खुदा को मज़बूत पकड़ो

कुछ अरसे से मै दुनिया की निराशाजनक हालात से काफी घबराया हुआ महसूस कर रहा हूं,आम तौर पर और खासतौर पर अमेरिका के लिए। मैंने महसूस किया है कि हम अराजकता में रह रहे हैं, और हर नया दिन इसी में से कुछ लेकर आता है । और दुसरे ईमान वालो ने भी इसी तरह के जज़्बात का इज़हार किया । हम यह याद करके एक-दूसरे को तसल्ली देते हैं कि खुदा का हर चीज़ पर पूरा कंट्रोल है और उसके पास हर चीज के लिए एक वजह है। ये याददेहानी से सुकून तो मिलता है , लेकिन शाम की खबर सुनकर मै सोचने लगता हु ये अफरा तफरी हमेशा के लिए चली जाएगी। मैंने खुद को बेबस और बेआसरा महसूस किया है, और दरहकीक़त में , मैं बेबस और बेआसरा हूं। केवल खुदा के पास सारी ताकते है।

“ऐ नबी! जो बातें ये लोग तुझपर बनाते हैं वो तुझे दुखी न करें, इज़्ज़त सारी की सारी ख़ुदा के इख़्तियार में है, और वो सब कुछ सुनता और जानता है। उनके कथनों से दुखी न हों। सारी ताकते कूड़ा ही की है । वह सुनने वाला है, सर्वज्ञ है।मै ताकत और लगन के लिए खुदा से प्रार्थना करता रहा ।“(10:65)

हाल ही में, जब मैं सुबह के वक़्त कुरान पढ़ रहा था, तो मैंने कुछ ऐसा महसूस किया जिसका मुझे यकीन है की हम में से हर एक ने कभी न कभी महसूस किया होगा । दो खास आयात जो कई सफ्हात के फासले पर थी मेरी तवज्जोह हासिल करने के लिए सफ्हो से छलांग लगाती नज़र आती थी । मैंने इन आयतों को पहले हजारो बार पढ़ा है, लेकिन उस सुबह ऐसा लग रहा था कि मैं उन्हें पहली बार पढ़ रहा था। यह ताज्जुब की बात नहीं है क्योंकि हम जानते हैं कि “ रहमान ने इस क़ुरान की तालीम दी है” (55: 1-2)।

क़ुरान की आयते कहती है :

अब जो लोग अल्लाह की बात मान लेंगे और उसकी पनाह ढूँढेंगे उनको अल्लाह अपनी रहमत और अपने फ़ज़ल व करम के दामन में ले लेगा और अपनी तरफ़ आने का सीधा रास्ता उनको दिखा देगा।(4:175)

क़ुरान की आयात :-

 अलबत्ता जो उनमें से तौबा कर लें और अपने रवैये का सुधार कर लें और अल्लाह का दामन थाम लें और अपने दीन को अल्लाह के लिये ख़ालिस कर दें,  ऐसे लोग ईमानवालों के साथ हैं और अल्लाह ईमानवालों को ज़रूर बड़ा बदला देगा। (4:146)

और लोग खुदा में ईमान रखते हैं, और उसे मज़बूती से थामे रखते है , वो उन्हें अपनी रहमत और फज़ल में दाखिल करेगा और उन्हें सीधे रास्ते पर अपनी तरफ ले जायेगा । (4:175)

मुझे एक मज़बूत एहसास था की खुदा मुझे ऐसी चीज़ की याद दिला रहा है जिसकी मुझे वाकई याद दिलाने की ज़रूरत है , मैंने इस तरह की आयात तलाश करना शुरू की और मुझे खुदा को मज़बूती से पकड़ने के बारे में 06 और आयात मिले (2:256, 3:101, 3:103, 8:45, 22:78, 31:22)).

