रही है ? पश्चिमी सभ्यता में Live In Relationship को बुरा नहीं समझा जाता , वहा आपसी सहमती से सेक्स किये जाने को सभ्यता ,परिवार या कानून का उल्लंघन नहीं माना जाता है । ये ही वो असल वजह है जिसके नतीजो में किशोर लड़किया अपने स्कुल और कॉलेज के दिनों में जब बिना सेफ्टी के सेक्स कर लेती है और  जब वो गर्भवती हो जाती है तो अनजाने तौर पर एक मासूम की क़ातिल बन जाती है  ।

मसला ये है कि क्या ये जो संस्कृति जिसमे वो और हम जी रहे है क्या सही है ? क्या आप भी अपनी बेटी  या बहन के साथ समाज के इस बर्ताव को बर्दाश्त करेंगे ? नहीं  तो फिर उस चीज़ की हिमायत क्यों ? मुझे तो कभी ऐसा लगता है इसे मर्दों की हिमायत हासिल होना चाहिए था हालाँकि ये सोच गलत है  , इत्तेफकान औरते इसकी हिमायत दार बन गई क्योकि उनके जिस्म में कुछ पल रहा होता है ।

मर्द की सोची समझी साजिश का शिकार बनती औरते

आज़ादी की सोच को मर्द ने किस तरह औरत के दिल में पैदा करवा दिया और उसे पता भी नहीं चला । कब औरत मर्दों के कपड़े पहनने लग गई ,कब वो अपने जिस्म और अदाओ से मल्टीनेशनल कंपनियों के Advertisement में उतर गई शायद उसे खुद ही इसका एहसास नहीं । पूछिए क्यों ? क्योकि उसे बताया गया की  इंसानी ज़िन्दगी में पैसे से खुशहाली , सुकून , ऐश ख़रीदा जा सकता है ।

इस फ़िक्र को Inject करवाया गया । उसे ये बताया गया कि मर्द की कोशिश भर  से परिवार में खुशहाली नहीं आ सकती और फिर औरत को घर की दहलीज़ पार करवाई गई ताकि मर्दों को उनके ऑफिस में, Work place में जेहनी सुकून हासिल हो सके । जब उसने उस दहलीज़ को पार किया तो उसे मर्द के बराबर होने के एहसास को जिंदा करवाया गया । फिर वो, वो सब कुछ करने के लिए राज़ी होते चली गई जो उसे दुनियावी कामयाबी के लिए ज़रूरी था ।

क्या खूब दौर ए जहालत चली आ रही है , घर का चिराग खुद फानूस  बन ज़माने  का शिकार बन गया  ।

जिस चिराग को नस्लों की परवरिश करानी थी वो मर्द के पैरो के पंजो से अपने पंजे मिलाने में मशगुल हो गई ।

गर्भपात की कई सामान्य वजहे

बहरहाल बात ये है की आप गर्भपात क्यों कराना चाहती है ? बहुत से देशो में गर्भपात के कारणों को सही तरीके से परिभाषित किया गया है जैसे कि कोई भ्रूण में अपंगता का पता चले या कोई रेप victim हो या तलाक हो जाने पर उस बच्चे के भरण पोषण की व्यवस्था न कर पाने या किसी औरत को प्रेगनेंसी में जान का खतरा हो तो इन वजहों पर आपको कानून  गर्भपात कराने की इजाज़त देता है ।

बहुत से मामलो में उनके भरण पोषण ना कर पाने की वजहो से भी बहुत से दंपत्ति अपनी अनचाही औलाद को गर्भ में गिरा देते है । इस मामले पर खुदा क्या कहते है :-

और निर्धनता के कारण अपनी सन्तान की हत्या न करो; हम तुम्हें भी रोज़ी देते है और उन्हें भी। (6:151)

और निर्धनता के भय से अपनी सन्तान की हत्या न करो, हम उन्हें भी रोज़ी देंगे और तुम्हें भी। वास्तव में उनकी हत्या बहुत ही बड़ा अपराध है (17:31)

लेकिन जिस समाज की हम बात कर रहे है जैसे सिर्फ अमेरिका में ही हर 5 में 1 महिला ने गर्भपात कराया । वही India में  हर 1000 में से 47 औरतो ने गर्भपात  कराया जिनकी उम्र  15 से 49 वर्ष थी ।  ऐसे ही बहुत से facts बताते है कि गर्भपात कराना सिर्फ मज़बूरी नहीं रह गयी है बल्कि नैतिकता और ज़िम्मेदारी से अलगाव का नया शस्त्र बन चुकी है । लेकिन सवाल अब भी वही के वही है आखिर उस अजन्मे  बच्चे का क्या कसूर…………है  ?