इन आयातों में से हर एक की एक अलग सेटिंग है, लेकिन वे सभी मुझे इस बात को मज़बूत करते हैं कि खुदा ने हमें एक लाइफ लाइन भेजी है जिसकी हमें तारीफ करने और इस्तेमाल करने की ज़रूरत है। कैम्ब्रिज इंग्लिश डिक्शनरी एक लाइफ लाइन को बताती है की (1) कुछ, खास तौर से मदद हासिल करने का एक तरीका, जिस पर आप मुतमईन तरीके से अपनी ज़िन्दगी जीने के लिए निर्भर होते  है , और (2) एक रस्सी जो किसी को मदद पाने के तरीके के रूप में फेंक दी जाती है जिस पर आप निर्भर हैं। मेरियम वेबस्टर डिक्शनरी एक लाइफ लाइन को “खतरनाक या संभावित खतरनाक हालात में किसी  शख्स(जैसे गोताखोर या अंतरिक्ष यात्री) के साथ ताल्लुक रखने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली लाइन के तौर पर परिभाषित करती है।

मेरे लिए, ये परिभाषाएं कुरान को बिलकुल ठीक बयान करती है ! कुरान खुदा को जानने वास्ते हमारी लाइफ लाइन है। हम जिस्मानी तौर से ख़ुदा को मजबूती से थामे नहीं रह सकते हैं – हम इस दुनिया में उसकी presence का सामना नहीं कर सकते हैं जैसा कि हम 7:143 में देखते हैं, लेकिन हम अपने ऊपर खुदा की वहयी क़ुरान को मजबूती से थामे ज़रूर रह सकते है और हमारे लिए खुदा की वहयी – कुरान को समझ सकते हैं। यह जानकारी हमेशा मेरे लिए मुहैय्या रही है, लेकिन जिस निराशा और कयामत को मैंने खुद को महसूस करने की इजाज़त दी, उसने मुझे भूलने की वजह बना दिया। वह जानता है कि हम सभी को कभी-कभी यकीन देहानी की ज़रूरत होती है, और वह हमेशा इसे अता करता है (2:260, 8:10-11, 16:102)।).

कुरान में इतनी सारी खूबसूरत आयतें हैं कि मैंने खुदा की हम्द करने के लिए इस्तेमाल किया है, लेकिन मेरे नेगेटिव नज़रिएकी वजह से , मैं उन्हें कम बार इस्तेमाल कर रहा था, और मेरा मानना है कि इस नाकामी ने मेरे अज़ाब के एहसास को बढ़ा दिया।

तुम्हारा रब कहता है, “मुझे पुकारो, मैं तुम्हारी दुआएँ क़बूल करूँगा, जो लोग घमण्ड में आकर मेरी इबादत से मुँह मोड़ते हैं, ज़रूर वो बेइज़्ज़त और रुसवा होकर जहन्नम में दाख़िल होंगे।” (40:60)

उन चीजों के बारे में शिकायत करने के बजाय जिन पर मेरा कोई कंट्रोल नहीं है, मुझे खुदा की उन बेशुमार नेमतो के लिए हम्द करनी चाहिए जो उसने मुझे अता की है , जिन में सबसे बड़ी नेमत कुरान है। यह दरअस्ल खुदा के लिए हमारी लाइफ लाइन है, एक लाइफ लाइन जो अविनाशी है और हमेशा हमारे लिए उपलब्ध है। आइए देखें कि खुदाताला खुद, कुरान के बारे में क्या कहते हैं। [2:2] यह सहिफे बेमिसाल है;नेल लोगो के लिए निशानी है।

और ये क़ुरआन वो चीज़ नहीं है जो अल्लाह की वो्य और तालीम के बग़ैर गढ़ लिया जाए, बल्कि ये तो जो कुछ पहले आ चुका था उसकी तस्दीक़  [ पुष्टि] और ‘अल-किताब’  [ विशिष्ट किताब] की तफ़सील है।  इसमें शक नहीं कि ये कायनात के बादशाह की तरफ़ से है।(10:37)

तारीफ़ अल्लाह के लिये है जिसने अपने बन्दे पर ये किताब उतारी और उसमें कोई टेढ़ न रखी।(18:1)

ठीक-ठीक सीधी बात कहनेवाली किताब, ताकि वो लोगों को अल्लाह के सख़्त अज़ाब से ख़बरदार कर दे, और ईमान लाकर भले काम करनेवालों को ख़ुशख़बरी दे दे कि उनके लिये अच्छा बदला है,(18:2)

[18:1 [4:82] वे क़ुरआन का ध्यान से अध्ययन क्यों नहीं करते? यदि यह प्रभु के अलावा किसी अन्य की ओर से होता, तो वे इसमें कई विरोधाभास पाते।

लोगो, तुम्हारे पास तुम्हारे रब की तरफ़ से नसीहत आ गई है। ये वो चीज़ है जो दिलों की बीमारियों का इलाज है और जो उसे क़बूल कर लें, उनके लिये रहनुमाई और रहमत है।(10:57)

अगले लोगों के इन क़िस्सों में अक़्ल और होश रखनेवालों के लिये इबरत है। ये जो कुछ क़ुरआन में बयान किया जा रहा है, ये बनावटी बातें नहीं हैं, बल्कि जो किताबें इससे पहले आई हुई हैं उन्हीं की तसदीक़  [ पुष्टि] है और हर चीज़ की तफ़सील  और ईमान लानेवालों के लिये हिदायत और रहमत।(12:111)

हक़ीक़त ये है कि ये क़ुरआन वो राह दिखाता है जो बिलकुल सीधी है। जो लोग इसे मानकर भले काम करने लगें उन्हें ये ख़ुशख़बरी देता है कि उनके लिये बड़ा अज्र है(17:9)

हम इस क़ुरआन के उतरने के सिलसिले में वो कुछ उतार रहे हैं जो माननेवालों के लिये तो शिफ़ा और रहमत है, मगर ज़ालिमों के लिये घाटे के सिवा और किसी चीज़ में बढ़ोतरी नहीं करता (17:82)

कह दो कि अगर इन्सान और जिन्न, सब-के-सब मिलकर इस क़ुरआन जैसी कोई चीज़ लाने की कोशिश करें तो न ला सकेंगे, चाहे वो सब एक-दूसरे के मददगार ही क्यों न हों। (17:88)

हमने इस क़ुरआन में लोगों को तरह-तरह से समझाया, मगर इन्सान बड़ा ही झगड़ालू साबित हुआ है।(18:54)

खुदा ने हमें कितना सुंदर और गहन शास्त्र दिया है ताकि हम अपनी आत्माओं का अध्ययन कर सकें और उन्हें मज़बूत कर सकें।

मैं कुरान के कुछ खूबसूरत अंशों को साझा करना चाहता हूं जो मैंने तब पढ़े थे जब मैं भगवान की महिमा करता हूं:

इसलिये ऐ नबी जो बातें ये लोग बनाते हैं उनपर सब्र करो, और अपने रब की तारीफ़ बयान करने के साथ उसकी तस्बीह करो, सूरज निकलने से पहले और डूबने से पहले, और रात के वक़्तों में भी तस्बीह करो और दिन के किनारों पर भी, शायद कि तुम राज़ी हो जाओ।(20:130)

अल्लाह किसी जान पर उसकी ताक़त से बढ़कर ज़िम्मेदारी का बोझ नहीं डालता। हर आदमी ने जो नेकी कमाई है, उसका फल उसी के लिये है और जो बदी समेटी है, उसका वबाल उसी पर है।   [ ईमान लानेवालो ! तुम यूँ दुआ किया करो,] ऐ हमारे रब ! हमसे भूल-चूक में जो क़सूर हो जाएँ, उन पर पकड़ न कर। मालिक ! हमपर वो बोझ न डाल जो तूने हमसे पहले लोगों पर डाले थे। पालनहार ! जिस बोझ को उठाने की ताक़त हममें नहीं है, वो हम पर न रख हमारे साथ नरमी कर, हमें, माफ़ कर दे। हम पर रहम कर, तू हमारा मौला है, कुफ़्र  [ इनकार] करनेवालों के मुक़ाबले में हमारी मदद कर। (2:286)