कसूर है उस सोच का , कसूर है उस कानून का , कसूर है उस कानून बनाने वालो का जो समाज में हैवानो की तरह ज़िन्दगी बसर करना चाहते है , जो अपनी मन की छिपी ख्वाहिशो को पुरे समाज को थोपना चाहते है ।

क़ुरान में आता है :-

और जब जीवित गाड़ी गई लड़की से पूछा जाएगा, कि उसकी हत्या किस गुनाह के कारण की गई (81:8,9)

ये सवाल क़यामत के दिन वो बच्ची करेगी जिसे पेट में ही मार दिया गया , या वो बच्ची जिसे पैदा होते ही जिंदा दफन कर दिया गया ।

हर सभ्य समाज की एक अजीब दुर्दशा है , हर इन्सान अपने उन रिश्तो को छिपाना चाहता है या उस निशानी को जो उसे समाज में कलंकित करती है । हर तीसरा मर्द एक परायी औरत के साथ सोना चाहता है लेकिन समाज में वो सभ्य भी बने रहना चाहता है । क्या ही अजीब बात है न ? सामाजिक परंपरा समाज को, विनाश से बचाने के लिए बनाई जाती है, लेकिन कुछ लोग इसी की आड़ में समाज का दोहन करने लगते है  ।

गर्भपात ही एक मात्र सामाजिक बुराई नहीं है बल्कि इस वजह के कई कारण और उनका हल

मेरा ये मानना है कि इंसानी नैतिकता, असामाजिक व्यव्हार  के अलावा हमारी सरकार और उनकी नीतिया भी कही न कही इसकी ज़िम्मेदार है । हम आज टीवी अपने जवान बच्चो के साथ नहीं देख सकते । हम अपने बच्चो की सही वक्तो पर शादियाँ नहीं करवा पा रहे है । समाज का नौजवान अमानवीय कार्यो में लिप्त हो रहा है । आप पूछेंगे क्यों ?

मै हर सवाल का एक उत्तर दूंगा कि न्याय व्यवस्था का काम सरकार का है तो समाज में आप चोरी और डकैती की सज़ा के लिए कानून बनाने से आपका दायित्व ख़त्म नहीं होता । आप ने मीडिया को व्हिस्पर और कंडोम का ऐड करने की छुट दे रखी है ताकि उनसे आपको मोटी रकम हासिल हो सके । क्या ये अनैतिक नहीं है ?

आपने शराब की दुकानों का लाइसेंस जारी किया हुआ है ,अब तो हर नुक्कड़ पर एक दुकान है और आप कहते है ये डेमोक्रेसी है , हम किसी को मना नहीं कर सकते । लेकिन क्या उन दुकानों को शहर के बाहर लगवाकर लगाम तो लगाई जा सकती है न ?

समाज में बढते रेप की वारदात के बावजूद भी फ़ास्ट ट्रैक केस का प्रावधान और उसकी सख्त सज़ा क्यों नहीं तय की जा रही है ? आज हमारे कोर्ट में लाखो केस पेंडिंग चल रहे है तो नए जजो की नियुक्ति में देरी क्यों लगाई जा रही है ?

आप नौकरिया के नाम पर सरकारी अफसरों में घुस की मोटी मलाई को किसी सख्त कानून के ज़रिये रोक क्यों नहीं लगाते ? ताकि हर नौजवान अपनी योग्यता से समाज में अपनी सही उम्र सीमा में शादी कर एक इज्ज़त की ज़िन्दगी जी सके ।

और लडकियों में योग्य वर की चाहत में बढती उम्र और अनैतिक सोच का दमन हो सके । फिर कोई लड़की जवानी की भूल कर गर्भपात कराने के बारे में न सोच सके ।

समाज में गर्भपात ही एक मुद्दा नहीं है , सबसे अहम् मुद्दा है सामाजिक अनैतिकता  को दूर करने के लिए एक पारदर्शी कानून और एक जागरूक सरकार जो मानवता को Serve करने की चाहत रखती न कि देश की जनता को इस्तेमाल की वस्तु                                                                           

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