 [John 3:8 हे हमारे प्रभु, हमारा मन न डगमगाने दे, क्योंकि तू ने हमारा मार्गदर्शन किया है। हम पर अपनी दया की बौछार करो; आप अनुदानदाता हैं।

ऐ मेरे रब! तूने मुझे हुकूमत दी और मुझको बातों की तह तक पहुँचना सिखाया। ज़मीन और आसमान के बनानेवाले, तू ही दुनिया और आख़िरत में मेरा सरपरस्त है। मेरा ख़ातिमा इस्लाम पर कर और आख़िरी अंजाम के तौर पर मुझे नेक लोगों के साथ मिला।”  (12:101)

ऐ मेरे परवरदिगार! मुझे नमाज़ क़ायम करनेवाला बना और मेरी औलाद से भी  [ ऐसे लोग उठा, जो ये काम करें]। परवरदिगार! मेरी दुआ क़बूल कर।(14:40)

और दुआ करो कि परवरदिगार मुझको जहाँ भी तू ले जा, सच्चाई के साथ ले जा और जहाँ से भी निकाल, सच्चाई के साथ निकाल [ 99], और अपनी तरफ़ से एक इक़्तिदार को मेरा मददगार बना दे। (17:80)

रहा मैं, तो मेरा रब तो वही अल्लाह है और मैं उसके साथ किसी को शरीक नहीं करता।(18:38)

अल्लाह ही  है जिसने तुमको पैदा किया, फिर तुम्हें रिज़्क़ दिया, फिर वो तुम्हें मौत देता है, फिर वो तुम्हें ज़िन्दा करेगा। क्या तुम्हारे ठहराए हुए शरीक़ों में कोई ऐसा है जो इनमें से कोई काम भी करता हो? पाक है वो और बहुत बालातर है उस शिर्क से जो ये लोग करते हैं।(30:40)

रहमान के (असली) बन्दे वो हैं  जो ज़मीन पर नर्म चाल चलते हैं और जाहिल उनके मुँह को आएँ तो कह देते हैं कि तुमको सलाम। जो अपने रब के आगे सज्दे में और खड़े होकर रातें गुज़ारते हैं। जो दुआएँ करते हैं कि “ऐ हमारे रब, जहन्नम के अज़ाब से हमको बचा ले, उसका अज़ाब तो जान का लागू है, वो तो बड़ा ही बुरा ठिकाना और मक़ाम है।”(25:63-66)

मैं अब काफी बेहतर महसूस कर रहा हूं। मुझे खुदा की बख्शिश रहमत और रहनुमाई की सख्त ज़रूरत थी। मुझे वाकई अपने इस यकीन की तस्दीक की ज़रूरत थी कि कुरान मेरे सेहत और तंदरुस्ती के लिए कितना अहम् है। मैं ऐसे मामूली वाकियात से परेशान हो गया था – ऐसे वाकियात जो मेरी रूह को नुकसान पंहुचा सकते थे और न ही फायेदा पंहुचा सकते थे ।

लोगों ने उसे छोड़कर ऐसे माबूद बना लिये जो किसी चीज़ को पैदा नहीं करते, बल्कि ख़ुद पैदा किये जाते हैं, जो ख़ुद अपने लिये भी किसी फ़ायदे या नुक़सान का इख़्तियार नहीं रखते, जो न मार सकते हैं, न जिला सकते हैं, न मरे हुए को फिर उठा सकते हैं।(25:3)

हमें अक्सर अकेले खुदा में अपने ईमान और ईमान की तस्दीक करने और उसे मज़बूती से थामे रखने की ज़रूरत है, और जितना मुम्किन हो उतना कुरान पढ़ें – पूरे सात यूनिवर्स में सबसे अच्छी लाइफ लाइन ये ही है !

                                                                          ( Lory )

Source : November 2019 Submitter Perspective

Source image By : https://www.lifeofmuslim.com

नोट: यह आर्टिकल मस्जिद टक्सन के Submitter Perspective November 2019 के संस्करण का हिंदी अनुवाद है

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